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पहलवान भूत का ऑफ धाक टीम हवेली आज भी मजबूती के साथ सुदृढ खडी थी । किस जगह के सबसे आलीशान हवेली होने के साथ इस बात की भी कल चाहती है कि पीते हुए दौर में भी क्या हवेली एक संपन्न रजवाडा हुआ करती थी जिसके हुक्मरान राजमहल जैसी भरते हवेली में कहाँ कर देते हैं । कई एकड में फैली यह हवेली पांच भी ढाई सौ साल पुरानी वास्तुकला की भव्यता से लोगों को दातों तले उंगली दबाने को विवश कर रहे थे । मैं दीदी की सुंदरता का सूक्ष्म निरीक्षण करने लगा । दीवारों पर बहुत मेहनत चल कलाकृतियां बनाई हुई थी जो वक्त और मौसम के थपेडों के आगे धूमिल होने को फिर थी । हवेली की ऊंची ऊंची दीवार हवेली की शोभा बढा रहे हैं । हवेली के प्रांगण के ठीक मध्य में लगभग पंद्रह मीटर की त्रिज्या के सत्ता कार खेरे में फॅमिली और मुलायम खास बताई गई थी । उस परिधि पर केंदा गुलाब, कुमुद नहीं इत्यादि फॅमिली के पौधे बगैर किसी अंतराल के लगाए गए थे जिनमें उठने वाले फॅमिली और अलग अलग प्रजाति के फूल शोभायमान थे । उस वक्त आकार खेले के बीच में कमर पर खडा दिखाए हुए एक युवती की संगमरमर की मूर्ति थी । उस खडे से निकलने वाली पानी की पतली धारा को इस प्रकार समायोजित किया गया था की थोडी ऊंचाई से उठने के बाद धारा सीधे मैदान की परिधि पर लगाए गए फूलों के पौधों पर ही करती थी । मैं देखते देखते हवेली के तहखाने में जा पहुंचा हूँ । वहाँ पक्षियों के आवाज और अजीब से बदबू ने ना कदम कर दिया । यहाँ चारों तरफ अंधेरा होने के साथ साथ एक्टर आपना सन्नाटा पसरा हुआ था । ऐसी भयानक खामोशी जिसमें मैं अपनी सांसद की आवाजों की प्रतिध्वनि में आसानी से सुन पा रहा था । मैं अपने साथ बैग लेकर आया था जिसमें बहुत हमेशा लगता था आज से बाईस साल पहले ब्लॅक छतरी की अहमियत है । ज्यादा हुआ कर दीजिए, ऍसे निकाला और सामने की तरफ चलाया था । क्यों उडता हुआ चमगादडों का झंडा मेरे सर के ऊपर करके साॅस उठाना को इस घटना से मैं भी हो गया था । मुझे लगा कि कहीं देर ना हो जाए इसलिए मुझे यहाँ से निकलना चाहिए । घडी में वक्त देखा तो सात बज चुके थे । वो तो पूरा हुआ । पचहत्तर रहते यहाँ से निकल जाना चाहिए था आप मुझे पैदल ही साढे तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पडेगी जबकि कोई पहुंचने में दस बजे जाएंगे । मैं खुद से ही बडबडाता बाहर निकलने की कोशिश करने लगा । तौर से भी प्रकाश देना हो चुका था । शायद उसकी बैटरी आखिरी चरण में देंगे । टॉर्च का प्रकाश कम होने की वजह से मुझे तहखाने से बाहर जाने का रास्ता नहीं मिल पा रहा था । तब क्या जाना हूँ मुझे हवेली के तहखाने में एक जोडी आग है, चमकती हुई दिखाई थी । मैं एकदम से सहन गया क्योंकि मुझे कुछ दिनों पहले ही ग्रामीण खातरी में गुलदार और शेर के विचरन के विषय में बताया था । अचानक तार की वजह से मेरे हाथ पैर कांपने लगे और मेरे हाथ से टॉप झटक के नीचे गिर पडा । मैंने तुरंत टॉर्च को उठाया और चलाने की कोशिश की लेकिन अब वो चलने में असमर्थ थी । मैंने दोबारा कोशिश की तो वो चल गई । उसके चलते हैं । मन में कुछ राहत महसूस हुआ । तभी मेरा ध्यान होने पर गया । ऍम चलते हुए उस तरफ क्या लेकिन उसके लिए आप कोई भी नहीं देखा था को छोटी आंखें दिख नहीं रही थी । मैं कुछ हिम्मत पति मैंने अपने कदम तेज कर दिया और थोडे मशक्कत रखने के बाद मुझे तहखाने से बाहर आने का रास्ता भी किया । पता है खाने से निकलकर हवेली के पीछे हिस्से में जा पहुंचा । मुझे वहाँ ऍम हुआ । ऐसा लगा जैसे मेरे साथ और भी कोई वहाँ मौजूद था । क्रिस कदम से कदम मिलाकर वो भी ठगने की कोशिश कर रहा था । मैं वो ही आगे बढता है तो पीछे से सूखे पत्तों के चरमराने क्या आवाज आ रही थी मुझे इसका हिस्सा हो तो खाता के मैं फॅमिली में अब अकेला नहीं हूँ । मेरे मैनेजमेंट में चाहता है फुर्ती से पीछे की तरफ ऍफ चला दिया । सामने देखते ही मेरे होश उड गए । सामने छह फुट का विशालकाय आदमी था जिसके हाथ घुटने से नीचे सकते हैं और वो मुझे देखकर हस रहा था । धीरे धीरे वो आ के पढते हुए ठीक मेरे सामने आके और बोला महान गए हमारी मत को पिछले ढाई सौ सालों से किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह सूर्यास्त यहाँ के और तू तो तय खाने तक भी पहुंच गया । क्या बकवास करते हैं । अब तो सालों से हम हूँ । मैं नहीं मानता तुम्हारे बातों को फाॅर्स चलाकर उसे कहा मैं मानता हूँ कि तुम बहुत को लेकिन क्या तुमने मेरी आंखें नहीं देखी थी? तो खाने में जो तुम पर ताकि लगाए देख नहीं थी उस तानों से देखने वाले इंसान ने कहा अच्छा अब तुम तो अचानक कहाँ चले गए? लेकिन इस से ये सब नहीं हो जाता कि तुम पिछले ढाई सौ से कहाँ तो उस को चुप कराते हुए हो । तो मैं तुम्हारे उस बस वाले सपने के बारे में भी बताऊँ जिस सपने में तुमने एक भयानक चुडैल देखे थे । और तो मैं तुम्हारे जीवन के काल चक्र पूरे होने की बात कर रही थी । इस बार उसने बुलंद आवाज में कहा, ऍम लेकिन मैंने उस सपने के बारे में मैं तो किसी को नहीं बताया था । फिर तुम्हें कैसे पता? मैं पार्टनर गया था और करते हुए कहा क्योंकि तो सपने के बारे में पास तब में मैंने सब किसी को नहीं पता था । ऍम बोला देखो मुझे अच्छा नहीं तो पिछले कुछ दिनों से बहुत ही बचित्र उच्चतर घटनाएं घटित हो रही है । मेरे साथ मैं बहुत परेशान हूँ । अब और मत करो हूँ । क्या कर रहा है? परेशा हूँ मुझे तो कितनी बार समझाने की कोशिश की तो यहाँ से वापस चला जाएगा । मेरे का कमजोर है लेकिन तुम्हें तुम्हारे सारे को दरकिनार कर दिया । इस बार बहुत ही बुलंद और तेज आवाज मस्त दानव रूपी मानव ने बोला मैंने उसकी बातों को ध्यान से सुनो पर पता है मुझे देर हो रही है मुझे अब यहाँ नहीं रहना मैं कल ही वापस चला जाऊंगा । हो जाएगा तो तब जब मैं तो यहाँ से जाना होगा । मेरी एक शांत माननी होगी तभी तो यहाँ से जा सकता है उस विचित्र घुटने मेरे सामने एक विचित्र शर्त रखी । वो बोलते कौन सी शर्तें तरीके हर चुनौती से निपटने को तैयार हूँ में मैंने डरते करते ही सही लेकिन सारी बच्चे को चेंज मत को एकजुट करते हुए कहा था विचित्र बहुत बोला हैं । मैं चाहता हूँ की तो मुझ से कुछ तिलाडी और जब तक तो जीत नहीं जाता तुझे लगता लडते ही रहना होगा । यही तो एक बार भी जीत गया तो पेश तो यहाँ से जा सकता है लेकिन कुश्ती को बीच में छोडकर नहीं जा सकता । क्या दी तूने ऐसा किया तो मजबूरन तुझे इस हवेली के ऊपर ले जाकर मुझे पीछे धक्का देना होगा । बोल मंजूर है तुझे । मैंने उसकी बातों को धीरज के साथ चुनाव कहा । एक शर्त मेरी भी है । यदि मैं जीत गया तो इस हवेली को हमेशा के लिए छोडकर चला जाएगा और किसी भी व्यक्ति को फिर कभी परेशान नहीं करेगा हूँ । मैं तिरा खोला नहीं जब तेरी शर्त मना तुझे जगह से निकलना है मुझे नहीं इसमें आपने नसीहत आपने कहाँ तक और कुश्ती के लिया था । मारता की आनंद करता सही में उस वक्त में हालात के आगे व्यवस्था यहाँ से निकलने के लिए । इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था तो मैंने खामी भारती थोडी देर में ही हम दोनों में पकडम पकडाई और उठा पटक शुरू हो गए । तभी मैं उसको खुद को आगे से पकडता तो कभी उस पर पीछे समझ सकता । लेकिन बहुत वो पहलवान हो, बहुत चालाकी से मेरी टांगों के बीच अपनी तरफ डाल कर हर बार पटक नहीं दे देगा । जैसे वो कुश्ती में माहिर खिलाडी रहा हूँ तो हर बार लाई दाव और पैतरे से चकित कर देता था । हर कोशिश नाकाम होती जा रहे थे । हर बार मुझे मूंग की खानी पड रही थी ना तो मैं उसको धुल चटा पा रहा था । नहीं वो पहलवान भूत ही ठक्कर हार भाई को तैयार हो रहा था । दोनों में भीषण मल्लयुद्ध जारी था । लडते लडते वक्त का पता ही नहीं लगा कि कम सूरज की लालिमा देखने लगे । गांव में अब सभी लोग मेरे लिए चिंतित हो जाते थे । गांव के साहसी युवकों की टोली हाथ में बच्चा लेकर मेरे ही फौज में निकल पडे थे । थोडी ही देर में उन लोगों की टोली इस पुरानी हवेली के करीब पहुंचे तो सभी ये नजारा देखकर रखते हैं । फॅमिली पर पडी तो वह घबरा गया और अचानक हवेली के तहखाने की ओर भाग पर देखते ही देखते वो एकदम हो गया । इसी चक्कर की दूरी पर बडी पहचान में जाना है । फिर मैंने सारी घटना उन्हें विस्तार से बताए । उस्तोली से एक ही वक्त ने बताया कि जिस व्यक्ति को मैं बता कर आया था की पुरानी हवेली की तरफ जा रहा हूँ उसी ने मुझे तेरे से भी वापस नहीं आने पर उन सभी को सोचना नहीं जिसके फलस्वरूप ये सब क्या हो चुके हैं । गांव वालों के इस इतिहास में हैं पर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था । मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि उस स्टोरी के वक्त पर आने की खुशी बनाओ । क्या आपने हिम्मत और इच्छाशक्ति पर कर महसूस करो जिसमें मुझे सुबह तक लडने के लिए बल प्रदान किया, ऍफ उठाया और उसे अपने बात में डालते हुए तो ली के साथ गांव चलते हैं । इन सभी घटनाओं ने मुझे अंदर तक हिलाकर रख दिया था हूँ । मैंने अपनी नौकरी छोडकर अपने बॅास जाने का निश्चय कर लिया था और मेरा फैसला अटल था हूँ अपने सारे सामान को दोपहर दो बजे तक कर चुका था । कॅप्टन के अंतिम बस सवालों पर आती थी चुकी देर रात तक ऋषिकेश तक पहुंचा दे दीजिए । फिर वहाँ से अगली सुबह छै । बजे ही हाथरस के लिए बस जाती थी जो शाम तक पहुंचा देती थी । सवा दो बजे वाली बस ऋषिकेश जाने के लिए अंतिम बस्तें जिससे मुझे हर हाल में पकडने थी । मुझे अब यहाँ एक भी रात रुकना खुद पर भारी लग रहा था । अपने सामान को लेकर मुख्य सडक की तरफ भाग पढा हूँ । सामान ज्यादा होने की वजह से मुझे सडक पर बने बढाओ पर पहुंचने में बीस मिनट लगता है । मुझे लगा कि अब बस निकल गई होगी । मैं ऐसे ही बस पर पहुंचा तो देखकर अत्यंत खुशी हुई कि बस थोडी दूरी पर अभी भी खरीदी लगभग कर बस की तरफ । लेकिन जैसे ही बस के करीब पूजा बस चल चुकी थी मैंने बहुत आवाजें लगाओ लेकिन बस मेरी नजरों से ओझल हो चुकी थी । अपनी किस्मत पर बडा पछतावा महसूस हो रहा हूँ । मैं यहाँ एक थे । रात रुकने के लिए तैयार नहीं था लेकिन खात्में पूरी तरह से हताश हो चुका था । मैं वापस कमरे की तरफ जाने की सोच रहा था कि बहुत क्योंकि धोनी ने ऍम क्या पीछे से मेरी ट्रक आ रही थी जिसमें टाइगर के अलावा कोई भी नहीं था । मैं खुशी अपनी जगह पर उछल पडा और भगवान का मन हेमंत शुक्रिया अदा किया । ट्रक वाले से बात की तो पता लगा कि वह सामान लेने के लिए ऋषिकेश ही जा रहा था तो मुझे अपने साथ ले जाने को तैयार हो गया । मैं उसके साथ उसके ट्रक पर सवार हो गया । अभी मुश्किल से एक घंटे का सफर तय ही किया था कि देखा की एक मोड पर काफी लोगों की भीड है । टोमॅटो कर हालात का जायजा लेना चाहता हूँ । पता चला कि ऋषिकेश के लिए आखिरी बस अभी थोडी देर पहले ही काम कोई गांव में मुझे छूट गई थी तो गहरी खाई में नीचे गिर गई । पीछे नदी में डूब गई थी । बचाव कार्य जारी था लेकिन किसी भी यात्री के बचने की कोई भी उम्मीद नहीं थी । ये सुनते ही मेरा दिल दहल उठा । इतने लोगों की मौत की खबर आखिर किसी अच्छी लगती है । मेरा सिर्फ घूमने लगा । थोडी देर बाद जब शांत हुआ तो मैंने भगवान का लाख लाख शुक्रिया अदा किया । हर मानने के मन में अपनी किस्मत और भाग्य पर अभिमान महसूस हुआ कि मैं उसी बस के छूटने के कारण जीवित हूँ अन्यथा मेरा नामोनिशान में चुका होता हूँ और इस दुखद घटना की जानकारी मेरे घर पर किसी को भी नहीं मिल पाती है ।
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Writer
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