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पहलवान भूत का हाँ भाई तो बहुत एक शाम की है । मैं पैदल घूमते कोई टिकट के काम जा पहुंचा । मुझे वहाँ रहने वाले कितने बाजी ने कहा कुँजी शेर और गुलदार जैसे जानवर यहाँ वहाँ घूमते हुए आसानी से दिखाई दे जाते हैं । आपको अभी यहाँ की स्थिति का अनुमान नहीं होगा । मेरी माननीय बस मेरा भी बहुत हो जाता है । आपको वापस हो जाना चाहिए क्या? क्या क्या कहा शेयर और गुलदार शायद आप सही कह रहे हैं । मुझे पता ही नहीं लगा कि मैं घूमते घूमते इतनी दूर चलाया हूँ की बात सुनते मेरी खेल की बन गई । मैं सरपट अपने कमरे की तरफ दौड पडा । हमारे मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था की हे भगवान तो उस वजह सही सलामत अपने कमरे तक पहुंचा तो कल से मैं रात को कभी भी पाल तो इधर उधर घूमना तो दूर की बात है । हमारे सब बाहर तक नहीं निकलूंगा । तकरीबन आधे घंटे में ही अपने कमरे में पहुंच गया । फॅमिली लडाई और भगवान का शुक्रियादा किया । मैं तकरीबन आठ बजे का वक्त हो चला था । सारा काम सुम जानता लग रहा था । और भी राणा बदला हुआ था । गांव में लोग जल्दी ही खाते हो जाते हैं । मैंने भी जल्दी पहाडी, राई और पालक बनाया और जल्दी से खा पीकर बिस्तर में घुस गया । करीब रात के दस पर जा रहे होंगे । फॅमिली तेज देखने मेरीलिन को तोड दिया । बहुत कर रहा गया । मैं भी बच्चे पटियाला रहे थे कि आखिर कौन हो सकती है । पहला इतनी रात को ऐसे ठीक ने का क्या मतलब? नहीं तो किसी मुसीबत तक नहीं ऍसे उठा और टॉर्च लेकर उस घटना स्थल की तरफ दौड पडा । जिस तरह से मुझे आवाज आई थी तब तक तो सौ मीटर की दूरी पर ऊपर की तरफ चढाई चढने पर मैं देखता हूँ । एक और भी पर पडी हुई थी उसके सिर के चारों तरफ रखते हो रहा था । उसकी खोपडी खून से सनी हुई थी । कॅश करीब जाकर देखा तो उत्तर चक्कर रहा रही थी और मुझे बचाने की तुम्हारी दे रही है । बाॅधकर गांव के कुछ स्थानीय लोगों को ले आया की वजह से उस महिला को उठाकर मैंने अपने ही कमरे के बैठ कर दिया क्योंकि वहाँ आस पास के इलाके में मेरा ही कमरा पास पडता था । थोडी ही देर में ये पता लगा कि उस भारत का पगडंडियों पर चलते हुए संतुलन बिगड गया था और वो नीचे गिर पडी थी । गिरते वक्त उसका सर किसी बडे पत्थर से टकरा गया था । उस चक्कर से उस औरत की खोपडी का एक ऐसा खुल गया था उसे इस हाल में देख पाना बहुत बडी हम मत का काम था मुझे ही नहीं करनी थी मैंने एक नवयुवक को का चलो भाई चलती किसी डॉक्टर को लेता हूँ नहीं तो ज्यादा देर हो गई तो इसके लिए मुसीबत हो सकती है । ये सुनकर को ना हो तो मुझे क्या? आस पास के गांव में कोई भी डॉक्टर नहीं है । यदि कोई डॉक्टर है भी तो चम्बा में मिलेंगे क्योंकि यहाँ से एक सौ तीस किलोमीटर की दूरी पर है । ये सुनकर अवाक रह गया । किस गांव में कोई डॉक्टर नहीं है रानी से बोल यहाँ इस तरह से पडे रहना भी तो कोई उपाय नहीं है ऐसे तो ये बेचारी मर जाएगी । क्यों नहीं ऐसे ही ले चलेंगे ये ऍम चंबा जाना भी इतना आसान नहीं है । गुरु जी क्योंकि यहाँ गांव में सबसे पहली बस चंबा की तरफ जाती है तो ठीक सुबह छह बजे ये सुनकर इस गांव की दुर्दशा पर बढता चुप हुआ । मुझे एहसास हुआ कि यहाँ गांव के लोगों का जीवन भी किसी तपस्या से कम नहीं है । तभी पास खडे व्यक्ति ने कहा, मेरे पास ही के गांव में एक बंगाली बैठी हैं । चुना उन्हीं को बुला लिया जाए । कम से कम उन्हें इतना तो पता ही होगा कि किसी तरह सुबह तक इसके दर्द को काम कर सके । तभी दूसरे ग्रामीण ने कहा यहाँ सही बात भला हम उन्हें कैसे भूल गए । क्या हुआ अगर वह रजिस्टर डॉक्टर नहीं लेकिन उन्हें भी गांव गांव जाकर इलाज कर के काफी अनुभव हो गया है । सुनते ही मैंने तपाक से फॅमिली को समझाते हुए कहा तो भाई देर क्यों कर रही हूँ ऍम और उन्हें लेकर ही लौटना । सही बात सुनते ही उसके साथ एक और व्यक्ति चला गया तो लगभग बीस से तीस मिनट में वो बच्ची के साथ हाजिर हो गया । ओ बस सर से काफी सारा खून बह गया है । वो तो भला हो आप लोगों का जिन्होंने समझदारी दिखाते हुए तो गलत असर दुपट्टे से बाल दिया है । लेकिन चिंता की कोई बात नहीं इस की जान बच जाएगी की बात बंगाली रहते हैं । उस औरत की खोपडी का मुआयना करते हुए कहा । उन्होंने वही मौजूद एक व्यक्ति से फटाफट गर्म पानी लाने को कहा और मेरी तरफ देखते हुए बोले है मुझे कम से कम दस से बारह लोग ऐसे चाहिए तो शारीरिक रूप से बल्कि हूँ । तभी इस की जान बचाई जा सकती है । पहले की बातें सुनकर आसपास मौजूद लोगों की आज कर रहे थे । उनकी पत्नियां फैलने लगे उनमें से फॅमिली आप होश में तो आप इस औरत के साथ करने वाले हो । देखो के वक्त बहस करने का नहीं । वैसे भी हम लोग काफी वक्त जाया कर चुके हैं । इसकी सलामती चाहते हो तो जैसा मैं कहूँ ठीक पैसा ही करो । ॅ क्या ना करता है । थोडी देर में गांव से लगभग दस बारह परिष्ठ पुरुष कमरे में मौजूद हैं । उस औरत की एक नजर हमारी ओर ही थी । ये भाग कर बैठी सभी बलिष्ठ मर्दों को दूसरे कमरे में ले गए । अभी उन्हीं के साथ होता है । उस कमरे में पहुंचने पर बहुत चीजें तो कहा तो सुनना ही । मेरे लिए बहुत बडी बात थी । तो बोले तो और आपको बचाने का एकमात्र उपाय क्या है कि मुझे उसकी कंपनी को सोई मजबूत थके सेसिल नहीं होगा? दे दिया था । नहीं किया तो सुबह तक अत्यधिक रक्तस्त्राव से इसकी पेशक जान चली जाएगी । मैं चाहता हूँ कि जब मैं इसको टाँके लगा हूँ तो आप सभी लोग इस महिला को बेहद ही मजबूत के साथ पकडे । कहीं से भी ये पकड ढीली नहीं होनी चाहिए ताकि मैं अपना काम सोया उठाके से कर दूंगा । इस बात को सुनकर वहां मौजूद सभी मतलब वहाँ चलते रहेंगे । लेकिन बच्चे की बातें सुनने के बाद कुछ राहत मिलेगी । कम से कम हमला की जानता बच्चा आएगी सभी उसका कौन जान देने के लिए सहमत हो गए । सभी कमरे में उस पीडित महिला के चारों तरफ फैल जाते हैं और सभी उसको ऊपर से नीचे तक कसकर अपनी पकड मजबूत कर ले गया । ये देख कर उस महिला के मन में अजीब अजीब से खयाल आने लगे हैं । कुछ आए दिन सभी की अनियत को गलत भाग गई थी तो अच्छे पढे प्रेशर मत तो मैं तनिक भी लज्जा नहीं आते हैं । क्या एक औरत जिंदगी और मौत के बीच झूल रही और तो मैं अपनी हवस की पडी है । आज जिसमें भूत इंसानियत से भी बडी हो गई है, एकदम जैसा समझ रही है ऐसा कुछ भी नहीं है । हम तेरह इलाज करने में मदद कर रहे हैं ना कि उस फिर में से एक ग्रामीण ठीक कर बोल पडा तो इस तरह से पकडने का मतलब क्या समझे? अब उस औरत ने अपने दर्द को बुलाकर ध्यान इस तरह की हरकतों पर दिखा दिया था और तुम बस शांति से लेटे रहो तो मैं धीरे धीरे सब पता लग जाएगा । इस बार मैंने उस औरत को तेज आवाज में नसीहते डाली भी । ये सब बाते चलती रही थी कि एक व्यक्ति गर्म पानी पतीले में लेकर वहाँ आ गया । बच्चे ने फटाफट एक सूती कपडा उस कंपनी में डाला और उस पीडित महिला के सर से बने हुए तो पत्ते को धीरे धीरे निकाला तो सूती कपडे को बार बार पति रे में डालकर पीडित महिला की खोपडी के उपरी भाग को साफ करने लगे । जून जून कर्म कपडे से खोपडी पर जमे हुए रक्त को साफ किया जाता । महिला तोड जोर से तरफ से चीज पर बडी मुश्किल से दस से पंद्रह मिनट में फॅमिली लगभग खोपडी के ऊपर चल रहा है तो गर्म पानी की मदद से हटा दिया । उन्होंने एक सोई निकली और उसमें धागे को डालने लगे हैं । ये देखकर को अपलब्ध प्रचलित होती हैं और बोली मेरे नहीं ये क्या करने जा रहा हूँ मैं ये गलत है । मैं ये डर नहीं खेलता हूँ । अब तो मैं धागे को डालते ही बैठी ने कहा इसके आंखों पर कोई तौलिया कपडा रख तो खुद का इलाज होते हुए देखने से स्वयं को दर्द की अनुभूति कुछ ज्यादा होती है । जैसे ही बैची ने सिर पर टांके लगाने के लिए खोपडी के ऊपरी परत की कंपनी में सुई चुभोकर समझने का प्रयास किया तो फॅमिली होती है । थोडी देर में ही पाँच सौ सोर से दहाडे मारकर होने लगी । अभी फॅमिली उसकी आवाज से ध्यान ना बट गए । इलाज करने में किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना काफी मशक्कत करना ऍम लगती हैं । फॅसे फॅमिली लगती रहेगी ताकि लगाने के पास ऍम तो भी कुछ देर तक ऐसे पकडे रहेगा । मैं जल्दी से एक लगा देता हूँ तो सुबह ऍम कह देगी । उन्होंने लेप को ऑफिसर के चारों तरफ हम से लगा दिया और उस औरत के मुझे करते हैं धूमल को भी निकाल लिया । सभी ग्रामीणों ने मेरा पर बैठी का आधार व्यक्त किया और उस अगला को सहारा देते हुए उसके घर तक छोड दिया । मैंने भी बिस्तर की चादर बद्री और बिस्तर पर लेट गया । आंखों से नींद कोसो दूर थे । नजर के सामने वही खौफनाक मंदिर गुजर रहा था कि कैसे वह खून से अलग थी और डॉक्टर के अभाव में किस तरह उसका इलाज किया गया । बहरहाल असंतुष्ट तथा कि अंत भला तो सब भला । मैंने इस बात आज जिंदगी में देखी और उसी की हॉफ वाले माहौल में भी पहाडी लोग बहुत ही ज्यादा हिम्मती और रिटर्न इस टाइप वाले होते हैं । यही स्वभाव यहाँ उन्हें धीरे के नाइट ढंग से खिला दिया है । सूर्योदय हो रहा था सामने सूरज की कितनी सीढी चेहरे पर बढ रहे थे । आज काफी बार का दिन था । इस वजह से मैं देर से उठाता हूँ । दूसरी वजह क्या भी हो सकती है कि कल रात की घटना की वजह से दिमाग में देर रात तक गुत्थमगुत्थी चल रहे थे । फिर मुझे भी बहुत देर रात से आई हूँ । दो बजे के लगभग खाना खाने के बाद मैंने सोचा कि यहाँ पास के गांव में पुरानी हवेली है क्योंकि उसे देख कर आया जाए । मन में ये विचार दिए मैं उस पुरानी हवेली में जा पहुंचा । पिछले हफ्ते ही गांव के एक व्यक्ति ने बताया था उस हवेली के बारे में कि ये तकरीबन ढाई सौ वर्ष पुरानी जो राजा महाराजाओं की क्या क्यों कि बखान करती है । यहाँ हिंदी सिनेमा के कई हॉरर फिल्मों को भी फिल्माया गया है । उसके साथ साथ ये भी हिदायत दी थी कि इस हवेली में कभी भी सूरज चलने के बाद रखना मना है क्योंकि यहाँ किसी प्रेत का साया है जिसमें काफी समय से लोगों की नाक में दम किया हुआ है । शाम के पांच बजे का वक्त हो चला था । मुझे बडा अचरज हुआ हूँ की वहाँ मेरे अलावा कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था । मेरे मन में भी यह ख्याल आया कि यहाँ के स्थानीय लोग तो जब होगा तब आकर देख कर चले जाते होंगे । क्या इस पुरानी हवेली को देखने का प्लान तो उन्हें बनाना पडता है, चुप नहीं बाहर से आते हैं ।
Producer
Writer
Sound Engineer
Voice Artist