नमस्कार साथी आप समय चाणक्य नीति ऍम के साथ अभी तक आपने चाणक्य नीति के पांच अध्यक्षने अब हम शुरू करने जा रहे हैं छठ बात है तो चलिए आरंभ करते हैं चल रहे है कि आर्मी में श्री चाइना के हमें समझाते हैं कि मनुष्य शास्त्रियों को पढकर धर्म को जानता है और मूर्खता को त्यागकर ज्ञान की प्राप्ति करता है तथा शास्त्रों को सेंटर मुख्य प्राप्त करता है । शौचालय कि कहते हैं कि पक्षियों में का हुआ पशुओं में कुत्ता, ऋषि मुनियों में क्रोध करने वाला पार, मनुष्यों में चुगली करने वाला चांडाल अर्थात नहीं होता है । पापकर्म चुगली करने वाला मानव जीवन में दोष माने गए हैं । इन्हें करने वाला मनुष्य ऋषिमुनि होने पर भी चांडाल होता है । जैसा पक्षियों में हुआ और पशु में कुत्ते को नीचे माना गया है । आगे समझाते हैं कि काफी का पात्र रात द्वारा मानने से शुद्ध होता है । तांबे का पात्र खटाई से रगडने से शुद्ध होता है । स्त्री रजस्वला होने से पवित्र होती है और नदी तीव्र गति से बहने से निर्मल होती हैं । प्रजा की रक्षा के लिए भ्रमण करने वाला राजा सम्मानित होता है । भ्रमण करने वाला योगी और ब्राम्हण सम्मानित होता है किंतु इधर उधर घूमने वाली इस्त्री भ्रष्ट होकर नष्ट हो जाती है । जिसके पास धन होता है, उसके अनेक मित्र होते हैं । उसी के अनेक बंधु बांधवों भी होते हैं । वहीं पुरुष कहलाता है और वही पंडित कहलाता है । धन का महत्व इतना बडा है कि जिसके पास होता है वहाँ उसे ही महापुरुष पंडित मतलब भगवान और सबका हितेषी मानने लगते हैं । आगे समझाते हैं कि जैसे काबिलियत होती है वैसे ही बुड्ढी हो जाती है । उद्योगधंधे भी वैसे ही हो जाते हैं और सहायक भी वैसे ही मिल जाते हैं । काल अर्थात समय मृत्यु हुई पंचभूतों पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश को बचाता है और सब प्राणियों का संहार भी काल ही करता है । साल की सीमा को निश्चय ही कोई भी लाभ नहीं सकता । काल की गति को कोई रोक नहीं सकता । समय चक्र में आकर सभी को एक न एक दिन नष्ट होना ही पडता है । आगे समझाते हैं कि जन्म से अंधे व्यक्ति को कुछ दिखाई नहीं देता । काम में आशक व्यक्ति को भला बुरा को सुझाई नहीं देता । मत्स्य मतवाला बना व्यक्ति या प्राणी कुछ सोच नहीं पाता और अपनी जरूरत को सिद्ध करने वाला दोष नहीं देखा करता हूँ । धनशक्ति के अहंकार से भरा व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है, उसे केवल अपना स्वार्थ ही सर्वोपरि दिखाई देता है । उसकी दशा उस अन्धेरे के समान होती है जो जन्म से अंधा होता है । जी स्वयं ही नाना प्रकार के अच्छे बुरे कर करता है । उसका फल भी स्वयं ही होता है । मैं संसार की मुहिम या में फसता है और स्वयं ही इसे त्यागता भी है । आगे समझाता है कि राजा अपनी प्रजा के द्वारा किए गए आपको रोहित राजा के आपको पति अपनी पत्नी के द्वारा किए गए आपको और गुरु अपने शिष्य के आपको भोक्ता है राजा का करते हुए है कि वह अपनी प्रजा को पापकर्म की और ना बढने देख रोहित असम मंत्री का कर्तव्य है कि वह राजा को आपकी और प्रवक्ता ना होने दे और इसी प्रकार पति का करते हुए हैं कि वहाँ अपनी पत्नी को गलत राह पर न जाने दे तथा गुरु का करते हुए हैं कि वहाँ अपने शिष्य को पाप कर्म न करने दें । यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो राजा को प्रजा पुरोहित को राजा पति को पत्नी का और गुरु को अपने शिष्य का पाप स्वयं ही भुगतना पडता है । आगे कहते हैं कि जो पिता अपनी संतान पर अपना कर छोड कर जाता है, वहाँ क्षेत्रों के समान है । जो माता पतन के मार्ग पर चल रही है वहाँ संतान के लिए शत्रु है । जो इस तरी सुंदर है उस की रक्षा में पति को बहुत कठिनाई झेलनी पडती है क्योंकि सभी की दृष्टि उस पर रहती है और यदि संतान मूर्ख हो तो वह माता पिता के लिए शत्रु से काम नहीं होता है । आगे समझाते हैं कि जो भी व्यक्ति धन का लालची होता है, अहंकारी व्यक्ति अपने अहंकार की संतुष्टि चाहता है, उसे नम्रता से वर्ष में करना चाहिए । मुख्य व्यक्ति की इच्छा अनुसार कार्य करके उसे बहला फुसलाकर वर्ष में करना चाहिए । बाद विद्वान व्यक्ति के समूह कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए । उसे सच्चाई से ही वर्ष में करना चाहिए । बिना राज्य के रहना उत्तम है परंतु दूसरे राजा के राज्य में रहना अच्छी बात नहीं है । बिना मित्र के रहना अच्छा है किन्तु दुष्ट मित्र के साथ रहना उचित नहीं है । बिना शिष्य के रहना ठीक है परंतु नहीं । अच्छे अच्छे को ग्रहण करना ठीक नहीं है । बिना इस तरीके रहना उचित है किन्तु दुष्ट और फॅमिली के साथ रहना उचित नहीं है । आगे चल के समझाते हैं कि शेर और बंगले से एक एक गन्ने से तीन, मुर्गों से चार करो । वैसे पांच और कुत्तों से छः गुण हमेशा किसी भी मनुष्य को सीखने चाहिए । इन्हें समझाते हुए कहते हैं कि कम छोटा हो या बडा उसे एक बार हाथ में लेने के बाद कभी नहीं छोडना चाहिए । उसे पूरी लगन और सामंत के साथ करना चाहिए । जैसे शेर पकडे हुए शिकार को कदापि नहीं छोडता । शेर का यह गुड हमें अवश्य लेना चाहिए अर्थात मनुष्य जो भी काम करें उसे पूरी शक्ति और लगन के साथ करें । पूरा साहस और सामर्थ लगा दे । कार्य करते समय इन बातों का ना देखे कि कार्य बहुत छोटा है, उसे तो बस हम यही कर लेंगे । यह व्यवस्था अलग से की होती है । शेर को जब हमला चाहे हाथ पर कर रहा हूँ या फिर किसी हीरोइन पर कहना मैं एक से आक्रमक मुद्रा बनाकर एक से साहस और वीरता के साथ हमला करता है । आगे कहते कि सफल व्यक्ति वही है जो बदलों के समान अपनी संपूर्ण इंद्रियों को संयम में रख कर अपना शिकार करता है । उसी के अनुसार देश निकाल और अपनी सामर्थ्य को अच्छी प्रकार से समझकर अपने सभी कार्यों को करना चाहिए । हमें बदले से ये एक गुड ग्रहण करना चाहिए अर्थात एकाग्रता के साथ अपना कार्य करें तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी । अर्थात कार्य को करते वक्त अपना सारा ध्यान उसी कार्य की और लगना चाहिए तभी सफलता मिलेगी । बदला वही ध्यान लगाकर बैठा है जहाँ मछली मिलने की आशा होती है अन्यथा छोडकर दूसरी जगह चला जाता है । आगे समझाते की अत्यंत थक जाने के बाद भी बोझ ढोना, ठंडे गर्म का विचार न करना, सादा संतोषपूर्वक विचरन करना ये तीन बातें हमें गधे से हमेशा सीखनी चाहिए । बुद्धिमान व्यक्ति को कभी भी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होना चाहिए । उसे अपने कार्य को बहुत नहीं समझना चाहिए । ऋतु के प्रभाव को भी अनदेखा कर देना चाहिए और संतोष के साथ अपने कार्यों को करते रहना चाहिए । ये तीन गुड गधे में पाए जाते हैं जो हमें अपनी जिंदगी में सीखना चाहिए । आगे समझाते हैं कि ब्रह्ममूहर्त में जानना, रन में पीछे नहीं हटना, बंधुओं में किसी वस्तु का बराबर भाग करना और स्वयं चढाई करके किसी से आपने भक्ष को छीन लेना । ये चारों बातें हमें मुर्गी से सीखनी चाहिए । वह सुबह उठकर बाल देता है, दूसरे मुर्गों से लडते हुए कभी पीछे नहीं हटा । मैं अपने खाद्य पदार्थों को आपने चीजों में सात बात कर खाता है और अपनी मुर्गी को समागम में संतुष्ट रखता है । आगे क्या करोगे के पांच गुण समझाते हैं । कहते हैं कि संभव हमेशा गुप्त में करना चाहिए । छिपकर चलना चाहिए । समय समय पर सभी इक्षाएं वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए । सभी कार्यों में सावधानी रखनी चाहिए और किसी पर जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए । ये पांच बातें कल वैसे हमें जरूर सीखनी चाहिए । अब बताते हैं कुत्ते के छह बहुत भोजन करने की शक्ति रखने पर भी थोडे भोजन में ही संतुष्ट हो जाए । अच्छी नींद हुई परन्तु जला से घट के पर ही जांच जाए । अपने रक्षक से प्रेम करें, बाद क्षमता दिखाए । इन छह गुंडों को हमें कुत्तों से सीखना चाहिए । यदि आप इन सभी गुणों का अपनी जिंदगी में उतारेंगे तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी । ये था भाग बढते हैं भाग सात की और आप सुन रहे हैं फॅमिली हूँ हूँ हूँ