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द बॉय हू लव्ड -85 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -85 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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बीस मार्च दो हजार हर सुबह की तरह मैं उठा और ऐसे ही दिखाया । मालूम है स्कूल जाने की तैयारी में हूँ । मैं अभी स्कूल जा रहा था । आज थोडा जल्दी उठा तो माँ बाबा की बातों के अंश कान में पडे अक्सर धीमी सुब क्यों के सिवाय कुछ सुनाई नहीं देता था । पर आज की बात अलग थी । चिंता मत करो, वही करेगी जो हम से करवाना चाहते हैं । बाबा बोले आपको पक्का यकीन है । सुबह का कोई अच्छे खिलाडी नहीं तो बहुत चालाक है । उसने मेरे बेटे को कैसे बचाया था । बहुत चतुर है । कुछ भी कर सकती है । माँ बोली कब तक लडेंगे उसे हमारे आगे हथियार डाल नहीं होंगे । बाबा बोले उसके बाद आवाजे शांत हो गयी । मैं बहुत ही के खिलाफ उनकी बातों के मर्म तक नहीं पहुंच सका और ग्रामी से मिलना चला गया । पता नहीं कि मेरी अनुपस्थिति में क्या हुआ । बहुत ही अचानक डिलीवरी के लिए अस्पताल ले जाया गया । जब घर पहुंचा तो अरुंधति से खबर मिली और भट्टाचार्य अंकल मुझे अपने साथ नर्सिंग होम ले गए । बहुत ही अभी दवाओं के नशे में थी । उनका ऑपरेशन बहुत लम्बा चला । मैंने देखा कि माँ बाबा एक शिशु कूदने चला रहे थे मैं छोटे से लडके का काकू बन गया था । हो सकता है कि मुझे ऐसा लगा हूँ । पर वो देखने में वैसा ही लगा जैसे ज्यादा बचपन में लगाते थे । मैंने से बोर्ड में लिया तो भीतर से डोपामाइन की लहर से दौडी । एक ऐसी खुशी जो हरामी के साथ रहने पर ही मिलती थी । शायद मैं थोडा सा हो गया था । फिर वो बेबी को ले गए और पालने में लेटा दिया । महा बाबा पालने को ताकते हुए खुशी के मारे सिसकने लगे । उन्होंने उसे नन्ना अनिर्वान कहकर बुलाया । मैं नानी से मिलने भागा ताकि उसे समाचार दिया जा सके । उसने मुझे कल ऐसे लगा लिया । दो बार मेरे गालों को चूम और बताया कि उसे मेरे लिए कितनी खुशी हो रही थी । क्या हो क्या रहा है? फिर बडी देर तक हम दे दी के बारे में बातें करते रहे । मुझे नहीं पता था कि बेबी के साथ बीता । एक मिनट मुझे उसके बारे में बात करने के लिए इतनी सारी सामग्री दे देगा । ध्यान से मिलकर फिर जूनियर अनिर्वान से मिलने गया । बहुत ही अभी महसूस थी । वो पालने में उनके पास लेता था । माँ बाबा ने सारी रात अस्पताल बिताई । मैं बिरयानी और अनिर्वान जूनियर के पास आता जाता रहा । फिर मैं और बाबा घर गए ताकि बहुत ही के लिए कपडे ले सकें । पर जब हम घर आए बाबा ने बहुत ही का एक जोडा नहीं बल्कि सारे कपडे एक सूटकेस में भर दिए तो मेरे साथ अस्पताल आने की जरूरत नहीं है । हम कल बेबी को लेकर आएंगे तो बोले मैंने हमने भरी बाबा चले गए तो ग्रामीण से मिलने गया । वो भी बेबी से मिलना चाहती थी । मैंने उसे कहा कि उसे जल्द ही मिलवा हुआ । हम अक्सर देवी की बात करते हैं और फिर हमारे बीच पीछा जाती हैं । हम दोनों को ही पता था की घडी टिक टिक टिक हमें कहा ली जा रही थी पर आज हमने से किसी ने भी इस बारे में बात नहीं की । आज तो खुशी का दिन था जब तक पापा ने पूरा जो कहा था कुछ किस्सों के बिना खाली हाथ घर आए । उनके साथ माया बेबी भी नहीं था, बहुत ही कहाँ है और गन्ना अनिर्वान कहा है । मान अन्य अनिर्बान को अपने साथ ले गई । बहुत ही अब यहाँ नहीं रहेगी । अब आप बोले कि उसने जो भी किया वह अपने पोते को उसके हाथों में नहीं छोड सकते । उन्होंने बिल भर दिए हैं और वहीं छोड आए हैं । बाबा ने अपनी दरियादिल दिखाते हुए ये भी बताया कि वो बहुत ही के खाते में इतना पैसा डलवा चुके हैं । इसके कई इस साल आराम से भी देंगे । अभी कुछ समय के लिए माँ बच्चे को किसी संबंधी के घर ले गई हैं और जब तक ज्यादा हमारा मनचाहा करने को नहीं मान जाती सब साफ से बच्चे से नहीं मिलने दिया जाएगा । उनसे संबंधी मैंने पूछा था आप चाहते हो आप की मजाल कैसे हुई? ऍम बडा कुछ के लिए जेल जाना होगा । मैं चला नहीं, हम कहीं नहीं जाएंगे । बाबा चलना है । मैंने घर से निकलना चाहा पर भूल गया कि बाबा में कितनी जान है तो मुझे कमरे में घसीटकर ले गए और बंद कर दिया । आप करना चाहते हैं मचला अविश्वास अपरोध के बारे में अब दिल तेजी से धडक रहा था । महम दवाई से कैसे कर सकते थे । वो बहुत इसी क्या करवाना चाहते थे? ऍम बालक को अपनी माँ से जुडा करेगा । किस लिए किस लिए? मैंने कैसे परिवार में जान पाया है और ये लोग कितने दुष्ट है । मैं लगातार दरवाजा पीता रहा, गला फाड फाडकर चलाया पर कोई फायदा नहीं हुआ । मैंने दरवाजे की घंटी बनने की आवाज भी सुनी । शायद मेरी आवाज मित्तल और भट्टाचार्य परिवार तक चली गई थी और बाबा उन्होंने खदेड दिया । भाई मेरा इंतजार कर रही होगी । बहुत ही भी मेरा इंतजार कर रही होगी । मैं वाकई बुरी तरह से आहत था । इसी तरह फिर से दरवाजा खटखटाया । सभी दीवार के दूसरी और हर किसी हो नहीं । वो अरुंधति थी । मैंने उसे कहा कि वह रानी को जाकर बता दे कि मैं कमरे में बंद हूँ । मैंने सब कुछ विस्तार से नहीं बताया वरना ये बातें ग्रामी को परेशान कर देती । उसने ऋषभ को फोन कर दिया । वो दादा के घर गया और ब्राहमी को जाकर बताया कि मैं जल्दी नहीं आ सकूंगा । आपने खबर अरुंधति को दी और कुछ पाया की मुझे बंद किया गया है । ऑपरेशन जानना चाहता था कि ग्रामीण उस दुर्घटनाग्रस्त घर में अकेली रह रही थी और इस अब क्या हो रहा था । मेरे पास कुछ भी बताने की हिम्मत नहीं बच्ची थी इसलिए मैं दीवार से दूर किसी छोटी गेंद की तरह निरधार पड गया । इससे मेरे प्रणव निकल गए । मैं इंतजार नहीं के बाबा बाबा दरवाजा का खुलेंगे ।

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मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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