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ऍम दस मार्च दो हजार शुरू की औपचारिक अवधि समाप्त हो गई है । गए अच्छी बात नहीं है । शोक की औपचारिक अवधि तो हमें क्या करना चाहिए हूँ? आपको याद करना बंद कर देना चाहिए । कैसा करना सुविधाजनक नहीं होगा क्योंकि माँ बाबा की तरह मुझे भी समझ नहीं आ रहा कि अब क्या करें । आज मैं खुद भी छूट गई । इतनी सालों के बाद खुद गई और हम सब के खाने के लिए सलामी लेकर आएँ । उन्होंने सलामी सेंड विच बनाए तो बोली इतने समय से ज्यादा खाना खा रहे थे । मुझे लगा मैं कुछ खास खाना चाहिए । बहुत ही नहीं ये देख लिया कि सेंडविच में कौनसी सलामी डाली गई थी । मैंने कहा के पॉप है । जब बहुत ही खाने की मैं ऐसे उड गई तो माँ ने कहा मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी कट्टर हो । उसके बाद जब बहुत हीरो ही तो माँ भी रोने लगी और बोली की पता नहीं क्या हो गया था । बाबा नहीं उनसे माफी मांगी । हम तो से याद करते हैं । इस बेचारी को समझ नहीं आता होगा कि अपनी इस कमी को कैसे पूरा करेगी । बाबा बार बार कहते रहे । सऊदी ने माफी को स्वीकार किया पर आपको कमरे में बंद था । फॅस पड रही थी । मैं सोच रहा था कि क्या उनके पास कोई और रास्ता था और बाद में रात को मैंने वहाँ से कहते सुना मैं इस बारे में जितना सोचती हूँ बात उतनी ही सही लगती है । अगर उसकी जिंदगी ना आई होती उसे रात को इसको सोच करनी नहीं आई की माँ इसके अलावा और क्या क्या कर सकती थी । कुछ ही देर पहले बहुत ही कमरे में आई वो थोडी देर मेरे पास बैठी और फिर उस पर चली नहीं । हाँ चाहे जो भी कहेंगे मुझे पता है कि वो कोई न कोई खुरापात जारी रखेंगे । मैं उनके सारे सच और झूठ अच्छी तरह पहचानता हूँ । सब कुछ दिन बदन पत्थर होता जाएगा । बहुत ही को मेरी और ज्यादा जरूरत होगी । कम से कम तब तक बहुत ही का बहुत ध्यान रखना होगा जब तक वो डिलीवरी के बाद महा बाबा के हाथ में बच्चा नहीं सौंपते थी और बच्चे में ध्यान रमाकर बहुत ही के प्रति दुर्भाव को काम नहीं करते हैं । ब्राहमी तक पहुंचने की हर कोशिश बेकार रही, वापिस नहीं आ रही थी । ऑफिस में उसका पता देने से मना कर दिया । मैंने फॅस के जिंदा होने का सबूत चाहा तो उसने कहा, वो पिछले तीन दिन से काम पर नहीं आ रही पर अपने बॉस के संपर्क में थी । मुझे और चिंता होने लगी । वो सामने क्यों नहीं आ रही थी? मैं पसीने से नहीं आया हूँ । पिछले कुछ रातों से नींद पूरी नहीं हो पा रही । मैं कुछ कुछ देर पर रोने और चिल्लाने लगता हूँ । पैसे ही पैनिक अटैक कहते हैं जब आपको लगता है कि आपको चार और से बंद दीवारों में खेला जा रहा है ।
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