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सात मार्च दो हजार रिश्तेदारों की भीड हमने का नाम नहीं ले रही थी । ऐसे लोग जो मुझे याद नहीं पर वो मुझे गोद में खिलाने का दावा करते हैं । ऐसी और से जो कहती हैं कि बचपन में मैंने उन पर उल्टी कर दी थी । ऐसे मार जो कहते हैं कि मैं उनसे पर रॉब जमा कर कैंडी लिया करता था, वो सभी चीटियों की तरह रहते आ रहे हैं और हमारी इमारत को अपनी वह भी बना लिया है । उनकी शोक का सिलसिला थम गया है । दादा की मौत पर सबसे ज्यादा तो मित्तल और भट्टाचार्य परिवार को है तो हमारे बहुत से रिश्तेदारों को पढा दे चुके हैं और उनके अगर गांगुली दब मित्रा हम घोष लोगों से भरे हुए हैं पर उन्होंने उस तक नहीं की दृष्टियाॅ जैसे कि रिश्तेदारों को पेश आना चाहिए । बहुजन पानी और आराम के बारे में शिकायतें करने लगे हैं । उन्हें हंसते मुस्कराते राजनीति और भोजन की चर्चा के साथ साथ दिल्ली के प्रदूषण पर ताने कसते देख मेरा भेजा गर्म होने लगा है । इसलिए मैं अक्सर लंबी दूरी तक पैदल निकल जाता हूँ । फिर बार लगभग उसी चीज से सामना हो जाता है । इससे बचना चाह रहा हूँ । कोई ऐसा तो मेरे लिए मायने नहीं रखता या कोई ऐसा, इसके लिए मैं मायने नहीं रखता है । कोई ऐसा सारे हालात से सहानुभूति रखता है । राष्ट्र के हाईलाइट धामी रहे उसकी बार की तरह । जैसा कि मुझे करना चाहिए, मैं उससे परे भागा । प्रभु मेरे पास आ गई तो मैं उससे बात करनी होगी । उसकी आंखें नम थी । वो तो तुम हो रही हो । मेरी उदासी का मजाक नहीं बना सकते हैं । मैं भी ज्यादा को जानती थी । हाँ, कुछ घंटों की पहचान बस उससे थोडी सी कम तो मैं नहीं लिखता हूँ । तुम्हारे नहीं मेरे दादा जलकर मरे हैं । इसलिए मैं जो चीज चाहे कर सकता हूँ । चोरी बस से मिलना चाहती थी । रुका और उसकी ओर मुड कर अपने सबसे रूखे और अशिष्ट स्वर में कहा मेरा मेरा जवाब मैं ठीक हूँ ना उदास हूँ और सब ठीक हो जाएगा । कब और कैसे ये नहीं पता पर ये सब कुछ ठीक हो जाएगा । इंसान तो ना देने आई हमारा काफी है । अब समझाना चाहिए । वो नहीं जा सकती हूँ । मैं उस से बडा और दूसरी और चलने लगा । वो नहीं थी । उस ने मेरा हाथ थामकर मुझे रोका । मैं अपना हाथ छुडाकर चला । अब हम दोबारा इस तरह हाथ नहीं खा लेंगे । वो लगभग कर कुछ कदम पीछे हट गई । मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ, समाचार नहीं कर सकती । बहुत आगे निकल चुका हूँ । रखूं ऐसे मत वो प्लीज मुख्य बात करो । अब तुम से बात कर रही होगी । कब मेरे दादा नहीं रहे, क्या इसी वजह से उस से बात कर रहा हूँ । मैंने पलटवार किया हूँ तुम्हें समझना होगा । मुझे क्या बकवास समझ नहीं है । जरूरत थी तुम छोडकर जल्दी नहीं । अभी तो बस तुम्हारे साथ ही चाहता हूँ । मेरे दिल के लाखों टुकडे कर दिए तो मैं कहाँ से समझना शुरू कर दूँ कहाँ से नहीं । जब हम दोस्त थे और एक दूसरे से हर बात कह सकते थे तो बोली एक दूसरे से बात करना इवन नहीं कहता हूँ तुमने तो कभी अपने मन की बात तक नहीं तो सिर्फ ऍम है क्या? क्या समझना होगा? कुछ नहीं हूँ । मैं कुछ नहीं समझने वाला । मैं कभी नहीं समझने वाला क्या आप मुझे सुन सकती हूँ? मैं नहीं सुनने वाला । मैं नहीं सुनूंगा नहीं और तुम्हारी बात तो कभी नहीं मानूंगा । झूठी और तो क्या बात हो तो होता है । पता है कुछ तो क्या तो मैं खुश होना चाहिए कि तुम्हारे माँ बाप तुम्हारे आस पास नहीं है । मैं चला उन क्षणों में मुझे वो शब्द कहने से कोई पछतावा नहीं हुआ । उन शब्दों से तोड दिया, अपने प्रयोजन में सफल रहे । उसके आंसू बसने लगे । पैर वहीं चढ हो गए और फिर शर्म के मारे नीचा हो गया । वो अपने पैरों को देखते हुए नहीं थी । मैं उसे रोता देखता रहा और सोचता रहा किसका होना जायज ही है और फिर मतलब यहाँ चल दिया । मंदिर जाकर मैंने छमा याद होगा मैंने अपने कर्मों के परिणाम के लिए नहीं । आपने ऐसे कर उनके लिए छमा मांगी । मैं घर वापस आया, उस से मिलना चाहता था और जब उस की याद आती तो तब और बढ जाती है । रात को अचानक बॉलकनी से उस पार नजर गई तो घर से दूर खडी सौर एक तक आ रही थी । फॅमिली तीन घंटे हो गए थे । ये देखकर मेरा मन नहीं पसीजा । जब गुस्साने लगाओ तो वहीं बालकनी में खडा । पूरे एक घंटे तक कुछ देखता रहा । सिगरेट भी तरह पर और सबके पास नहीं हो रहा है । उसके बाद मुझे अंदर बुला लिया गया । उसके बाद बाहर आया तो जा चुकी थी । मुझे मित्तल परिवार से हमारे प्यार रिश्तेदारों के लिए बिस्तर लाने को कहा गया । रिचा और मैं बिस्तर लगा रहे थे । उसने कहा ग्रामीण तीन घंटे खडे रहेंगे । मुझे इस बारे में बात करना चाहती है । ये नहीं बताना चाहती तो मुझ से कितना प्यार करती है । ऋचा मजाक उडाने वाले ढंग से हम से मैं नहीं वो प्यार करती है । तुम्हारी आज कही गई बातों के बावजूद हो तुम से बहुत प्यार करती है । कुछ बस बिस्तर लगवाना था और ये कम हो गया है । मैंने कहा जिसकी पहली बार नहीं थी वो बोली अगला पिछला सब भुलाकर आज ही रिचा को ऐसा लगा कि वह भी बोल सकती है । उसके अंदर भी जहाँ है और उसे अपनी बात कहने आती है, पिछले दो महीने या उससे ज्यादा दिनों से आ रही है और दूसरे दिन वही होती है तो कुछ ज्यादा ही दीवानी नहीं । ऍम हुए तो बहुत महीने हो गए । मैंने कहा हमारा ब्रेकअप हो गया है, जानती हूँ पर फिर भी वो हमें शादी रही ब्रेकअप के बाद भी आती रही । अगली बार मुझे पागल कहा तो जब बॉलकनी में आएगा तो तरफ स्तर पर फूलदान दे मारूंगी । पेशाब वो नहीं होती थी, पक्का पक्का कह रही है । मैंने कहा उसने जवाब देना शायद ठीक नहीं समझा । अभी उसकी मम्मी की पवार ने की आवाज आई । मैं अपनी बॉलकनी की और भागा नहीं, ग्रामीण नहीं थी । अब जब मैं लिख रहा था तो मुझे ब्राहमी की ऐसा करने की दो ही वजह समझ जाती हैं । तुम उससे प्यार करती है । पर अगर सच है तो उसने मुझे खुद से दूर क्यों जाने दिया । दूसरी बार अगर उसने खुदकुशी की तारीख तय कर ली है, मुझे मिलना होगा ।
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