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द बॉय हू लव्ड -79 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -79 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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फरवरी दो हजार ये लीप ईयर है । आज का दिन चार साल बाद आता है । पर आज सब बदल गया है । इधर हर रोज आएगा । दादा नहीं रहे । मैं शब्द लिख रहा हूँ ताकि मुझे दिन पर यकीन हो सके । उन्हें कोई कष्ट नहीं हुआ होगा । डॉक्टर ने हमें यही बताया । एलपीजी का ब्लाॅस्ट इतना भयंकर और तेज होता है कि उसकी भयंकरता का एहसास नहीं हो सकता । नहीं नहीं मानता हूँ दादा ने वो निकली चिंगारी देखी होगी । उनके दिल की धडकन थमी होगी । उस दौरान वो बस कुछ महसूस कर सकते थे । जिस झंड में दादा ने गैस से बडे कमरे में बत्ती जलाई होगी तो निकली चिंगारी तेजी से बढ की होगी । हमारे भय के सिकुड गए होंगे तो मैंने सोचा होगा की ऐसा कैसे हो सकता है । हाँ, उसके बाद एक भरा और फिर तीव्र वेग उनके पूरे शरीर को कुचल दिया होगा । पहले कुछ माइक्रोसेकंड में ज्यादा नहीं से हल्केपन में लिया होगा । उन्हें लगा होगा कि वो चिंगारी छोटी सी होगी और अगले ही चाय उन्होंने कुछ और सोचा होगा । उनका शरीर हवा में तारा होगा सुनहरी जब तो उनके शरीर को लिया होगा । उन्होंने आपको महसूस किया होगा अपनी गलती हुई चमडी को महसूस किया होगा । उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया होगा । पूरे नौ माह के दौरान माँ ने अपनी कोर्ट में रख कर जो तक उनके शरीर को दिए वह चलकर हो गए होंगे । फॅमिली के टुकडों में बंटने की उस पर सहनीय पीडा को महसूस किया होगा । उनकी मुठ्ठियां बची होंगी । जबडा सुन हो गया होगा । ऍम बंद हो गई होगी । शायद वो चिल्लाएगी हूँ और फिर दर्द सहन शक्ति से बाहर हो गया होगा । मस्त इश्वर दर्द के अहसास का संपर्क कट गया होगा और वो अपने भीतर की और देखने लगे होंगे । ज्यादा को अपने जीवन के उन कुछ अंतिम क्षणों का एहसास हो गया होगा । उनकी सोच बहुत ही और उनके बच्चे पर केंद्रित हो गई होगी । अच्छा आप से निकला महसूस ताकतें सूख गया होगा । पूरा चीज बना चाहता हूँ कि आगे से किसी छोटी किताब के पन्नों से गुजरा होगा । उन का कलेजा भारी हो गया होगा । शायद उन्होंने कोई प्रार्थना की हूँ । शायद उन्होंने किसी करिश्मे की उम्मीद की हो की वो अपने बच्चे को बडा होता देख सकें, उसे बिहार कर सकें, अपनी पत्नी को प्यार कर सके । खुशियां, उदासियों और कामयाबी हो नाकामयाबियों से भरा जीवन जी सकें । उन्होंने भगवान सौदेबाजी करनी चाहिए होगी कुछ जिंदा रहने तो भगवान ही मैं अपाहिज, जला हुआ या अधवारा हो जाऊँ पर बीस मुझे जिंदा रहने दो उन्होंने शायद ऐसा कहाँ हूँ उनकी हड्डियां बढकर शिताप मैं घर गयी होंगे उन्हें माँ बाबा का ख्याल आया होगा । उन्होंने सोचा होगा कि उनके जाने से माँ बाबा के दिल पर क्या बीतेगी । उन्होंने कल्पना की होगी की माँ हमारे दुख पागल हो जाएगी बाबा पहले से ज्यादा शांत हो जाएंगे इस समय ये सब सोचते हैं उनका शरीर खराब हो गया होगा पूरी शायद उन्हें शायद याद आया होगा की माँ भवानी उनकी खुशी के लिए क्या क्या क्या उन्हें अपने जीवन के तीन छः चौदह पंद्रह साल के दिन याद आ गए होंगे तो माँ बाबा जवान थे और दूसरी चीजों को प्यार कर सकते थे । उन्होंने अपने बेटों को प्यार के लिए चुनाव । अब उनके उन्होंने काम करना बंद कर दिया होगा और उनकी सोच अपने भाई यानी मुझ पर आ टिकी होगी । उनका अजनबी से अधिकतर भाई । इससे वो उस दिन से प्यार करते आए थे जब उन्होंने उसे पहली बार देखा था । उनके भाई ने अपने दादा को सजा ऍम की तरह देखा जो महा बाबा अवकाश नहीं पाने की होड में हो । अपने दिल के बंद होने के साथ ही उनके मन में शायद ये बात भी आई होगी । अब उनके भाई को महा बाबा का पूरा उसने और मान मिलेगा क्योंकि वह छह दिन काम करना बंद कर दिया होगा तो लौट कर बहुत ही कि यादव में फिर से चले गए होंगे । जिससे उन्होंने भी इन्तहां मोहब्बत की उन्होंने शायद बहुत ही से छमा मांगी हूँ कि वो उन्हें अकेला छोडे जा रहे हैं । आंखों की रोशनी बुझने से पहले हो सकता है उन के होटल से आपने मोहम्मद का इजहार हुआ हूँ । बंद का ज्यादा समझ छोड कर चले गए ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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