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द बॉय हू लव्ड -67 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -67 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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हूँ । छब्बीस दिसंबर उन्नीस सौ निन्यानवे दिन अच्छे से शुरू हुआ । मैं खुद को उसकी सोच से दूर रखने में कामयाब रहा । मैंने तीन घंटे तक उसका इंतजार करने के बाद स्कूल और घर के काम में मन रमाया । जब मैं ऍम की वर्ल्ड प्रॉब्लम से जूझ रहा था तो माँ बोली मेरा बच्चा ऍम होना, वो तो मैं हूँ । मैंने कहा और मैं भी मजबूत था । दिन में कई बार ऐसे छाना है जब मैं उसके बारे में नहीं सोच रहा था । दोपहर को अचानक उन की घंटी बजी और मैं सोच कर बस टूट भागा । उसका ही कॉल होगा रिसीवर कानों तक आने से पहले हाथ से छूटते, छूटते बच्चा कोई नहीं बोला । मुझे हैरानी हो रही थी । शायद ग्रामीण मुझ से बात करने की हिम्मत नहीं रही । ज्यादा बहुत ही और माँ बाबा शाम को चाइनीज सिस्ट्रा में गए । मैंने माँ को बहाना बनाकर घर में रहने का निर्णय लिया । मैं मीना को खेला नहीं छोड सकता हूँ । फिर मैं दीदी माँ के घर चला गया । उन्होंने बहुत ही की कोख में पल रहे बच्चे को शैतान कहा और बताया मेरी राक्षसी माँ कैसे उसके लिए तरसेगी । उसके बाद मीना को खाना खिलाकर उसके साथ खेला और ब्रेड धामी के ताऊ जी ताई जी के घर चला गया । मजदूर ढांचा हटा रहे थे । अगर धार्मिक खिडकी के दूसरी ओर होती तो उस तक जाना असंभव हो जाता । वो दूरी, छलांग और गिरना कुल मिलाकर मरने का पूरा इंतजाम था । उसके ताऊ ताई को मुझे देखकर हैरानी तो हुई पर हमेशा की तरह इस बार वो मेरे खून के पैसे नहीं थे । ऐसा लगा कि वह रानी के मिले पैसों से शांत हो गए थे । उन्हें लगा कि शायद मेरी वजह से ही ग्रामीण पिछले सप्ताह उनसे मिलने आई थी । मैं जानना चाहता था कि ग्रामीण किस कंपनी में काम करती है । मैंने कहा उन्हें सुनकर हैरानी हुई की मुझे इस बारे में नहीं पता था । मुझे घर में नहीं बुलाया गया । कुछ ही मिनट बाद उन्होंने कागज समय इस पर कंपनी का नाम, पता और उसका नंबर लिखा था । उससे क्या देना कि हम उसे याद करते हैं । उन्होंने कहा, उसके बाद में नजदीकी पीछे हो गया और कंपनी का नंबर लगाया । डिसेक्शन पर बैठी युवती ने कहा कि मैं जिससे बात करना चाहता हूँ कि उसे जानता हूँ, मैं नहीं जानता हूँ । मैंने कहा उसकी टैस्ट पर कॉल दी गई और किसी ने फोन नहीं लिया । मैंने उस युवती को दोबारा कॉल देने को कहा और कोई लाभ नहीं हुआ । एक घंटे बाद कॉल करना वो टेस्ट पर नहीं है । मैंने पीछे हो के आस पास ही एक घंटे का समय बिताया । एक घंटे बाद फिर से फोन किया । मुझे फिर वही सुनने को मिला । वो टेस्ट नहीं है । आप एक घंटे बाद कॉल करूँ । मैं पागलों की तरह इंतजार करता रहा हूँ । इस बार फोन ले लिया हूँ । अलग धामी नहीं । नंबर के शिमला ऍफ मिलने आने वाली थी । मैंने कहा अरे कम हो गई थी । कुश्ती के स्वर्ण में कहा ठीक है मैं भी दस तरह शायद मुझे तुमसे मिलने का वक्त मिलता हूँ कि आज पहले भी तुमने कॉल की थी । उसने पूछा वहाँ पर कोई नहीं बोर हो रहा था तो हम कुछ कहना चाहता हूँ नहीं ऐसा कुछ नहीं । बस यही पूछना था कि दोपहर को मेरे फोन पर एक मिस्ड कॉल आई थी । नहीं तुमने तो नहीं की थी । नहीं नहीं की कुछ भी लगाते ही था । मैं बोला और बाकी सब कैसे हैं ऍम हूँ थोडा काम है । ठीक है बाद में बात करते हैं । उस ने कहा अच्छा तुम न्यू ईयर पर घर पर ही हो गए ना था । शायद मैंने कहा छह तो उसे मिलने हूँ । अगले में शुरू होने वाला है रखता हूँ बाय बाय । हमने दूसरे से ये भी नहीं कहा की हम आपस में कितना प्यार करते हैं । धानी का मेरे लिए रूखापन इतना नहीं चल रहा था पर वो साफ शब्दों में नहीं कह रही थी कि उसके और मेरे बीच कुछ नहीं रहा । कम से कम मैं आपने दुख मनाने के बाद नई शुरुआत तो कर सकता था । मैं ये बात उसके मुंह से सुनना चाहता था ।

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Voice Artist

मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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