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द बॉय हू लव्ड -64 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -64 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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इक्कीस दिसम्बर उन्नीस सौ निन्यानवे भ्रम को अपने पुराने जीवन से दूर हुए । पूरा डेढ महीना हो गया था । पीस न देने और हाजिरी पूरी न होने की वजह से स्कूल के रजिस्टर से उसका नाम काट दिया गया था । उसकी जगह पर श्रीकांत गुप्ता बैठता है । मेरी दादी और से पसीने और करी पत्ते की कंधे होने लगी है । मैं इस पर उसके सारे डूडल पर श्रीकांत की कलम चल चुकी है । उसका रोल क्षेत्र अच्छा को मिल गया । कृतिका उसका लाइफ कोर्ट पहनती है और बस केटबॉल । उसकी जगह मानसी खेल रही है । धीरे धीरे उसके वजूद के हर निशान को मिटाया जा रहा है । आज कुछ दिन था । जब मैं मंदिर से घर गया तो एक अलग जीवन के मानसिक चित्रण के लिए अच्छी और शाम जगह है तो देखा बिरयानी के ताऊ और ताई जी हमारे कमरे में बैठे चाहती रहे हैं । उस दिन की तरह अपने वैसी अवतार में हाथ में था या लोहे की रॉड नहीं लिए हुए थे । आज वो काफी शांत और सुबह देख रहे थे । मुझे उनके साथ बैठने को कहा गया कि जानना चाहते हैं कि बिरयानी कहाँ है । मैंने बता दो बाबा नहीं करता हूँ । अपने लिए जवाब चाहते थे । उनकी मांग उनकी आंखों में झलक रही थी । मैंने अपनी और स्वर में मायूसी होते हुए कहा हूँ तो ऍम उसके शरीर पर चोटों के निशान दिए । उसे कमरे में बंद रखा खदेडा, पता भी होता भी आपको क्यों बताऊँ कि वो कहाँ है हूँ । बडो से ऐसे बात करते हैं । बाबा बम बनाए बस मैंने बता दो, ये परेशान है । वो मैदान के साथ है । मुझे नहीं पता है और इसके लिए मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं । यानी के ताऊ जी ने मदद के लिए बाकी और देखा हूँ । हूँ तो उसके दोस्ती हम इस बात को समझते हैं पर उनके दुःख के बारे में सोचो । फॅमिली में सब इनके बारे में क्या सोच रहे होंगे, उसे घर तो आना ही होगा । बाबा ने कहा कमरे में बैठे चारों व्यस्कों ने एक साथ से महिला ये समाज था । किसी एक बात पर गर्दन हिलाने वाले उन चार बडे लोगों से कोई बहस सत्तर करना फिजूल था? नहीं । नहीं आएगी तो जहाँ भी है खुश है । उसे नए दोस्त और परिवार मिल गया है । उसे अब आपका लाड नहीं चाहिए, उसका थी । अब ठीक हो गया है हीं । मुँह नहीं जानती है । कैसे लोग हैं । इन्होंने उस दिन मार मार के डेरा दाद हिला दिया था । चेहरा खून से भर गया था । उन्होंने धमकी दी थी कि मुझे ही गायब करवा देंगे । इस तरह के लोग है ये उसके ताऊ जी ताई जी उठ खडे हुए । हम यहाँ के बत्तमीज और बेहुदे लडके की बातें सुनने नहीं आए तो मैंने कहा पापा बोले अच्छा करें । हमें नहीं पता कि ये ऐसे क्यों पेश आ रहा है । मैं लगा कि आप हमें समझेंगे । आपका बेटा भी तो भाग चुका है ना । माँ बाप को देखकर लगा मानो किसी ने उनके चेहरे पर थप्पड जड दिया हूँ । मैंने कहा वो घर वापस नहीं आ रही है । कराते दिखावा रखना ही चाहते हैं तो वो हर दो सप्ताह बाद वेदान्त और मेरे साथ आपके घर का चक्कर लगा नहीं हो सकती है ताकि समाज को देखता रहे कि आपके और उसके बीच रिश्ता बना हुआ है । वो मुझे घुमाते रहे । बेमन से गर्दन हिलाई और चले गए । अभी दरवाजा बंद ही नहीं किया था कि बाबा चलना है । अगली बार तुम्हें मेहमानों के सामने हमारा ऐसा अपमान किया तो वही दूंगा । एक झापड हूँ । उस लडकी पर हाथ उठाकर कोई गलती नहीं है । उसके साथ नहीं होना चाहिए था । मॅाम के बारे में पूछ रहा हूँ । मैं थोडा और गुस्से से भरा था । माँ बाबा पुरानी के जालिम ताऊ ताई का साथ दे रहे थे । अब सपने में देखा कि बहुत ही की बेटी हुई है और माँ बाबा पालने में चुके हुए हैं । उस समय उनके चेहरे, भूमि के ताऊ जी और ताई जैसे दिख रहे हैं । मैं गया और फिर मैंने वो खुद सुनते है जो मैंने कहा था उसे देरी जरूरत नहीं है । उसके पास अपना परिवार है । उसके पास नहीं दोस्त हैं ।

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Sound Engineer

Voice Artist

मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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