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सत्रह दिसंबर उन्नीस सौ निन्यानवे जैसा कि हमेशा होता है माँ के लिए कोई रास्ता कभी रात नहीं रहता हूँ । आज सुबह जब माने नींद से जगह कर मुझे कपडे बदलने को कहा तो मैं पहुँच गया की कोई चक्कर हो गया है । हम जल्दी से ज्यादा बहुत दी के घर पहुंचे । माने घंटी बजाई और किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो झट से बस स्टॉप की और लडकी ज्यादा और बहुत ही ऑफिस जाने के लिए अपने साथियों के साथ खडे बस का इंतजार कर रहे थे तो अचानक वहाँ को देखकर चौक माँ आप इधर कैसे माने । बहुत ही का हाथ पकडा और सबके सामने ही उन्हें अपनी और खींचने लगी । वहाँ क्या कर रही हैं? वह शर्मिंदा से हो गए । मैंने कोई जवाब नहीं दिया उन्हें बस डॉक्टर टूर खींचने गई । ऑफिस की बस आ गई थी और सभी देख रहे थे कि प्रेग्नेंट युवती को उसके अस्त व्यस्त भी देखने वाली साथ अपने साथ खींचे ले जा रही थी । मैं डॉक्टर ने आवाज दी और बस के बाहर हादसे धम धम करने लगा । सभी साथ ही बस में चढकर दादा और ताऊजी के आने की प्रतीक्षा करने लगे । ज्यादा उन्होंने जाने को कहा और इशारा किया कि सब ठीक है और उसके बाद वो माँ और बहुत ही की और लडके हाँ क्या हो गया मैंने बहुत ही का हाथ अपनी फॅमिली मुझे पता है मुझे पता है ये बेंगलोर गयी थी । हम सब ने मिलकर मुझे छूट कहा जो हाँ बकवास मत कर अनिर्वान है । मुझे तुम्हारे झूठ से कोई मतलब नहीं । पर तुम मेरे नाती को नुकसान पहुंचा रहे हो और बोली शांत रहे । हाँ ज्यादा और बहुत ही को घसीटकर है । एक बंगाली डॉक्टर के पास ले गए और फिर से सारे स्कैन करवाए । माँ के कठोर शब्दों और आंसुओं की धार के आगे बहुत ही की एक न चली । उन्होंने बहुत ही का हाथ ऐसे पकडकर रखा मानो वोट कर कहीं भागने वाली है । जब सारे स्कैन सही आए तभी माँ के चेहरे की कठोरता कुछ काम नहीं है । डॉक्टर ने बहुत ही से पूरा आराम करने को कहा और कहा कि उन्हें बिना इजाजत के सफर नहीं करना चाहिए । मुझे लगा कि शायद महीने डॉक्टर वैसा करने को कहा होगा । घर लौटकर माने दादा और बहुत ही को अपने आगे पूरे आधा घंटा बिठाए रखा हूँ । फिर बोली दोनों ही इतने बडे नहीं हूँ कि बच्चे को खोने का दर्द को समझ सको, पूरी देखती रही ताकि दोनों उनके शब्दों को अच्छी तरह समझ लेंगे । उसके बाद हम घर वापस लौट आए । रास्ते में माने में राहत उसी तरह कसकर पकडा । इससे बहुत ही का पकडा था । मैं देख रही हूँ कि तेरे साथ क्या हो रहा है । वो लडकी तो छोड गई है ना? नहीं हो । बहुत मासूम है तो दुनिया के रंग नहीं जानता । मुझे लगता है कि लडकियां सीधी होती है और वो इतनी नादान भी नहीं होती । तेरे साथ क्या क्या मुझे छोड गई । कुल मिलाकर अपना परिवार ही साथ में बताता है । समझ आया ही वैसी नहीं है । मैंने कहा मैं उसे नहीं तुझे जानती हूँ । पर याद रखना हम तेरे माँ बाबा हैं । अब हमेशा तेरे साथ रहेंगे तो कौन कह सकता है कि तेरी बहुत ही जाकर अपने माँ बाप और भाइयों से नहीं मिली होगी । परिवार सदा आपके साथ रहता है । क्या हम दादा को वापस नहीं लाएंगे? उसकी कॉल के बिना एक और दिन व्यतीत हो गया
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