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ग्यारह दिसम्बर उन्नीस सौ निन्यानवे मैं रोंदू नहीं कहना चाहता हूँ । आठ दिन बीत गए हैं । न तो से देखा है । नहीं बात हुई है । पीछे से फोन करना कितना कठिन हो सकता है । अगर उसका भाई खुले दिल से खर्च करता है तो कुछ फोन कॉल्स का खर्च उठाने में क्या मुश्किल होगी? कहीं उसे उन लोगों में ही तो कोई नहीं मिल गया जिन्हें वह हम संबोधित करती है । क्या मैं ही कुछ ज्यादा सोच रहा हूँ? एक बार मां टीचिंग असाइनमेंट के चक्कर में चेन्नई गई थी । माँ बाबा पूरे सप्ताह में मुश्किल से कुछ मिनट बात करते थे तो फोन का बिल बहुत आता था । तो बाबा अक्सर उस समय की बातें सुनाते थे । हर रोज बात करने की क्या तुक है? पाव अक्सर टोकते माँ और मैं सप्ताह में मुश्किल से तो मिनट बात करते थे । हम वही बातें करते हैं जो बहुत अहम होती । हालात ज्यादा नहीं बदले । लोकल कॉल सस्ती और तकनीक बेहतर है । उसका मतलब ये तो नहीं कि मैं उसको बिगाडू तो मैंने तय किया है कि आज से मैं भी उन बातों में दिलचस्पी लूंगा जिनके बारे में साहिल बात करता है । जैसे बहुत बुक की कोडिंग हैकिंग बगैरह उसके अलावा रिशब और अरुंधति में होने वाली लडाइयों में भी खुलकर हिस्सा लेना होगा । मैंने घर से ही शुरुआत की और बहुत ही को अपने साथ नरसिंहन ले गया । दादा को पता चला हो तो बहुत प्रभावित हुए । मुझे स्कैन रूम में नहीं जाना दिया गया पर उन्होंने बाद मुझे बेबी के मैच दिखाई तो देखने में गत्ते की जल्द वाली किताब जितना देख रहा था तो उन्होंने कहा ऍम को बच्चे के दिल की धडकन भी सुनाते हैं । ये हमारी धडकन से तीस होती है क्या नहीं है? क्या आपके साथ धोखा हुआ है? जिस बच्चे को आप दुनिया में ला रहे हो कम से कम उसका दिल की धडकन तो आपकी धडकन से नहीं खानी चाहिए तो उसे बहुत याद करते हो ना । सऊदी ने पूछा अगर आप की बेटी हुई तो क्या आप उसे जन्म देने के बाद याद नहीं होगी? उसके बाद उस की हर चीज के लिए जिम्मेदार थी । जब उस की तकलीफ, आपकी तकलीफ और उसके बाद जब ऐसे अजनबी जो आपके और उसके साझे दर्द से वाकिफ नहीं थे, जब वो उसे दुलारने लगेंगे, उनकी बाहों में जाकर खुश हूँ, तब आपकी कोक से जुडी यादें उससे हो चुकी होंगी । कब की आप से याद नहीं करेंगे । बाद अजीव और उपमा बडी गहरी है । बहुत धीरे धीरे से कहा मैं भी आप की तरह ही हैरान हैं । जब घर आया तो माँ बाबा के हजारों सवाल तैयार थे । दादा ने उन्हें डॉक्टर के पास जाने से रोक दिया था । जब ये बहुत ही के साथ जाते हैं तो नर्सिंग होम में अपने बर्ताव की वजह से तमाशा बना देते हैं । बहुत ही की प्रेगनेंसी के बारे में उनके अंधविश्वास से भरे विचारों पर डॉक्टर ने भी उन्हें खरी खरी सुनाई । फॅमिली लड पडे उसे नाकारा बताया और नर्सिंग होम को चोरों का अड्डा बताकर गरियाते हुए लौटे ।
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