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द बॉय हू लव्ड -43 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -43 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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सात अगस्त उन्नीस सौ निन्यानवे ग्रामी को मुझ से कहीं बेहतर तरीके से दर्द से निपटना आता था । जब उसने डेटॉल से भरी हुई मेरे माथे पर लगानी चाहिए । मैंने अपनी और से पूरा विरोध जताया । उसने मेरे खुले घाव पर हुई लगा दी । उसने घाव पर मरहम लगाकर कहा तुम पागल हूँ, तुम्हारे ताऊ जी को सबक सिखाना जरूरी था । अगर मैं उन्हें मारना चाहूँ तो खुद भी ये काम आसानी से कर सकती थी । उनसे कहीं मजबूत लंबी और फिट हूँ । बोले वो तो ठीक थी पर इसमें ही रुकना नहीं था । मैं चाहता था कि उसके दुष्ट को सबक सिखाया जाए और मेरी योजना मूवेबल गई । आज सुबह जब मेरे पास से आपने बजाज चेतक पडने के लिए तो मैंने स्टील रॉड सुन परिवार क्या? मुझे लगा कि जब संतुलन खोकर स्कूटर से गिरेंगे तो मैं उन्हें मार मार कर अधमरा कर दूंगा । फिर उन्हें धमकाना होगा कि वह कभी दोबारा ब्राहमी पर हाथ ना उठाएं । उसे मैं इतना भी बुरा नहीं है । मैंने अपने पूरे मूड को अच्छी तरह कपडे से ढक रखा था और उसके ताऊ जी तो मेरी सोच से कहीं ज्यादा बडे स्मार्ट और उसने गए । उन्होंने मेरे पहले ही वार को बचा लिया । स्कूटर खडा करते स्वर में मुझे ललकारा और अचानक गेरॉर्ड कहीं से उठाकर मुझे बीमारी है । मैं तो मरते दम तक लडने को तैयार था । उनकी आवाज सुनकर लोग इकट्ठा हो गए । मैं और तेजी से भागा । उन्होंने उठाकर दो घूंसे जड दिए । मेरे मूड पर बना कपडा लघु भरकर उतर चुका था । खत्म करना चाहते थे । कुछ पूछा मैंने आगे के बारे में नहीं सोचता हूँ । अगर मदद की जरूरत होगी तो मांग होंगी और तुम अब और यहाँ नहीं रह सकती है । कई बार हम बिल्कुल सही बात कह जाते हो । क्या तुम अपने मम्मी पापा कहकर कहीं और नहीं रह सकती है? ताऊ जी पापा के लिए पिता की तरह हैं । पापा ने बहुत मानते हैं । घर से निकलने का मतलब होगा घर के टुकडे । इसके लिए मेरे लिए कुमार ली क्यों नहीं तुम्हे स्वीट हो? मैं भी घर से निकलने का तरीका देख रही हूँ । जैसे मैंने पूछा मैं सोच रहा था कि वो कैसा तरीका चाहती है । मेरा कजन विधान गुडगांव में रहता है तो मुझे अपने साथ ले जा सकता है । ये तो थोडा मुश्किल ही लगता हूँ । देखो अच्छा बात बन जाए तो बोली । हमने पहले ऐसा करने के बारे में नहीं सोचा इसकी कोई वजह नहीं थी । अब क्या वजह है तो मैं भी दिखाई नहीं देता हूँ । उसमें हैरानी से कहा सब से अब तक मैं इस बात को अपने मन में कई बार दोहरा चुका हूँ । बार बार ऐसा लगता है मैं उसके लिए कोई चमकते पहुँच वाले राजकुमार की जगह एक विदूषक है । आज की नाटकीय घटनाओं को आगे बढाया जाए तो माँ को अचानक मेरे सिर पर लगी बैंडेज दिख गई । उदासीनता का पर्दा हटा और वो मुझे डॉक्टर को दिखाने ले गई । उन्होंने ऑटो प्रतीक्षा करते मरीजों और डॉक्टर के आगे भी मेरा हाथ नहीं छोडा । वापसी पर भी मेरा हाथ हमें रही और डिनर के समय भी मेरे साथ रही । बाबा की ठंडी उदासीनता बनी हुई है ।

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मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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