Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
द बॉय हू लव्ड -38 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -38 in Hindi

Share Kukufm
304 Listens
AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
Read More
Transcript
View transcript

पच्चीस जुलाई उन्नीस सौ निन्यानवे ऋषभ और भ्रमित हो । बहुत ही की प्रेगनेंसी के बारे में सुनकर दीवाने हो गए । साहिल इतना खुश नहीं देखा । वे पार्टी बनाने की मशीन होते हैं । ये तो समझ नहीं आता कि जब तुम कोई पार्टी ट्रेन, बच्चा गोद ले सकते हो, पूरे नौ वहाँ की प्रेग्नेंसी और फिर तीन साल तक बच्चे को पार्टी ट्रेनिंग देने का काम क्यों किया जाए? चाहिए? कहा मेरे अंकल बडे डॉक्टर हैं । प्रशा बोला, उन्होंने फिल्म स्टार्स की डिलीवरी भी की है । अगर कोई मदद की जरूरत हो तो बताना मैं बात करवा दूंगा । साहिल और ऋषभ के बीच भारी बहस छिड गई कि बच्चे समय और संसाधनों की बर्बादी होते हैं या नहीं । राजधानी और मैं उनसे माफी मांग कर अलग हो गए क्योंकि हम प्यार में थे और ऐसा कर सकते थे । स्कूल को भी हमारे बारे में पता चल गया और वह सपने में थे क्योंकि हमारी क्लास में केवल हमारा ही जोडा था । ये सम्मान मिला जुला सा था क्योंकि हम दोनों ही अलग तरह के थे । अजीत और सबसे अलग । यानी हमारे नियम उन पर लागू नहीं होते थे । क्या तुम उत्साहित हो? उसने पूछा लगता है कि मैं चाहे तुम थी माँ बाप को नहीं बताया, नहीं नहीं बताता हूँ । मैं इस खबर को संभालना चाहता हूँ क्योंकि वो उससे बर्बाद कर देंगे । तुमने देखा होता दादा विभूति कितने खुश थे । तुमने बहुत ही कहने लगे । इन दिनों अब ये महा बाबा की जगह परिवार का हिस्सा ज्यादा लगने लगी है । मैं समझ सकती हूँ जब अपना ही परिवार बेगानों की तरह पेश है तो कैसा लगता है । तो बोली मेरे ताऊ जी ताई जी, उसकी आवाज अच्छा भरा गई । सब तो असर नहीं होता था क्या? मैंने पूछा उसने मुझे देखा मानो तौल रही होगी । क्या इतना प्यार करती है कि मुझे सब बताया जा सके । मैंने अपनी ओर सौ से तसल्ली थी कि वह मुझ से अपने मन की बात कर सकती थी और अगर ऐसा नहीं था तो हमारे प्यार का मतलब ही क्या था । जब भी वो मुझे मारते तो मैं सोचती कि क्या बडी होकर मैं भी उनके जैसी बनूनी । पहले मैं समझती थी कि उनकी हिंसा जांच थी, पीछे लाया हूँ लेकिन अब मैं जानती हूँ ऐसा नहीं है । हम बच्चे हैं और इससे बेहतर पाने की सरकार है तुम्हारे मम्मा पापा वो तुम्हारे ताऊ जी ताई जी को मना नहीं करते तो बहुत घूमते हैं । इंजीनियर होने के नाते बीजी रहते हैं । मुझे खुशी है कि तुम खुश हूँ तो बोली । जब हम घर आ रहे थे तो वो बोली क्या मतलब मिलने हो सकते हो? कहाँ मेरी लडकी के बाहर अगर मेरा इंतजार करना मैंने इंतजार किया की माँ बाबा रूस किसानों का कोटा पूरा कर लें, अपने दुखी और बर्बाद जीवन की चर्चा कर ले और फिर चिंताओं से भरी नींद में सोचते हुए हो जाए कि लोग उनके बारे में क्या सोचते होंगे । मैंने बाबा के बच्चों से पैसे निकाले, ग्रामी के घर के लिए ऑटो किया और उसकी खिडकी के नीचे लाइट के पास जाकर खडा हो गया । कुछ देर बाद उसी कमरे की बत्ती बंद हो गई और खिडकी के बाद एक मोमबत्ती चलती दिखाई थी । फिर दूर की आवाज के साथ । फिर कि बोले उसने उसमें व्यक्ति को वही लगा दिया । उसके बाद और मोमबत्तियां वहीं जला दी । पूछ हल्की पीली नीली रोशनी में मुझे देख कर मुस्कुराई, उससे मूव बनाया । आखिर शर्म से झुकी और चेहरे पर लाख छा गई । उसे रूप में तो कभी नहीं देखा था । अब क्या मैंने फुटबॉल पर चौक से लिखा था आई सी यू मैं हाजी स्कूल से चौक लाया था । उसमें लॉक के आसपास उंगलियाँ कराई और उस कराई । फिर उसने हवा में उंगलियाँ घुमाई । आई । सी । यू । हमें अगला घंटा किसी तरह फुटपाथ पर लिखे और हवा में बने संदेशों के बीच बताया । फिर वह मुंडेल पर ठंडी दिखाकर बैठी रही और मैं छुट्टी पर बैठा रहा । हम एक दूसरे को ताकते रहे । मोमबत्तियां पूछने की वाली थी । जब उसने कहा कल हैं । अंधेरा होते ही खिडकी बंद हो गई । मैं आने वाले कल का इंतजार करते हुए वापस आ गया ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
share-icon

00:00
00:00