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द बॉय हू लव्ड -37 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -37 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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चौबीस जुलाई पिछले चार दिन का बना बनाया मूड अचानक प्राप्त हो गया । स्कूल के बाहर खडे दावा मेरा इंतजार कर रहे थे । मैं उनकी किराये की टैक्सी तक पीछे पीछे गए तो बस आकार में इंतजार कर रही थी जिससे मुझे देखते ही बॉडी सी मुस्कान दी । मैं भी मुस्कान का जवाब दे सकता था क्योंकि अब तक मैं भी प्यार में होने के जादुई मतलब पहुँच गया था । ऍम टूर नजर अरुण मीठी से छुआ और मैंने ऐसा नहीं किया । ज्यादा का हमें छोडना उनकी वजह से माँ बाबा का मुझसे नाराज हो ना कहीं गहराई तक उससे का कारण बना था । मैंने देखा कि दादा के चेहरे की गाडी बहुत बढ गई थी । उनकी छुट्टी पर बालों का हल्का सा गुच्छा देख कर रहा नहीं गया और मैं बोल पडा हो आप साडी भी बढा रहे हो क्या नाम चुनाव है अपने लिए? ऍम मैंने कहा रघु आज के बाद कभी इसके धर्म का मजाक मनमोहन ज्यादा के स्वर में रुख बंद था और उसे बोलने दो । मैं समझ सकती हूँ कि घर में इस पर क्या बीत रही होगी । उसे अपने मन की भडास निकालने दो ऍम को बता सकता हूँ की उन्होंने हमारे परिवार को तबाह किया और नतीजा भुगतने के लिए मुझे छोड दिया है । अगर आपने उन्हें थोडा और अपने तरीके से समझाने की कोशिश की होती तो कम से कम मैं तो इस पचडे में ना फसता । वो बात तक नहीं करना चाहते तो कहां से समझाता हूँ । उन्हें समझाना होगा की ये हालत नहीं बदलने वाले । इस शादी का यही मतलब है ज्यादा अगर आपने बताया होता है तो मुझे भी नहीं पता होता आपकी असीम समझदारी के लिए मेहरबानी देखो मैं लडने नहीं है । हम तुम्हारे लिए कुछ लाए हैं और तुम्हें देना चाहते हैं । बस इतना ही डाॅॅ मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए जो मैदा बहुत ही ने अपने बडे से पॉलिटिक्स से छूट ऍप्स निकालकर मुझे दिया । पिछले खोलो सऊदी तो भर लिए लाई है । मैंने उसे खोला तो उसमें एक नई पावर बुक थी । मुझे नहीं चाहिए मेरे अपने ही सब मुझे चल रहे थे । उस बॉक्स में एक और छोटा बॉक्स था । इसने पांच गेंद सीडी थे रेस, ॅ और दो दूसरे मुझे क्यों दे रहे हैं? हमें तो कुछ बताना है । जब मैंने कहा तो बता माँ बनने वाली है । राजा ने कहा एक शिशु को जन्म देने वाली है । हमारे घर में एक नन्हा मेहमान आने वाला है और माँ बनने का यही मतलब होता है । ज्यादा ने कहा था ज्यादा मैं तो यही नहीं कर सकता हूँ । इसमें यकीन ना करने वाली क्या बात है । दादा ने कहा खुश नहीं दिख रहे हैं जो मैंने कहा और वो ज्योतिषी कौन? ज्योतिषी माँ बनी ज्योतिषी से पूछा था । उसने कहा था कि आपकी शादी लंबे समय तक नहीं चलेगी और अगर आप कोई बच्चा हुआ तो बडी समस्या हो सकती है । वो पहले दो साल में ही इस दुनिया से चला जाएगा । उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं आपको बता दूँ कि आप अपनी संतान को जन्म ना दें । घर में हवन करवाने के बारे में सोच रहे हैं । पार्टी सब ठीक हो जाएगा । हर में जाओ ज्यादा नहीं । क्या वो सब कुछ हम सीरीज नहीं हो सकते हो । छह । कुछ ठीक हो जाएगा कहने से क्या मतलब है तुम्हारा दादा ने एक मिनट के बाद पूछा तो आप तो जानते हो पूरे गांगुली परिवार को एक करने, आपकी शादी से जुडी परेशानियों को दूर करने के लिए वो ज्यादा के चेहरे पर भय के साये दौड गए । वो मेरी शादी तोडने के लिए हवन करवा रहे हैं । ज्यादा सुबह उठेंगे वो अपना सिर पकडकर कार के पास चक्कर लगाने लगे हैं । उनका चेहरा लाल हो गया था । घर जाऊँगा पर जाकर बाबा से कहना कि वो मेरे लिए मर गए । उनसे कहना कि उनका और मेरा कोई रिश्ता नहीं रहा । हाँ पता है पता है उनसे कहना कि मैं अपना धर्म बदल लूंगा । मैं अपना धर्म बदल लूंगा और फिर देखता हूँ । ये एक हजार देवी देवताओं और विरोधाभाषी तर्कों और मूढतापूर्ण अनुष्ठानों वाला धर्म मेरा और मेरी पत्नी का क्या बिगाड सकता है? ऍम हो गया । उससे कहना कि वह जितना जी चाहें, पूजा करवा ले कहना । उनसे दादा का स्वर भरा गया और आखिर चल चलाओ । मैंने उनकी पीठ फैलाई । वहाँ से और नाक से बलगम बाहर आ गया । इससे उन्होंने मेरे रोमांस से साफ किया । हमारे बीच शब्द चूक से गए थे । मुझ से परे सडक पर खडे हो गए । मानो मैं उनकी पत्नी के खिलाफ होने वाली माँ बाबा की साजिश की छूट उन्हें भी लगा दूंगा । छोरी दादा थोडी बहुत बहुत ही ने मेरी पीठ थपथपाई तो हर कोई करती नहीं हूँ । उन्होंने दादा को देखकर कहा चिंता मत करो मेरा ऍम । उस समय थोडा अजीब लगा भगवानों को पावर रेंजर्स की तरह बुलाया जा रहा था । अभी जल्दी ही चले गए । पर घर जाते हुए मेरे लिए पावर बुक का वजन पडता चला गया । ऐसा लग रहा था मानो से लेकर मैं बाबा और भी गुनाहगार बन गया हूँ । मैंने साहिल को पीछे उसे फोन किया । उसे अपनी किस्मत पर क्योंकि नहीं हुआ तो मैंने उसे कहा कि मैं उसे संभाल कर रखने के लिए पावरकाॅम हुआ । घर के बाहर मिले और जब उसने पूछा कि क्या उसका इस्तेमाल कर सकता है तो मैंने हमें भर दी । वो बागबान हो गया । मैंने से कह दिया कि वो उसका नहीं है और वह तभी रख सकेगा जब धामी रखने से मना करेगी । हो सकता है मेरे ये लिखने के दौरान साहिल खेल रहा हूँ । मैंने तय किया कि माँ बाबा को बहुत ही की प्रेगनेंसी के बारे में अभी नहीं बताना । आज मैं अपनी कल्पना का आनंद लेना चाहता हूँ । इसमें मैं अपने प्यारे से भतीजे या भतीजी का काकू और उनके लिए किसी हीरो से कम नहीं है । हम लोग भी जल्दी उसी दिशा में जा रहे हैं । इसलिए वो ब्राहमी को भी काफी कहेगा । क्या कहेगी और ये अपने बेहुदे माँ बाबा की बजाय हमारे साथ समय बिताना पसंद करेगा या फिर करेगी । मेरे कल भविष्य में ज्यादा और बहुत ही किसी तरह अपने खर्च निकाल रहे हैं । मैं वह धामी पावर कपल है । हमारे पास भरपूर जीवन जीने के लिए भरपूर समय है । आज महा बाबा को बताने का दिन नहीं है ।

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मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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