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द बॉय हू लव्ड -36 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -36 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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बीस जुलाई उन्नीस सौ निन्यानवे पहले दो पीरियड तक मैं क्लास में अकेला बैठा । धामी ने अपनी सीट बदल नहीं । वो अजीब से चेहरे वाले श्रीकांत गुप्ता के साथ अगली लाइन में बैठी थी । साहिल और ऋषभ उसके पीछे वाली सीट पर थे । दिखावे से भरी मुस्कानों का आदान प्रदान हुआ ना भले ही गलत था, पर मेरी रगों में गुस्सा लावे की तरह दौड रहा था । मेरी प्रेम कहानी आरंभ से पहले ही अंत की और चल दी । रगो में गुस्से के बीच उदासी भी शामिल थे । लंच के दौरान ऋषभ और साहिल धामी से हंस हंस कर बातें कर रहे थे । फिर बास्केटबॉल के मैदान में जाकर कॉस्को की बॉल से खेलने लगे । मैं स्वयं ही दूसरी टीम की ओर से खेलने आ गया । ब्राहमी वहीं बैठे काम कइयों से हमें देख रही थी । उसकी आंखों से दर्द झलक रहा था । मैं शुरू हुआ और मेरे भीतर एक अमानवीय से ताकत तो भराई की मेरे पेट और अंगों से होते हुए बाहर निकली । ऍफ दिए हुए किसी रूसी सिपाही की तरह कुचला । पूरा टकराया, दौडा और हमारी मेरे आस पास से आहूं के स्वर आने लगे हैं । आधा दर्जन खिलाडी चोटिल और अपमानित महसूस कर रहे थे । इनमें साहिल और ऋषभ भी शामिल थे । कोई भी लडका मेरे वर्चस्व के आगे नहीं झुका क्योंकि ब्राहमी की तरह दूसरी लडकियाँ भी मैच देख रही थी । किसी भी तरी भीतर मेरे अंदर गुरिल्ला प्रगति जाग गई थी । लडकी को पाना है उसके बाकी सारे दावेदारों को मार गिरा हूँ । लंच ब्रेक फेल में दूसरी टीम ने सुनियोजित चाल के साथ ही मुझे घेरा और एक टक्कर वक्त । दूसरे के बाद मैं चारों खाने चित पडा था । मेरे चेहरे और सर से फोन रह रहा था । मेरी टीम के दो लडके मेरे मना करने के बाद भी मुझे मेडिकल रूम में ले गए । मैं अपने तीनों दोस्तों के सामने से सिर उठाकर निकला । वोट भेजे थे और सिर से खून टपक रहा था । उसके बाद मुझे बताया गया की मेरी टीम में तीन लडके कम हुए और वह दो गोल से हारे । मेडिकल टीचर की फटकार और रिश्ते खून ने मेरे को उससे को शामिल कर दिया । मुझे मरहमपट्टी करके वापस भेज दिया गया । पेन किलर से सिर चकरा रहा था । ऐसा लगता था मानो में हवा में पैर रहा हूँ । कहीं भी लग सकता हूँ । मैं मेडिकल रूम से बाहर आ गया । बाहर वो तीनों मेरा इंतजार कर रहे थे । ब्राहमी ने उन दोनों से इस तरह जाने को कहा मानो विश्व दरवारी हो । उन्होंने मुझे देखकर से मिलाया और चले गए । धामी ने सीढियों के और संकेत किया और हम वहीं बैठ है तो बडा ही बहुत अच्छा था । मुझे तो मतदान खेल रखता है । तुम्हें मुझसे झूठ नहीं बोलना चाहिए था तो मैं ऐसा क्यों किया? उसने पूछा हो ऍसे तब तक करने लगा । हाँ मॉनिटर पर हल्का सब गलत हुआ हूँ । मैंने जो कहा वह नहीं कहना था । पर आपने पर्पस नहीं रहा । पेनकिलर के कैमिकल्स की ताकत दे दी थी कि जो होगा देखा जाएगा । मैं साहिल को अच्छी तरह नहीं जानता था । उसके बारे में डरावनी बातें सुनी थी । पर जब हम दोनों पास आने लगे तो मीटर गया । उसे मेरा कोई मतलब नहीं था पर तुम्हारे बारे में थोडा हो गया था । तो मैं जो लग रहा उसे वर्ष में करना सही नहीं होता । मैं उससे नहीं था । मैंने खुद को असहाय महसूस किया । अरुंधति और मेरे बीच कुछ नहीं था या कभी कुछ नहीं । काम पहली लडकी हो जिससे मैंने पसंद किया है । किसान उसमें सब कुछ भूल गया तो मुझे बताना चाहिए था । मैं अपनी उंगलियों को ताकने लगा । जब दस से चौदह के बीच कितनी भी हो सकती थी, निगाहें उठाने की हिम्मत नहीं हो रही थी । पर चिंता हो आपने आज के बाद तुम से बात नहीं कर रहा हूँ । मैंने फील्ड में जो भी किया उसके लिए माफ करना । मैं साहिल और सब को चोट पहुंचाना चाहता था । मैंने कहा और तुम ने ऐसा किया । धामी ने कहा, मुझे लगा कि उसका हाथ मेरे सिर के आसपास मंडरा रहा था । उसने पट्टी ठीक करते हुए कहा, मुझे पसंद करते हो, मेरी आवाज निकलती बंद हो गयी । जब हकलाते हुए बाहर आए पेनकिलर खा सकता हूँ । उसकी मुस्कान में सारी बात को और भी बदतर बना दिया । मैंने कहा मेरी आज तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही हूँ और तुम मेरे जैसी हो । मुझे लगा पता नहीं मैं सब गडबड कर दिया ना । तुमने ये तो ठीक कहा कि तुम मेरे जैसे हूँ क्या मैं हूँ? रिचा मुझ तक आसानी से इसलिए पहुंच सकी क्योंकि मैं उस दिन पहली बार तुम्हारे घर के आस पास नहीं आई थी । जिस तरह घुमाते रहे हो उसी तरह मैं भी कई बार आई हूँ और हम सुन कर हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि तुम भी तो ऐसे ही कह रहे थे । पर अगर तुम जानना चाहते हो तो बता दो । मैं मीना से मिलना चाहती थी । मेरे मन में एॅफ होने की शर्मिंदगी थी और कुछ दिन बाद पता चला कि मैं मीना को नहीं तुम्हें देखने आते थे । अभी हम मुझे देखने का आने लगे रहो । तुम मुझे देखने के आने लगे हूँ । मैंने तुम्हारे बारे में अपनी मम्मा से भी बात कीजिए क्या? तुम ने बताया कि हमने एक जाॅन क्योंकि तुम्हें उन्हें ये बताना चाहिए था वो छह भूल गए होंगे । वो बोली तो उन्होंने ये क्यों नहीं बताया? सब मेरी मर्जी से चलता है और तुम्हारी मर्जी क्या है? लघु अगर हम दोनों ही एक दूसरे को इतना चाहने लगे हैं तो हमें कुछ नियमों के अनुसार चलना होगा । मैं फिर भी तभी झूठ नहीं बोलूंगा तो मैं नहीं लगता कि हमारी चिंता नहीं है । अगर कल में असेंबली में सुना हूँ कि तुम ने खुदकुशी कर ली तो मेरा क्या होगा? हमी ने कहा क्या? तो भी भी ऐसे सपने आते हैं । उसने जवाब नहीं दिया । मैंने कहा पर तो में बताना चाहता हूँ कि बहुत समय से मेरे मन में ऐसी बात नहीं आई है । मेरे अंदर से उठने वाली वह कडक शांत हो रही है । कई बार तो लगता है कि मैं मैं स्वामी की मौत के सदमे से पडे होने का गुनहगार हो रहा हूँ । हूँ जरूर तय करते हैं कि हम ऐसा नहीं करेंगे, चलना है, जीने का वादा करते हैं और एक दूसरे को बचा लेते हैं । मैंने कहा रख मुझे यही तो डर है कि मैं वादा नहीं कर सकती और शायद तुम भी मुझे ऐसा वादा नहीं कर सकते । तो तुम तुम मेरे बारे में कुछ नहीं जानते हैं । कुछ बताती क्यों नहीं समझ नहीं आता कि कैसे बता दूँ तो बोली तो भरे माँ बाबा अच्छी तरह जान सकते हैं । मैं क्यों नहीं तुम ही समझ सकते हैं तो बोले तो हमारी पसंद है क्या नहीं कहना चाहती हूँ कि इसका कोई मतलब नहीं । नहीं ऐसी बात नहीं है पर मैं नहीं चाहती कि हम एक दूसरे के दुख की वजह बने जी कैसे संभव है तुमने अपने माँ बाबा के बारे में नहीं सोचा । ऍम जो भी हो वो बोली ऍम एक दूसरे को पसंद करेंगी । ते रहा पर एक सवाल था हैं । हम पसंद शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि प्यार छब्बीस थोडा भयावह लगता है । मैं तुमसे प्यार करता हूँ । मैंने सुना कि मेरे दिल में काम करना बंद कर दिया और फिर अचानक बिजली का झटका खाकर फिर से चलने लगा । मैं तुमसे प्यार करती हूँ । क्या मैं तुम्हारी सारी कहानी जान सकता हूँ? मैंने पूछा क्या ये सब मेरी बातें निकलवाने की चाल थी? मैंने अपना सिर हिला । वो हंसी और सबसे खूबसूरत चीज थी । मैं तुम्हें उसके बारे में बता सकता हूँ । उसने चीजें की बजाय निशान की ओर इशारा किया । ऍम दो साल पहले में कितनी वो थे । जब उसने बताया कि उसने अपनी कलाई पर सरकार से वो निशान क्यों बनाया था तो मुझे उस की बात से सहमत होना पडा है । दो लडकों ने उसकी गंदी वार्षीय से तस्वीर बनाई । उसकी जाॅब्स कॉपी करवाकर नोटिस बोर्ड पर चिपका दिया । उससे बदला लेना चाहते थे क्योंकि उसने समय से पहले ही अपनी असाइनमेंट जमा करवा दी थी । मुझे उन लडकों के नाम, पति और एक हैंडगन की जरूरत थी ताकि उन्हें गोली मारकर सारी दुनिया उनके खून से लाल कर दो । अच्छी बात हमने तय किया कि हम ॅ को अलग अलग मेल से बोल कर देखेंगे । फिर ये पाया कि केवल सही काम में बोलने से ही उस की असली ताकत और सुन्दरता सामने आती थी । जब उसने मेरी छाती पर हाथ रखकर उसकी धन तक सुनी तो हमारी बात को मनोवैज्ञानिक प्रमाण भी मिल गया । हमने तय किया हूँ की अगर हम शाम को एक दूसरे से बात मैं कर सके तो तीन मिस कॉल देंगे तो बहुत छोटी होंगे । हमने लास्ट फिर बंद किया और ऍम चले गए । सारा ब्रह्मांड हमारी पहली ट्रीट का सखी रहा ।

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Sound Engineer

Voice Artist

मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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