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द बॉय हू लव्ड -32 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -32 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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बारह जुलाई उन्नीस सौ निन्यानवे आज गर्मी की छुट्टियां खत्म हुई और मैं स्कूल में ब्राहमी के साथ बैठा मनी मनी सोच रहा था की उससे न मिल पाने की क्या सफाई दूंगा । कॅाल से खून आ रहा है । धामी ने अपने चहरे को टिशु पेपर से तब तब आया ऐसा क्यों कह रही हूँ क्योंकि तो मुझे घूरे जा रहे हो तो बोली मैं मैं दिल तो चाह रहा था कि आकार में सिकोडकर उसकी गोद में सिमट जाऊँ और दिल खोल करो और ऐसा करते हुए अपने प्यार का इजहार भी कर लूँ । पर जब उसने मुझसे पूछा कि मैं पिछले महीने क्या कर रहा था? मैंने बताया कि मैं और साहिल छुट्टियों का आनंद ले रहे थे । कुछ बातें बताना तो धीरे से बोली उसे झूठ पकड लिया था । मैं अपना अखबार निकालकर पडने लगा । भारत ने पाकिस्तान से टाइगर हिल वापस जीत लिया । मौतों का बदला लिया गया, दुश्मनों के हार हुई, एक देश बच गया । किसी के लिए जीतकर क्या मतलब हो सकता था की धरती का टुकडा है किसानों का ढेर इसपर मासूम सिपाहियों के खून के धब्बे हैं । ये नेताओं का जुनून है । बातों का क्या मतलब है? पूरी तरह हावी होने वाला प्यार और नफरत, लोग और धरती और कैसे लोग कैसा समय? ऐसा समाज जिसने माँ बाबा को ऐसे लोगों में बदल दिया जिन्हें मैं पहचान का पता नहीं है । साहिल अपनी पिछली बैंक से उठकर हमारी पिछली बेंच पर आ गया था । अब उसकी सीट पर एक और लडका बैठता था । अमरजीत । मैंने क्लास से उसका परिचय करवाते हुए कहा था । उसका नाम ऋषभ बत्रा था । वो जीडी पारेकर स्कूल से आया था । ऐसे बच्चों का स्कूल जिनके बच्चे इसी के बिना नहीं बैठ सकते । रक्षा में सबको कहा गया कि उसे अपना परिचय नहीं । हमने वैसा ही किया । हम नर्सरी क्लास के बच्चों की तरह एक एक कर खडे होते और उसे अपना नाम बताते हैं । उत्साहि की बारी आई । उसने क्लास के मसखरे की तरह बातें करनी शुरू कर दी । आए मैं साहिल पूजा जी डी पारेकर तो कहीं बेहतर स्कूल था ना बेशक होतो है । आपने कहा तो मैं घर कैसे? साहिल ने पूछा । सारी क्लास खींची करने लगी । मैंने सबको चुप करवाया । विषय मुस्कराकर बोला मुझे विदा दे दी गई क्योंकि हमारी बहुत सारी कल फिर थी । साहिल के पूछते ही सारी क्लास हसने लगी । ऋषभ मुस्कराया बहुत सुन्दर था । इसी मूवी स्टार जैसा मैंने भी हामी को उसे उसी नजर से ताकतवार ऍम डूब गया । उस तरह के लडको मुझे लग रहा था जो किसी लडकी का हाथ पहली बार थामकर उसकी सुंदरता की तारीफ करता है और वह सपना दिल दे बैठती है । मैं अक्सर कार में स्कूल आता था और दूसरे बच्चे अपने पैरेंट्स इज्जत करते थे । उन्हें भी कार लेकर आनी है । सब की शिकायत पर मुझे स्कूल से निकाल दिया गया भी मुस्कुरा रहा था तो कौन सी का चलाते थे? साहिल ने पूछा साहिल अगर एक शब्द भी और निकाला तो तुम क्लास से बाहर मैं चिल्लाई ये क्यू क्यू क्या लांसर होती थी? मुझे लांसर पसंद है । अगर मुझे कार चलाना सिखा दो तो हम दोस्त बन सकते हैं । फॅसने लगे और साहिल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । तब मैंने उस लडकी को ध्यान से देखा कि कहीं वो ग्रामी और मेरी इस तरफ आ प्रेम कहानी में दखल देने तो नहीं आया । वो मेटल बैंड वाली घडी पहनता था । उसके बालों का फुगना सिर परसेंट रहता और उसकी चाल ढाल से अमीर आना अंदाज से लगता था करता था कि कोई बिगडैल रही ज्यादा है स्कूल खत्म होने तक साहिल और वो आपस में बताते हुए धौल धप्पा जमा रहे थे । वो भी साहिल के पास बैठा और हर उस बात पर हंसा जो हम तीनों के बीच हो रही थी । चाहे कोई जानकर मायूसी हुई । रिशब के पास कभी कोई लडकी दोस्त नहीं रही । उसने ना तो कभी सिगरेट पी और नहीं कभी क्लब गया । अपने दोस्तों के घर रात को बाहर नहीं रहा । विदेश यात्रा नहीं कि उसके पास पासपोर्ट नहीं है । क्या उसने अपनी कार भी किसी पे दीवाली में नहीं होगी? साहिल को लगता था कि अकसर सारे अमीर छोकरे ऐसा करते हैं । ये तो साफ था कि अब हमारे दल में चार लोग हो गए थे । मुझे इस बात की चिंता भी साहिल और ऋषभ की ओर से ऐसी बहुत कम संभावना थी कि मुझ पर उनका कोई असर होता है । पर महा बाबा के बदले हुए बेरहम बताओ में किसी पर भरोसा नहीं कर सकता था । मुझे अपने पर भी भरोसा नहीं रहा था, क्योंकि मैं यही नहीं सोच पा रहा था की अगर मैं नहीं रहा तो बाबा बाजा क्या होगा? मैं इसमें ही बेटे से कितनी जल्दी प्रेमी में बदल गया था । ग्रामी के साथ एक और दिन फिर एक और दिन जीना चाहता था । हमने घर जाने के लिए स्कूल बस या ब्लू लाइन बस नहीं । आपने कहा उसका ड्राइवर हमें छोड देगा । धामी ने कहा कि उसे मेरे घर के पास उतारा जाए तो इतने दिन कहाँ थे । अमृत में बहुत याद किया जब हमने र्इश्वर साहिल को हाथ हिलाकर पाये क्या? तो बोले मैं उससे पूछना चाहता था कि वह इस हममें साहिल शामिल था । यहाँ बायलॉजी के सर या आप इसमें केवल वही शामिल थी और उसी मानने में हिचक हो रही थी कि उसने मुझे याद किया । मैंने उसे घर में घटी घटनाओं की जानकारी दी तो मैंने बताया कि किस तरह पिछले कुछ दिनों से माँ बाबा का रवैया मेरे साथ बदल गया था तो मुझे अपने लिए ही अफसोस होने लगा । कितनी हराने की बात थी कि उसके चेहरे पर सदमे की कोई भाव नहीं देखे तो बिल्कुल मेरे ताऊ जी और ताई जी जैसे लगते हैं । क्या भी पूछे ऐसे ही बात करते हैं या तो मेरे मम्मी तो कुछ नहीं कहते हैं । वो लोग दस साल बडे हैं और मेरे मम्मा पापा का स्वभाव वहाँ शाम तक बहस से दूर रहते हैं । तो ये तो बहस नहीं है तो हमेशा जहर बरसाने वाली बात हुई । माँ बाबा सारा दिन दादा और बहुत ही के बारे में जिस तरह से बातें करते हैं या उन्हें कोसते हैं वो सब सहन नहीं होता हूँ तो उनसे कुछ छुपाना नहीं चाहिए था । सब कुछ तुम पर निर्भर था । उसे होने से कहा तो क्या मतलब, जैसे तुमने तो कभी अपने माँ बाप से झूठ नहीं बोला होगा । मैंने अपनी मम्मा से कभी झूठ नहीं बोला । रघु पेरेंट्स का मतलब यही होता है । केवल वही ऐसे लोग हैं जो आपकी हर बात को माफ कर सकते हैं । तो बोले और के लिए अच्छा उन लडकों को जिन्हें तुमने प्यार किया और ये तुम्हारी कलाई पर चोटों के निशान को भी मैंने पूछा उस सब कुछ जानते हैं । वो मिल परख नहीं करते । मम्मा हर बात पर मेरा हाथ थाम लेती हैं । मैं तो उनसे अपने दिल की हर बात करती हूँ । मुझे तो करानी है तो मैं ऐसा करने के लिए सब पर नहीं पडा हूँ । रघु मैं पहले उसके खिलाफ एक शब्द नहीं सुनना चाहती तो बोली सारे पद किस्मती से मुझे इन झूठों पर यकीन करना होगा क्योंकि मेरे पास कोई और उपाय नहीं है । मैंने कहा मुझे चलना चाहिए । उसने कहा वैसे लडकी कौन है उन्हें बडी देर से ताक रही है । मैं उसके संकेत की दिशा में देखा । बॉलकनी में खडी रिचा हमें घूम रही थी । मुझे देखते ही घर में गायब हो गई । पडोसन है कल मिलती हूँ । उसने कहा रमीन उनसे कुछ पूछना था क्या? मुझे पेरेंट्स क्या करते हैं? क्या जानना बहुत अहमियत रखता है? बिजली नहीं । मैंने कहा और सोते लगा कि मैंने सवाल किया । मैंने कुछ दिन पहले ही पूछा था चलो कोई नहीं कल मिलते हैं । आज का दिन शांत रहा । आज मुझे ज्यादा और बहुत ही को नहीं कोसा गया । उन्होंने ठंडी जी चुप्पी बनाए रखी और बाथरूम की जलती व्यक्ति से जुडने के अलावा माँ बाबा और मेरे बीच कोई बात नहीं हुई ।

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Sound Engineer

Voice Artist

मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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