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द बॉय हू लव्ड -17 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -17 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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छब्बीस अप्रैल में आज मेरे पूरे जीवन का सबसे खुशनुमा और उदासी से भरा दिन । दोनों एक साथ थे । रंज ब्रेक के दौरान होती और आपकी भी ब्राहमी के मुझ से बात निकलवाने के लिए जाने क्या क्या जतन नहीं करने पडे तो मार रही है । वो वहाँ मार रही है । बाहर जाते हो ही वो रोता देख उसके चेहरे पर आंसुओं की लडकियाँ और डेढ से कम आती हूँ देख कर मेरे भीतर जाने कैसा हीरो जाग उठा भी अजीब सी बात थी । पिछली बार मौत से सामना हुआ तो मैं कायरों की तरह छत पर आ गया था और चार दिन मुँह बंद किए बैठा रहा हूँ । मुझे लगता था की अपनी आंखें और वोट बंद करने से ही मैं हकीकत सेबू छुपा लूंगा । मानो ऐसा कुछ हुआ ही न हो । मैंने उसका हाथ ॅ मैंने हमारे दोस्त हमारा खाना बांटने वाली शहरजाद को तडक देखा तो मेरी सारी हीरोगिरी हमने बदल गयी । उसकी पूरी आंखे शिकवा कर रही थी । हमने आने में थोडी देरी क्योंकि उसकी धूप प्यारे मासूम बच्चे उसकी प्राॅक्टर कर रहे थे तो आपने सुरक्षित स्थान पर वापस जाना चाहते थे । क्या चारो उन्ही खून था? हम दोनों दबे वहाँ उसके पास गए । हमने आपस में ये बात भी नहीं की क्या हमें जाकर प्रिंसिपल को बताना चाहिए ताकि वह डॉक्टर के पास भेजें । लेकिन हम जानते थे कि उसकी मौत भी चारों और मौत की कंधे खेली थी । मैंने उस को पहचान लिया तो क्योंकि अक्सर धामी के पास भी वही मान रहा करती थी और आज पहचान हुई कि वह मौत की कम थी । पिछले कुछ सप्ताह से समझ में नहीं आ रहा था की सुबह आंख खुलते ही मैं इतना बेचैन क्यों महसूस करता था आप मैं जानता हूँ कहीं न कहीं मेरे अवचेतन नहीं कोई छलांग लगातार दिख रही थी । बस एक और सुबह शायद मंगलवार हो सकता है मैं हमेशा की तरह फॅमिली लाइन में आखिर में खडा हूँ । खामी को लडकियों की लाइन में खोल रहा हूँ । प्रिंसिपल हमें असेंबली का कारण बताते हैं । कल रात हमारी प्यारी स्टूडेंट ग्रामी शर्मा की मृत्यु हो गई । हम सब उसके लिए प्रार्थना करते हुए एक मिनट का मौन रखेंगे । उसकी कलाइयों पर ऍम धु ऍम हमने शहजाद काॅपर दिखा दिया । जब उसका सिर्फ चलाने लगा तो वो उसे लूरी सुनने लगी । कुतिया की हलकी कराहे है लोरी मैं अपनी धुन मिला रही थी । शहरयार आधे घंटे बाद अपनी खुली आंखों के साथ ही हमें देखते हुए इस दुनिया से विदा हुई । दो नन्हे पिल्ले मेरे मुट्ठी जितने छोटे बंद खेली माँ के ही खून में लगभग बिलबिला रहे थे तो उसे जगाने की अपनी और से पूरी कोशिश कर रहे थे । हमारे ॅ शेयर करने वाली शहजार स्वामी की तरह हड्डी और मांस के लोथडों के सिवा और कुछ नहीं रह गई थी । उसमें प्राण जा चुके थे । निश्चित अपनाना होगा । मैं उठाता हूँ फुटबॉल के मैदान में जा सकते हैं । मैं बोला ना उठाती हूँ तो होगी । मैंने कहा मैं उठाऊंगी । वो जोर से बोली, आशु की बजाय संकल्प सामने आ गया था । मैंने फिल्मों को उठाया और वहीं बडे अखबार से साफ किया । उन्हें गत्ते के डिब्बे में डालकर उसमें छेद कर दिए । ब्राहमी ने हमारी शहजाद को स्वेटरों में लपेटा और गोद में उठा लिया । उसने रोना बंद कर दिया था । बहुत उदास देख रही थी । शहजाद और नवजात पिल्लों को लिए हम फुटबॉल मैदान के दूसरे कोने की ओर चल पडे । जब मैं खड्डा खोद रहा था तो ग्रामीण सूखे पत्तों से शहर रात को साफ कर दिया हूँ । फिर उसने बिल्लों को बाहर निकाला जो भाग कर अपनी माँ का चेहरा चाटने लगे । अपना अपना कर उसके लिए तो आपकी हमने उसे उसकी मौत के साथ एक धर्म दे दिया था । जब पता चला कि हम क्लास में नहीं थे तो जीत मैम के कमरे में हमारी हुई जाँच है तुम दोनों मैं ग्रामीण कि क्या हुआ, तुमको खून कहाँ से आया हूँ तो चोट लगी है क्या? क्या हुआ हूँ । ये मेरा नहीं है । भूमि ने मैं हमको शहजाद और उसके फिल्मों के बारे में सब कुछ बता दिया । स्कूल दिल्ली की जिम्मेदारी नहीं ले सकता हूँ । जब तुम्हें उसके बारे में पता चला तो तुम्हें हमें बताना चाहिए था । अगर डॉगी तो में काट लेता तो वो हमारी दोस्त थी । वो हमें क्यों काटती? आपसे बाहर निकल वाले देखो मेरे पास कोई रास्ता नहीं था । मैंने कहा तुम दोनों से कब से खाना खिला रहे थे । शायद दो सप्ताह हो गए । मैंने कहा ऍम को शिकायत नहीं करूंगी और फॅमिली दूंगी कि तुम दोनों ही फूट प्वाइजनिंग की वजह से एक रूम में थे । अगर कोई पूछे तो ही बता रहा हूँ एक मैं मैं कुछ एजेंसियों से बात करती हैं । तब तक तो नहीं फिल्मों का ख्याल रखना होगा । एक जी हम ने एक स्वर में कहा, स्कूल के बाद मैंने और धामी ने अपने बैच खाली किए और एक एक बिल्ली हॅाट लिया । हमने घर जाने के लिए ब्लू लाइन फसलें, काम के बोझ, रवि ड्राइवरों की मरियल बसें, इनके लाइसेंस भी जाने कप के खत्म हो चुके हैं । इन बसों के पहिए मुसाफिरों के खून से नहाई रहते हैं । वो भी बहुत चुकी थी इसलिए मुझे बोलना पडा । शहरजाद जहाँ भी होगी खुश होगी । मैंने कहा है उसके विदा लेने का इससे बेहतर तरीका कोई और नहीं हो सकता था । जब तक चलने बडे होंगे वो अपनी माँ को भूल चुके होंगे और शहर जाते जाते जाते दुनिया की सबसे हसीन चीज तो बच्चे तो देख ही लिए । उसने हमें भी देखा उसके दोस्त तुम्हारी वजह से ही सब हो सकता हूँ । उसने मुझे देखकर कहा प्रगति हूँ मैं अच्छा काम किया भी उन्होंने अच्छा किया हूँ । मुझे लगता है कि हम तो हम उस कराई ही कहना चाहती थी । उसी एक ठंड में मेरा मन ललचा गया कि उसे सब कुछ बता दूँ । मैं उसकी बाहों में दिखाकर बताना चाहता था कि उस दिन पूल में मेरी और स्वामी के साथ क्या हुआ था पर जाना चढ पर झटका लगा और पाल पीते हैं जो हुआ अच्छा हुआ हूँ । पैसे भी मुझे नहीं लगता था कि शहरजाद जहाँ भी होगी खुश होगी तो उसने जो देखा वह बहुत सुन्दर था । उसने देखा की वो अपने दो नवजात बच्चों को दो जोडी अनाडी हाथों में छोडे जा रही थी और मरने के खयाल से सोच को खुशनुमा तो नहीं कह सकते हैं । स्कूल की हीरोगिरी और देर से घर पहुंचना माँ की और सेना में करारा थप्पड मिला हूँ । काम जा चुकी थी और मुझे घर पर ना देख कर उन का कराना चाहता था कहाँ गया था तो बस स्टॉप पर गई सारे बस से उतर आए पर तू नहीं दिखा । डॉक्टर ने कहा कि तो बस में आया ही नहीं कहाँ चला गया था और यहाँ मैं पागल हो गयी । स्कूल फोन किया तो वो बोले तो निकल चुका है मैं हाँ ब्लूलाइन बचना आया हूँ तो तो सिगरेट पीने लगा पिछले देश आया है नहीं काम है तो सिगरेट पीने लगा आपने हो दिखा नहीं आॅस्ट्रेलिया ताकि उसमें ऍम नहीं उठाऊँ उन्होंने घबराकर हाथ से मैं छोडा अपलब्ध धीरे से बाहर हूँ । उन्होंने उठाया और उसके सर पर हाथ फिराने लगी । उनकी आंखें एक अनूठे मात्र तो भाग से चमक उठी । उन्होंने मुझे इसके बारे में जानना चाहा हूँ । मैंने उन्हें सब कुछ बताया तो उन्होंने मेरा सिर दबा दिया हो । हूॅं और अच्छा किया । सुन रही है । फॅमिली चूस रही है । मैच के लिए दूध लाते हो । लोपेज थे । हमेशा जानवरों के डॉक्टर को दिखा लाएंगे । जल्दी कर बिल्ली को एक हाथ से पुचकारते हुए रसोई की और चलती माने माता पिता का नाम रखा । नीना ऍम घर आए तो हम पशु चिकित्सक के पास गए । हमने हमारी मीना के लिए छोटा सा पालन, कम्बल और पटना खरीदा । जब हम अपने परिवार के नई सदस्य के साथ वापस आए, जो एक से दूसरे हाथ का खिलौना बना हुआ था, वो एक स्पेशल डिलीवरी हमारा इंतजार कर रही थी । एक पच्चीस का आलीशान वीडियोकॅान अपनी ओर से किए गए धोखे की भरपाई करना चाह रहे थे, हूँ । इस पर वर्ल्ड कप देखेंगे । उसके चालू होते ही दावा ने ऐलान किया, बाबा को प्रभावित हो गए हो, मुझे पसंद नहीं है । मैंने पूछा हमें नई टीवी की जरूरत नहीं थी । मैंने ढाई से कहा दोनों के बीच क्या चल रहा है? बाबा ने पूछा, कुछ नहीं ज्यादा बोलेंगे । कुछ ही देर में भट्टाचार्य अंकल और आंटी हमारा नया टीवी देखने आ गयी । वो पुरानी टीवी से कहीं बेहतर था और स्क्रीन भी चपटा था । ऐसा लगता था कि नासा ने बनाया है । अरुंधति भी आई टी वी और तीस पार नहीं । काका मेरे पढने के लिए किताबें लाई थी और उसने मीना को किसी और को हाथ तक नहीं लगाने दिया तो अपने माँ बाप से मनोहर करती रहेगी । उसे भी एक पैट ले दिया जाए । फिर उन्होंने एक नहीं मानी । उसे कहा, गेम ऑफ थ्रोन्स की तरह है कि बडी प्यारी हैं । अलाॅट क्या है? एक ऐसी किताब है जो एक सीरीज बन रही है । मेरी किसी जानकार कुछ किताब का था, पता नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लेखक इसे इतनी जल्दी खत्म करना चाहेगा और उसकी स्टोरी भी कुछ ऐसी शुरू होती है । राजकुमारों का एक दल है और उन्हें भेडियों के बच्चे मिलते हैं मानो आपस में भाई बहन हो । मैं और ग्रामीण तो भाई बहन नहीं है । मैंने कहा वो हस्ती विश्व सुंदरी नहीं, ऊपर नाम अच्छा है भयानी तो ये वही लडकी हैं, क्यूट है । हो सकती हैं हूँ कि अरुंधति को क्यूट लोगों का इतना शौक क्यों है?

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मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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