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द बॉय हू लव्ड -13 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

द बॉय हू लव्ड -13 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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पच्चीस मार्च में दादा का राज मेरी बातों में कुल बुला रहा है । आज हमारे साल के पहले यूनिट टेस्ट के नतीजे आने थे । मैंने उसे अपने से दस अंक ज्यादा देकर खुद को शर्मिंदा कर लिया । कह सकते हैं कि इस बात के लिए दावा ही जिम्मेदार हैं । गामी ने मुझे लाइब्रेरी में खोज लिया और मुझे अच्छा ही लगा जब हम एक साथ ऍफ गए थे । उस दिन के बाद से मैंने उसे अकेले बाहर जाते हुए बहुत कम देखा । खुद को जबरन रोका कि मैं उसके साथ मैं चलती हूँ । उसने भी कभी साथ चलने को नहीं कहा । इससे साफ जाहिर था कि वो स्कूल से बंक मारने के लिए मेरी कंपनी नहीं चाहती थी । हमारी बातचीत भी दो । बैरियों की टोन में केवल स्कूली पढाई तक ही सीमित थी । मुझे तो डर था कि तो मुझे पीटना तो उसने कहा तो मुझे होगी बस यही बात मायने रखनी चाहिए । मैं अपनी आंसरशीट नहीं दिखा रहा । ये कहने के बाद मैंने अपनी जीत को जकड दिया । इसने आंसरशीट थोडी बडी रखी हुई थी । रमेश दिखा नहीं होगा तो मुझे लगता है कि तुम्हारी कमी से मेरे अच्छे आंकडाें । इसमें मेरी कोई बढाई नहीं है । अपनी ऑन्सरशीट अभी दिखाओ । जल्दी जल्दी मैंने सही किया । सच में बेहुदी गलतियाँ की हुई थी । उसके चेहरे से जीत की खुशी भी कि पडने लगी । अगली बार अच्छी तरह तैयारी करना उसने हो जैसा दिया था । तुम्हारे दिमाग में जो भी चल रहा हूँ पेपर देते वक्त उसे घर छोडकर आया करूँ । मेरे दिमाग में से कुछ नहीं चल रहा है । हमारे झूट मेरे सामने नहीं चलेंगे तो स्कूल आने का मजा खराब मत करो । वो बोली अच्छा ऍम जाता है । मैं किसी चीज में बेस्ट बनना चाहती हूँ । उसने किसी रानी की तरह रहा हो मैंने कहाँ और हामी एक साथ बडी मैंने बयानी से अगले सत्र के लिए एक लडाई का फायदा क्या पर अगली बार मैं भी जीता तो क्या तो मुझे एक और कहानी सुना होगी । ॅ सारा क्या? तो वही सब क्यों जाना चाहते हो? यही मेरे घर के चाकू बहुत तेज है और मैंने कभी उन्हें नहीं आजमाया । पिछले थोडा कौतूहल है । वैसे भी मुझे नहीं लगता कि इस तरह के काम मेरे बस के हैं । मैंने कहा तुम क्या करते हो? उससे पूछा । हमारी बातें खतरनाक जून में जा रही थी पर अचानक एक तरह के अकेलेपन ने मुझे खेल लिया । इमारतें ऊंची मार्ग पे बीच चाकू या कटर जैसी नहीं । वो हर जगह नहीं होती । उसमें चेहरा भी अच्छा है क्योंकि क्या हुआ? मैंने पूछा मैं इसके साथ आने वाली विकृति को साहस तौर पर नहीं ले सकती हूँ । उसने कहा तो रेल की पटरी फांसी क्या चलना भी नहीं? मैंने पूछा नहीं नींद की गोलियाँ पुलिस की होती हैं । कई बार लेने से पहले ही इंसान का मन बदल जाता है । ऍम लेते हैं । चाहूँ तो चाकू होते हैं यहाँ मैं इन बातों के बारे में ऐसी चोरी चर्चा करनी चाहिए । उसने कहा, अगर ये सब इतना छिछोरा होता तो शायद हम उसके बारे में बात ही नहीं करते हैं । हम दोनों ने हामी भरी । मैं भी समझदारी का खुद ही घायल हो गया । उसने वहाँ भरी और बोली, अगर कुछ दूसरी बातें हैं तो जो हमारी पसंद तय करती हैं, शायद हम सुरक्षित है । अगर हम इस बारे में गंभीर होते तो हमने इसे अब तक कर दिया होता रही किसी भी तरह से करते हैं । बडाई वाली बात नहीं । पर मैं हैरान हूँ कि हम कितने दिमाग वाले हैं । मैं बोला तो खुलकर खिलखिलाई । उसकी नकली हंसी नहीं थी । वो उन लडकियों के बीच हसती थी तो नहीं जानती थी कि वह उनसे कितनी अलग थी । इसमें खींच वाली कोई बात नहीं थी । ऐसी खिलखिलाहट सबसे प्यारी लगती हैं । वो छोड क्या मैं बैठ कर पढ सकती हूँ । क्यों नहीं वैसे आज बाहर नहीं जा रही है । मेरे पास पैसे नहीं है और नहीं तुम शहर थारे होगी तो मैं पार्टी देनी होगी । अगली बार चलो तो नई जगह चलूंगी । नर्मला ने अपने मैन्यू में बर्गर भी जोड लिया है । उससे पडने के लिए किताब निकली और मेरे पास बैठ गए । पहले उसका नहीं होता, थोडा शुभ है के घेरे में था । अब तो इससे लुभावना कुछ नहीं लग रहा था । जब तक हम लाइब्रेरी से बाहर आए तकरीबन सभी बच्चे कक्षाओं में जा चुके थे । गलियारा खाली पडा था । हम भी थोडा ही आज आए होंगे कि खाली पडे कमरे से कुत्ते की कराने की आवाज सुनाई दी । हमें क्लास के लिए देर हो जाएगी । मैं बोला मैंने तो पीछा नहीं नहीं कहा । वो बोली ये तो गलत बात है । हमने टूटी डेस्कों और सामान के ऊपर से छलांग लगाई तो शायद पिछले साल के प्रोग्राम के बाद से किसी ने हटाएगी नहीं थे । हो रहा वो बोली एक कोने में गर्व बाहर से दबी एक कुतिया लडखडाकर उठी और फिर अचानक गिर पडी है । सच कहूँ मुझे तो उसकी आंखों में आंसू देखे हैं । जारी तो इंसानों की तरह नहीं होते । उसकी आंखों में कोई एलर्जी होगी । पर से देखकर लगता है कि ये ये बहुत तकलीफ में है । धामी ने कहा उसने अपना स्वेटर उतारकर कहा आपने स्वेटर तो मैं नहीं दे सकता हूँ । ये नया है । मामा ने बडी मुश्किल से रेट कम लगवाकर खरीदा था । उसने पूरा तो मुझे हार माननी पडी । उसने हमारे दोनों स्वेटरों के बाजू नहीं और से कुतिया को पहना दिया । फिर वो उसे गोद में लेकर दुलार नहीं लगी । कुतिया ने अपनी लार्स उसकी स्कर्ट खराब कर दी और उम्मीदी हुआ तो मैंने इस बात का ध्यान से दिलाया तो उसका जवाब आया हूँ मैं अपने कपडे खुद ही होती हूँ । स्वेटर मम्मा का ध्यान नहीं जाएगा तो बोली जब हम कुतिया को छोड कर उठे तो देख कर लगा उसे थोडा आराम आ गया है तो मजे से अपने अजन्मे बच्चों के साथ बैठी हमारे स्वेटर चला रही थी । चाहे वो झीना नहीं चाहती थी । मैंने बोला तो अब तुम से जीने की आशा दे दी तो उसकी दोस्त बन गई । अब उसे रोज यही उम्मीद रहेगी कि तुमसे मिलने आओगी । हमें उसे मरने के लिए छोड देना चाहिए । ये शहरजाद है तो और भी नाम है मैंने वो बच गया । कोई करवानी थी कितनी तकलीफ थी । अगर बढ जाती तो ठीक था । जब हम क्लास में पहुंचे तो मैंने कहा अगली बहुत अच्छी होती है । खाली पोस्टों पर अच्छी दिखती है । अपने आप को चाकू से काटने में कौन सा ना मिल जाता है । दरअसल तुम्हारा नाम क्या है? जब भी कामयाब नहीं होती तो जान जाती हूँ कि मैं थोडा और जीना चाहूंगी । उसने कहा पैसे भी शहरजाद माँ बनने वाली है । ऍम और शहजाद ज्यादा और सुबह फॅमिली और ऍम घर लौटकर मैंने माँ को कुछ नहीं बताया हूँ । माँ को पूरे एक घंटे बाद गुम हो चुके स्वेटर का पता चला और दो घंटे बाद उन्होंने ये भी पता कर लिया कि मैंने अपना कैमिस्ट्री वाला पेपर कहाँ छिपाया था । चौदह बी के खाली बडे फ्लैट के लेटर बॉक्स में छोडा मम्मा मैं मार होने लगी । ऍम छोडकर कोई और जगह नहीं मिली । पहले तूने स्वेटर खो दिया और अब ये भी तुम दोनों का क्या करूँ? एक भाई भगवान जाने बंगलौर में क्या गुल खिला रहा है और दूसरा यही गलत संगत में पड गया है । माँ अपना मूड खराब नहीं करना चाहता था और मेरे नंबर थोडे अब भी चुकी हूँ । अब भी झूठ बोल रहा है । तू तो झूठ बोलना खांसी का किस बारे में झूठ बोल रहा है । हारकर बाबा भी बीच में आ गए । सेट पटना बेकार है ये तो होता है । मैं तो नहीं का इसे कभी अकेले नहीं आने वाली है । मैंने इसके आईटी के लिए पांच हजार लगा दिए । पूरे पांच हजार वो अगले सप्ताह आने वाला है । सब पर बात गया । आई थी तो दूर रहा । इससे स्टीफन ही मिल जाए तो अपनी खुशकिस्मती समझना । जब भी अपने बेटों की बात आती तो बुरे से पूरा सोचने के मामले में महा बाबा का कोई सानी नहीं था । एक घंटे की गैरमौजूदगी मतलब बच्चा अगवा हो गया । घुटने में कटा गया टिटनेस हो जाएगा । भाग कर बस पकडी । मतलब खोपडी फूटेगी । इस बार तो मामला संगीन होता जा रहा था । सबसे ज्यादा नंबर किसके है? जल्दी बता बहुत जल्दी माफ । अबकारी धामी कितने उसके बाबा ने पूछा । देश ही उसके तेरे से दस नंबर ज्यादा गए । हिस्सा बाॅस की मेहरबानी है क्योंकि जगह जगह से जमा करता पडता है । कहाँ किए पता कहाँ रहे हैं, कहाँ रखता हूँ वहाँ दनदनाती मेरे कमरे में खुशी और सारे कार्ड उठा कर लेंगी जिनमें पिछले पांच सालों से जमा करता रहा था । बाबा ने मुझे दबोचे रखा और माने उनमें से मुठ्ठीभर उठाकर जलते स्टोर में छोड दिए मत करो । मैं चलाया और घडियाली आंसू विवाह है । लेकिन मैंने बाकी सारे कचरे के डिब्बे में डाल दिए । बाबा ने मुझे वहाँ से पकडकर घसीटा और बालकनी में ले जाकर बंद कर दिया । ऍफ का चलना या मेरा बालकनी में बंद हो ना इनमें से कुछ भी सजा जैसा नहीं लगा हो । क्योंकि वह कार्ड मेरे नहीं स्वामी का शौक हुआ करते थे । वही लडका दुनिया की हर उसके पास दिखा रहा है । माँ अक्सर चिल्लाती हूँ । उसकी मौत के बाद भी मैं यही दिखावा करता रहा कि मैं अब भी अपनी क्लास के दूसरे लडकों की तरह बॅाल खोकन बगैरह का दीवाना था । समझ गया ना नॉर्मल घर में अचानक सन्नाटा सा छा गया । माँ बाबा के तीस स्वर्ग ही भी उसको साहब में बदल गए । वर्ष के मौसम एक बडों के कपडे और गेट पर लगे तारों के जाल से उतरती उनकी उदासी ने मुझे अपने पंजों में तब पूछ लिया मैं एक घंटे बाद रोती कलपती मुझे भीतर लिवाने आई डिनर के बाद बाबा डब्ल्यू डब्ल्यू ई के नई ट्राॅले आए । डिनर के दौरान हाँ बाबा ने में रखती पर आराम से देखा और ग्रामी की तरह वो भी पहुंचते रह गए । अगली बार ऐसी बेहूदी भूलना मत कर रहा हूँ । दोनों एक स्वर में बोले नहीं करूंगा हमारे पास उन दोनों के सिवाय है ही क्या? माँ बोली जानता हूँ मुझे हटाने के बाद वो टैक्सी करके एयरपोर्ट रवाना हुए हैं ताकि भैया खोलने वाला है । उन्होंने दादा को भी रास्ते में आज वाली बात बताई होगी इसलिए वो घर आते ही सीधा मेरे पास आए हो । अरे उन्हें उससे बडी उम्मीदें हैं । उन्हें मायूस मत कर । वो बोले और आप जो जी में आये कर सकते हो ना हूँ । गलत बात है बिलकुल नहीं । मेरे पास ही छह फॅस में मैं ही सबसे आगे था । तारा आप लोगों ने क्या दिया? आईटी दस जी में सोलह सौ पचास रहें तो बोर्ड में बस नवासी प्रतिशत जैसा कोई भी वो नहीं दिया गया था । इसमें कहा गया हो कि एक सुयोग्य गांगुली बनने के लिए क्या क्या करना होगा । लेकिन आपको इस बारे में तो बहुत कुछ बताया गया था कि वो आपसे क्या आस रखते थे हो और आपसे क्या नहीं करने की उम्मीद रखी गई थी और प्लीज मैं ऐसी बातों के लिए बहुत लगा हुआ हूँ । ज्यादा ने कहा और ऐसी चलती है मान उनसे तो कभी कोई भूल हुई ही नहीं । इन दिनों दावा हर चीज को बत्तर मानाने लगे हैं, कुल मिलाकर बुरा देते हैं और अब मैं आराम से अपने और ग्रामी के स्वेटर के बारे में सोच रहा हूँ । दोनों एक साथ बने हुए जैसे एक दिल और दो चार पी एस खूबसूरत वीरान निवारण कुछ दिन पहले मैंने देखी थी वो लोग उसे ढूँढ रहे हैं क्या कर पता नहीं खुद ही गिर गई हो ।

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Sound Engineer

Voice Artist

मैं रघु गांगुली हूँ। आज मैं अपनी आपबीती लिखने बैठ ही गया हूँ। कागजों की सरसराहट और उस पर चलती हुई कलम की तीखी निब, धीरे-धीरे स्याही का सोखना तथा इन अजीब से लगने वाले मुड़े हुए अक्षरों को देखना निश्चित तौर पर संतुष्टि दे रहा है। मैं कह नहीं सकता कि मेरे जैसे मौनावलंबी (सिजोफ्रेनिक) के लिए इस डायरी लेखन में ही सारे सवालों के जवाब होंगे; पर मैं आज कोशिश कर रहा हूँ। मेरा सिर बुरी तरह से चकरा रहा है। पिछले दो साल से मैं जिंदगी की सबसे ऊँची लहरों पर सवार था। अधिकतर दिनों में मैंने जान देने के लिए तरह-तरह के साधनों की तलाश की—मेरे घर के आस-पास की सबसे ऊँची इमारत, रसोई का सबसे तेज धार चाकू, सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, कोई केमिस्ट शॉप—जो बिना कोई सवाल किए सोलह बरस के लड़के को बीस या उससे ज्यादा नींद की गोलियाँ दे दे, एक पैकेट चूहे मारने की दवा और कभी-कभी तो यह भी चाहा कि माँ-बाबा से गणित के पेपर में अच्छे नंबर न लाने के लिए फटकार मिले। सुनिये क्या है पूरी कहानी| writer: दुर्जोय दत्ता Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Durjoy Dutta
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