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दो तीन परिच्छेद बहुत सारे मल्लिका अपने प्रयास और उसमें मिल रही है । सफलता की कहानी रानी को लिखती रहती थी और रानी उसको फालतू रूपया भेज नहीं थी । उसका कहना था कि उसे अपना प्रयास चालू रखना चाहिए । एक बार मल्लिका ने गोपाल की आर्थिक अवस्था में भी जहाँ करने का यत्न किया उसने पूछ लिया पिताजी खर्चा बेचते हैं या नहीं? गोपाल ने कह दिया नहीं, दो मार्च से ऊपर हो चुके हैं । एक पैसा नहीं भेजा तो गुजर कैसे होती हैं । आपने एक पार्टी से उधार ले रहा हूँ । गोपाल बताना नहीं चाहता था कि उसे धन का अभाव नहीं है, नहीं है । ये बताना चाहता था की माने वो सुरेंद्र भैया ने रुपया दिया है । उसने इतना और कह दिया । इसी कारण है कम से कम ऋण ले रहा हूँ । देना भी तो पडेगा । कब देना होगा एक वर्ष के बाद परीक्षा के बाद वही काम कर चुकता कर दूंगा । कौन है इतना उदार व्यक्ति? उसने नाम प्रकट करने की स्वीकृति नहीं नहीं मैं इसलिए पूछ रही हूँ कि आप मुझसे रूपया उधार लेकर उसका ऋण अभी चुकता कर सकते हैं । नहीं तुमको ब्याज बहुत अधिक देना पडेगा उसको तो मूल्य वापिस करना है । अभी आज मैं भी नहीं लूंगी नहीं मलिका ये नहीं लेना ही इतना अधिक है कि मैं उसके नीचे तब जाऊंगा और तृणमूल नहीं हो सकूंगा तो क्या हुआ? आप यदि ब्याज नहीं भी दे सकेंगे तो भी मुझे अति प्रसन्नता होगी । मलिका तो मुझे खरीदना चाहती हूँ । मैं बिकाऊ नहीं है । आप बार बार बेचने और खरीदने की बात क्यों करते हैं? मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है । तो फिर रुपये पैसे की बात नहीं क्या करूँ? मैं समझता हूँ कि यदि हम कॉफी पीने नया करें तो ठीक रहेगा । हाँ, इसका ये अभिप्राय कैसे हो गया? जो कोई आपसे सहानुभूति प्रकट करें आप लाठी लेकर उससे ही लडने लग पडेंगे । क्या? देखो मालिक है मैं तुमसे लड नहीं रहा । इस पर भी मैं तुम से सतर्क रहना चाहता हूँ । तुम्हारा ये सारा विवाद मुझे अपने चंगुल में फंसाने के लिए प्रतीत हो रहा है । मलिका हंस पडी । उसको कुछ ऐसा समझ में आया कि उसने राधा की निंदा करने के लिए कोई ऐसी बात नहीं की जिससे अपना सम्बन्ध बनाने का प्रयास समझा जा सके । कोरिया दी इतने मात्र पर भी वह उस पर संदेह करता है तो वह अपनी आत्मा को दुर्बल पढ रहा हूँ । अनुभव कर रहा है उसकी समझ में आया कि बहुत सी बातें सीधे आक्रमण कर देने पर पूर्ण हो सकती है । इस तथ्य पर उसको अमल करना चाहिए । वे उस समय प्लेग्राउंड में टहल रहे थे, अंधेरा हो गया था और समीर कोई दिखाई नहीं दे रहा हूँ । मलिका एक भूमि और गोपाल से चिपट कर उसका मुख्य तुम नहीं गोपाल इस बात की तो कदापि आशा नहीं करता था । एक्शन तक तो मैं समझ नहीं सका क्या हो गया । मालिक को ही उसे समझ है । उसने बलपूर्वक अपने को उससे प्रथम क्या और फिर एक सब भी कहे बिना वो होस्टल को चल दिया । इस घटना के बाद गोपाल ने समझा की मलिका अब उसके सामने आने का साहस नहीं करेंगे परन्तु यह उसका भ्रम निकला । वह अपनी अंतिम परीक्षा देकर वापस होस्टल को लोड रहा था की मलिका मिल गई और अभिभावदन कर उसके साथ साथ चलने लगी । विवस भोपाल को पूछना पडा कहाँ चल रही हूँ जहाँ आप चल रहे हैं मैं कहाँ जा रहा हूँ? मैं क्या जानूँ तो तुम मुझ पर अपने को भगाकर ले जाने का आरोप लगवाना चाहती हूँ । यह नहीं होगा तो तुम अपनी माँ के घर चली जाऊँ और मैं अपने विषय में विचार कर लूँ देखेगी आप जगह हो जा नहीं रहे । बहन ने लिखा है कि आपके पिता आपके सख्त खिलाफ है । उन पर नए मेरे डाॅक्टर ने जांच आरंभ कर दी है । वे समझते हैं कि ये सब कुछ आप के कारण हुआ । कौन है ये नहीं ऍम एक हैं दिल्ली के लाला फकीरचंद्र हो आपके पिता जी वॅार कब बन गए हैं? पहली अप्रैल से ये तो बहुत ही अच्छा हुआ । यदि मेरे पिता जी डिस्मिस हो गए तो मैं तुम्हारे पिताजी का बहुत उपकार मानूंगा । बहुत हितचिंतक हो अपने माता पिता के इसमें कोई संदेह नहीं । उनके दिमाग को खराब करने वाली एक बात यह भी थी कि उनको अपने तीस वर्ष तक मैनेजर बने रहने का अभिमान हो गया था । और अभिमान तुम जानती हो कि नरक का द्वार हैं ये नरक स्वर्ग की बात मैं नहीं जानती हूँ । रानी बहन का पत्र आया है । मैं आप को साथ लेकर जगह ही चली जाऊं और अपने पिता से सिफारिश कर आपके पिता से जांच उठवा दो । गोपाल अपने कमरे के द्वार पर ही खडा गंभीर विचार में डूबा हुआ था । मैं समझ रहा था ये दोनों बहनें सडयंत्र कर उसको भी वहाँ के लिए विवस कर रही हैं । इस पर उसके मुख पर मुस्कराहट आगे उसके मन में ये विचार आया ये मुझे मैंने नहीं जानती । पिताजी की नौकरी छूट जाने से उसे अत्यंत प्रसन्नता होगी । उसको मुस्कुराते देख मल्लिका ने समझ लिया कि काम बन गया । उसने कह दिया क्या दिनभर यहाँ बरामदे में ही खडे रहेंगे? नहीं आओ बैठो । उसने ताला खोल दिया और उसे एक कुर्सी पर बैठने को कह दिया कि हम मैं अपना सूटकेस और बिस्तर समेटने लगा । इस पर मलिका ने कह दिया तो ठीक है ना । मैं अपना सामान बांध आई हूँ । आप तैयार हो जाए तो तांगा मंगवा लेंगे और जगह भी चल देंगे । नहीं मिली का मैं जगाधरी नहीं जा रहा हूँ । मैं तो लखनऊ और वहाँ से ज्यादा के गांव जा रहा हूँ । मल्लिका इससे जल बन गई । उसने कह दिया राधा राधा राधा । आखिर नाली के कीडे गंदगी में ही शुभ पाते है ना । क्या है उस में जो आपको मुझे दिखाई नहीं देता हूँ । गोपाल को ये ऍम भी बहुत अच्छा पर हुए । होस्टल में अल्लाह करना नहीं चाहता था । मल्लिका ये बात भीतर ही भीतर गया । इसी समय डाकिया डाक लिया है । उसके दो पत्र थे, एक एंथनी का और एक राधा का था । ज्यादा का पत्र उसके उत्तर में था जो उसने परीक्षा से दो दिन पूर्व लिखा था । इस बार पत्रों तरह सिख रहे हैं । गोपाल अभी विचार ही कर रहा था इरादा का पत्र उसके सामने खोले अथवा नहीं की मलिका ने कह दिया राधा का पत्र प्रतीत होता है हूँ हूँ उसी का है तो पढ लो ना दिल बेकरार हो रहा होगा हाँ होतो रहा काम भी होगी मुझको गालियाँ लिखी होंगी । पहले तो उसने कभी गालियाँ लिखी नहीं अब तुम ये उन लोग गोपाल ने पत्र खोल लिया और निकालकर जोर जोर से पडने लगा । उसने पढा हूँ और हम पुजनीय प्रियतम दासी की चरण वंदना मिले हूँ । आपने लिखा है की परीक्षा देते ही यहाँ आएंगे तो बताना मेरा आग्रह है आप अपनी सडक पूरी करिए । बिना माता जी को साथ लाए । यहाँ बताई एक निर्धन खेतीहर पर और उसकी नीचा है । लडकी पर दया करिए । आपके अकेले आने से हमारी भारी बदनामी होने की संभावना है । पिताजी ने कहा है कि आपको देखती वे सब अपने फोर्स के झोपडे में आग लगाकर जल मारेंगे तो ऐसे मत आना । मैंने पहले ही लिखा है और अब भी लिखती हूँ कि बेचारी मल्लिका को तो पानी की आवश्यकता नहीं । आप भी स्त्री संगत के लिए बेकरार हो रहे हैं और वह बेचारी तो वियोग की घडियां बहुत कठिनाई से निकाल रही प्रतीत होती है । उस ग्राउंड वाली बात से तो मेरा अनुमान ठीक ही प्रतीत होता है । तो आप तो दया के भंडार है । मुझ पर मेरे पिता और फिर उस अबला मलिका पर दया करिए । मैं तो केवल आपके पत्रों की भूमि हूँ, उसी से जित को शांति मिल जाती है । मलिका का मुख क्रोध से लाल हो उठा था, उसके माथे पर त्योरियां चढ गई थी, पत्र होते हैं । उसने पूछ लिया तो आपने उस दिन ग्राउंड वाली बात भी उसको लिख दी थी तो क्या नहीं लिखनी चाहिए थी तुम बिल्कुल करते हो उस को लिखने की क्या आवश्यकता थी वह मेरी धर्मपत्नी है मलिका परन्तु मैं तो चाहती है क्या आप मुझे विवाह कर लें? हाँ इसमें मेरा कल्याण समझ लीजिए ढाई लाख मूल्य का मकान और बीस हजार ऊपर से साथ ही धनी बाप की लडकी जो आपने बात की चौथाई संपत्ति की मालिक होने वाली है वो है ये सब कुछ मेरे लिए कुबेर का धनकोष मानती है । तो आप क्या समझते हैं मिट्टी का ढेला हाथ की मेल मेरे मन में इसको पाने का कभी भी लोग नहीं हुआ और मेरे सौन्दर्य का कभी वो वहाँ अथवा नहीं तो तुम सुन्दर हो गया । आपकी आंखें छोटी भी तो नहीं नहीं । मलिका आगे रखता हूँ मैं तुम्हारे शरीर, मन और बुद्धि का राधा से मुकाबला करता हूँ और क्या देखते हो कि तुम सुंदर अवश्य हो परन्तु राधा के मुकाबले में पच्चीस प्रतिशत हूँ मेरे साथ मेरा दहेज मिलाकर क्या सेंड परसेंट नहीं होगा । धन ने तो तुम्हारे मूल्य को कुछ काम ही क्या है? अंधेरे में बंदे को बहुत दूर की सूची देखो मलिका एक महाकवि लिखते हैं लखनऊ हूँ मुनि सुजसु तुम्हारा तुम ही अच्छा को बैरल पारा अपनी हूँ तुम अपनी करनी बार अनेक भारतीय बहुत भरनी नहीं । संतोष मुनि कुछ कहूँ जंजीर इसी रोक दो सौ दो कुछ हूँ वीरवती तुम धीर अच्छी दुवा गाडी देते पाऊँ सोवा क्या मतलब है इसका मतलब ये है कि तुम्हारा सुयस तुम्हारे सिवा और कोन वर्णन कर सकता है । तुमने अपने हूँ अपनी ही से कि कई बार बताइए इतनी प्रशंसा करने पर भी संतोष नहीं हुआ तो तुम लोगों को गालियां देने लगी हो तो बी ए तक पढे हो और ये सब तुमको शोभा नहीं देता हूँ । कोन मुल्क है इसको लिखने वाला देखो मैं लिखा अब तुम यहां से चली जाऊँ तो मुझको गाली दे सकती हूँ परन्तु महात्मा लोगों को गाली ऐसे हो उठेगी । एक भी शब् इन महापुरुषों के लिए कहा तो मुख् पर चपत मार मार कर मुख्य लाल कर दूंगा तो तुम जाओ । मुझे तो तुमसे विवाह करना है नहीं । पिताजी की सिफारिश के लिए जाना है तो हमारे साथ चली जाओ तो मैं यहाँ से मल्लिका रोनी सी हो गई । उसने गोपाल क्या आपको में खून देखा तो होस्टल से बाहर निकल गई है ।
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