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जिनी पुलिस भाग 7 in Hindi

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AuthorArpit Agrawal
लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
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भाग साल तो ऑफिस का काम संभाल लेना । दोस्त मैं फिनिक्स मॉल जा रहा हूँ । रोहित ने अपने फोन पर नोटिफिकेशन देखा और एक आई का मन से कहा । अमन ने मुस्कुराते हुए पूछा, मॉल इस वक्त क्या अत्र शामिल गई? लोग इतने आंख मारी तो हर मॉल के लिए निकल गया । वहां पहुंचकर लोहित तृषा को इतने बडे मॉल में ढूंढने लगा । खुद को शांत करते हुए उसने मन में सोचा घर बरामद वो जरूर मिलेगी तो उसे ढूंढने के लिए एक लडकी की तरह सोचना होगा । अगर में लडकी होता तो मॉल में कहाँ जाता हूँ? लोहित ने सभी टॉप ब्रैंड्स की जांच की जहाँ एक लडकी खरीददारी करना चाहेंगे । रोहित फॅमिली के सामने रुक कर सोचने लगा कि जब उसकी तृषा से शादी होगी और बच्चे होंगे तो वे बच्चों के लिए खरीददारी करने यही आएंगे । मॉल की पहली मंजिल पर जांच करते हुए उसे कई खूबसूरत लडकियाँ देखी लेकिन तृषा नहीं । लोग इतने इलेक्ट्रॉनिक जोन में भी नजर दौडाई कि कहीं वह कोई गैजेट खरीदने आई हूँ । उस चार मंजिला इमारत में केवल ऊपरी मंजिल ही बची थी जिसका मतलब उसके मिलने की संभावना एक चौथाई ही बची थी । उस मंजिल में केवल फूट कोट और ऍम था । लोहित ने अब उससे मिलने की उम्मीद छोड दी और सोचा की लडकी नहीं तो ना सही । कम से कम अच्छा खाना तो खाओ । उसने अपने लिए पनीर, ग्रिल्ड सैंडविच और डाइट को ऑर्डर किया । पांच मिनट के इंतजार के बाद एक पीले रंग की टीशर्ट और पीली टोपी पहने लडके ने लोहित को सैंडविच और को परोसा । वो आराम से बैठ कर खाने के लिए कोनसी ढूंढ रहा था । तभी उसे आभास हुआ कि उसने दूर से तृषा को देखा । उसने पुष्टि करने के लिए आंखों को दो से तीन बार बंद कर के फिर से खोला । वहाँ तीन अन्य लडकियों के साथ सच में तृषा ही थी । दो से ही उसके चेहरे की सादगी ने विलोहित को मंत्रमुग्ध कर दिया । लोहित ने उसकी तरफ देखा और फिर सैंडविच की तरफ देखा और सोचा हमारे किस्मत सेंडविच में मिल गया । हर लडकी भी हाथों में सेंडविच कर ट्रे लिए लोहित तृषा के पास गया । तृषा के सामने बैठे सहेलियों ने लोहित को आते देखा । लोग इतने अपनी उंगली को होटों पे रख कर उन्हें चुप रहने का इशारा किया । लोहित पीछे से तृषा के करीब गया और अपने हाथ त्रिशा की आंखों पर रखकर कहा तो आखिर मैंने तुम्हें ढूंढ लिया । लोहित की आवाज को तृषा झट से पहचान गई । परेशानी खुश होते हुए कहा, मुझे पता था कि हम फिर मिलेंगे मगर इतनी जल्दी मिलेंगे ये नहीं सोचा था । आखिर तुमने मुझे ढूँढा कैसे? लोहित को देखकर वह इतनी रोमांचित हो गई कि उसे गले लगाना चाहती थी, लेकिन अपने दोस्तों के सामने उसने ऐसा नहीं किया । किस्मत हमें आखिर मिला ही दिया । लोहित ने कहा और दिशा के पास बैठ गया । लोहित मिलो मेरे दोस्तों से खुशी, पल्लवी और मानसी और गलत । ये है लोहित मेरा डीटीसी बस वाला दोस्त । तीनों लडकियां एक स्वर में बोली हो तो ये है वो लडका लोग इतने मुस्कराते हुए पूछा वो लडका क्या भरी कुछ नहीं । कृष्णा ने बात आई गई कर दी । कुछ पल रुककर लोहित ने कहा आखिरकार मैंने तुम्हारी शर्त जीत ली । अभी नहीं तो मेरा पता और मेरा फोन नंबर भी पता करना होगा । मिलेनियम अपार्टमेंट, फ्लैट नम्बर फाइव जीरो वन तुम्हारा पता है और ये तुम्हारा फोन नंबर है । रोहित ने उसका नंबर अपने मोबाइल पर दिखाया । तृशा के दोस्त खुश हो गए । हाँ, त्रिशा की आंखें चौडी हो गयी । सच बताओ तुम ने इतना सब कैसे पता? क्या वो फिर सोचने लगे कि कहीं लोहित सच में जाउं तो नहीं तो नहीं आती । तुमने उस दिन अपने घर जाने के लिए टैक्सी ली थी । मैंने उसके नंबर प्लेट ये तस्वीर क्लिक कर ली थी । फिर में आरटीओ ऑफिस गया और कहा कि मैं टैक्सी में अपना बात भूल गया हूँ और मुझे इस टैक्सी वाले का नाम और पता चाहिए । फिर मैं उस टेक्सी वाले से मिला और उसे पूछा कि आज तक उसकी टैक्सी में जितनी भी लडकियां बैठी हैं उनमें से सबसे खूबसूरत लडकी को उसने कहा छोडा । वो तुरंत समझ गया कि मैं तुम्हारी बात कर रहा हूँ लेकिन उसे तुम्हारा पता याद दिलाने के लिए उसे पैसे देने पडेंगे । वो मुझे तुम्हारी सोसाइटी तक ले गया और सोसाइटी के सुरक्षा गार्ड ने मुझे तुम्हारा फ्लाइट नंबर बताया । तृषा ने पूछा तो फिर तो मेरे घर क्यों नहीं आए? लोहित ने सोचा घर तो मैं सीधे बारात लेकर आऊंगा । कृष्णा ने फिर पूछा और तुम्हें कैसे पता लगा कि मैं यहाँ इस मॉल में हूँ क्या? तो मेरे घर से मेरा पीछा कर रहे थे । जी नहीं, मैं तुम्हारा पीछा नहीं किया मगर कभी जरूरत पडी तो करूंगा जरूर । मैं एक दूसरी आईडी से तो फेसबुक पर फॉलो कर रहा हूँ और आज हमारी इस महीने तो मैं टैग करके पोस्ट किया है । फॅमिली वहीं पढकर मैं यहाँ पर आया । उसके दोस्तों ने कहा वाह क्या बात है । लोहित ने पूछा तो हमारी डाॅ जब तुम का हूँ । एक सहेली ने हैरानी से पूछा और तुम्हें तृषा का फोन नंबर कहाँ से मिला? सभी लडकियाँ ये जानने के लिए एक्साइटेड थी । फेसबुक से मुझे उस स्कूल का नाम पता चला जहाँ पर तुम पढाती हूँ । मैंने तुम्हारे स्कूल की वेबसाइट्स खोली । उसमें शिक्षकों की सूची में सबसे ऊपर तुम्हारा ही नाम था । मैंने तुम्हारा प्रोफाइल खोला तो उसमें तुम्हारा ईमेल और फोन नंबर दिया हुआ था । स्कूल के नेवी ब्लू ब्लेजर में भी तुम कमाल लग रही थी । कृष्णा ने कहा बचपन में तुम जितने बोले थे अब उतने ही शातिर हो गए हो तो मैं कैसे मालूम? लोहित ने फिर सोचा क्या यही मेरी बचपन की तृषा है? तुम्हारी कहानियाँ सुनकर मैंने अंदाजा लगाया क्या तुम जान नानी चाहोगे कि मेरी कहानी में आगे क्या हुआ? हाँ चाहती तो लेकिन हमने यहाँ फिल्म की टिकट ले ली है । क्यों ना तो अपने दोस्तों को फिल्म देखने जाने दो और हम यहाँ बैठ कर बातें करें । थोडा सोचने के बाद तृषा ने हामी भर दी । उसके दोस्तों ने चढाने के लिए कहा लेकिन अगर वो नहीं आएगी तो उसकी टिकट बेकार हो जाएगी । लोग इतने कहा वहाँ किसी हैंडसम लडके को दे देना । त्रिशा की टिकट कृष्णा ने अपनी जेब की सबसे छोटी जेब से टिकट निकाली और अपने दोस्तों को दे दी । लोहित पूछा क्या तुम जानती होगी हमारी जेब में जेब के ऊपर ये छोटा जीत किस लिए होता है? वहाँ छोटे कागज दिया । चिल्लर पैसे रखने के लिए बाहर क्या नहीं । असल में साडी में जींस के मशहूर ब्रैंड लेविस ने पॉकेट वॉच रखने के लिए इस छोटे से जीत को इजाद किया था और ये दिखने में सुंदर है इसीलिए आज भी इसी जेन्स परसिया जाता है । लेकिन मेरे पास पॉकेट वॉच तो है नहीं इसलिए मैं जो चाहूंगी रख होंगे कहकर तृषा हसने लगी । तृषा ने पूछा सच कहूँ तो क्यू आई हो । यहाँ लोहित ने मेज पर रखे आधी भरी बोतल से पानी का घोट दिया और दिशा की आंखों में देखते हुए बोला तो मैं जी भर की देखने के लिए क्यों देखना चाहते हो? मुझे फॅस होगी तो मैं देखना अच्छा लगता है । कृष्णा ने लोहित को छेडते हुए कहा । देख लिया ना मुझे अब जाओ यहाँ से नहीं, क्योंकि जी अभी भरा नहीं । ठीक है तो बैठो । देखो मुझे तो मैं सैंडविच पसंद है । रोहित ने खाने से पहले शिष्टाचार दिखाते हुए पूछा । हाँ, बहुत पसंद है । उसने कहा और बेशर्मी से लोहित की प्लेट सी सैंडविच उठाकर खाने लगी । जब भी कभी खाने की बात आती है वो जरा भी नहीं शर्माती । लोग इतने खुद के लिए एक और सेंडविच ऑर्डर किया । आखिर भूख तो उसे भी लगी थी । तो बताओ तुम्हारी बचपन की तृषा के साथ आगे क्या हुआ? लोगे तो फिर से अपने बचपन की कहानी सुनाने लगा ।

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लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
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