Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
चुड़ैलों  का पहाड़ -02 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

चुड़ैलों का पहाड़ -02 in Hindi

Share Kukufm
11 K Listens
AuthorDevendra Prasad
Publisher:- FlyDreams Publications ... Buy Now:- https://www.amazon.in/dp/B086RR291Q/ ..... खौफ...कदमों की आहट कहानी संग्रह में खौफनाक डर शुरू से अंत तक बना रहता है। इसकी प्रत्‍येक कहानियां खौफ पैदा करती हैं। हॉरर कहानियों का खौफ क्‍या होता है, इस कहानी संग्रह को सुनकर आप समझ जाएंगे! कहानियों की घटनाएं आस-पास होते हुए प्रतीत होती हैं। आप भी सुनें बिना नहीं रह पाएंगे, तो अभी सुनें खौफ...कदमों की आहट …!
Read More
Transcript
View transcript

डालूंगा पहाड भाग तो थोडी देर में ही हम लोग तो फ्री कार्ड पहुंच गए थे । वहाँ से तो रास्ते देख रहे थे । एक नीचे की तरफ जा रहा था तो दूसरा ऊपर की तरफ । विकास ने मोबाइल निकालकर पर्यटक बात जाने का रास्ता दिखाना चाहिए लेकिन मोबाइल में नेटवर्क ना होने की वजह से मोबाइल से हमें कोई मदद नहीं मिलेगी । पर आसपास कोई भी व्यक्ति नहीं दिख रहा था । थोडी देर इंतजार करने के बाद मैंने नीचे जाने वाले रास्ते पर जाने की सलाह दी और विकास के हामी भरते हुए चल पडा । रास्ता काफी चलेगा था क्योंकि ढलान होने की वजह से पानी के पहले से रास्ता बन गया था और लगातार बहते रहने के कारण हरे रंग की का इसी जम गयी थी । अभी मुश्किल से पंद्रह मिनट चल रही थी कि रास्ते के अंदर में घर देखा तो क्रिकेट पर लगाना ऍम अनुष्का शर्मा तो नाम देखकर हम लोग तो चौंका हमें ये तो पता था कि मसूरी में सचिन तेंदुलकर अक्सर गर्मियों में परिवार के साथ आते रहते थे । लेकिन कहीं ना कहीं इस बात को जानकर भी खुशी हुई कि अब अनुष्का शर्मा का भी इस जगह से नाम जुड गया था । आगे वो अनुष्का शर्मा की निजी संपत्ति होने की वजह से रास्ता वहाँ से बंद था । हम लोग गलत रास्ते पर आ गए थे । दोनों मन मारकर और हिम्मत जुटाकर वापस धोबीघाट की तरफ बढ चले । थोडी देर में हम लोग वापस धोबीघाट पहुंच चुके थे । वहाँ मोड से थोडा ऊपर चलकर रास्ते के किनारे बैठने के लिए स्थान बनाया हुआ था । वहाँ हम लोग थोडा सुस्ताने के लिए बैठे । सामने का नजारा अद्भुत और समय कार्य मुझे ऊंचे हरे चीड के पेड थे । आसमान बिल्कुल नीला देख रहा था । बादल हवाओं के साथ हमारे पास से अटखेलियां करते हुए गुजर रहे थे । विकास मेरी और अपनी इन हसीनवादियों की तस्वीर, रैलियां और धर्म जंगल के रास्ते से पर्यटक पाकिस्तान पर चले । जिस पैदल रस्ते से हम परिचित पा की तरफ पढ रहे थे तो कच्चे और पैदल रास्ता होने की वजह से बहुत ही पथरी ली थी । एक तरफ लगातार चीड के वृक्ष मिल रहे थे और कहीं कहीं बुरांस के पेड के लाल पुष्प मन को बहुत ले रहे थे वहीं दूसरी तरफ गहरी खाई थी जो मन में ये डर भी पैदा कर रही थी कि जहाँ पे हल्की सी चूक हुई तो चूक सिंदगी की आखिरी जो भी हो सकती थी । कदमों को संभालते हुए हम आगे बढ रहे थे । अब तो भी घट से चलते हुए हमें लगभग दो घंटे होने वाले थे । हमारी हालत खराब हो रहे थे । काफी ज्यादा थकान होने लगी थी । रास्ते में हमें कोई इंसान तो दूर की बात थे । कुछ जानवर भी नहीं देख रहा था । चारों और एकदम वीराना पसरा हुआ । कोई इधर कभी आता ही नहीं होगा । और आता भी होगा तो किसी मजबूरी में ही । चारों और घने जंगल होने की वजह से धूप जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी । उसकी हमें थोडी बहुत ठंड का एहसास हुआ । आगे चलकर दोमुहा सडक देखी जिसमें एक तरफ बोर्ड लगा था कि बीवी कांदा हम के लिए इस तरफ से जाएगा । हम लोगों ने मोबाइल में देखा तो नेटवर्क कभी भी नहीं था । विकास ने बताया कि उसने मैच में पहले देख लिया था की जिस तरफ नीलकंठ कम मिलेगा उसे रास्ते में वहीं से एक किलोमीटर के आस पास में ही पर्यटक बाय घडी में एक बजे का वक्त हो चला था । विकास अपने साथ कुछ काॅल और बोतल में ग्लूकोज खोलकर लाया था । उसने कहा हम लगभग पहुंची चुके हैं कि आप कुछ देर सस्ता लेते हैं और बिस्किट खाकर पानी पीकर आगे बढते हैं । मैं चाहता था कि पर्यटन पहुंच कर ही दम लेंगे लेकिन उसकी बातों को मकान नहीं पाया और उसके साथ सुस्ताने लगा । विकास ने बातों ही बातों में कहा यहाँ कोई भी इंसान दिन में पे जाने से डरता है । यहाँ तो डालों की काफी कहानियाँ हैं जो प्रचलित है । इसे ऍम भी कहते हैं । इसका मतलब होता है की छुट्टियों का बाहर कहते हैं कि यहां दिन के उजाले में भी लोगों को जो डाल दी जाती है कि ये जो डालों की मन मुताबिक जगह उस की ये बात सुनते । मैंने कहा भाई मुझे तो उन्हें क्या समझते हैं मैं क्या किसी बहुत से काम हो? रात को मुझे नहीं नहीं आती है । भूत की तरह जाता रहता हूँ । मेन का इंतजार करते करते जब थक जाता हूँ तब जाकर सुबह चार बजे तक नहीं लाती है । मेरा ऐसा कहते ही वह सुनसान फिराना हम दोनों के ठहाकों से गूंज उठा । थोडी देर में जैसे ही हम उठकर अपनी मंजिल की तरफ पडने ही वाले थे कि बहुत तेज दुर्गंध का एहसास हुआ । अनुच्छे ऐसे आस पास किसी जानवर की सडी हुई लाश एक औरत देखी जिसने पीठ पर हरी पत्तियों को लाड रखा था और सिर पर सूखे हुई लकडिया लात कर हम लोगों की तरफ आ रही थी । उसके नजदीक अभी वह दुर्घंध बहुत तेज हुए । हमें समझाते ये देर नहीं लगी कि वह गन्दा उसी औरत से ही आ रही थी । पूरा बचपन उत्तराखंड के टिहरी जिले में ही बीता था । मैंने अक्सर पहाडों में देखा था । वहाँ के लोग बहुत ज्यादा मेहनती होते हैं । बारिश का मौसम हो, कडी धूप, ठीक रन भरी ठंड हो, वहाँ किस तरह नियमित रूप से जंगल में जाकर कहा । डांगरों के खाने के लिए अधिक खास मिट्टी के चूल्हे जलाने के लिए लकडियां काटकर जंगल चलाते हैं । बारिश के दौरान भी एक इन कामों को भेजते हुए भी अंजाम दे दिया क्योंकि ये कार्य उनके दैनिक दिनचर्या में शामिल है । पिछले हो ना हो ये गंद उसी की वजह से ही आ रही होगी । मैं मन ही मन अपने आप को ये सब सोचकर तिरासी दिला रहा था । तभी मेरी नजर उस औरत पर पडी क्योंकि शरीर से बिल्कुल ही नाजुक दिखा रहे थे । लेकिन उसका उसने भारी वजन, कोई संविधान और खडी चढाई वाली जगह में लेकर चलना, उसके मजबूत इरादों और बुलंद हौसले को कहीं ना कहीं बयान भी कर रहा था । उसके चेहरे पर अजीब सा तेज था । उसके आगे बहुत ही खूबसूरत थी । वो बिल्कुल सफल लाल थे । उसके बाद खुद डाले थे और उसकी लडाई एक तरफ से उसके चेहरे पर हवा के झोंके के साथ मंडरा रही थी । इतनी खूबसूरत लडकी मैंने आज तक नहीं देखी थी । कुछ विश्वास नहीं होता था कि कोई भला इतना खूबसूरत कैसे हो सकता है । बिल कुल पडी की तरह लग रही थी । उस लडकी को देखकर अजीत आदर्शन महसूस ऍन तो मन कर रहा था की उसको लगता बाहर देखता हूँ । उसके खूबसूरत चेहरे को देखने के बाद सारी थकान छूमंतर हो गई थी । कॅश लगाए देखने की वजह से उसने अपने आप को असहज महसूस किया और बोल पडी, ऍफ जाना था तुम लोग । महिला स्थानीय भाषा में हम लोगों को पूछ रही थी कि हम लोग किधर जा रहे हैं । विकास को वहां के स्थानीय भाषा की कुछ हद तक समझ थी इसलिए उसने उनसे बात की । उन्होंने बताया कि हम लोग पर एक बार ट्रेकिंग के लिए आए हैं बस और आपने कहा की वो भी पर्यटक बाकी तरफ से रहती है और उधर ही जारी है । उसमें हम दोनों को साथ चलने को कह दिया । एक से भले दो और दो से भले तीन सोच कर हम दोनों भी उस औरत को इकाई मानकर कदम से कदम मिलाकर उसके पीछे चल दिया । आप गलत जा रहे हो बजाने का रास्ता तो इस तरफ से विकास नहीं । भारत को दोनों है । रास्ते से नीलकंठ हम वाले रास्ते से न जाकर दूसरी तरफ से जाता हुआ देखा तो पूछे नहीं । वो रास्ता आगे जाकर खराब है । बारिश की वजह से टूट गया । अब हम लोग पर्यटक इधर से जाते हैं । उसमें हमें नहीं जानकारी देते हुए कहा । लोगों ने इस बात को सुनकर उसका धन्यवाद किया और उसके पीछे पीछे हो गया । अभी हमें चलते हुए लगभग दस मिनट ही हुए थे कि हमारे आस पास चमका । फॅमिली अजीब सी कर्कश आवाज करते हुए हमारे साथ आगे बढना लगेगा । मैंने विकास को उस नवनियुक्ति से तो लम्बी लम्बी लकडियाँ मांगने को कहा । विकास ने उस लडकी से बात की और उसने तो लम्बी लकडिया थी जिसको पाने के बाद उसका इस्तेमाल करते हुए पथरीली चढाई में सहारा बनाकर चलने में आसानी हुई और हमारे मन से कुछ उपाय भी कम हुआ । हवा भी तेज हो चुकी थी । हल्की हल्की बारिश के आसार नजर आने लगे थे तभी अचानक हल्की हल्की बारिश नहीं परेशानी और बढा दी है । बारिश थोडी तेज हो गई थी । पेड की पत्तियों पर बारिश के मोटी बूंदे पडने से जंगल में अजीब सा शोर हो रहा था । बारिश हो ना अभी हमारे हक में बिल्कुल नहीं था । हमने एक बडी गलती की थी कि हमारे पास फ्रेंड ग्रुप कपडे बिल्कुल भी नहीं है । हम अपने फॅमिली छाता लेकर आए थे पर यहाँ जिस तरह तेज हवा चल रही थी छाते का टिक पाना और बारिश से बचाव कर पाना बेहद ही मुश्किल का काम था । बारिश के आसार कुछ देर में ही जाते रहे और कुछ देर में ही बारिश भी खत्म हो जाएगी दी है । हालांकि हवा के नाम हो जाने से ठंडा कुछ बढ गई थी । मैंने राहत की सांस ली जब देखा के बारिश आने के बाद थोडी देर में बंद हो जाने की वजह से चमकदार अब नहीं देखा है । हमारे आस पास की वनस्पतियां अब हमें बताने लगी थी कि हम ऊंचाई वाले इलाके में आ चुके हैं । आस पास के जंगलों में पेडों को देख कर ऐसा लगता था ना जाने कौन उन्हें जलाकर और उजाडकर चला गया हूँ । विकास ने बताया की कुछ तो भूस्खलन और बच बर्फ्बारी ने इनका ये हाल क्या होगा हूँ । बर्फ की ठंड से भी पेड इस तरह चल सकते हैं ये मैंने पहली बार देखा सुना था थोडी देर चलते ही एक छोटा सा तालाब देखा तो रास्ते के बिल्कुल ही बात था इतनी ऊंचाई पर तालाब कैसे हो सकता है ये सोचकर मैं उस तालाब को देखने लगा । उस साल आपको देखा जी साहब दर्शन महसूस हुआ हूँ । ऐसा लग रहा था जैसे कि वो अपनी तरफ बुला रहा हूँ । मेरे कहने से पहले ही वो लडकी, उस तालाब की तरफ मुड बडी फॅमिली दिल में बजरंगबली को धन्यवाद दिया है और मैं भी उस तालाब की तरफ बढ चला है । उस लडकी थी आपके सर का बोझ हटाने के लिए जैसे ही हाथ को पर किया, मैंने लगभग कर उसके सिर के बोझ को पकड लिया और उस पोज को नीचे उतार उसकी मदद करने लगा । जैसे ही बोझ उतार कर नीचे रखा उसने मेरी तरफ से अच्छी नजर से देखा और अपनी तरफ लाल फोटो अपने हाथों से कहते हुए मुस्कान छोडी । अचानक इस प्रस्ताव के कारण फॅमिली में न जाने कितनी उमंगे हिलोरे बाहर में लगी थी । मेरे दिल में विचार आया कि यही एक मौका है जो मैं इसकी मर्जी जाने में ना उसको अपनी दिल की बात कहते हो और अपने साथ शहर ले जाकर इसका ख्वाबों को साकार करने के लिए इसको किसी तरह सहमत करवा लूँ । सोच कर मैं छोटे से था आप के पास पहुंचा हूँ वो लडकी उस हालत में झुककर अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे पर तालाब के पानी से छोटे मार नहीं नहीं बताना बहुत ही चमकीला प्रतीत हो रहा था की बात मेरी समझ से परे थी । वहाँ बहुत घना जंगल था जिसकी वजह से धूप की रोशनी नीचे तक पहुंचना नामुमकिन था । ऐसे मस्तान आपने धूप नहीं पढ रहे थे तो फिर कैसे उसका जल्दी इतना चमकीला हो सकता था । उस साल आपको देखकर उसके चल को छूने के लगता मन में उमड रही थी । दिखने में मुतालब ॅ लग रहा था जिसका चल में न जाने कितने अनसुलझे रहे शायद उसे छोडने के बाद ही उजागर हो सकते थे । मैंने अपना ध्यान तालाब से हटाकर उस लडकी की तरफ केंद्रित किया । उसके हाथ को पकडकर अपने दिल की सारी बात कहते का फैसला कर लिया था । अंजाम चाहे जो भी हो, मैं अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर जैसे ही अपने कदमों को आगे बढाकर उसके नर्म हाथों को पकडा । उसका हाथ बिल्कुल बर्फ की सिल्लियों की तरह सुनना पडा था । इससे पहले की मेरी समझ में कुछ आए मेरी नजर अचानक कल आप के चल पर पडेगी तालाब में जहाँ मेरा प्रतिबिंब तो नजर आ रहा था लेकिन उस लडकी का प्रतिबिंब नदारत था । मैंने उस झटके से उसका हाथ पकडा था उससे कहीं दुगने झटके सोचा हाथ को अपने से मुक्त करवाया बाल में जैसे डर के मारे मेरी सांसे फूलने लगे । प्रयासा करते ही अचानक अपनी जगह पर खडी हो गई । देखते देखते उसकी पीठ में से तो सुनहरे ऍम कुमार आए उन पंद्रह को पढाते हुए मेरे सामने से पडती हुई मुझ से कुछ दूरी पर सर से ऊपर लगभग आठ फुट की दूरी पर उडते हुए सोच जोर से हंसने लगे । उसके ऍम उसके कर्कश हंसी से सारा जंगल का पूरा जंगल से तरह तरह की आवाजें आने लगी तो चमकदार थोडी देर पहले हमारे आस पास कदम से कदम मिलाकर ऊपर मंडरा रहे थे तो बारिश के बाद हो गए तो पता नहीं अचानक फिर कहाँ से वापस आकर फिर से हम लोगों के चारों तरफ ऍफ लडाते हुए उडने लगे थे । ये घटना मेरे लिए फिर बिल्कुल ही अजीब थी । हूँ मुझे और विकास को यह समझते देर नहीं लगी है कि हम लोग उसके चक्रव्यूह पूरी तरह पहुंॅच । उनकी हालत ऐसी थी मॅन नहीं हूँ । स्वागत है तुम्हारा ऍम इसमें कि कहते हो और ऍम ।

Details

Sound Engineer

Publisher:- FlyDreams Publications ... Buy Now:- https://www.amazon.in/dp/B086RR291Q/ ..... खौफ...कदमों की आहट कहानी संग्रह में खौफनाक डर शुरू से अंत तक बना रहता है। इसकी प्रत्‍येक कहानियां खौफ पैदा करती हैं। हॉरर कहानियों का खौफ क्‍या होता है, इस कहानी संग्रह को सुनकर आप समझ जाएंगे! कहानियों की घटनाएं आस-पास होते हुए प्रतीत होती हैं। आप भी सुनें बिना नहीं रह पाएंगे, तो अभी सुनें खौफ...कदमों की आहट …!
share-icon

00:00
00:00