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चतुर्थ परिच्छेद: भाग 9 in Hindi

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AuthorNitin
कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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चतुर्थ परिच्छेद, बहुत लोग राम सुख के झोपडे में ज्यादा को छोडने का विचार किसी के मन में नहीं था । वहाँ चिकित्सा हो नहीं सकती थी । साथ ही राधा को दिल्ली ले जाना एक समस्या थी । एंटनी ने अपना निर्णय बता दिया । राधा अभी सो रही है, तब तक हमें भी कुछ आराम कर लेना चाहिए । मैं तो मोटर चलाती चलाती थक चुकी हूँ । आराम करने के बाद ही हम विचार कर सकते हैं कि क्या करना चाहिए । सब आराम करने लगे । गोपाल और शिमला ज्यादा के पास चुपचाप बैठे थे । उनको डॉक्टर ने यह कह दिया था कि जितना अधिक हो सकेगी उतनी अधिक आशा की जा सकती है कि वह बच जाएगी । डॉक्टर मोहनी और एंटनी के लिए झोपडे के वहाँ खाते डलवा दी गई थी । ये लोग तीन घंटे लगभग सोये । राधा अभी भी हो रही थी । डॉक्टर उठकर ज्यादा को सोये और नियमित सांस लेते देख संतोष अनुभव करने लगा । सब लोग ने नास्ता लिया । राम सपने, रोटी और साग बनाया था । साथ ही दूध गर्म कर दिया । ये अपने साथ सेंडविच और बिस्किट लाए थे । दोनों वस्तुएं मिलाकर इन्होंने अल्पहार लिया और राधा के उठने की प्रतीक्षा करने लगे । दिन के लगभग ग्यारह बजे मैं उठी तो उस को पीने के लिए दो दिया गया । अब जो और नहीं था परन्तु वह इतनी दुर्बल हो चुकी थी, हिलडुल नहीं सकती थी । इस पर भी गोपाल और मोहिनी को समय बैठे देख तो असंतोष प्रकट कर रही थी । डॉक्टर ने एक इंजेक्शन जोर दिया और कहा दिल्ली चल होगी । राधा के मुख्य एक्सीनॅान प्रकट हुई और उसकी आंखों की पुतली मोहनी की ओर घूम गई । मोहनी ने डॉक्टर से पूछ लिया, ये इतनी दूर जा सकेगी क्या ये अपनी करेंगे कैसे? मैंने और एंट्री नहीं विचार क्या है कि रेल से जाने के स्थान पर मोटर से ही चल इनको मोटर की पीछे की सीट पर लेटा दिया जाए और आप इसके समेत सीट के नीचे बैठ जाइएगा, ऍम मोटर चलाएगी और मैं उसके आगे बैठ जाऊँ । गोपाल बाद में रेल से आ जाएगा । एंटनी का कहना है कि वह बहुत ध्यान से गाडी चलाती हुई सात घंटे में दिल्ली पहुंचा देंगे । होनी ने कह दिया डॉक्टर साहब के साथ रहते हमें कोई डर नहीं होना चाहिए । रामसुख और सरस्वती भी गोपाल के साथ रेल से चलने के लिए तैयार हो गए । वे बच रहा हूँ स्टेशन की ओर और मोहिनी एंथनी इत्यादि राधा को लेकर लखनऊ की ओर रवाना हो गए । एंथनी का अनुमान था कि सात घंटे में दिल्ली पहुंच जाएगी । आते समय तो बहुत सा समय गांव ढूंढने में व्यतीत हो गया था । वापसी में उसे रास्ता विदित था पर उनको ऐसा हो नहीं सका । जब भी मोटरों को रास्ता खराब होने के कारण चक्कर लगता मोहनी कह देती है एंटनी गिरा धीरे धीरे चला हूँ । इस प्रकार ग्यारह बजे पहुंचने के स्थान पर वे एक बजे रात को पहुंचते । पहुंचते ही राधा को डॉक्टर की राय से मीट सूप बना कर दिया गया था और उसे सोने की राय दे दी । मोहिनी राधा के समीप भी एक पलंग पर लेट गई । डॉक्टर और एंटनी सोने के लिए दूसरे कमरे में चले गए तो सुरेंदर सबसे पहले उठा हूँ । वे इरादा का समाचार लेने उसके कंपनी में चला गया । मोहिनी अपने बिस्तर पर बैठी सोई हुई इरादा का मुख देख रही थी । वह भी इसमें कर रही थी की लडकी इतनी दूर और मास मज्जा से सीन हो जाने पर जीवित कैसे है । वो है और महात्मा का धन्यवाद कर रही थी कि अपना करते हुए नहीं निभाने से होने वाले अनिष्ठ पाप से वह बच रही है । सुरेंदर आया तो माँ को जगह से देख पूछने लगा वहाँ तुम सोई नहीं सो नहीं सकी । मैं इस वर्कर धन्यवाद कर रही थी कि मेरे पाप में वृद्धि नहीं हो रही है । अच्छा अब हो जाऊँ, थक गई होगी । मैं अब इसके पास बैठता हूँ । तुम क्या बैठ होगी? तुम जाऊं काम पर जाना होगा । एंट्री तो लकडी के लाट की तरह अचेत पडी है । उसने मेहनत भी तो बहुत की है । सुरेंद्र माँ के पास ही बैठ गया और बोला पर ये राधा है क्या? क्यों? तो मैं कोई वो लडकी दिखाई दी है क्या? ताजा तो अति सुन्दर गोवर्ड ऍम लडकी थी और ये है कंकाल । मात्र वह गोरी चंद के सम्मान अंडाकार चिकना मुख कहाँ है? इस समय राधा ने आके खोली माने थर्मस में से मीट सूप निकाला और एक चम्मच भर उसके मुख्य में डाल दिया । उसने सुरेंद्र को देखा पहचाना और एक हल्की सी मुस्कराहट से उसका अभिवादन कर दिया । वाह! अभी भी हीरो बोल नहीं सकती थी । सुरेंद्र ने कह दिया ज्यादा अब जल्दी अच्छी हो जाऊँ । तुम्हारे मन की साथ पूरी हो गई राधा कृतज्ञता भरी दृष्टि से मोहनी की ओर देख उन्हें मुस्कुरा दी । सुरेंद्र यात्रा का वर्णन अपनी माँ के मुझसे सुनता हुआ वहां बैठा रहा । अब डॉक्टर अंदर आ गया । उसने स्टेथेस्कोप से पर देखी गति देखी और एक अनुष्का लिख दिया । उसका सुरेंद्र को देखकर बोला इसको मंगवा लीजिए और दो दो घंटे के बाद एक एक मात्रा देते रही । साथ ही एक टेबलेट अभी और एक साइड कार जलसे देनी है । मैं रात के भोजन के समय आऊंगा । डॉक्टर चला गया । अभी तक दादा को केवल मात्र मेड शोक दिया गया था । अब नियमित रूप से उसको औषध की व्यवस्था कर दी गई । दस बजे के लगभग ऍम उसी समय महेंद्र, वो, रानी तथा मलिका वहाँ पहुंचे । मलिका को देख पहले तो मोहिनी चिंतित हुई । मैं विचार करती थी की इस अवस्था में राधा को उसे देख दुख भी हो सकता है । परन्तु मालिक को देख राधा के मुख पर मुस्कराहट छोड गई । सबको समझ में यही आया कि राधा की ये मूॅग उस की विजय की प्रतीक है । बलिका राधा के समीप एक कुर्सी पर बैठ गई तो उसके कान के समीप मुख ले जाकर बोली राधा बहुत बहुत बधाई हो । तुम जीत गई हो, राधापुरी मुस्कराई । मोहनी ने मल्लिका को बताया इसमें बोलने की अभी सामर्थ्य नहीं है । इस पर मलिका वहाँ बैठी तो बैठी रहेगी । एंथोनी ने कहा माता जी अब आप आराम करेंगे । आपको रात भर सोई नहीं मोहनी सत्य ही बहुत थकी हुई थी । मैं उठी और कुछ खाने में गर्म पानी से स्नान करने चली गई । स्नान के बाद उसने अल्पहार लिया और जाकर हो गई ऍसे मलिका ने गोपाल के विषय पूछा तो उसने बताया कि वह यदि समय पर लखनऊ पहुंच गया तो रात की गाडी पकड ग्यारह बजे तक कोठी पर पहुंच जाएगा । ऍम ये भी बता दिया कि अकेला नहीं उसके साथ रामचौक और राधा की माँ सरस्वती भी है । इस पर मलिका ने निश्चय कर लिया कि वह गोपाल के आने तक वहीं ठहरेगी । रानी लोड जाना चाहती थी और उसको इसमें हुआ । जब मल्लिका ने कहा दीदी तुम जाओ, मैं अभी यहीं हूँ । रानी ने आश्चर्य से मलिका का मुख देखा और मल्लिका ने एंटनी से पूछ लिया क्यों भाभी घर से निकालो गे तो नहीं नहीं मगर मैं समझती हूँ कि तुम अभी चली जाऊं । सायकल फिर आ जाना तो ये चले जाने का आदेश वो नो फॅमिली का की कमर में हाथ डाल उसको अपने अंग संग लगाते हुए कहा तुम यहाँ रह सकती है । मलिका अब घटकर बैठ गई और रानी से पूछने लगी दीदी तो मैं भी जा रही हूँ । पिताजी का पेट्रोल डलवाकर तैयार खडी होगी । जानी गई तो एंटनी ने मलिका से पूछ लिया गोपाल से मिलना चाहती हो । अभी घर से चलने से पूछ अपनी व्यवस्था का मैं अर्थ नहीं लगा सकती थी । मेरा चित यहाँ आने के लिए बेचैन था । मुझे था कि गोपाल जी यहाँ नहीं आई । इस पर भी मैं आने के लिए व्याकुल है । ये है तो मैं राधा को देख समझे हूँ कि इस बहादुर लडकी के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए बेचैन थी । ऍम मैं विचार कर रही हूँ की इस बहादुर लडकी की मुझे सेवा करनी चाहिए । इसकी वर्तमान अवस्था में मेरा भी कुछ दोस्त फॅार्म भी हो । कहा यह तो ठीक है परंतु इस की सेवा तुम माता जी अथवा गोपाल की स्वीकृति से ही कर सको तो पहले माता जी की सेवा कर उन्हें प्रसन्न करना पडेगा । ये तो है ही । जब तक राधा हम सोचते सफल नहीं हो जाती तब तक तो गोपाल जी और माता जी की ही अच्छा चलेगी पीछे है । गोपाल पर राज्य करेगी तब ये तुम से अपना व्यवहार करने में स्वतंत्र होगी । मल्लिका समझ गई गोपाल इत्यादि ग्यारह बजे की गाडी से नहीं आएगा और वह मध्यान का भोजन करने अपने घर जा पहुंची । क्या देखा होगा मल्लिका ये माने भोजन के समय उससे पूछा हाँ एक बहुत ही सुंदर और स्वस्थ लडकी । योग के घडियां, गिनती, गिनती, कंकाल मत रह गई और वह मर क्यों नहीं गई? अपने प्याज और अपनी तपस्या का फल भोगने के लिए मुझे कुछ ऐसा समझ आया है की प्रत्येक वस्तु तपस्या से मिलती है । बिना तपस्या तो वर्मा जैसा मिल सकता है जो मेरे जीवन पर एक काली देखा ही छोड सकता है । अकीचंद डाॅक्टरों की मासिक मीटिंग के लिए जगह भी जा रहा था । उसका ध्यान उधर ही लगा हुआ था और वह अपनी लडकी की बातें सुनने तथा समझ नहीं रहा था । मलिका खाना था और एक घंटा वार आराम कर उन्हें सुरेंद्र जी के बंगले जाता है । उस समय तक फकीरचंद्र जगह जी के लिए रवाना हो चुका था । माँ मालिक को बोलना जाते देख विश्व में उसका मुँह देखती रह गयी । वो समझ नहीं सकी थी की इस आने जाने का क्या परिणाम हो सकता है । इस बीच ऍम मोहिनी को मलिका की मनोभावों के विषय में बताया तो मोहनी ने कह दिया मैं इस लडकी का यहाँ बहुत आना जाना पसंद नहीं करती है । पसंद नहीं पसंद का ऑपरेशन नहीं एंटनी ने अपने मन की बात कह दी । मुझे तो उसके हाथ से ज्यादा की हत्या हो जाने का बहुत है तो उसे दुत्कार दो । मैंने एक ढंग से उसे बता दिया की जब तक राधा स्वस्थ और सफल नहीं हो जाती है, माता जी और गोपाल ही उसकी सेवा करने की किसी को स्वीकृति नहीं दे सकते हैं । इस पर वह कहने लगी तो वह पहले माता जी की सेवा कर उन्हें पसंद करेगी तो उसे मेरी सेवा करने दो । मैं समझती हूँ कि राधा की सेवा के लिए तीन नर्सों का प्रबंध कर दो, उसके लिए खर्चा दे दिया जाएगा और उनको समझा दो की इस लडकी पर विश्वास नहीं करता हूँ । आती है । जब साइकल की चाय के समय मलिका पहुंची तो राधा के कमरे का प्रबंध नर्सों की देख रेख में दिया जा चुका था । प्रत्येक नर्स की आठ आठ घंटे की ड्यूटी लग चुकी थी । मल्लिका आई तो सीधी राधा के कमरे में जाने लगी । इस पर नर्स ने उसका मार्ग रोक लिया और का पेसेंट हो रहा है भीतर नहीं जाना चाहिए । मलिका वो रामदेव, ॅ, सुरेंदर इत्यादि के पास जाकर पूछने लगी राधा व्यवस्था ठीक है ना ठीक है । मोहनी ने कह दिया बैठो मलिका डॉक्टर आए थे और कह गए हैं कि जब ज्यादा सो रही हो तो कोई भी तरह जाए । ये नर्स उन्होंने बीजी है और मुझको भी छुट्टी हो गई । मोहनी तथा एंथनी इत्यादि सबको वहीं बैठे देख मल्लिका भी वहीं बैठ गई । फॅमिली ने उसके लिए चाय बनाती हूँ । सुरेंद्र ने बताया एक पैसेंजर गाडी रात के दस बजे लखनऊ से चलती है और दिल्ली तीन बजे के लगभग पहुंचती है । हम उसी से गोपाल की प्रतीक्षा कर रहे हैं । गोपाल चाय समाप्त होने से पूरी वहाँ पहुंच गया हूँ । उसके साथ राम सौ और सरस्वती हुई थी । वे भी ज्यादा को देश में जाना चाहते थे पर अब तो उनको भी भीतर नहीं जाने दिया गया । इससे मलिका का रोज शांत हो गया । मोहनी ने ज्यादा के माता पिता को संतोष दिया कि राधा की व्यवस्था सुधर रही है । गोपाल ने चाय पीते हुए कहा हमें रायबरेली स्टेशन तक पहुंचने के लिए कोई गाडी नहीं मिली । इस कारण हम डाक गाडी नहीं पकड सके । पैसेंजर गाडी से रात नौ बजे लखनऊ पहुंचे और फिर दस बजे की पैसेंजर गाडी से दिल्ली के लिए रवाना हुई । मैं अत्यंत सकता हूँ परन्तु एक बार राधा को देख कर ही समाजवादी करने जाऊंगा । कामसुख और सरस्वती भी चाय पी रहे थे भी । बेटी को देखने के बाद की आराम करने का विचार कर रहे थे । इस संबंध में मलिका को इच्छुक हुआ था । अब वह समझ रही थी कि उससे किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है । गोपाल चाय पी उठकर लान में चला गया । वहाँ से हमने हुए हैं । बेचेनी अनुभव कर रहा था । मल्लिका भी उसके पास चली आई । भोपाल ने उसका मुख देखते हुए पूछ लिया, तुम यहाँ कब से हो? मुझे कल ही पता चला था कि आप लोग दिल्ली आए और फिर ज्यादा के गांव चले गए । एक दिन साइकल मैं यहाँ आई तो आप पांडीचेरी गए हुए थे । तब से आपके लोटने की प्रतीक्षा कर रही थी । कल दीदी और जीजा जी आए थे और उनसे पिताजी के देहांत का और फिर आपकी वापस आकर उन्हें चले जाने का समाचार मिला । फिर कल रात भर एक एक घंटे के बाद मैं फोन करती रही और रात एक बजे पता चला कि सब आ गए हैं परन्तु आप नहीं आए । आज प्रात एबी में यहाँ कोठी पर आई थी और राधा से मिली थी । आप के साथ साथ मैं भी उससे मिलने की प्रतीक्षा में हूँ की पांच बजे नर्स ने सूचना दी इरादा जाग रही है और सब उसके कमरे में चलेंगे । त्रालय ने गोपाल को देखा तो आंखें मूंदी लेटी रही । गोपाल ज्यादा की सिराने आकर समीर बैठ पूछने लगा राधा अब प्रसन्न हो राधा ने आप होली और कृतज्ञतापूर्वक ऋष्टि से माँ की ओर देख कर उन्हें आंखे बंद कर ली । आधा घंटे तक पूर्ण परिवार वहां बैठा रहा । इस समय डॉक्टर आ गया । उसने राधा की नाडी और हर देवगति की परीक्षा की और कह दिया ज्यादा अभी भी खतरे से बाहर नहीं । इस कारण हमें इसके समीर ज्यादा हल्ला गुल्ला नहीं करना चाहिए । दवाई इत्यादि देखकर डॉक्टर जाने लगा तो उसने सबके सामने नर्स को कह दिया एक घंटा सुबह और एक घंटा साढे साल की अतिरिक्त किसी को कमरे में नहीं आने देना । साइकल जब सब लोग बाहर निकल आए तो मोहनी ने मलिका से कह दिया बेटी अब तुम घर जाकर आराम करो । माता जी मेरे जो कोई सेवा हो तो बताइए तुम क्या कर सकती हैं? मैं आपके पास दवा सकते और बाजार से कुछ लाना हो तो ला सकती । मोहनी ने मुस्कराकर का क्या? एंथनी का राज्य और उसकी तू प्रबंध में किसी वस्तु का अभाव नहीं, अच्छी बात है । मैंने कहा है कि हम भी आपके कुछ लगते हैं । यदि हमारी किसी सेवा की आवश्यकता हो बताइएगा । हमें अत्यंत प्रसन्नता हूँ । इसका अभिप्राय यह था कि अब लाला फकीर चंद के परिवार वालों को नंदलाल के परिवार से किसी प्रकार का रोज नहीं था हूँ ।

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कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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