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चतुर्थ परिच्छेद: भाग 3 in Hindi

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AuthorNitin
कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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तो चतुर्थ परिचित भाग तीन इस दिन के पश्चात मलिका सप्ताह में दो बार एंटनी से मिलने के लिए आने लेंगे । वो अपने मन में गोपाल से उन्हें सम्बन्ध बनाने की योजना बनाने लग गई थी । मैं विचार कर रही थी कि गोपाल के मन में उसके लिए अभी भी कुछ सहानुभूति चीज । जब उसने बताया था कि वर्मा अब नहीं रहे तो उसका मुख गंभीर हो गया था और फिर उसने कुछ विचार कर कहा था ऍम हम स्कूटर का वो टीमें चलते हैं । मालिक को उसके इस प्रस्ताव पर संतोष हुआ हूँ । मैं उसके सहानुभूतिपूर्ण त्यौहार को अनुराग में बदलने की योजना बनाना चाहती थी तो मैं यही सोच कर उसके साथ आई कि राधा से मेल मुलाकात रखनी चाहिए और फिर उस जवान लडकी से गोपाल रुपये अनमोल रत्न छीन लेना चाहिए तो कोठी में बहुत जब उसने राधा के उम्मीदवार की प्रशंसा ऍम नहीं तथा सुरेंदर के मुख्य सुनी उसने अपने व्यवहार बदलने का निश्चय कर लिया । इसका विचार था कि राधा को लेने जाने के बाद गोपाल की माता जी कर नहीं सकेंगे । गोपाल के पिता तो उसके पिता से भी अधिक रूढिवादी है । मैं जीतेजी भोपाल की माताजी को राधा का द्वार खटखटाने की स्वीकृति नहीं देंगे । मुझे विश्वास था की उसकी योजना अवश्य सफल हो । ऍन लिखने में व्यस्त रहता था । इसका अधिकांश समय यूनिवर्सिटी पुस्तकालय में ही व्यतीत होता था । रात्रि आठ बजे के बाद ही मैं घर आता है । कभी कबार ही उसकी मलिका से भेंट होती थी । इस पर भी मलिका ने अपना प्रयत्न जारी रखा था । इस प्रकार मनीका फॅमिली के घर आते जाते हैं । छह माह व्यतीत हो गए थे । एक दिन है आई तो कोठी के भीतरी कमरों को ताला लगा मिला । चौकीदार ने कह दिया मालिक को बाहर गए कहाँ गए हैं पांडीचेरी बडे लालू जी की तबियत बहुत खराब हो गयी । कब गए हैं । आज सुबह हवाई जहाज से मलिका लोट गई हूँ । इस समाचार से मेरे विचार करने लगे हैं । यदि नंदलाल जी का देहांत हो गया तो गोपाल की माँ राधा को लिवा लाने के लिए स्वतंत्र हो जाएगी और तब उसके मन की अभिलाषा पूर्ण नहीं हो सकेगी । इस समाचार से बहुत उदास हो गई मल्लिका जो पहले नंदलाल को गालियां सुनाया करती थी और कहा करती थी कि उसने आपने सब लडकों को नहीं तो शिष्टाचार सिखाया है तो नहीं कुछ बुद्धि की बात आज उसके दिल जीवन के लिए प्रार्थना करती हुई अपने पिता की खोटी में जा पहुंची । अपने कमरे में जाने के लिए बरामदे से दाहिनी ओर भूमि तो उसके पिता ने अपने कार्यालय से उसको देख लिया । अखिलेश चंद का कार्यालय बरामदे बाई और था । पकिर चंद अपने कार्यालय से निकल उसके पीछे पीछे उसके कमरे में जा पहुंचा । मल्लिका अपने पिता को देख इसमें से उनका मुख देखने लगी । ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था । अपने पिता से मैं प्राय ड्राइंग रूम में अथवा डाइनिंग रूम में ही मिला कर दी थी । फॅसने खडे खडे ही का तुम्हारी बहन का तार आया है ये है । उसने अपने कोर्ट की जेब से तार निकालकर मलिका के सामने रख दिया । मल्लिका पलंग पर बैठ गई और पिता को कुर्सी पर बैठने का संकेत कर तार पडने लगी । तार में लिखा था यंग हैंडसम मैच फोर मलिका कमिंग ऍम मलिका नेता पिता को वापिस करते हुए का आने दीजिए । विचार किया जा सकता है । फकीर चंद इस कथन पर प्रसन्न था । वर्मा की मृत्यु के उपरांत वह दूसरे विभाग के प्रश्न पर सिर्फ खिला दिया करती थी । इस बार उसने कहा था विचार किया जा सकता है । इस पर पाँच क्वेश्चन ने एक ओर ता दूसरी जेब से निकाल कर देते हुए कहा ये भी पढ लो । मल्लिका ने पढा लिखा था फ्लाइंग टूट पांडीचेरी ऍम दिल्ली । ऑडिटर मल्लिका ने ये पढा और समझ गई । तीरानी और जीजा जी भी पिता की नाजुक हालत सुन चले गए । उसने तार वापस करते हुए कहा दीदी के सशुल्क सख्त विमानन तो तुम जानती हो जी कैसे? मैं अभी अभी दीदी के दिवस सुरेंद्र की कोठी से आ रही हूँ । वो भी गए हुए हैं । वहाँ क्या करने गई थी? दिल बहलाने के लिए कभी कभी चली जाये करती थी पर गोपाल की तो वहाँ रहता है । जी तो ये ठीक नहीं कर रही है । क्यों हम तुम्हारा दूसरा विवाह करने का यत्न कर रहे हैं । यदि तुम्हारा भावी पति को ये पता चल गया कि गोपाल और तुम्हारा क्या संबंध रहा है तो वह नाराज भी हो सकता है । पहला उसी कैसे पता चलेगा? ऐसी बातें चोरी नहीं रहती । मल्लिका विचार कर रही थी कि गोपाल से हुई क्या घटना है जिससे उसका भावी पति नाराज हो सकता है । मैं कुछ समझ नहीं सकी । इस पर भी कहने लगी अब वहाँ नहीं जाउंगी । जालंधर में वह सुंदर नवी वो महिंद्रा का पत्र लेकर आया भाग्य वस, उस समय मलिका घर पर थी । अकीचंद हूँ । मलेकर की माँ तथा भाई भावज और बच्चे सब फकीर चंद के एक मित्र के लडके के विवाह में गए हुए थे । मल्लिका ने वहाँ जाने में अपनी रुचि प्रकट कर दी थी । पिता ने भी उसे जो डाल कर ले जाना उचित नहीं समझा था । वह युवक कोठी में पहुंच कहने लगा लालू फौजी चल जी से मिलना है । चौकीदार ने तो कह दिया कि घर पर नहीं है पर हम तो मलिका ने उसको देख लिया और वहाँ के लिए उसने देखा कि एक युग अपना सूटकेस तथा बिस्तर हाथ में लिए बरामदे में खडा है । मैं समझ गई कि ये वही युवक है जिसके विषय में दीदी नेता भेजा था । उसने समीप पूछ लिया कही क्या काम है? मैं जालंधर से श्री महेंद्र जी का एक पत्र लेकर आया हूँ को आइए बैठिए ये सामान आपका है क्या जी मुझको ये कहा गया था कि पत्र का उत्तर मिलने में दो एक दिन लग सकते हैं । इसका अपना सामान साथ लेकर आया हूँ । मल्लिका ने कहा ये पत्र मुझे आप दे सकते हैं और आप मल्लिका ने चपरासी को कह दिया इनको मेहमान खाने में ठहराऊं युवक ने पत्र मालिक को दे दिया और चपरासी के साथ कोठी के कार्यालय वाले एक कक्ष के एक कमरे में चला गया । चौकीदार ने उसका सामान ले जाकर वहाँ रख दिया । मल्लिका ने अपने कमरे में आकर दीदी का पत्र निकालकर पढ लिया । रानी ने औपचारिक समाचार लिखने के बाद लिखा था पत्र वहाँ को ज्ञात नहीं कि वह किस अभिप्राय से भेजा गया है ये मैं आप पर छोडती हूँ । आप उसकी देखभाल कर और उससे पूछताछ करने पर इसे कुछ बताएँ अथवा नहीं बताएँ । किसको हमने ये बताया है कि हमारी फर्म को आपसे कुछ काम है और ये पत्र उसके संबंध में है । हमने इसे ये भी कह दिया है कि कदाचित इसको एक दो दिन दिल्ली में ठहरना पडेगा । इसको इस पत्र का उत्तर लेकर ही आना होगा । वैसे ये एक अतिनिर्धन माता पिता का लडका है । अपने परिश्रम से इसने एमए तक शिक्षा ग्रहण की है और इस समय हमारी फर्में ढाई सौ रुपये प्रति महीना प्राप्त कर रहा है । सुनवा के पिता का कहना है कि लडका बहुत ही समझता, सूझबूझ रखने वाला और हसमुख है जिसको आपने विषय में प्रयाप्त यांग है । ये दिया उसी समझे तो इसका मलिका से गठबंधन किया जाए और जो कुछ आप मलिका वो दें अथवा देना चाहिए । इसको अपने फर्म के हिस्से के रूप में दें और तब ये तथा मलिका सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकेंगे । यह आपका काम है कि अपना फैसला इसे वाली बात थी । ठोक बजाकर करें वह फैसला इसको बताएं अथवा नहीं बताएँ आप की इच्छा है आप मुझ को भी लिख कर भेज सकते हैं । पहले हमने एक अत्यंत धनवान लडका देखा था । अब हमने एक भले परिवार का लडका देखा है । लडका परिश्रमी हैं, धनवान हम इसे बना देंगे । मल्लिका पत्र बढकर विचारमग्न होगी उसे एक का एक मजाक पूजा उसने पत्र अपने पर्स में रख लिया और हम लडके से मिलने निकल आई है । मेहमानों के खाने के कमरे में चली गई और दो आदमियों के लिए चाहे आदि लाने के लिए मेरे को बोल क्योंकि दौर द्वारा उसने लडकियों को वहीं बुला लिया । वो कराया तो मलिका ने उसे बैठने के लिए कहा और उसके लिए चाय बनाने लगी । चाहे बनाते हैं । उसने पूछ लिया आपका शुभ नाम क्या है मुझे यसपाल कहते हैं । मैं लाला फकीर चंद की पिए हूँ । आपके पत्र का उत्तर तो दे ही देंगे । हाँ यदि आप को कोई कष्ट हो तो आप मुझ को बताइए । लाला जी एक बारात में गए और रात्रि दस बजे तक आएंगे तो मैं अब पत्र का उत्तर लेकर जाऊंगा । ठीक है आप मेहनत जी की फिल्म में क्या काम करते हैं तो मैं उनकी फर्में असिस्टेंट मैंने जरूर । वो मलिका ने चाय का प्याला उसके सामने रखते हुए का तो उनकी फर्म क्या इतनी बडी हो गई है कि उसने मैनेजर तथा असिस्टेंट मैनेजर रखे जाने लगे । यस पालने समझा कि अपने मालिक की प्रशंसा ही करनी चाहिए । आते उसने कह दिया इस समय जालंधर में सबसे बडी कंस्ट्रक्शन कंपनी है । कितना काम प्रतिवर्ष हो जाता है । मैं तो अभी अभी इस काम पर लगा हूँ । मैं इतना बता सकता हूँ आप के दफ्तर नहीं दस आदमी काम करते हैं और उनकी मंत्री बिल लगभग चार हजार बनता है । चार हजार और उस चार हजार में आपको क्या मिलता है जी मुझको । इसपर में आया भी दो मासी हुए हैं और मैं तो स्टेशन पर हूँ । इस प्रकार यसपाल ने अपना वेतन बताने में श्रम को बचा लिया । मलिका ने मुस्कराते हुए का डेढ दो सौ तो मिलता ही होगा । जी नहीं अभी वेतन नियत नहीं हुआ केवल फॅस के रूप में लगभग तीन सौ मिल जाता है । ऍम सब बात इस ढंग से कर रहा था जिससे उसके मालिक की स्थिति बिना विशेष असत्य कहे अच्छी सी अच्छी प्रकट की जा सकते हैं । उसको कुछ ऐसा समझ में आ रहा था कि महेंद्र जीने इनसे आर्थिक संबंध बनाने के लिए ही पत्रव्यवहार किया है । लगभग एक घंटा भर मलिका उससे बात करती रही है । उसने अनुमान लगाया कि लडका बुद्धू है । वह अपने मन में उसे रिजेक्ट कर चुकी थी । यह भी बात ये थी कि उसे अपनी महीन तथा जीजा जी की सूझबूझ पर विश्वास नहीं रहा था । मैं जानती थी कि उसके पिता की संपत्ति चालीस पचास लाख के लगभग की है और उन के बाद लगभग पंद्रह लाख की स्वामिनी बनने वाली है । वहाँ उस संपत्ति को इस बुद्धू युवक के हाथ में वह देना उचित नहीं समझते हैं । इन सब के अतिरिक् उसके मन में सार्वजनिक दृष्टि से सौन्दर्य का मापदंड गोपाल था और उसे यह युवक भोपाल की तुलना में पचास प्रतिशत ही प्रतीत हुआ था । मैं मानती थी कि सारे रिकॉर्ड रोटियों की पूर्ति कुछ सीमा तक धन कर सकता है और वह इस युवक के पास बिल्कुल नहीं था । वो पार और इस युवक में उतनी में भी अंतर था हूँ । इसलिए लगभग छह मार्च से मैं उन्हें भोपाल के संपर्क में रही थी और उसने अनुभव किया था कि इतिहास में एमए करने पर भी गोपाल जिस किसी विषय पर बात करता है उसमें ज्ञान की विशेष का प्रकट करता है । गोपाल की तुलना में यसपाल एक वर्ड और साधारण बुद्धि का व्यक्ति प्रतीत हुआ था । रात के भोजन के समय उसका चित नहीं किया कि इस बार से बातचीत करने चाहिए । यस पाल लिया के लिए भोजन किया और हो गया । दस बजे के लगभग पच्चीस जने इत्यादि बीवा से वापस आए । मलिका उनकी प्रतीक्षा कर रही थी पर चंद चौकीदार ने बता दिया कि जालंधर से एक मेहमान आए हैं और मेहमान खाने में ठहरे हुए हैं और चंद ने पूछा वो जाग रहे है क्या? जी नहीं वो हो चुके हैं । इस पर पकडे चलते मल्लिका के कमरे में जा पहुंचा हूँ । मल्लिका अभी भी बैठी एक उपन्यास पढ रही थी । कमरे के बाहर आॅफ उठी और द्वार खोल देखने लगी । उसके माता पिता कमरे में चले आए । पानी का भेज आदमी आया है क्या जी मलिका ने खुला पत्र अपने पर्स में से निकालकर पिता के हाथ में दे दिया । तुमने पडा है क्या जी क्या समझूँ आप पढ लीजिए । पत्र में तो कोई विशेष बात नहीं, लेकिन खगेशचंद्र कुर्सी पर बैठ गया था । मल्लिका और उसकी माँ पलंग पर बैठ गए तो चलने पत्र पढा और फिर जेब में रख लिया तो तत्व चार उठकर बोला हूँ अच्छा प्राथमिक और उससे मिलकर फिर बात करूंगा । मलिका ने भी कह दिया मुझे राय किए बिना कुछ कमिटमेन्ट कीजिएगा । दूध का जला छाछ स्पोर्ट को कर बीता है । आप ये तो है ही इतना काॅटन उठकर कमरे में से निकल गया । मानी भी उठते का देखने में कैसा लगता है? भोपाल से पचास प्रतिशत हमारे दिमाग से गोपाल कभी निकलेगा अभी देखो मलिका सब अच्छी वस्तुएं सबके भाग्य में तो नहीं होती है । बात मैं जानती हूँ परन्तु मक्खी देखकर तो निकली नहीं जाती । पहले निकल तो चुकी हूँ अनजाने में तो

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कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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