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चतुर्थ परिच्छेद: भाग 1 in Hindi

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AuthorNitin
कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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ऍम करता हूँ को सुरेश मोदी कल कर नमस्कार को कॅश सुने । जो मन चाहे आप सुन रहे हैं । गुरुदत्त लिखित कामना चतुर्थ परिच्छिन्न भाग एक ही है । फकीर चंद ने अपनी बडी लडकी रानी को पूरन बात लिख दी । उसने लिखा मलिका का कथन सर्वथा सत्य है कि वर्मा आवारा घूमता रहता है और उसका संबंध मलिका से पिछले पांच वहाँ से नहीं है । मुझे ये जानकर विश्व में हुआ है कि वह रात अपने कमरे में नहीं होता । मल्लिका ने दिल्ली आने के पहले दिन ही ये संकेत दिया था । मैंने उसका विश्वास नहीं किया था क्योंकि पुरुष स्त्रियों से बहुत ही व्यापार संबंधी बातें पाकर रखते हैं । मुझे कुछ यही समझ में आया था । कुछ खुला धन उसके पास था । उसने मल्लिका से झूठ बोल दिया कि धन मेरे पास तक छोडा है । उसने मेरे पास कुछ नहीं रखा था । मैंने दोनों में झगडा कुछ इसी संबंध में समझा था तो तुम्हारा पत्र आने पर मैंने जांच की है और मुझे मल्लिका के विभाग का अत्यंत ही दुख है । मुझे क्रोध है नंदलाल पर यदि वह है और उसका लडका ठीक ढंग से विचार करते तो मलिका की ये दूरदर्शन होती हूँ क्या सूजी तुम्हारे देवर को जो एक रईस की पढी लिखी लडकी को छोड कर एक चपरासी की अनुपम लडकी से विभाग कर बैठा था और अभी भी अपने किए वाॅरंट कर रहा है । गांधी एक बात समझ लो मैं इन दोनों परिवारों से आपने लडकी अपमान का बदला लिए बिना नहीं रहूंगा । वर्मा अब हमारी कोटी छोड गया है । उसने मालिक हो तो छोडी रखा था । गांधी ने ये पत्र अपने पति महेंद्र को सुना दिया । महेंद्र गंभीर होगा । पिताजी ने ये भी भूल की थी तो केवल यह है कि गोपाल से राय किए बिना मलिका से उसके संबंध की घोषणा सबके सामने कर दी है । एक बोर्ड बात थी, परन्तु पिताजी अपनी बात की मान जाने पर इतना विश्वास रखते थे कि उनको ये प्रस्ताव मल्लिका के सामने करने में भी संकोच नहीं हुआ है । यदि उनको किंचित मात्र भी इसमें संदेह होता तो वह मल्लिका के सामने बात न करते हैं । बस उन की इतनी ही बोलती है । इसलिए तुम्हारे पिताजी को इतना होने की आवश्यकता नहीं कि वे हमारे परिवार से बेयर भाव रखें । गाने के विचारों में भी परिवर्तन हो रहा था और गोपाल को इतना दोषी नहीं मानती थी, जितना अपने ससुर को मानती थी । अब महेंद्र के स्पष्टीकरण पर मैं समझ गई कि दोष उसके ससुर का भी इतना नहीं है परन्तु इस पर भी उसको जिसमें इस बात पर हो रहा था कि दोनों बडे लोग गोपाल के पीछे क्यों इतना पडे हैं । उसने अपने पति की नियुक्ति को स्वीकार करते हुए कहा आपके पिता और मेरे पिता बुजुर्ग और कुछ हैं । उनके परस्पर के विचारों पर भला हम क्या टीका टिप्पणी कर सकते हैं । इस पर भी मुझे आश्चर्य इस बात का है कि दोनों गोपाल के पीछे क्यों पडे हैं । उस ने इनका क्या बिगाडा है मुझको तो कुछ ये है समझ में आ रहा है कि दोनों लोग मानसिक बुढापे की अवस्था में पहुंच गए हैं । उनके मस्तिष्क स्थिल पड गए हैं और वे विवेक छोड रहे हैं । गोपाल में तो कोई दोष है नहीं मैं तो उसको एक सही दिमाग युवक ही मानता हूँ । ये दोनों वृद्धजन अपनी भूलों को दूसरों के गले मरने जा रहे हैं परन्तु उनकी इस भूल में हमारा भी कुछ भाग है । आप भला कहाँ से कृष्णचन्द्र को पकडा लाए । मैं शिवम नहीं समझ पाया की कौनसा गुण देखा था इस लडके में प्रश्न तो ये है कि अब क्या हूँ? मैं दिल्ली जा रहा हूँ और वर्मा से बात कर उसी समझाने का यत्न करूंगा । महेंद्र दिल्ली आया और वर्मा से मिला । वर्मा ने उल्टे मलिका की शिकायत कर दी । उसने कहा महेंद्र तुम्हारी साली चोर है और में अपने पति के कामों में दखल देती है । क्या दखल दिया है उसने? महिंद्रा ने पूछा मेरी व्यापार में जाती थी । जब वह इस विषय में कुछ जान गई तो मुझको जोर कहने लगी आज बला कोन व्यापारी अथवा उद्योगपति है जिसकी कुछ भी आए नहीं होती है तो यह कोई इतना बडा दोष है कि आप उसका क्या कर दें? और भी बातें हैं । मैं समझता हूँ कि वह मुझे तलाक दे सकती है । कैसे तलाक दे देते हैं वो । वह कोर्ट में एक प्रार्थना पढ कर दें कि मैं दुराचारी हूँ और वह मुझ से संबंध विच्छेद चाहती है । मैं उसकी इस आरोप का विरोध नहीं करूंगा और तलाक स्वीकार हो जाएगा तो कोई अन्य उपाय नहीं । किस विषय में उपाय पूछ रहे हो? दोनों के पति पत्नी बनकर साथ रहने में वो तो हम साथ रहते ही थी । मल्लिका के पिता ने मुझे गोली से मार देने का भय दिखाया तो मैं पिता और पुत्री दोनों को छोड कर भाग आया हूँ । परन्तु मल्लिका ने अपनी बहन को लिखा था कि आपने पिछले पांच महीने से उससे पत्नी का व्यवहार नहीं किया । देखिये महेंद्र जी ये पति पत्नी की परस्पर की गुप्त बातें हैं । इसमें वास्तविकता क्या है और क्या नहीं । कोई बाहर का व्यक्ति जान नहीं सकता । उसे जानने का यत्न भी नहीं करना चाहिए । मैं तो केवल ये कहता हूँ कि आपकी साली नए केवल मुझे चोर समझती है बल्कि मुझे न पूछ सकती समझती है । महेंद्र इस समस्या का सिर पैर नहीं समझ सका । महिंद्रा ने फकीर चंद को वर्मा से अपनी हुई सारी बात बतलाई तो फकीर चंद ने कह दिया वर्मा झूठा है । वह सोने की तस्करी करता है और चरित्रहीन है । मुझे यह है कि यदि उसे मल्लिका के साथ रहने के लिए विवस किया गया तो वह एक दिन उसकी हत्या कर देगा । महेंद्र मालिक को लेकर जालंधर चला गया । उसका विचार था की रानी उससे वास्तविक बात जानकर समस्या को सुलझाने का यत्न करेगी । मल्लिका का असंतोष जीवन उपन्यास पडने, राष्ट्र में जाकर चाय पीने तथा क्लब में रात देर तक बैठ जुआ खेलने और नाच करने में व्यतीत हो रहा था । इस पर भी उसके चित्र को शांति नहीं थी । जालंधर में रहती रहती ऊब गयी तो दिल्ली लोट आई । जब नंदलाल बीमार हो कश्मीर जा रहा था । मल्लिका अपनी बहन के पास जालंधरी थी परंतु है नंदलाल को देखने । स्टेशन पर जाने में कुछ भी प्रयोजन नहीं मानती थी । स्टेशन से लोटकर जब रानी और महेंदर घर लौटे और उन्होंने नंदलाल की अवस्था का वर्णन किया तो मलिका भी अपने पूर्व व्यवहार पर अवलोकन करने लगी । उसने कॉलेज के जिलों में विवाह के लिए अपनी बेताबी पर विचार किया तो उसे समझ आया हूँ कि वर्मा से विवाह उस नेता भी कहीं परिणाम था । वह अपने उन दिनों की गोपाल से व्यवहार पर चिंतन करती थी तो वह गोपाल के व्यवहार को उतना खराब नहीं समझती थी जितना पहले समझा कर दी थी । इस मानसिक अवस्था में वह दिल्ली पहुंची । वहां पहुंचकर उसको पता चला कि वर्मा की फॅमिली के एयरकंडीशन डिब्बे में हत्या कर दी गई है । वर्मा अपने डिब्बे में अकेले यात्रा कर रहा था । प्राथमिक जब मेरा ऑर्डर के अनुसार चाय देने डिब्बे में गया तो उसका सब रख से लगभग वहाँ पडा था । उसका सूटकेस लापता था और कई दिन बाद बहस सूटकेस खाली और टूटा हुआ जंगल में सूरत और उतरा स्टेशन के बीच मिला । पुलिस का कहना था कि वर्मा तस्करी का सोना मुंबई में बेचने ले जा रहा था और चोरों को पता चल गया उसकी हत्या का यही कारण प्रतीत होता है और फिर चंद को ये सूचना पुलिस से मिली थी । पुलिस का कहना था की उसकी जेब की तलाशी लेने पर एक फॅमिली थी । निरीक्षण से इस बात का पता चला है हूँ ।

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कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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