Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
काला पहाड़ -10 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

काला पहाड़ -10 in Hindi

Share Kukufm
602 Listens
AuthorSaransh Broadways
सुलतान कारनानी की सेना का सूबेदार कालाचंद राय धर्मनिष्‍ठ ब्राह्मण था। सुलतान की बेटी दुलारी ने उस पर मुग्‍ध होकर विवाह करने का फैसला लिया, लेकिन धर्म के खातिर उस ने यह प्रस्‍ताव ठुकरा दिया। लेकिन समय बदला और उसने दुलारी का हाथ थाम लिया। फिर शुरू हुई धर्मांध ब्राह्म्‍णों की कुटिलता की कहानी- इंसान को हैवान बनाने का सफर। जाने वह पहले कालाचंद राय से मोहम्‍मद फर्मूली बना और फिर बना काला पहाड़ कैसे बना?
Read More
Transcript
View transcript

शिवाजी ने कपडों में से दो माणिक निकालकर हाथ में रखें मशालों की थरथराती रोशनी में वो चल रहा उठे अनिल कुली कुछ देर तक पागलों की तरह खोलता रहा सूखे गले से बोला नहीं मारा मैं सरकारी अफसर हो मैं रिश्वत नहीं ले सकता पडने के पीछे से तेज आवाज उभरी बॅास पहुंॅच अंदर चला गया उसके खेल अधेड उम्र की साधारण इस तरह थी लेकिन उसका शरीर बैठा हुआ था । वासना जगह दे मन में ऐसा मेरे मेहमान की मौजूदगी में मुझे भिखारी कहने की हिम्मत कैसे की तो नहीं और उधर दूंगा । कमर के चला ठीक है वो पहुंचा पर चलाई उसकी आखिरी चल रही थी कल मैं मेरा ये सब कहाँ के घर चली जाऊंगी और मेरी देखभाल करना चाहता है । तब तो चाहती है कि मैं छोटे लोग हाँ लाख मौतें कम नहीं होती । अरे तुम्हारा शहंशाह तो मैं ये कौडी भी नहीं देगा । खेलो इस तरह शोर बताओ और अनुकूल तेजी से बाहर निकला । शिवानी सारी बातें सुन ली थी । हसते हुए बोले तो भारी अरठी की कहती है फौजदार मेरे लो और सारा जहाँ खरीद लो मुझे और मेरे साथियों को आजाद कर दूँ मैं समझता हूँ ये सौदा बुरा नहीं । इस बार हम पाल पाल बचे हैं । शिवाजी ने कहा हम अभी तक उत्तर में ही भटक रहे हैं । घर से बहुत दूर है । आगे से हमें हर तरह के वेश बदलने चाहिए । सिर्फ संन्यासियों का वेश हमें पकडवा सकता है और हमें अलग अलग गुटों में बटकर यात्रा करनी चाहिए । हमारी संख्या सबको मालूम है । एक साथ चलने से पकडे जाने की पूरी संभावना है । सब ने निश्चय किया कि काशी तक इसी तरह जाएंगे और उसके बाद इस योजना पर अमल किया जाएगा । तभी कृष्ण पंद्रह घबराए हुए, वहाँ उनके हाथ में एक मशाल नहीं नहीं पूछने लगे । आपको कहीं चोट तो नहीं आई? मारा मैं तो बहुत चलता था । अरे नहीं कृष्ण ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन आगे से आपके साथ नीरज जी भी रहेंगे । बाहर का भले ही जानते हैं तो व्यक्ति को पहचानना आपके बस का नहीं । शिवाजी ने कहा जैसी महाराज क्या क्या और उसके बाद सब लोग हरिद्वार की और चल पडेगा । मार्ग न एक नहीं नहीं होंगे । घर द्वार एक बडा तीर्थ स्थल था । वहाँ बहुत भीड रहती थी । गंगा का जल, एक दम स्वच्छता ऐसा लगता है जैसे कोई नहीं । रेखा धरती की छाती बार किसी अनंत सीमा तक पसरी है । पांच ही मनसा देवी और चंदा देवी की पहाडियाँ सिर उठाए खडी थी । इससे उस स्थान के रमणीयता अधिक बढ गई थी । शिवाजी ने हर की पौडी पर जाकर स्नान किया और फिर कुछ देर तक में शाम करने के बाद राशि के लिए रवाना होगा । काशी भारत का सबसे पाउंड नगर बहुत अधिक मंदिर थे लेकिन नगर बहुत गंदा । हरिद्वार की गंगा का नीला जल्दी यहाँ आकर मत मिला और लाल हो गया था । अक्षय की गालियाँ भी बहुत सक्रिय थी । अधिक भीड के कारण और भी सक्रिय लगती थी लोग । एक दूसरे पर, बिना ध्यान दिए आपने मैं मॉस्ट गुजर जाते थे । दुबली पतली कराएं काफी संख्या में इधर उधर फिरती रहती थी । गंगा के किनारे पर असम के घाट बने थे । हरदम भीड रहती थी । वहाँ खडे होने पर गंगा की धारा में स्नान करते । असम के भक्तों के बीच डूबते उतराते शव और मगर मच भी दिख जाते थे । घाटों में सबसे प्रसिद्ध घाट दशाश्वमेध था, जहाँ प्राचीन काल में अशोक बाली दी जाती थी । हर जगह पंडित, पुजारी, साधु दिखाई देते थे । टप्पेबाजी काशी पहुंचे तो सांच उतर चुकी थी । उन्होंने रहा धर्मशाला में बताई और प्रार्थना जल्दी उठकर स्नानादि से नफरत होने के लिए दशाश्वमेघ घाट की और चलते हैं । सुबह के धुंधले आकाश की पृष्ठभूमि में असम के मंदिरों के आकार काले दिख रहे थे । इधर उधर कहीं कहीं किसी मंदिर में हल्का प्रकाश हो रहा था । घने कोहरे का बडा बादल नदी की छाती पर काफी नीचे उतर कटाना था । तभी कोहरे से एक मंशा कृति उभरेगी ऍम सकते हैं । वो एक दुबला पतला व्यक्ति था । उसकी आंख के अंदर तक फंसी हुई थी । जैसे लगता था कि काफी दिनों से कुछ खाने को ना मिला होगा । कमर पर सिंगल चल कंधे पर मोर्चा और हाथ में होगा । वो घट की सीढियाँ उतरकर पानी तक गया और छूकर कहाँ पडता है? बडा और ऊपर आपका सीढियों पर बैठ गया । ऍम क्यों? क्या बात है भाई इतने निराश हो? शिवाजी ने पूछा इसके अतिरिक्त में कर भी कर सकता हूँ । हसना मेरे भाग के में नहीं चिल्लाना मेरे लिए अपराध है । उसने अपना दुखडा रोना शुरू कर दिया । मैं सूरत से अध्ययन के लिए यहाँ आया था । मेरे गुरु स्वामी श्रीनाथ है । बहुत स्वार्थी व्यक्ति कुछ बहुत कम कराते हैं लेकिन खाने को कुछ नहीं देते हैं । हमेशा आधे पेट रहना पडता है । मैं उनका शिक्षक को छोडकर कुछ भी करने के लिए तैयार हैं । लेकिन लेकिन मैं तो एक बंदी की तरह रहता हूँ । यहाँ इस जीवन से ऊब चुका लेकिन आत्महत्या का साहस नहीं है । अभी अभी मैं आत्महत्या के विचार से ही आया था, लेकिन जल्द स्पष्ट करते ही कायर पापा ने मुझे घेर लिया । तुम्हारा नाम क्या है? जी नाभाग ब्राहमण मैं तुम्हारी को सहायता कर सकता हूँ । मेरी हजामत करके प्रातःकालीन प्रार्थनाएं पडता । जैसी आपकी इच्छा लेकिन पारिश्रमिक तो मिलेगा ना? अच्छा नहीं । ऍम क्यों नहीं कर लेते हैं मुझे ये विधि मालूम नहीं और फिर मेरे पास समय भी कम है । शिवाजी के बाल फिर बढ गए थे लेकिन इतने नहीं कि पहचाने जा सकने की संभावना होगा । नाभा ने शिवरतन से कार्य शुरू किया । सोलापुर में अलीकुली का लालच उन तो कीमती हीरो से कम होने की बजाय और अधिक बढ गया । वो ये दिखाना चाहता था कि वो भ्रष्टाचार से अलग है और शहंशाह के प्रति पूरा खदान उसने शिवाजी के जाने के बाद चौबीस घंटे बाद ही शोर मचा दिया । वकील खान जो उन दिनों वहीं आया हुआ था । सतर्क वॅाच की और अलीकुली ने कौन सेना के ऐसे समूह के बारे में बताया जो बात में उदासियों के रूप में बदल गया था तो उसका संदेह विश्वास में परिणत हो गया । तेजी से उनके पीछे चल पडा और जस्ट शिवाजी काशी पहुंचे । वो भी वहाँ ज्यादा का । जब शिवाजी दशाश्वमेघ घाट पर नित्यकर्म से निवृत्त हो रहे थे तो सारा नगर बिग लू और दोनों की आवाजों से गूंज उठा हूँ । शाही फौज के सबाही उन्हें सारे शहर में इस बात का ऐलान कर दिया । शिवाजी को काशी में देखा गया है और वो एक भगोडा है । तो नाभा ने भी ये घोषणा सुनेंगे तो शिवाजी को खोलने लगा । वो भी फॅमिली रहे । बोले मैं शिवाजी हो, अपने हाथ आगे बढाओ । नाभा ने हाथ आगे बढाते । शिवाजी ने उस पर कुछ रख दिया और बोले आप इधर उधर मत देखो, अपना काम करते रहो । नाभा ने सम्मति मिस्टर मिलाया और फिर मंदिर चारण करने लगा । शिवाजी चुप चाप रिकॉर्ड चलती है । जब लावा मंत्र बात कर रहा था तो सफाई वहाँ कुछ देर रुके और फिर से पूछा में लगा देखकर चुप चाप चले गए । उनके जाने के बाद नाभा ने अपना हाथ खोला । उसमें नौ बहुमूल्य धीरे नाम आपने गुरूस्वामी श्रीनाथ के पास नहीं गया तो आप अपना सामान उठाया और सूरत की रहा । पता नहीं कुछ महीने बाद जब वहां पहुंचा तो उसने बहुत बडे भवन का निर्माण कराया और चिकित्सालय खोल दिया । वर्ष ऊबा । जब प्रसिद्ध मुगल इतिहासकार काफी खान उससे मिला तो लाभा ने अपनी संपन्नता का ब्रेन उसे बता दिया । काफी खान बनाऊँ । अच्छा तो शिवाजी इस तरह शहंशाह के पंजे से निकल भागा था अक्षय से शिवाजी कया की और चलते है उनके सारे । साथ ही अलग अलग गुटों में बटकर विभिन्न रास्तों से रवाना हो गए । शिवाजी ने नहीं राजी और प्रभु मित्र को अपने साथ रखा । कृष्णा बंद को उनकी सेवाओं के लिए काफी धन देकर मथुरा वापस भेज दिया गया । इन तीनों ने फेरीवालों का रूप धारण कर लिया । तभी इनकी भेंट हीराजी । वर्जन और मुस्तान देखते हुए तो लोगों को कैसे पता चला, हम लोग यहाँ लेंगे । शिवाजी ने पूछा हमने अनुमान से काम किया महाराज, आपने प्रचार किया था कि आप पश्चिम की तरफ यात्रा कर रहे हैं । हम समझ गए कि इस प्रचार के पीछे धर्म फैलाने का उद्देश्य होगा । इसीलिए हमने से विपरीत दिशा पकडी । आपसे काशी में मिलना चाहते थे, लेकिन संभव नहीं हुआ तो जल्दी से जल्दी यहाँ गए । मैं तुम दोनों को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ हूँ । शिवाजी ने कहा अच्छा त्रियंबक और कोर्ट दे क्या? कर रहे आग्रह में दत्ता, त्रयंबक और रघुनाथ कोड नहीं । अगले ही दिन पकड लिया गया । चीन में बंद है । अंतिम समाचार यही है कि आप का अता पता जानने के लिए उन पर अत्याचार किए जा रहे हैं । कुमार रामसिंह पर भी और आपका क्रोध वर्ष उससे सारे पद छीनकर उसे देश निकाला दे दिया गया । शिवाजी के मस्तक पर चिंता की रेखाएं उभर आई । मैं अपने को छमा नहीं करता हूँ । काश में सुन तो कारण बना होता है । आवास दुख मीटिंग हुई थी गया से निकलकर पैदल ही तेजी से घर की और बडे गोण्डवाना हैदराबाद और बीजापुर प्रदेशों से गुजरे । क्या अपना बहुत कठिन थी । हर कदम पर खतरा पहचाने जाने की आशंका प्रतीक को परेशान करती रहती थी और पकडे जाने पर स्वतंत्रता प्राप्त करने की मुगल आतंक का सामना करने की उस से लोहा लेने की संभावनाएं लगभग खत्म हो जाती थी । सकुशल घर पहुंचने की कल्पना से नवनिर्माण, हिंदूराष्ट्र और मुगल आतंक को समाप्त करने के सपने पूरे होते दिखाई देते थे । उन्होंने सन्यासियों का रूप छोडकर अब व्यापारियों का देश भर लिया लेकिन इससे भी खतरा कम नहीं हुआ था । इसीलिए वह जब जैसी स्थिति आती थी, उसी के अनुसार देश बदलते रहते थे । फॅमिली पहुंचकर उस सब लोग मुगल सिपाही बनकर वहाँ के फौजदार से मिले । शिवाजी ने कहा, हम शिवाजी का पीछा कर रहे हैं । रास्ते में हमारे खोडे चुरा लिया गए । हमारे लिए कुछ करो का इंतजाम कर दो ताकि हम तेजी से उनका पीछा कर सकें । हम पहले ही काफी पीछे गए हैं । पहुंॅच हमारे पास फालतू बडे नहीं है । मेरे पास जो घोडा है उस पर मैं अपने आप उस भगोडे का पीछा करके पकड लूंगा । वो लोग पश्चिम की तरफ गए हैं । जल्दी जाओ भाषा तो मैं बहुत नाम देगा । पहुंॅच जल्दी जल्दी बहुत से सपाइयों को इकट्ठा किया और शिवाजी की खोज में निकल पडा । लेकिन काफी देर तक हूँ । इधर उधर टक्कर मारकर लौटने पर जब उसे पता चला कि शिवाजी की खोज में भेजने वाला व्यक्ति खुद शिवाजी था तो उसने सिर पे लिया । सिंधी पुरम में उन लोगों ने एक नाटक मंडली का रूप धारण कर लिया । वहाँ अर्जुन नामक नाटक भी अभिनीत क्या? हालांकि नाटक बहुत अच्छा नहीं था लेकिन फिर भी लोगों ने उसे पसंद किया और उनसे कुछ दिन रुकने की प्रार्थना की । प्रतिन शिवाजी नहीं माने । अगर हम कहीं एक दिन से ज्यादा रुक रहे तो हम पर शाह पडेगा । अरे हम तो हम तो जो भी हम भाई उन्होंने कहा और चलती है । खर्च ना बाद में वो लोग पांच बाल बच्चे शिवाजी पैदल चलते चलते बहुत थक गए थे और थोडे पर चलना चाहते थे । उन्हें थोडा का स्वागत मुर्तजा मिला । शक्ल सूरत से बुक काइयां लगता था । उसकी स्थिति बहुत कर्कशा थी । अभी कम उम्र थी । अनुभव बहुत से कहने को मुर्तजा की औरत थी घर में और बहुत से आदमी आते जाते थे । मुर्तजा का अनुशासन बिल्कुल नहीं मानती थी । हारकर वो यही कहता था मैं एक बात रात में ही सही कम से कम दिन में मत आने दिया करेंगे । उसके पास चार खडे थे । शिवाजी ने अच्छी तरह का निरीक्षण किया । ज्यादा काम लगेंगे । उन्होंने पूछा एक के दो रुपये? मुर्तजा की पत्नी चांदनी ने कहा शिवाजी मुस्कराये क्या कोई आदमी नहीं है? बातचीत तय करने के लिए वो घोडे खरीदता है और मैं सौदे बनाती हूँ तो तुम कुछ काम करोगी । दम ना एक दो रुपये और आठ रुपये हुए लेकिन हम चारों को नहीं बेच रहे हैं । आपको तीन मिलेंगे हूँ बेगम साहिबा ये उच्चारण उसे भला लगा । वो प्रसन्न मंत्री बोली वो पहाडी चुहा आग्रह भाग निकला है । वो उस तरफ आया तो उसे पकडने के लिए कपडे की जरूरत पडेगी । कौन सा पहाडी जो शिवाजी मुस्कुरा रहे थे । शिवाजी भाव मैंने उसके बारे में सुना है । हर कोई बात नहीं मैं तीन घोडे ही ले लूंगा और उन्होंने एक स्वर्ण मुद्रा मारते जाकर हाथ में थमा । पति पत्नी की आखिरी इतना पैसा क्यों? चांदी ने पहनी नहीं । वहाँ से ढूंढते हुए पूछा हूँ हूँ शिवाजी तो नहीं शिवाजी ने आप हरी और बोले हूँ । उसके बाद अपने पास सब कुछ देकर भाग रहे हैं । पास कर सब खत्म हो चुका था और खोडे भी नहीं मिले थे तो जाने चांदी की तरफ देखा । हमें अफसरों को खबर कर देनी चाहिए । मुझे देश में गांवों से उसे घूमती रही फॅस पर यकीन करेगा । मैं सिर्फ एक शर्त पर मान सकता हूँ । इसके बाद तुम किसी आदमी को घर में नहीं बढा हुआ है । चांदी ने अपने हाथ में रखे सोने के सिक्कों और हीरो को देखा । फिर बोली ध्यान हुए परेशान होकर शिवाजी मत भारत की ओर मुडे । बेंगलूर में उनका सामना अहमद खान से हो गया । वो भी उनका पीछा कर रहा था । लेकिन उसी कल्पना भी नहीं थी कि शिवाजी सन्यासी के रूप में सफर करेंगे और वो भी पैदल लेकिन जब गोंडवाना में था तो उसे अकील खान से खबर मिली थी कि शिवाजी और उनके साथ ही बैरागियों के रूप में सफर कर रहे हैं । अहमद खान सतर्क हो रहा हूँ । उसे माल काली की घटना भी पता चल गई । वो भाषा बाद आया तो मुर्तुजा ने सारी पास क्या सुनाई? अहमद खान ने उसके सिक्कों के फैली पुरस्कार के रूप में दी और आगे बढ गया । थोडी थोडी दूर पर घोडे बदलता हुआ तेजी से आगे बढता रहा । उसे शिवाजी के आगे बढने की खबरें मिल रही थी । आप है उसको बेंगलूर में शिवाजी को देख लिया । शिवाजी अकेले नहीं थे । उसके साथ तीन साथी और भी थे । मुस्तान । एक ने अहमद खान की जासूसी की और लोगों को खबर देते हैं ये हम कौन है? चौधरी ने पूछा मैं समझता हूँ वही वो आदमी है जो आपके बच निकलने के दिन आप की हत्या करने वाला था । मेरी हत्या करने वाला था लेकिन तुम्हें कैसे पता चला? गिरफ्तार होने से पहले हम सिंह ने बताया था । बोलू उस वक्त छोटे से गांव में थे । तभी अहमद खान दिखाई पड गया तो रुक गए । जब करीब आया था । शिवाजी ने उसके खोडे के पास सामने नीचे उतर अहमद खान मेरा साल है, तुम काफी दिन से मेरा पीछा कर रहे हो । अहमद खान मुस्कराया लेकिन मुस्कान केवल यंग चल काका हमने हुआ नहीं वाकई मुझे बहुत दिन इंतजार करना पडा । शिवाजी वो थोडे सपोर्ट पढाओ फिर बडा ये क्या तुम चार और मैं एक ही बात पूरी होती है मेरे साथियों को तो पापी को हाथ लगाने की आवश्यकता नहीं पडेगी । मेरे साथ ही सुवर को नहीं । छोटे अहमद खान कुराकर खंजर खींच लिया तो चीन और कर मुझे बहुत बहुत खुशी होगी । पर अब सर खान की तरह वाले मिलना शिवाजीने मुस्कुराकर कहा अहमद खान उनकी और थोडा तो उन्होंने उसका हाथ पकडकर मरोड दिया । खंजर दूर जा पडा फिर तरह खडे ही राजीव आवास इराक हजार सवाल कर रहा हूँ, अच्छी यादगार रहेगी जीना जीना उडे उठाकर अपने फेंटे में खोल लिया और तब दोनों भेज गए अहमद खान बडा और तेजी से सिर ऊपर उठाया तो शिवाजी की छाती में लगा वो लडखडाकर पाँच छे गिर पडे । अहमद खान तेजी से उनके ऊपर पडा हो रहे हैं और उन के हाथ के पिछले हिस्से अहमद खान पर प्रहार किया । वो एक तरफ गिर पडा ही झटका देकर उठाया और उसके बंदी और हंसली हाँ पर खूब बार उच्च चलता रहा । शिवाजी रुके नहीं । उन्होंने मूॅग अहमद खान से दोहरा हो गया । शिवाजी उसे उठाया और ऍम लगाएगी हूँ । नीचे चुका जबडे पर चोट पडी है तो उन्होंने वहाँ पर ऐसी छोटे लगाई लगभग ऍम फिर उठने का । आप आप किसी को नहीं मार सकेगा । शिवाजी हाफ रहे थे । इससे खत्म कर दीजिए । महाराज मस्तान रैंक ने कहा ये तो कभी का खत्म हो गया । अब एक शिवाजी मुस्कराये । वहाँ से वो लोग गोदावरी के किनारे पर आ गए । स्नान किया और आराम से हो गए । उसके बाद इधर उधर घूमते हुए एक किसान की झोपडी में पहुंचे । सभी बहुत रुके थे । वो नाबालिग के बाद है । शिवाजी ने ऊंचे स्वर में उच्चारण किया । हाँ प्रे का दरवाजा खोला और एक किसान अपनी पत्नी के साथ बाहर आ गया । उन्होंने बाहर खडे संन्यासियों को नमस्कार क्या? यानी शिवाजी और साथ ही संन्यासियों को स्वागत है । स्वामी जी हमारा घर पवित्र हो गया । किसान ने हाथ छोडकर कहा नमून नमाशिवायम । मैं उस पर उभरा जब खाना खा रहे थे तो इस तरी ने कहा महाराष्ट्र हमें जमा कीजिए । हम हमें से अच्छा खाना खिला सकते थे लेकिन लेकिन मराठी में हमारा सारा सामान चुरा लिया । हाँ, थोडे दिन पहले बहुत बुरा होगा । शिवाजी पर पता है भगवान करे वो शिवाजी की नहीं सकते । ये सब उसी के कहने पर होता है तो कितनी हानि हुई होगी । उन्होंने पूछा उन लोगों ने बता दिया तो शिवाजी ने उनका नाम पूछा जी, मेरा नाम शामू है और मेरे पत्नी का नाम प्रीति । शिवाजी उन्हें कभी नहीं भूले । जब उस सकुशल अपने किले में पहुंच गए तो उन्होंने उन दोनों के लिए काफी सारा धन भेज दिया । इससे आगे पूर्व सन्यासियों के रूप में खेत खाते हुए पढते रहे । आखिर महाराष्ट्र पहुंचकर उन्होंने चैन की सांस नहीं हूँ । अपनी सीमा में प्रवेश होते ही शिवाजी संतुष्ट हो गए तो घटनाओं के बाल धरती पर बैठ गए से सकते लगे । आंख कालू को भी होते हुए बिट्टी तार करने लगे । बाकी सभी भी पास खडे होकर भावभीने मन से उन्हें देखते रहेंगे । उसकी आंखों में भी आंसू बिहारी धरती शिवाजी पाॅड हाँ, मेरा ॅ हूँ । उनका मुख गंभीर था । वो पूरी हो चली थी । वैसे मुखमुद्रा सौ में थी लेकिन उन्हें रोज आते देर नहीं लगती थी । उनके सामने लाना जी मसूरी बोपल संभाजी कभी जी और अन्य वीर खडे थे । वो सभी अनन्या फिर थे । हम मुगल इलाके का चप्पा चप्पा छान मारेंगे । माताजी ताराजी ने कहा आपके सोचती हैं फॅार पकडे गए मैं नहीं जानती । सावन में पाँच निकला था और कार्तिक बीत रहा है । सफर लम्बा है और हमें अब तक कोई सूचना नहीं मिली है । ये चिंता हो रही है । अच्छा नहीं क्या बात है । लेकिन तब तंग मैं शासिका हूँ, कोई उसकी खोज में नहीं जाएगा लेकिन क्यूँ मगर युवा जीवित है तो जल्दी ही आ जाएगा और वो वो जीवित नहीं है तो हमें शीघ्र ही सूचना मिल जाएंगे । लेकिन माता जी संभाजी कभी जी ने कुछ कहना चाहता हूँ तो तुम चले जाओगे तो साम्राज्य की रक्षा कौन करेगा? वो देशद्रोही जयसिंह पांसी घूम रहा है । मौका पाते ही खाद करने से नहीं चूकेगा । क्या तुम ये समझते हो तो उस को पिक्चर यहाँ नहीं घूम रहे होंगे । नहीं कोई खोज करने नहीं जाएगा । उन्हें बात का मर्म समझ में आ गया । अब ठीक कह रही है । बताइए वो पंत ने कहा एक सैनिक में प्रवेश करके अनुमानन क्या आपकी आवाज है ना जी? दवाई ने कहा कुछ सन्यासी आपसे मिलने आए हैं । ऍम उन्हें भीतर भेजता हूँ । वो बाहर की और चली सैनिक चार सन्यासियों को लेकर आ गया हूँ । नीरज जी मुस्कराए । अम्बा भवानी आपका मंगल करेंगे । जीजाबाई ने हाथ जोडकर सिर झुका दिया । अभी शिवाजी पीछे से निकल कर उनके पैर ऊपर गिर पडेंगे । ये ऍम गई । स्वामी जी, आप ही क्या क्या है? वो सन्यासी सुबह रहा था । उसका सिर चुका ना हो रहा था । जीजाबाई और अन्य उपस्थितजन परेशान थे । वो नीचे चुकी है । उन्होंने उस सन्यासी का मुख्य ऊपर उठा और तब तक आप उनकी आखिर दस पारित हो उठे । भराई उनका बेटा उनके सामने था हूँ । पागलों की तरह चल रही हाॅट गई । लोग स्तंभित रह रहे हैं । शिवाजी ने खडे का उल्लंघन किया । उसके बाद रोती पालक पीछे जवाई को अंदर ले गए । शिवाजी के लौटने की खबर बिजली की तरह सारे महाराष्ट्र में फैल गया । जगह जगह दीपमालाएं अर्जित की गई । प्रभात फेरियां निकाली गई हूँ । बहुत पसंद थे क्योंकि उनका खोया साहस लौटायें । दक्षिण ॅ जयसिंह को उसकी करनी का फल मिला । उसे पद से हटा दिया गया । उसने अपना धर्म और देश के साथ विश्वासघात किया था । एक विदेशी की दासता स्वीकार की थी । राम सिंह की दुर्गति पर बहुत शुद्ध था और अब उसी के साथ ये दुर्घटना हो गई । शर्म से मुंह छिपाकर उत्तर की ओर चल दिया । लेकिन दिल्ली नहीं पहुंचा । बुढानपुर में ही उसकी मृत्यु हो गई और उन जेब में अपने आखिरी वसीयतनामे में लिखा होता शासन चलाने का सबसे बढिया तरीका यही है कि कहाँ क्या हो रहा है । इसकी खबर हरदम मिलती रहे जरा सी देर चूक से काफी परेशानी उठानी पडती है । सडा सी लापरवाही से वो पद्माशा शिवाजी बचकर भाग गया जिसकी वजह से अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में नहीं मुझे इस तरह की लडाइयां लडने पडी हैं । कई झंझटों में भरना पडा हाँ ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

सुलतान कारनानी की सेना का सूबेदार कालाचंद राय धर्मनिष्‍ठ ब्राह्मण था। सुलतान की बेटी दुलारी ने उस पर मुग्‍ध होकर विवाह करने का फैसला लिया, लेकिन धर्म के खातिर उस ने यह प्रस्‍ताव ठुकरा दिया। लेकिन समय बदला और उसने दुलारी का हाथ थाम लिया। फिर शुरू हुई धर्मांध ब्राह्म्‍णों की कुटिलता की कहानी- इंसान को हैवान बनाने का सफर। जाने वह पहले कालाचंद राय से मोहम्‍मद फर्मूली बना और फिर बना काला पहाड़ कैसे बना?
share-icon

00:00
00:00