Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
काला पहाड़ -09 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

काला पहाड़ -09 in Hindi

Share Kukufm
729 Listens
AuthorSaransh Broadways
सुलतान कारनानी की सेना का सूबेदार कालाचंद राय धर्मनिष्‍ठ ब्राह्मण था। सुलतान की बेटी दुलारी ने उस पर मुग्‍ध होकर विवाह करने का फैसला लिया, लेकिन धर्म के खातिर उस ने यह प्रस्‍ताव ठुकरा दिया। लेकिन समय बदला और उसने दुलारी का हाथ थाम लिया। फिर शुरू हुई धर्मांध ब्राह्म्‍णों की कुटिलता की कहानी- इंसान को हैवान बनाने का सफर। जाने वह पहले कालाचंद राय से मोहम्‍मद फर्मूली बना और फिर बना काला पहाड़ कैसे बना?
Read More
Transcript
View transcript

दोपहर डल गई । शाम होने पर जयपुर महल का सन्नाटा । पहरेदारों को अजीब लगने लगा । महल में कोई आवाज नहीं थी । आज तो कोई शिवाजी को देखने भी नहीं आया था । धीरे धीरे अंधेरा घर नहीं लगा, लेकिन महल में कहीं रोशनी नहीं हुई । अब उन्हें कुछ संदेह हुआ । वो सब अंदर भागे । सारा महल देख डाला गया, लेकिन कहीं कोई नहीं मिला । सब मूर्खों की तरह खडे रह गए । किसी की समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाए । मशालें जलाकर घबराए हुए पहरेदारों ने पवन का कोना कोना छान मारा । पीछे बाजी ये उनके साथियों का कहीं कोई सुराग नहीं मिला । एक बीमार आदमी के बारे में उल्टी सीधी बातें कहने के लिए ही अगला ने हमें ये सजा दी है । रफीउद्दीन ने घबराते हुए छोड में कहा, उसका उतना हुआ था । लेकिन अब क्या किया जाए? मोहम्मद असादुल्ला ने पूछा, पर आप खान को खबर करने के अलावा और क्या किया जा सकता है? और आपने कहा थोडी देर बाद वो सब फ्लॉप खान के घर की तरफ जा रहे थे । उस वक्त हालात खान अपनी युवा पीवी अफसाना के पास बैठा था । उसके तीसरी बीवी थी बहुत सुन्दर, उसके होठों पर वासना की छाप देंगे । काम अच्छे से उसका शरीर का रहा था । वस्त्र ॅ हो रहे थे । हाँ खान शाह दिए हुए था और उसके पीछे भाग दौड कर रहा था । अफसाना का नाजुक विरोध उसके कहता हूँ टू बजा रहा था वो कभी पास आती थी तो कभी छिटक कर दूर खडी होती थी । इसी से पाला खान की काम अच्छा और भडक गई थी । फिर उसने नाजुक अपसाना पकड लिया लेकिन तब भी कम वक्त दरवाजा खटखटा उठाऊँ पहले तो उसने दस तक पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब खटखटाहट पडती गई क्योंकि उठाएंगे बचाने की उसका दिमाग में ये बात आप की कहीं कुछ गडबड है । गाली देते हुए जल्दी जल्दी कपडे पहने, दरवाजा खोलकर बाहर आया तो देखा शाहपुर महल के सारे पहरेदार हाथ में मशाले लिए खडे हैं और सबके चेहरे उतरे हुए हैं । उसका फोन भडक उठा तो तो हम लोग यहाँ क्या करने आए हो? जयपुर महल की पहरेदारी छोडकर यहाँ तो वो खडा सब लोग ऍम मशाली थरथराई लेकिन किसी की सवाल ना खोलेंगे । खबर है क्या बात है बोलते करेंगे छुट्टियाँ और कैंसर का प्रोफइल तीन हमारी आवाज में कहा हालत खान का शरीर हो गया वो लडखडा गए करने से बचने के लिए तरफ ऐसा काम कर ऍम कैसी उसका काला होना हुआ था । हमें नहीं मालूम सरकार । रफीउद्दीन ने कहा वो अंदर था, कोई आया गया नहीं । आप मस्तान पे एक और ही रची जरूर दवा लेने गए थे । शाम होने पर जब अंदर रोशनी नहीं हुई तब हमने अंदर जाकर देखा और आप खान ने बात ठोक लिया । कम ऍम उसके सारे शरीर से पसीना छूट रहा था । मैं शहंशाह से क्या कहूंगा? वो निराशाओं से बुदबुदाया और फिर अपना मैं व्यक्त होने पर लज्जित होकर घर जा तो जाॅब जब तक गंभीर का कोई वो नहीं आता तब कैब में हो । अफसाना उदास लेटी उसकी प्रतीक्षा कर रही थी । कितना चोट लगा दिया उसने उलाहना दिया मैं कितनी तीर से इंतजार कर रही हूँ । बदन चल रहा है हालात खान ने उसे पूरा । उसे लगा कि वह बहुत फूहड और सूरत है । उसने अफसाना के ऊपर सौ ऍम पहले हम बाहर वो एकदम उठ खडी हुई ऍम अब और बारह उसे नौकरी ठीक छुट्टी हुई । बुदबुदाई खान में उसका हाथ मरोडकर पर गिरा दिया और फिर बाहर चला गया । कपडे बदलकर घोडे पर सवार हुआ और शाही महल की तरफ चल पडा । शाही महल में धुंधला प्रकाश फैला था और उनसे करती पर बैठा हुआ एक खंजर से खिलवाड कर रहा था । उसके सामने अहमद खान खडा था । मंझोले कद का हट्टा कट्टा व्यक्ति उस व्यक्ति का चेहरा गाडी से ढका हुआ था । आंखों में शैतानी ठाक रही थी । आज रात में कम कर दो और रंजीत ने कहा छियालीस जाते पूरी होशियारी बरतना । वहाँ काम तेजी से होना चाहिए और उस चीज में खंजर उसे दे दिया । मुल्ला ने अजान दी तो औरंगजेब ने उसे जाने का इशारा किया और नमाज के लिए उठ खडा हुआ । नमाज पढने के बाद जब महल में लौटा तो देखा हैरान परेशान पडा । खान खडा है उसे देखते ही पडा खान कुत्तों के बाल उसके पैरों में गिर पडा हूँ । होनी चाहिए फॅमिली जहाँ मुझे पक्ष दीजिए मुझे माफी दे दीजिए ऍम वो रो पडा । रंजीत का चेहरा उतर गया । आखिर सिकुड गई और वो तुम्हारा जादू वाले काला जादू ऍफ कर दीजिए । बकवास पाॅड ऍम क्या है अगर फिर ऐसी बकवास की तो अहमद खान को बुलाकर अंतडियां निकलवा दूँगा । कौन से ज्यादा बात कर रही हूँ । ऍम गया तो कमजोर आवास में बोला । दोपहर तक मैंने उसे वहाँ देखा था लेकिन तू वो अचानक हो गया । कोई नहीं जानता कि वो आसमान में उड गया या समीर उसे निकल गई । ऊंचा दूर था अलीजा अहमद ऊॅं और उनसे घायल शेर की तरह कर्ज उठा आखिर लाल हो गयी पांच पाँच निकला हम कहाँ थे और पहरेदार क्या कर रहे थे? फॅसने लगा मैंने उन्हें चेल खाने में डाल दिया । हुजूर और अच्छे ताली बजाई तो पहरेदार अंदर घुसा ॅ चलाते फ्लॉप खान को बातचीत कर ले गए । बच्चे अपने कमरे में जाकर लेट गया । रह रहकर आप पूछ रहा हूँ अहमद खान लौट आया जब ही तो खाली जहाँ जाना है मैं जानता हूँ । औरंगजेब ने कहा और फराह खान की कहानी तो हरा दे अहमद खान के चेहरे पर छोडो भरा है आज क्या तुम्हारा काम? फराह खान और पहरेदारों का खात्मा और उस चीज में डरावनी आवाज । बहुत मीडिया जहाँ बना और अभिजीत की आंखों में घिनौना भाव झांक रहा था । काम सर पूरा होना चाहिए । अहमद खान यहाँ नहीं तो कहीं और सही । शिवाजी को मारना ही चाहिए उच्च वहाँ तो मैं जहाँ भी मिल जाए खत्म कर देना पानी वो जरूर पकडा जाना चाहिए । उसकी गिरफ्तारी बहुत जरूरी है और जितने कहा शिवा जी और उनके साथ ही यमुना तट पर आ गए । किनारे पर बहुत थोडी ना वे दिख रही थी । शिवाजी सबसे बडी नाव के पास जाकर मल्लाह की प्रतीक्षा करने लगे । थोडी देर बाद कोई धुन गुनगुनाता हुआ । एक आदमी वहाँ आया तो मैं ही हूँ । चुनाव के मतलब शिवाजी पूछा सरकार मैं ही हूँ, आप को पार कर दूंगा । शिवाजी और उनके साथ ही नाव में बैठ गए ना चलने पर शिवाजी ने पूछा हमारा नाम क्या है? मल्लाह कत्याल सरकार दूसरे किनारे पर पहुंचकर शिवाजी ने कप्तान को काफी धन दे दिया । कितने से कम का इतना ज्यादा? बहन ताना हाँ, इतना ही मैं शिवाजी हो कत्याल । हत्या की आंखें बढ गयी । वो घुटनों के बल उनके पैरों पर गिर पडा । महाराष्ट्र शिवाजी प्रवित होते है तो मुझे जानते हो आप को कौन नहीं जानता । मेरा काम करोगे? हत्यार तुम और मुझे आपको इस बात की खबर दे दो । तुमने अनजाने में मुझे अपना पार करा दी । तुमने मुझे शहर के पश्चिमी दरवाजे से आते देखा था और यही नदी पार करवाई । और हाँ ये भी बता देना कि वो लोग संभव है घर जा रहे थे । ये तो विश्वास खातों का महाराष्ट्र मैं नहीं कर सकता । नहीं ये तो मेरे प्रति तुम्हारी दया होगी । महत्वपूर्ण है कि तुम ये बात उसे बताओ कत्याल काफी देर तक सोचता रहा । फिर बोला हो जाएगा । बारह प्रत्यायन नाव लेकर चला गया तो हरनाथ बोला हमारे महान अपप्रचार महाराज अगर हम पकडे गए तो वह दुष्ट करना खतरा तो लेना ही पडता है । यह समाचार सुनकर औरंजेब इसी रास्ते पर हमारा पीछा करेगा । लेकिन हम इस रास्ते पर जाएंगे ही नहीं । इसके विपरीत मार्ग पकडेंगे, हरनाथ और अन्य व्यक्ति मुस्कुरा दिए । हम लोग तो गिरती भयभीत हो रहे थे । वो तेजी से चलते हुए एक वन के निकट जा पहुंचे । वहाँ भी राजी गेंदें और रघु मित्र प्रतीक्षा करते हुए मिले । मैं तो सोच रहा था । संभव है आपना महाराज । नीरज जी ने अपनी आशंका जाहिर की । न जाने कैसी कैसी दुर्भावनाएं उठ रही थी । मन में सब और ऊपर सवार हो गए । नीरज जी ने संभाजी को संभाला वो मथुरा की और जल्दी राहत हो गई । लेकिन रुके नहीं । सतर्कतापूर्वक चलते रहे और बहुत फटने तक मथुरा पहुंच गए । अच्छा मथुरा छोटा सा शहर था लेकिन तीर्थ होने के कारण वहाँ खूब भीड भाड रहती थी । वही एक मंदिर की आवाज शाला पेशवा मोरो त्रयंबक के साले राशि पर अपने दो भाइयों कृष्ण पंथ और विषय पंत के साथ रहते थे । वो काफी व्यस्त और दुबले पतले व्यक्ति थे । चेहरा लंबोतरा और पैनी । निगाहें सिर्फ घोटा हुआ था । एक लंबी छोटी थी नहीं । राजू ने अच्छी तरह जानते थे । उस सीधे उनके पास गए । शिवाजी आगरा से बचकर यहाँ चुके हैं । घर जा रहे हैं । कुछ दिनों के लिए यहाँ रहना चाहते हैं । सहायता के लिए मैं आपके पास आया हूँ । मैं अपनी शक्ति भर उनकी सहायता करूंगा । अक्षय पंत ने आश्वासन दिया काशी पंप के घर आकर सबसे पहले संभाजी को नहला धुलाकर खाना खिलाकर सुला दिया गया । बाद में सपने नहीं होकर भोजन किया और भविष्य की योजनाएं बनाने में जुट गए । यहाँ तो सब ठीक रहा । शिवाजी ने कहा महत्वपूर्ण बात यह है कि हम यहाँ से आगे कैसे यात्रा करेंगे । हमारा आपने किसी दूसरे मार्च से जाने की बात कही थी । हरनाथ में कहा हाँ हम लोग घूमते हुए जाएंगे । हरिद्वार, काशी गया, इंदौर गौंडवाना होते हुए लेकिन हमें भेज जरूर बदलने पडेंगे । सोच नहीं पा रहा हूँ की मुझ पर कौन सा भेज ठीक रहेगा । शिवाजी ने कहा आप कृष्ण भक्त के रूप में यात्रा कर सकते हमारा । अक्षय जी ने कहा ऍम के शिष्या बन सकते हैं । सहारा मार गौर से नहीं बन करता है । कीजिए । क्या बैरागी बन जाइए । कुछ समय बाद उदासी का रूप भी धारण कर सकते हैं । हूँ । अक्षय जी ये विचार मुझे भी अच्छा लगा । शिवाजी ने अपनी गाडी से खेलते हुए कहा । फिर बोले, अच्छा! आप लोगों में से कौन एक दिन के लिए नई का काम करेगा? सब चकित होकर उनकी और ताकने लगे तो शिवाजी मुस्कुरा ली । बोले अपने सब होने वाला चाहता हूँ, तभी तो मनचाहा देश धारण कर सकूंगा । महाराष्ट्र ये क्या? गेंद ने आश्चर्य व्यक्त किया । अरे भाई, वेश बदलना है तो कुछ न कुछ करना ही होगा । दाडी बढ्ने में वक्त लगेगा और चेहरा भी भयानक दिखेगा । बोलने में एक अच्छा लगेगा । झुका क्या है? हेलो गाएंगे हमारे पास समय कम है । यहाँ हम लोगों का हर चाय की पत्ती से गिरा है । अच्छा तो फिर आई का काम कौन कर रहा है? नीरज जी ने बयान से खंजर निकाल लिया । बोले महाराष्ट्र का मुख्य न्यायाधीश आपने छत्रपति के लिए एक दिन को नई भी बन सकता है । शिवाजी मुस्कुरा दिए मस्तान बीपी हायर है । औरंगजेब ने राम सिंह से पूछा उसके बारे में मुझे नहीं हकीम खूब खान से पूछे । तभी सफर खान ने बिल्कुल झूठा सवाल कर दिया । इन मराठी अभी अभी कहा है कि तुम ने उनकी मदद की नहीं । अब क्या क्या कहते हो तो झूठ बोलते हैं । लेकिन हमने ये कब कहा? त्रयंबक चला और फिर एक कायर के सारे होना रघुनाथ कोड देने सफर को खोलते हुए कहा वो पूना में अपनी मुझे छोड कर भागा था और हम हद हो गई और उनसे कहता है बीस तुजार इन दोनों मराठों को तहखाने में डाल दूँ, ऍम जी की सजा दी जाएगी और सफलतम तुम अपने घर में कैद हो गई तो तुम थे इसी काबिल हूँ हूँ ऍम जब सब चले गए तो फॅमिली सिंह के कंधे पर हाथ रख दिया । बोला मुझे बात बिलकुल पसंद नहीं है तो नहीं दिए सारे पोशाक और बाद ही वापस ले लिया गया है । मेरी सल्तनत की सीमा से बाहर निकल जाऊँ राम सिंह की ऍम उसने अपने ग्रुप को बडी मुश्किल से रोका और तेज आवाज में बोला जब अपने अपने सारे दोस्त होती है, आप हमारी स्वामीभक्ति पर संदेह करते हैं, इस तरह चलती है दिख जाएगी और हम आप हमेशा तकलीफ में रहेंगे और देना सवाल किए चला गया । औरंगजेब सूनी आंखों से उसे देखता रहा हूँ । मुझे नहीं करना चाहता था लेकिन मजबूरी चल मान के पास तो अश्वारोही बाते कर रहे थे । महाराज को ये पता चलेगा तो वो बहुत नाराज होंगे । सिराज जी ने कहा जैसी अल्लाह की मर्जी मतदान ब्रेक नहीं दुखी स्वर में कहा वो आगे चल रही है किधर मतदान देख पूछ रहा था । महाराज ने खबर फैलाई है कि वह पश्चिम की और यात्रा कर रहे हैं । लेकिन उन्होंने ये खबर क्यों फैलाई? हीरो जी ने कहा इसलिए पांच शाम उसी रास्ते पर उनका पीछा करें । मस्तान देखने कहा अपना समझ गया कि महाराष्ट्र किस रास्ते पर गए होंगे । उन्होंने बिल्कुल उल्टा रास्ता पकडा होगा । धीरज ने सिला हमें पूर्व की और चलना चाहिए । काशी और गया कहीं ना कहीं वो हमें जरूर नहीं जाएंगे । और उन्होंने थोडे दौडा दी है पूरब की आप अगले दरबार में औरंगजेब ने कुमार रामसिंह से अनुमति पत्र वापस ले लिया । उस की चाय दाल जब्त कर ली और मुगल सल्तनत सब निकल जाने का हुक्म चला गया । चाहे दुनिया के किसी कोने हजार मेरी संतरा की हद से धूल चले जाऊँ तो मैं जो कुछ किया है उसके लिए तुम्हारा सर तलब किया जा सकता था हूँ मैंने तो मैं पक्ष दिया तो मैं तो नहीं पसंद करता हूँ । जाओ बहुत अच्छी है । अब ऍफ है । मैं कह चुका हूँ कि शिवाजी के भाग दे देते हैं कोई हाथ नहीं, मैं पे बुला हूँ पास बस आपका फैसला नहीं होगा और मुझे फतवा दिया सरकार राजा जयसिंग के बारे में क्या होता है? अभी खान में पूछा हूँ उसे दक्षिण के सूबेदार इसे हटाकर यहाँ जेल में डाल दिया जाए । वो शिवाजी के खिलाफ ठीक तरह नहीं लग रहा है । दरबार खत्म होने के बाद अधिकांश हिंदू राजाओं ने नहीं किया कि जहाँ स्वामीभक्ति पर समझे किया जाए वहाँ काम करना सम्मानित नहीं । वो सब एक छोटे से कक्ष में खडे नहीं । कभी जीतों के धर धर आते । प्रकाश से प्रकाशित था शिवाजी सिर्फ और साडी मुड आए थे । उन्होंने घेरे हुए वस्त्र पहन रखे थे । सारे शरीर पर भस्म लगाए थे । अच्छा पात्र कमर से लटक रहा था । हाथ में लकडी थी । पोलिंग जिसमें ईधर जवाना और स्वर्णमुद्राएं, प्रभु मित्र वसुंधरा के दें हारना, चल हट आदि बैरागी साधुओं के वेश में थे । उन्हें शिशु का अभिवादन करना था । उनके वस्तुओं में भी हिंदी चव्हाण छुपे हुए थे । शिवाजी ने सोये हुए संभाजी के पालों पर हम कैसे हाथ फेरा । आपकी आंखे ही नहीं हुआ । चाहे वो ऐसा ही था तो उनका पुत्र उपकाशी जी जी और मुझे जब तक मैं उसे बुलाने के लिए किसी को ना भेजो हूँ, आप के संरक्षण में रहेगा और फिर कृष्ण जी की और देखकर बडे तुम अक्षय कुमार जानते हो, हमारा प्रदर्शन करूँ लेकिन हम से दूर ही रहना भी हमारे साथ कोई दुर्घटना घटने देखो तो व्याकुल मत होना हूँ । एक एक करके सब बाहर आ गए और स्पष्ट चाय आपके खाने अंधकार में खो गई । कृष्ण भक्ति के की खाते हुए । उसके प्रेम में नाचते हुए वो लोग रात दिन सफर करते थे । कभी कभी शिवाजी निराश होते थे लेकिन फिर जल्दी ही उस खातक भावना पर नियंत्रण पाकर आगे चलने लगते थे । मार्ग में अक्सर लोग कर उन लोगों को कृष्ण के संबंध में देश देते थे । जानता था शरीर पर भस्म लगाकर प्रदर्शन पर बैठकर खाते को देखकर टिकाएं । कृष्ण महातम्य काम काम काम कर रहे हैं । कोई वगैरह की बाबा भूत जहाँ गए उन्हें पता चला कि उनके भागने की खबर वहां पहुंची हुई है । उनके सिर पर पुरस्कार की घोषणा थी । लोगों को चेतावनी दी गई थी कि जो व्यक्ति उन्हें शरण देगा, उसका सिर कलम कर दिया जाएगा । एक छोटे से नगर लोहा नहीं अकील खाने शिवाजी को पहचान लिया । शिवाजी भी समझ गए लेकिन वह सारा भी भयभीत नहीं हुए । उन्होंने अपने शिष्यों को मृत चर्म बिछाने को कहा और फिर देखकर हाथ टिकाकर वह भीड को गीता का उपदेश देने लगे । वकील खान को पकता । विश्वास था कि वैरागी बाबा के वेश में शिवाजी ही है । थोडे से कर कर उनके पास गया हूँ । राष्ट्रीय वाजी शिवाजी अपलब्ध, निर्भय दृष्टि से सब कुछ देखते रहे । बोलेगा मेरा । हम शिवाजी नहीं शंकर जी है । मैं कोसेन हूँ सनातन को से और रूपा को सीन करेंगे । ये शिवाजी कौन है? वकील खान काफी देर तक उन्हें खोलता रहा । भीड उससे हटने को कहती रही कि वह शिवाजी को कहीं और ढूंढे । आखिर परेशान होकर वो लौट आया । अकील खान भीड के पीछे खडा होकर उनकी गतिविधियां लक्ष्य करता रहा । अभी शिवाजी ने एक बार भी उधर नजर नहीं हुआ । वो उसी तरह शांत भाव से देश देते रहे । उपदेश समाप्त करके उन्होंने भीड को जाने का आदेश दिया और तब एक तो साहस का डाला । वो अकील खान के पास गए और बोलेंगे । हाँ शिवाजी कौन है जिसे तुम मुझे समझने की गलती कर बैठे पर वो एक मराठा है स्वामी जी अकील खान ने कहा, वो शहंशाह के खिलाफ बगावत करता हूँ तो पकडा गया था । इस तारीख को भाग निकला ही सुनकर शिवाजी ने कुछ सोचने का अभिनय किया । फिर बोलते हैं रे अगर वह मराठा है तो उसी जहाँ जो ढूंढ रहे हो वो तो घर जा रहा होगा । गुजरात खानदेश और फरार होते हुए अकील खान कान खुजाकर मुस्कराया । बिल्कुल ठीक । स्वामी आपकी सूरत उससे कुछ गलती है इसीलिए आप पर शक हो गया था । शिवाजी सिर हिलाकर चल रही है । जब लोग चलने लगे तो वकील खान में पीछे से आवाज लगाएगा शिवाजी लेकिन उन लोगों ने सुना अनसुना कर दिया और आगे बढ गए । इससे अकील खान का शब्द दूर हो गया । जब सोनपुर के पास पहुंचे तो और उन जेब के आदमियों से एक बार फिर भिडंत हो गई । फौजदार अलीकुली का मिजाज उस दिन बहुत खराब था । उसकी रखेल सब्जियाँ खातून से बहुत परेशान करती थी । उसमें खाली गोली को पैक मंगा कह दिया क्योंकि वो उसे त्यौहार के लिए एक पोशाक भी नहीं दे सकता हूँ । लेकिन वह करता भी किया बिचारा सिर्फ फौजदार था । आतंकवाद नहीं कम थी । किस पर पुजारा भी मुश्किल से चलता था । ऊपरी आमदनी बिल्कुल नहीं । सोनपुर जैसी छोटी जगह में कुछ उम्मीद भी नहीं उसे गोसेवकों का एक समुदाय दिखाई दिया । दोस्त थोडा रोक लिया मॅंहगाई उसे इस मौसम में तो कहीं भी सफर नहीं करते । फिर हरिद्वार जाने वाली सडक पर ये लोग क्या कर रहे हैं? वो लोग तो कभी मथुरा से बाहर ही नहीं जाते । शाही दरबार से एक परिचित के खत से उसे शिवाजी के भागने की खबर मिल गई थी । हालांकि सरकारी तौर पर उसके पास कोई खबर नहीं आई थी । उसे कुछ हुआ, उसमें तेजी से थोडा बढा और फिर एकदम आदर्श हो गया । शिवाजी ने उसे खडे होकर उन्हें देखते हैं और फिर एकदम आदर्श होते देख लिया हूँ । मीरा जी क्या ख्याल है आपका? मेरे विचार से तो कोई डर रहे हैं । कहीं तीन खान का भाई लाने के लिए ये भी हमारे मन में जो रहना इसीलिए हमें डर लगता है । ये तो ठीक है नहीं राजी लेकिन फिर भी तो मुझे कुछ संदेह हो रहा है । अगर आपके ही सोचते हैं तो हमें उदासियों का वेश धारण कर लेना चाहिए । जब अलीकुली सफाइयों के साथ लौटा तो वह गोश्त दिनों के बजाय उदासियों को देखकर चक्कर में पड गया । उसे लगा शायद वो गलती पर है लेकिन गेंद को देखकर से ज्यादा आ गया । इस टैक्टर जवान को तो मैं पहचानता हूँ । उन्होंने गोश्त दिनों का बंदा उतारकर उदासियों के कपडे पहले है यही है वो भगोडे और उसने कुछ सब को पकडकर जेल में बंद कर दिया । हाँ महाराज चलते ही कोई उपाय सोचना चाहिए । हरनाथ चव्हाण ने कहा खेतों में पहचान गया उपाय है । हरनाथ शिवाजी ने आश्वासन दिया और अपने हाथ की लकडी का ऊपरी ढक्कन हटाकर उसमें से दो हीरे निकाल लिया । मेरा ख्याल है इससे कम हो जाएगा । क्यों नहीं अमरनाथ ने संतोष व्यक्त किया । मुझे तो आश्चर्य यह है कि उसमें हमें पहचान कैसे लिया । प्रभु मित्र ने कहा सभी आश्चर्य करते रहे । आधी रात पीटने पर फोर स्टार लौटा । गोलमटोल व्यक्त तो तेज नजर मेरे साथ आइए । उसने शिवाजी से कहा और उन्हें अपने घर ले गया । वो शिवाजी से बोला महाराज कोशियार हैं तो अलीकुली दोगुना होशियार मैं जानता हूँ कि आप ही शिवाजी है तो मैं क्यों समझते हूँ इसलिए कि आपने दो गलतियाँ की है सर । अभी अक्लमंद आदमी फौरन गलतियाँ पड सकता है और मैंने उन्हें पकड लिया । वो क्या? पहली गलती तो ये आप गो सेनाओं के कपडे पहनकर चल रहे हैं । आपको मालूम होना चाहिए इन महीनों में कोई भीगो शाहिद यात्रा नहीं करता, वो मथुरा से बाहर नहीं निकलता । दूसरे ये आपने उदासियों का बाना बदल दिया । अगर आप उदासियों के वेश में होते तो मुझे कभी शक नहीं होता । शिवाजी खिलखिलाकर हंस पडे, हस्ते रहे करे भवानी की सघन ऐसे व्यक्ति मेरे देश में जितने अधिक हूँ उतना अच्छा हो वाली कुली तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो । मैं शिवाजी ही हूँ । मुझे खुशी है महाराज ने बात मान ली । आप शायद नहीं जानते हो मैं आपकी कितनी तारीफ करता हूँ । अच्छा इस बात की खबर तुम अपने अच्छा कुछ हो गई । हमारा मजबूरी है आदमी को फर्ज तो पूरा करना ही पडता है । ठीक है अच्छा एक बात बताओ तो भारत बादशाह तुम्हें क्या इनाम देगा? इस खबर के बदले छोटा सा इनाम और शायद पद्म तरक्की ये भी हो सकता है मुझे किसी बडे शहर में भेज नहीं । इनाम इकराम कुल मिलाकर एक लाख मोहरे होगा ही पहुँचता है कि आखिर फैल गई । खुला रह गया इतनी रकम क्यों मिलेगी वाला एक लाख अरे भाई इनाम के तौर पर हरे नहीं मारा । शहर क्या इतनी बडी रकम कभी नहीं देंगे? मैं मानता हूँ लेकिन मान लो तुम्हें इतना धन मिल जाए तो तो उसका क्या करोगे? अलीकुली कुछ बोलना सका चेहरा उपयोजनाओं से लाल हो गया ये जहाँ मेरा होगा तब तो पूर्व दे गले से बोला बाहर गली में एक पहरेदार चला आधी रात बीत गए सब ठीक है सब आराम से सोते रहे हैं

Details

Sound Engineer

Voice Artist

सुलतान कारनानी की सेना का सूबेदार कालाचंद राय धर्मनिष्‍ठ ब्राह्मण था। सुलतान की बेटी दुलारी ने उस पर मुग्‍ध होकर विवाह करने का फैसला लिया, लेकिन धर्म के खातिर उस ने यह प्रस्‍ताव ठुकरा दिया। लेकिन समय बदला और उसने दुलारी का हाथ थाम लिया। फिर शुरू हुई धर्मांध ब्राह्म्‍णों की कुटिलता की कहानी- इंसान को हैवान बनाने का सफर। जाने वह पहले कालाचंद राय से मोहम्‍मद फर्मूली बना और फिर बना काला पहाड़ कैसे बना?
share-icon

00:00
00:00