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हूँ । आराम से अपने दिन गुजारने लगा । वो सुल्तान के साथ राज्य के मामलों पर बहस करता । पाइसर और डाउट को शस्त्रविद्या की शिक्षा देता हूँ । लडके सयाने हो गए थे और मोहम्मद को अपने आदर्श व्यक्ति के रूप में देखते हैं और उसी के चरण चिन्हों पर चलने की चेष्टा करते हैं । दूसरी प्यार करते थे । लेकिन वह स्वभाव से साजन था, उनको समझाने की कोशिश करता हूँ और उन्हें अच्छा योद्धा बनाने के लिए वो असीन ठहरने का प्रदर्शन करता हूँ । समय होंगे की चाल से सडक रहा था और जो जो समय गुजर रहा था वो अत्यधिक परेशानी का अनुभव कर रहा था । आखिरकार तुम्हारी ने एक कन्या को चल दिया । वो उस से मुलाकात करने उसके महल में गया । उसके तेजित होकर कहा, हम इस बच्ची को फातेमा कहेंगे तो केवल चुप्पी नहीं रही बल्कि उसके व्यवहार में साफ निष्ठुरता झलक रही थी । तुरानी ने कहा ठीक है हम इससे फातिमा ही कहेंगे ये हमारे प्रेम का भाव है लेकिन अब मैं तोहरे बच्चों की माँ नहीं बनेंगे । तुम्हारी तो मेरी पत्नी हूँ केवल नाम भर के लिए । मैं कालाचंद रायबहादुर की पत्नी थी और भी हूँ । मैं मोहम्मद फॉर्मूले की पत्नी नहीं और काला पहाड की तो बिलकुल नहीं ठीक है हूँ मैं किसी और से ने कहा कर लूंगा तो तुम्हारी मर्जी हो करूँ और धमकियों का मेरे लिए कोई मतलब नहीं है । अब मैं तुम्हारे घर बच्चे की माँ नहीं बन सकती है । तुम्हारी तुम्हारी मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम्हे पास जानती हूँ और अगर तुम मुझे अस्वीकार कर दूँगी तुम्हें तक पहुँच जाऊंगा । उसने एक बच्चे की तरह तुम्हारी फॅमिली दलीलें पेश की और धमकी आती हैं पटला नहीं पसीजा । उसने व्यक्ति से कहा आपके कदमों के सामने सारी दुनिया पडी हुई है । उसने दुलारी की कोर्ट में दस से छुपा लिया खिलाडी क्या तुम तो मैं वास्तव में मुझे अस्वीकार कर दिया है । अल्लाह की मर्जी के बाद और उसकी मर्जी होती है । मैं ऐसे इंसान की बीवी नहीं रह सकती हूँ जो सिर्फ कपडो की प्याज हो जाने के लिए खत्म करता है, विनाश की प्यास बुझाने के लिए विनाश करता है और सिर्फ अपने धर्म परिवर्तन की प्यास पहुंचाने के लिए लोगों को धर्म बदलने को मजबूर करता है । तुम्हारी मुसलमान है और हिंदू किसी बातें कर रही हूँ और उनसे प्यार करती हूँ । उदासीनता से बस करा दिया । क्या हिंदू इंसान नहीं है? हिन्दू और मुसलमान के बीच फर्क है । चंद और केवल मुसलमानों को ही रोशनी देते हैं । क्या वो धर्मों के बीच फर्क करते हैं? महानंदा हमें पानी देती है क्या? वह केवल मुसलमानों को मीठा और अच्छा पानी देती है? जब बीमारियाँ फैलती है तो क्या मुसलमानों में नहीं फैलती है? आपसे सिर्फ हिंदू चलते हैं तो खाना खाते हैं क्या वो हिन्दू नहीं खाते? मैं खुद आती हिंदू नहीं हूँ क्या आप भी एक हिंदू नहीं इस समय ना सही कभी तो आप हिन्दू थे ही क्या? केवल मुसलमान ही पवित्र ते आलू और प्यार करने वाले होते हैं । अरे अपने ज्यादा के बारे में सोची वो भी एक बहुत पवित्र हिन्दू है । क्या आप चाहते हैं कि वह मुसलमान होते हैं? तुम्हारे आप इंसान नहीं रहे क्योंकि आपके अंदर इंसानियत बढ चुकी है । आप सिर्फ एक तलवार, एक आग, एक घृणा और मौत बन गए हैं । इसके अलावा और कुछ नहीं खिलाडी है । क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती? तुम्हारी ने कहा पर विचित्र बात है कालाचंद बिना मांगे मेरे प्यार पाया लेकिन काला पहाड उस की भीक मांगने पड रही है । आप मुझे जो कुछ देख रहे हैं वो सिर्फ मांस है, कुछ दिन में खत्म हो जाएगा । लेकिन मेरे अंदर मेरे अंदर एक आत्मा थी, चौदह बढ चुकी है को खडा हो गया । उसकी आंखों में खोया कोयला था, पूरी की यात्रा की ही भांति अकेलापन और मित्र हीनता का अनुभव कर रहा था । ये सच था कि और भी बहुत सी औरते थे लेकिन दुलारी के बिना सब कुछ निरर्थक था । जीवन फीका हो गया था । वो लडखडाते हुए दुलारी के महल से बाहर निकला । उसके सबकुछ सुल्तान को बता दिया । आगे जा इस से छुटकारा पाने का सिर्फ एक ही रास्ता है या तो मैं महान मुगल अकबर की सेना में भर्ती हो जाओ या फिर आप के नाम पर लोग कुमार करूँ मेरे लिए आप ही फैसला करें । मोहम्मद मैंने तो तो मैं स्वीकार नहीं किया है । मैं तो अपने बेटे की तरह प्यार करता हूँ । मुझे छोडकर मचा होगा सारी फौज तुम्हारी है लेकिन मुझे मत छोडो ठीक हो जाएगा । मैं जौनपुर पर हमला करूंगा क्योंकि वहाँ का सुल्तान बहुत कमाल है और उसे सबका देने की जरूरत है तो उसे सबका जरूरत हो लेकिन लेकिन मुझे छोडकर मच्छा कालापहाड चौनपुर पर चढाई कर दी सुल्तान बारह वक्त शाह भी उत्तर पूर्व का एक साहसिक शासक था क्योंकि मुसलमान हमलावरों की उस आंधी के साथ आया था जो धनि और नए देशों में बचने के लिए आए थे । पुलअप रवा किस्म का आदमी था की जंग के लिए जंग का शौकीन था । अपने पडोसियों के लिए मुसीबत था एक लोहे का ऐसा चना जिसे जमाना बहुत मुश्किल था । जौनपुर के अपने अजेय दुर्ग हैं । वो काला बाहर का इंतजार कर रहा था । उसने काला बाहर के अभियानों के विषय में सुन रखा था । अब उत्साह के साथ अपनी हथेलियां मार रहा था । ऐसे एक आदमी से लडना उत्तेजनात्मक होगा और अगर वह वाला पहाड से पराजित कर सकता है तो बंगाल का संघर्षण हासिल करना बहुत आसान होगा । एक ऐसी चीज है जिसके लिए लडना ठीक है । उसने बचाव और आक्रमण की अपनी योजनाएं बनाएंगे । वो काली मौत को ये सबक सिखा देगा कि बारह वक्त ऐसा साधारण इंसान नहीं है जिसे आसानी से जीता जा सके । गाला बाहर जौनपुर की सीमा पर ठहर गया । तुरंत हसन मैं समझता हूँ कि हम एक चाल में फंस रहे हैं । सुन पानी आशा लगाए बैठा है कि मैं सीधे उसके के लिए तक पहुंचकर सामने से हमला करूंगा और जब हम के लिए के दरवाजे तोडने में व्यस्त होंगे वो पीछे से आकर हमें तब चलेगा ताकि हम चक्की में पिस चाहिए तो चुडियाला क्या? मैं इसके लिए को घेर नई हम धोखा देंगे । हम पहुंच के किस्से को सामने से हमला करने भेजेंगे । मैं यही रुका रहूंगा । तब मैं उस गंदे श्रद्धान पर चोट करूंगा तो इसलिए के सुल्तान तो करा जाएगा । कालापहाड मेरू की आवाज में कहा हमें ऐसी ही उम्मीद करनी चाहिए । काला बाहर के लिए तक आया और किले की जांच ही उसमें सुल्तान वो बाहर निकालने कि चार्ज नहीं है । बाराबंकी कालापहाड अनुसार एक ऐसी मकडी की तरह कर रहा था जो मक्खी के इंतजार में होती है लेकिन खेले पर उसे कालापहाड जासूसी पसंद नहीं है । कई दिन बीत गए लेकिन युद्ध नहीं हुआ तो आश्चर्य हुआ कि कहीं कालापहाड डरकर भाग तो नहीं गया । तब न्यूगल हसन ने सामने से हमला किया वो काले कपडे पहने हुए था । बारह खुश था की अब कालापहाड का अंत होगा । वो समझ रहा था की कालापहाड खुद हमले की अगुवाई कर रहा है । उसने अपने सफाई किले की दीवारों और बुर्जों में तैनात कर रखे थे । जब यह सफाई कालापहाड को उलझाए हुए थे उसने किले के चोर दरवाजे पर बहुत बडी फौज इकट्ठा कर लिया । बराबर खुशी से चलना है वो चाल में फंस चुका है । हमला करो टूर दरवाजा खोल दिया गया । बारह कक्षा हा की अगुवाई में पहुंच के लिए से निकलने लगी । मुख्य लेकर चक्कर लगाकर कालापहाड या जिसे वह कालापहाड समझ रहे थे इस सेना के पीछे है जोरदार शोर और पहुँच के चलना । हट के कारण नूरल हसन एक्शन को ठंड का और उसने बढकर पीछे की तरफ देखा । क्या है वो आॅस्कर उठा उसके संपत्ति कितना ठीक अंदाजा लगाया था उसने अपनी टुकडी को घुमाकर पीछे से क्षत्रों पर हमला करके नया पीहू रचा चलेगा । दरवाजा खुला और बहन से सैनिक बाहर निकलने लगे । अब बंगाली सपाइयों के बचने का कोई रास्ता नहीं था । लेकिन दूर हसन हंस रहा था । ये पडा मजाक था । काम आसान शुरू हुआ । हर सपाही मौत के लिए लड रहा था । कुछ ठीक का मांगी गई और न ही होती है । अगर कालापहाड पराजित हो जाता है तो बंगाल की सल्तनत उसकी है सोता सीधा काले कपडे वाले आदमी की और बडा तो उसका ध्यान काल्पनिक काला पहाड पर केंद्रित था । असली काला वहाँ अपने सैनिकों के साथ निकला और चौनपुर ॅ उडाने लगा । सुप्राम में खून कर पीछे देख रहा है और तो कुछ नहीं हो गया । उसमें अपने आप को बचाकर के लिए में घुसने की कोशिश की, लेकिन दो पार्टियों के बीच में पहुँच गया अपनी सल्तनत और जिंदगी को बचाने के लिए । युद्ध के अलावा और कोई रास्ता नहीं था, वो भी था । इसके बाद जो कुछ हुआ, कोई तकलीफ नाम था, लडाई अधिक नहीं । सुल्तान ने अपनी सामरिक चालू पर भरोसा किया लेकिन वो मार खा गया । जौनपुर पीछे हटी लेकिन कालापहाड था । उसने सुल्तान के सफाइयों को बता दिया । सुपान की कुछ टुकडियों ने हथियार डालकर दया की भीख मालूम । कुछ लोग गया की भी मांग मांग के मारे गए और कुछ लडते लडते । सपना मैदान लाशों से पट गया । कालापहाड सुल्तान को बहुत लोगों के बाल खडा देखा । चौंतीस कपडा हो गया । उसके अंदर मिष्ट कर दिए गए । वहाँ के लोगों को धर्म परिवर्तन और मृत्यु में से एक का अपहरण करने को कहा गया तो यही कालापहाड की नीति बन गई थी । सारी फौज खुशियाँ मना रही थी । पर कालापहाड एक आपकी और दुखी था तो बहुत अकेला पड गया था । उसके पास प्रसिद्ध सुंदरियों का चमथा उसके कदमों पर सुंदरतम कोहरियां पडी हुई थी । इसका बहुत जैसे चाहता उपयोग कर सकता था । ऍम नहीं । सबको अस्वीकार कर दिया उसके जीवन भर और अपने खूनी हमलों के दौरान कभी यौनाचार नहीं किया था । उसका बलात्कार करने वालों और शराब पीने वालों को कभी झटका नहीं । लेकिन उसने कभी इन चीजों भी स्वयं हिस्सा नहीं लिया । उसने दो पत्नी रूपाली और रूपानी से भी प्यार किया था और वो दोनों कभी उसका सारा समझा थी । और जब तुम्हारी उसकी जिंदगी भाई, उसका सारा जीवन उसी के चारों तरफ केंद्रित हो गया । कुछ जौनपुर के सिंहासन पर बैठकर उसकी पार्टी सोच रहा था । उसने अपनी हत्या करने की हवस को रोकने की चेष्टा की, लेकिन उसने उसे और फिर चिकन लिया । मंदिरों को देखकर उसका मंदिर आग लग जाती है । उनमें सब होकर अपनी ही करना का शिकार हो गया था । उस वक्त बात उसने ॅ सब हम काशी की तरफ कुछ करेंगे । उसने कहा बहुत अच्छा हो गया ना और उसने काशी पर चढाई करती काशी नरेश राजा विजय से जान बचाकर शहर से भाग गया । जैसे कायर था । उसे अच्छा भोजन और औरतों के अलावा कुछ नहीं आता कि कैसी विडंबना है कि इसी विजय सिंह के वंशज सिंह ने वॉरेंट हैस्टिंग सिंह शुरू किया और विजय प्राप्त की, लेकिन महाराजा विजयसिंह गया था । अक्षय बिना युद्ध के हार गई । एक बार फिर काला बाहर दे । अपने सैनिकों, कत्लेआम, धर्म परिवर्तन और निराश का खेल लेंगे । छूट दे नहीं हूँ और तो साफ बलात्कार किया गया । उन्हें पीटा गया और अंत में हत्या कर दी गई । मर्दों को लूटा गया, नंगा किया गया, पीटा गया । हम परिवर्तन किया गया या मौत के खास उतार दिया गया । मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया । वो क्या तोड दी गई ऍम आग लगा दी गई । सडकें खून से साल हो गए । काम का लाशों से पट काशी का संपूर्ण विनाश कर दिया गया । वो अपने तंबू में सोच विचार में खोया सूचनाओं का इंतजार कर रहा था । चार हजार मारे गए । एक हजार ने धर्म परिवर्तन कर लिया । एक टू संदेश दूसरे दूसरे ने खबर दी । तीन हजार मारे गए । एक हजार ने धर्म बदल लिया । दूध संदेश ला रहे थे । उसके बडे तंबू के बाहर भीतर चारों तरफ सैनिकों के आने जाने का शोर शराबा था । एक और तोता है । उसने कहा, केदारेश्वर लिंगम के मंदिर के अलावा सहारे मंदिर बट्टियां वेट कर दिए गए हैं । वहाँ अच्छे कालापहाड ने कहा, केदारेश्वर लिंगम को नुकसान पहुंचाना किसी को मालूम नहीं था कि वह इस मंदिर को क्यों बचाना चाहता है । लेकिन ये मंदिर बच गया । उसने काम सिर्फ अपने ज्यादा के सम्मान में किया था । इसके साथ तो परसों पहले काशी था और उसने उस मंदिर में पूजा की थी । वो इस मंदिर की और अपने दादा किस प्रति को पवित्र नहीं करना चाहता था । उन्होंने उसे पाला पोसा था । नूरल हसन ने उसे देखा कालापहाड एक परपीडक की तरह दिख रहा था । उसकी साहस करके कहा सूरेवाला अब बहुत कठोर है । उसने जवाब दिया जब तक मैं जिंदा हूं, धरती में हिन्दू धर्म नहीं रहेगा । मैं इस दुनिया के चेहरे से बता दूँ । ऍम खाई है हूँ । किसी खरवड में एक बूढी औरत तंबू में घुसी । उसका मालूम झूलते थे । कपडे चिथडे चिथडे और खून से सने हुए थे । वो अर्द्धनग्नावस्था में थी । उसकी उम्र पचास साल से अधिक नहीं । उसके तंग और मुंह में खरोचें लगी हुई थी । सपाइयों ने उसे धकेलने की चेष्टा ऐसा लग रहा था कि उनकी शक्ति उनसे अधिक जब कालापहाड से देखा तो वो खडा हो गया । तम्बू में मौत का सन्नाटा छा गया । ऍम उच्च लाकर बोली कालापहाड वो कुछ नहीं बोला, सिर्फ से खोलता रहा । ठीक कर फिर बोली पहाड मेरी तरफ देखो, मैं एक भूडी और विधवा औरत हो । मैं साथ जबरदस्ती किए गए । मैं हिंदू हूं कालापाठा इसलिए मुझे भी तुम्हारे जुल्म के खेल में शामिल कर लिया गया है । तब ही वह नहीं बोला वो एक मूर्ति की तरह खडा रहा हूँ न कौन मैं कौन हूँ? कालापहाड तुम जानते हो मेरे सताए हुए शरीर से अपने मन को समझे दुष्ट करूँ वो फिर भी कुछ नहीं बोला । उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे तो पलकों से बाहर निकलने के लिए सोर लगा रहे थे । हम तो नहीं था उसकी आंखों से आंसू बहने लगे दाहिमा केवल यही शब्द उसकी सामान सकते हाँ मैं तुम्हारी नानी माँ काला पड रहा है, हिंदू बना सकता हूँ या मैं तब तुम्हारी नानी माँ की जब तो कालाचंद थे । आज मैं तुम्हारे सामने एक ऐसी और के रूप में खडी हूँ जो हो चुकी है आप है जिससे कभी मौका नहीं मिलेगा । मैं से आवाज मान के महात् सत्र में ऐसा क्या है मुझे युगों तब वो नहीं हूँ । सूट सूट जरूर रही थी । फिर उसने अपने मुँह में कोई चीज डाल नहीं । उसने कहा मैं मैं हमेशा आप देती हूँ गाना वहां नए ऍम तुम शाश्वत आँखों में रहा हूँ । मैं तुम्हें शाह देती हूँ तो तुम्हारी मौत और लोगों की तरह साडी से नहीं होगी । ऍम देती हो तुम । आप पीडा के आतंक से फॅस और बिंदास नहीं और पूरे ये ऍम उत्तर आराम से जमीन पर गिर पडी । उसके बाद उसका शरीर बैठने लगा और उसकी तरह पडने लगेंगे । उसके मुँह से छात्र करने लगे । शीघ्र ही उसकी बडप्पन हूँ । शांत हूँ वो गाना । पहाड उसके करीब गया । उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे । उसमें इन आवासों को पूछने की ताकत नहीं थी । नरुल हसन नहीं छोक्कर वृद्धा की जांच की । उसने सपाट आवाज में कहा ये मर चुकी है । मेरा ख्याल है । उन्होंने जहर खा लिया है । सारा पहाड स्पोर्ट काटने लगा । वृद्धा केंद्रित शरीर को कम रहा था । उसके मन में अब अनेक चित्र उभरकर मिट रहे थे । उसमें हर उस चीज को नष्ट कर दिया था जिससे वो प्यार करता था । यहाँ तक कि उसने अपने परिवार के सम्मान को भी नष्ट कर दिया था । चीनी को रह गया गया । उसके जिस चीज को हाथ लगाया तो बहुत में बदल गई । तो वहाँ खडा था बिल्कुल अकेला । कोई उसे अपना कहने वाला नहीं था । वो किसी को अपना नहीं कह सकता था । फटी हुई आवाज में बोला तो सर जहाँ हर चीज को रोक तो हर चीज को नूरहसन चला गया । वो स्वाइन दिनेश को पसंद नहीं करता था और चारों तरफ तो कुछ होता था । उससे उसका मन मित्र हो करता था । काशी ने शांति की सांसद लेकिन काला पहाड में अपने आपको तंबू में बंद कर लिया था । अब से कोई नहीं मिल सकता था । उसने खाने पीने से इंकार कर दिया । वो फर्श पर लेटकर जोरों से कराता रहता था । डाॅन तंबू में ताकझांक करता हूँ और आपने सेनापति को फर्श पर उल्टा लेटा हुआ देखता हूँ । उसके समझ में नहीं आता कि वह क्या करेंगे । वो तंबू के भीतर जा नहीं सकता था तो वो जानता था कि इसके मायने मौत होंगे क्योंकि कालापहाड की जो मैंने स्थिति थी उसमें वो किसी को भी माफ नहीं करेगा । वो वहाँ तीन दिन और तीन रात पढा रहा हूँ । चौथे दिन नुरुल हसन ने तब्बू मजाक तो वहाँ कोई नहीं था । तेजी से जम्मू के भीतर घुसा और उसने चारों तरफ निगाहें घुमाएंगे । वहाँ खाना पहाड का कोई निशान नहीं था । चारों तरफ पहरा रहने के बावजूद वो कैसे गायब हो गया? एक रहस्य था लेकिन एक मेज के ऊपर नुरूर हसन को एक सीलबंद लिफाफे ऍम हाँ, पेपर शहजादी तुम्हारी का नाम लिखा हुआ था । उसने पत्र उठा लिया तो हैरान था कि उस पर चलो तो थी कहाँ चला गया होगा दुलारी ने पत्र अपने भाइयों और अब के सामने बडा हूँ । मैं प्रिया लगने वाले शब्द नहीं देख सकता हूँ क्योंकि मैं भूल गया हूँ की यार क्या होता है । मैं एक घंटे व्यक्ति हो, पिछले हर उस चीज को नष्ट कर दिया है जिससे वो प्यार करता था । अब मैं स्वयं अब मैं नाश करने के लिए जगह से जा रहा हूँ । मैं रात को चोर की तरह छिपकर भागने वाला हूँ । अगर तुम्हारे लिए मैं कुछ हूँ तो कभी कभी मेरी याद करके मेरे नाम में दो सुबह देना बचा रहा हूँ और मुझे मालूम नहीं किए कहाँ लेकिन कहीं भी जाऊँ फिर से काला चन्द्राय बहादुरी बना हुआ मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं तो देख नहीं पाऊंगा । सच में तुम से बे इन्तहां प्यार करता हूँ । आपने प्रायश्चित कर रहा हूँ और जब तक जिन्दा रहूंगा प्रायश्चित करता रहूंगा । पिता नहीं, फातिमा का तैयार रखना । सुल्तान को प्रणाम और तुम्हारे भाइयों को शुभकामनाएं । उसके आप बहने लगे और बिना किसी शर्म के रो रही नहीं । इधर सुल्तान दुख से करा रहा हूँ । उसने कहा हूँ कुछ अब तक मिले । इंसानों को सर्वश्रेष्ठ था । अब बच्चा देखिए, देखिए एक और अपने देश के लिए क्या करवा दिया । मैंने इस देश को पर बात कर दिया । इसे नष्ट कर दिया । संसार मुझे दोष देखा उसे नहीं मेरा पति था । अगर मैं उसे प्यार करती है तो ये सब कभी नहीं होता । बच्चा मैं संसार की सबसे बडी ऍम । सुल्तान ने उसे सांत्वना देने की कोशिश नहीं, पर भी ध्यान नहीं हुई । जब अकेले रहेंगे तो वो महानंदा की और एक देखने लगे । यही तो उसका प्यार जगह था और यही उसकी घृणा ने जान लिया । यही वह बंदा रही है और यही वो मारेगी । गोधुली में चकजोहरा उठना आरंभ हुआ । वो एक एक आपकी छाया नदी की और जा रही थी । कुछ आया घाट के पास जाकर एक्शन को ठिठकी फिर सी डाॅक्टर करनी चाहिए । इसके बाद दुलारी के विषय में किसी ने कभी कुछ नहीं सुना । एमाले के एक बार पानी ढलान ऍम अकेला चल रहा था । वो लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहना था । हवा पेस ऍम भरी थी । लेकिन ऐसा लगता था उसे इसकी परवाह ही नहीं है । इसके तहत लगे थे और उसकी एडियां फटी हुई थी । उसके हाथों में मिली नहीं थी । उसका शरीर अच्छा गया है और हर सांस को साथ उसका खून जम रहा था । उसके हाथ में शहर के लिए लाठी नहीं और कभी कभी वो फिसल पडता था । उसे गहरी पीडा हो रही थी और वो उसे सह रहा था । उसके चेहरे की रेखाओं उसकी पीडा अच्छा लगती थी पर वो से कह रहा था तो बार बार गिरकर खडा होता था और काट कर फिर से चलने लगता है । इसके बाद लम्बे थे पर वो अब बर्फ से ढक चुके थे । पूछ रहा था कि वो अधिक समय तक जीवित नहीं रहेगा । लेकिन वो आगे बढता जा रहा था, अमरनाथ में कहीं पर महालिंगम है, ये बहुत से पहले वहाँ पहुंच जाएगा । महानंदा गंगा और गोदावरी से मिलने और अंत समुद्र में सामान के लिए निरंतर बह रही थी । वो बिना किसी विचार और परवाह के कल कल कर रही थी । लोग उसके किनारे स्नान करने, मुझे पाठ करने और पवित्र होने के लिए एक होते हैं और उसी के किनारे उस व्यक्ति के विषय में किम दंती का जन्म हुआ । किसने विनाश किया था वो वाला पहाड को मंदिर का अफगान कहते थे जो धरती पर अपना जीवन एक विनाश करता के रूप में समाप्त करके केदारेश्वर लिंगम से एकाकार हो गया था । कैसी विडंबना
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