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हूँ कवित्व दो सौ उनचालीस खबरदार हो जाओ दुनिया वालों के अब सहन की सीमा पार हो गई है बहुत तब तब चुके बलिदानों की अग्नि में अब तब तब कर तीखी धार हो गई है सुनो उन लोगों की । अब खैर नहीं है कि जो देश का खाकर गद्दार हो गए हैं पूरे विश्व में चर्चा होता है मेरे भारत का कि दुनिया में भारत सत्कार हो गई है । बहुत समझाते आए हैं अब तक तुम को भारत की सेना अब तैयार हो गयी है है कहता हरीश सुनु कविता का के क्षमा हूँ कि सीमा पार हो गई है । खबरदार हो जाओ दुनिया वालों के अब सहन की सीमा पार हो गई है ।
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