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हूँ कथित एक सौ इकतालीस हो कैसे होगा आज के जीवों का उद्धार तीर्थ जावे मूरत पूछे रो जागृत टाॅपर गार्डी बंगला टीवी का खूब हम का हो कैसे होगा आज के जीवों का उद्धार धर्म करें दिन के हैं झगडे हजार बाली गुरुबानी करें बकरीद त्योहार का हो कैसे होगा आज के जीवों का उद्धार रहम दया दिल में न कहा है इंडो मुस्लिम या और जाती भाषा की करते बीच खडी दीवार हूँ कैसे होगा आज के जीवों का उद्धार नेता सिपाही जज वकील है बहुत होशियार और अपनी जी भर भर बढाते हैं भ्रष्टाचार हो कैसे होगा आज के जीजू का उद्धार देखो फैशन में भूला है हर घर परिवार कहता साथ सी बात हरीश कविता का विचार हूँ कैसे होगा आज के जीजू का था हूँ
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