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हूँ कवित पिचाड दें अनारी बनकर जीने का अंदाज है निराला ना कोई ऊंचा रहे नहीं कोई नीचा नहीं कोई भेद रहे गोरा और काला अनाडी बनकर जीने का अंदाज है निराला नहीं कोई मेरा तेरा का रहे झगडा नहीं कोई निर्धन नहीं धन वाला कोई कोई या नानी बाल जगह में फिर नहीं वाला विषयों की धाराओं को मूड देने वाला अनाडी बनकर जीने का अंदाज है निराला थरी से ये अनाडीपन ही छोटे चाहे टूट जाए सारी विषयों की माला अनाडी बनकर जीने का अंदाज है निराला ।
Sound Engineer