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हूँ कवित छह हूँ मेरे सब गुरु दीनदयाल दया के सागर हैं जो सहज करें भवपार ऐसे ज्ञान के अगर है दूर करते अज्ञान अंधेरा ऐसे गुरुदेव उजागर है मेरे सद्गुरु दीन दयाल दया के सागर है जिनकी महिमा है अगम अपार जाने हर नागर है दया से बडा धर्म कोई ऐसी बात बताते हैं मेरे सद्गुरु तीन । दयाल दया के सागर है गुरु शब्द में हर पल रमना काम क्रोध मद लोग से बचना हरीश कभी मैं बाली बाली जाऊँ छल रहित हो जाते हैं मेरे सद्गुरु दीन दयाल दया के सागर है हूँ
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