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हूँ और कवित सत्ताइस छोड दिया है हमने यारो जब के सभी फंसाने को जोड लिया सद्गुरु से नाता तोड के जगह के नातों को दूर हो दुनिया वालों ना छेडो हरी दीवाने को छोड दिया है हमने या रूम जाग के सभी फंसाने को यारो हमने पहन लिया है सद्गुरुदेव के बाद को मानुष तन मूल मिला है गुरु से नहीं लगा नहीं को छोड दिया है हमने यार ऊँ जगह के सभी फसा नहीं को सच्चाई पर चलना है अब छोड के सभी बहाने को अब मोड कर रहे नहीं देखना ये झूठे जमाने को छोड दिया है हमने यारो जाग के सभी फंसाने को निर पक्षी हरिभक्ति हैं करना तोड के सभी तरह को हरीश कभी सद्गुरु की दया से फिर वो आने जाने को छोड दिया है हमने यारोप जबकि सभी फंसाने को
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