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हूँ और कवित अच्छे दो हजार पूरी दुनिया लल का सके ऐसा कोई जगह नहीं आया नहीं साथ चीज बात को कहने में मेरा सब करो कबीर डेरा या नहीं पूरी दुनिया ललकारा रहा है एक साहेब कवीर हमारा है साफ साफ एक सत्य है कहते हैं झूठों सही नहीं करने वाला है जान जान में जो सामान आ गया ऐसा गुरुपीठ हमारा है पूरी दुनिया ललकारा है एक साहेब कवीर हमारा है मानव मानो एक बताया समता दृष्टि पसरा है उन से नीचे का भेद मिटाया हिन्दू मुस्लिम फटका रहा है पूरी दुनिया लल करा रहा है एक साहे कबीर हमारा है करोडों सूरज का प्रकाश अपने दिल में धारा है पक्ष बात दिल में रखते हैं छुआछूत धुत्त का रहा है पूरी दुनिया ललकारा रहा है एक साहे कबीर हमारा है जगह नहीं अनूखा नाम कवीर जो प्रेम से जीतना हारा संतों की है कमी नहीं पर कबीर नाम ही प्यारा है पूरी दुनिया ललकारा रहा है एक साहेब कवीर हमारा है देश विदेश हरेक नगर में क्या भक्ति प्रचारा है घट घट में राउंड ऍम भेद बताओ वन हारा है पूरी दुनिया लडका रहा है एक साहेब कवीर हमारा है धर्म के धन देवारों सुन लो अब ना चले तुम्हारा है हरीश कवि सद्गुरु की दया से ये पद को गांव हारा है । पूरी दुनिया लंका रहा है एक साढे कबीर हमारा है हूँ ।
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