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23. Ek Teer Se Do Nishana in Hindi

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AuthorArpit Agrawal
मिलिए सिद्धार्थ से, एक अच्छा वकील लेकिन एक बुरा इंसान। मिलिए राहुल से, एक अच्छा इंसान लेकिन एक बुरा डॉक्टर। और मिलिए शुचि से, एक अच्छी इंसान और एक बाकमाल डॉक्टर। शुचि सिद्धार्थ को एक अच्छा इंसान और राहुल को एक अच्छा डॉक्टर बनाना चाहती थी लेकिन मुंबई में हुए बम विस्फोट ने उनकी ज़िन्दगियों को उलट दिया। सुनें इस क्रांतिकारी कहानी को यह जानने के लिए कि कैसे सिद्धार्थ अदालत से एक अनोखी जनहित याचिका पारित करवाता है और कैसे राहुल एक बहुत अनोखी सर्जरी करने में कामयाब होता है उस लड़की को बचाने के लिए जिससे वो प्यार करते हैं। Follow Arpit Agrawal to get updates on his next book. • Facebook – arpit194 • Instagram – arpit1904 Voiceover Artist : Ruby Producer : Kuku FM Author : Arpit Agrawal
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तेईस ऍम हेलो मिस्टर सिद्धार्थ जनहित याचिका दायर करने की अगली रात सिद्धार्थ कोई फोन आया । महिला की आवाज से परिचित लग रही थी, लेकिन वह से पहचान नहीं सका । कल बोल रहा है मैं निमिषा दत्ता सीधी बात से अच्छा तो मेरी हालत के मजे लेने के लिए आपने फोन किया है । वैसे सकता । सिद्धार्थ व्यंग्यात्मक तरीके से मुस्कराया । मैं कभी भी लोगों की हालत के मजे नहीं लेती । सिद्धार्थ लेकिन क्या करूँ ये मेरा पेशा है । मेरी सफलता लोगों की विफलता को कवर करने में है । लेकिन चिंता न करें । इस बार मैंने आपको अपने चैट शो में आमंत्रित करने के लिए कॉल किया है । अच्छा तो आपको जब चैट शो में बुलाकर के बदनाम करना चाहती है । मैसेज दत्ता ये केस मेरे लिए जरा पहुँच स्थल है । कृपया इसे अपने शो की टीआरपी के लिए उपयोग न करें । सिद्धार्थ अब और लडने की मनोदशा में नहीं था । मैं तुम्हारी और हाथ बढा रही हूँ । अब ये तुम पर निर्भर करता है कि तुम से दोस्ती का हाथ समझते हो ये दुश्मनी का । लेकिन आप मेरी मदद क्यों करेगी? सिद्धार्थ ने सीधा सवाल पूछा क्योंकि सूची का मुझ पर एक एहसान है । कैसा ऐसा? ये एक लंबी कहानी है । उसने मेरे बेटे का ऑपरेशन किया था । प्रजातियों की आप इस जनहित याचिका को अदालत में पास करवाए ताकि सूची को बचाया जा सके और इसके लिए आपको जनता और राजनेताओं का समर्थन चाहिए और मैं शर्त लगती होगी । मेरे शो पर एक साक्षात्कार चमत्कार कर सकता है । सिद्धार्थ चुप रहा, उससे पहले कभी तरह असुरक्षित महसूस नहीं किया था । मुझे आशा है कि मुझे ज्यादा तो मैं सोची की परवाह होगी । कल सुबह दस बजे स्टूडियो में मिलते हैं । निमिषा ने फोन रख दिया । सिद्धार्थ चैट शो में भाग लेने के लिए मजबूर हो गया । शिव जी के अच्छे कर्मों के कारण उसे ये मौका मिला था । अच्छे कर्म हमारे साथ रहते हैं । हमारे मरने के बाद भी शूटिंग शुरु होने से आधे घंटे पहले सिद्धार्थ स्टूडियो पहुंचा । निमिषा ने गहरे भूरे रंग का बॉडी फिट ब्लेजर और उसी रंग की ट्राउजर को बटन वाली सफेद शर्ट के साथ पहना था । वो सुंदर और पूरी तरह प्रोफेशनल दिख रही थी । देवियों और सज्जनों नमस्कार मैं हमेशा दत्ता शो के लिए आपकी मेजबान देश के सबसे अधिक देखे जाने वाले चच्चू सीधी बात में आपका स्वागत करती हूँ । आज हमारे बीच एक बहुत ही खास मेहमान है । होना तो राजनीतिज्ञ है और ना ही कोई अभिनेता । साल की उम्र में इनके पास करियर है जो ना केवल कानूनी हलकों में मशहूर है बल्कि देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है । एक छह फिर चार इंच का आदमी जिसकी शख्सियत उससे कहीं ऊंची है । सिद्धार्थ नामचीन वकीलों में से एक है । जो जहाँ भी जाते हैं लोगों की भीड इकट्ठा हो जाती है । वो वही कहते हैं जो उनके दिमाग में होता है और बहुत बार वो आपका दिमाग भी पढ लेते हैं । अब या तो ने पसंद करते हैं या ना पसंद करते हैं लेकिन आप उन्हें नजर अंदाज नहीं कर सकते तो जोरदार तालियों के बीच में स्वागत कीजिए । सिद्धार्थ रॉय का स्टूडियो में दर्शकों की तालियों की गडगडाहट ने कैमरे के सामने सिद्धार्थ का स्वागत किया । उसके चेहरे पर मुस्कान नहीं थी फिर भी उसकी उपस् थिति माहौल को करिश्माई बनाने के लिए काफी थी । मन ही मन को खुद से जूझ रहा था । शॉपिंग म्यूजिक के बाद उसके चेहरे पर कैमरा जूम हुआ । निमिषा ने सिद्धार्थ से हाथ मिलाया और उसे शौरा क्या कि वो कॉफी टेबल के पीछे कैमरे के सामने रखी कुर्सी पर बैठ जाएगा । उस दौर के सबसे दिलचस्प टीवी सक्षात्कार का गवाह बनने के लिए लाखों भारतीय अपने टीवी सेट के सामने जमे हुए थे । सिद्धार्थ की जनहित याचिका देश में आई एक ऐसी क्रांति थी जो कि किसी चौराहे में मोमबत्ती जलानी या फिर भूख हडताल करने से काफी बढकर थी । निमिषा को पता था कि इंटरव्यू को कैसे चलाना है और अपने शो की टीआरपी को कैसे बढाना है । आखिरकार पिछले दस साल से वह उस शो की मेजबान थी । उन्होंने शो शुरू करने के लिए सिद्धार्थ से पहला सवाल पूछा । जैसा की हम सब जानते हैं कि हम सब सिद्धार्थ के द्वारा दायर की गई बहुत ही अजीब जनहित याचिका पर चर्चा करने के लिए यहाँ पर है । सिद्धार्थ सबसे पहले करते हमारे दर्शकों को बताइए की जनहित याचिका क्या होती है जिससे उन्हें ये समझने में मदद मिलेगी कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं । जनहित याचिका किसी भी जनहित के लिए मुकदमा है । कुछ विशेषज्ञों के शब्दों में हम कह सकते हैं कि ये एक मुकदमेबाजी है जो किसी भी सर्वजन हितेषी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक हित की सुरक्षा के लिए अदालत में दायर की जा सकती है । सिद्धार्थ ने समझाया, सार्वजनिक हित क्या है कि आप स्पष्ट कर सकते हैं जनता के हित या सामान्य कल्याण के लिए कोई भी कार्य सार्वजनिक हित है । उदाहरण के लिए प्रदूषण, आतंकवाद, सडक, सुरक्षा, निर्माण संबंधी खतरे आदि के लिए दायर की गई याचिका इन सभी गतिविधियों में हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि जनता का हित है । ये जरूरी नहीं है कि याचिकाकर्ता को कोई निजी परेशानी हो । जनहित याचिका, सार्वजनिक अधिकारों का समर्थन करने के लिए सामाजिक रूप से जागरूकता सदस्य ये सर्वजन हितेषी एनजीओ को दिया गया अधिकार है । इसका मतलब है कि कोई भी एक जनहित याचिका दायर कर सकता है । इसी दर्ज करने के लिए व्यक्ति को वकील होने की कोई आवश्यकता नहीं है । निमिषा ने कहा, हाँ, बिल्कुल सही और हम से कहाँ दर्ज कर सकते हैं । इसे किसी भी न्यायालय में सीधे उच्चतम न्यायालय में दायर किया जा सकता है । धन्यवाद सिद्धार्थ हमारे साथ इस जरूरी जानकारी को साझा करने के लिए क्योंकि आप की जनहित याचिका अंगदान से संबंधित है । तो आइए हमारे देश में अंगदान की स्थिति के बारे में कुछ तथ्य और आंकडे साझा करने के लिए हिंदूजा अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर जतिन कोठारी को बुलाते हैं । चालीस की उम्र के एक व्यक्ति एक अच्छी तरह से इस्त्री की हुई शर्ट को पतलून पहने हुए दर्शकों के बीच से बाहर निकले । कैमरा उन पर केंद्रित किया गया । उनकी नाक पर चश्मा टीका हुआ था और उनके चेहरे पर झुर्रिया थी । उन्होंने कैमरे के सामने अपनी सीट ली और उनके लिए एक अतिरिक्त कुर्सी रखी गई थी । डॉक्टर कोठारी सबसे पहले ये बताइए कि स्वस्थ अंगों की कमी के कारण एक वर्ष में कितने लोगों की मृत्यु होती है । स्वस्थ अंकों की कभी से प्रतिवर्ष तीन हजार अनावश्यक मौतें होती है । समस्या यह है कि हमने से अधिकांश लोग जीवन के संभावित उपहार के रूप में अपने के बारे में नहीं सोचते हैं । अगर हम सभी अपने अपने अंगों को दान करने लगेंगे तो हम हर साल हजारों लोगों की जान बचा सकते हैं । अब सोच है कि हमारे देश में अंगों की आवश्यकता और आपूर्ति के बीच में एक बहुत बडा अंतर है । जनवरी दो हजार उन्नीस तक कम से कम चालीस हजार लोग डोनर ऑर्गन्स की प्रतीक्षा कर रहे थे और उनमें से हजार पांच सौ किडनी का इंतजार कर रहे थे । बाकी बारह हजार छह सौ लोगों को दिल, लिवर, फेफडे या अन्य ट्रांसप्लांट योग्य अंकों की आवश्यकता थी । भारत ऐसा लास्ट स्टेज कॅरियर मरीज जिन्हें जीवित रहने के लिए ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, की संख्या में तीन लाख तक की बढोतरी होती है और इतने ही लीवर दिल, फेफडे या आर्थो की विफलता से पीडित होते हैं । इन सभी को सिर्फ ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है पर अंगु की कभी के कारण ऐसा हो नहीं पाता । ये सच में एक बडा संकट है । मांग की तुलना में आपूर्ति बहुत कम है । अब हमें किसी तरह की चमत्कार की जरूरत है और शायद सिद्धार्थ की याचिका ही वो चमत्कार है । मैसेज दत्ता ने टोका, धन्यवाद इतने गंभीर विषय पर हमें ज्ञान देने के लिए । डॉक्टर कोठारी डॉक्टर फिर से दर्शकों में बैठ गए । पैसे सत्ता ने कहा कि सिद्धार्थ अब कृप्या उस जनहित याचिका पर कुछ प्रकाश डालेंगे जो आप ने दायर की है । मैं जरूर समझाऊंगा लेकिन इससे पहले निवेशात्मक सरल प्रश्न का उत्तर देना होगा । जरूर पूछिए । निमिषा थोडा मुस्कुराए आपके बचपन के दिनों में जब फ्री स्कूल में थे तब अगर कोई शैतान बच्चा आप का खिलौना तोड देता था तो आप क्या करते थे? निमिषा हस्ती अगर ये सवाल किसी और ने पूछा होता तो वैसे मजाक मानकर के नजर अंदाज कर देती । लेकिन क्योंकि ये सवाल वहाँ मौजूद सबसे विवेकपूर्ण व्यक्ति द्वारा पूछा गया था, उसने जवाब देने की कोशिश की । मैं उसकी खिलोने तोड देती थी लेकिन अगर आप उसके खिलोने तोडेंगे तो क्या होगा? आपको फिर भी नहीं खिलोने नहीं मिलेंगे । निवेशन स्टूडियो के दर्शकों ने स्वाभाविक प्रतिक्रिया दी । उन्हें कोई बेहतर समाधान नहीं मिला तो मेरे पास इस समस्या का हल है उसके खिलोने तोडने की बजाय उन्हें घर ले जाए । इस तरह आपको नए खिलोने मिलेंगे और वो इतने खिलौने खोकर सजा भी पाएगा । सिद्धार्थ ने फिर दर्शकों की और देखा और एक सज्जन से पूछा, अगर आप अपनी नई ब्रांडेड कार से जा रहे हैं और एक ट्रक आकर पीछे से आपके कार को टक्कर मार दी तो अब क्या करेंगे? उसे जान अपनी सीट से उन्होंने जवाब देने में थोडी हिचकिचाहट हुई । शायद वो कैमरा देखकर के घबरा गए थे । उन्होंने फिर भी जवाब दिया की मैं ड्राइवर से अपने सभी नुकसान का भुगतान करने के लिए कहूंगा । बिल्कुल । सिद्धार्थ ने कहा और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उत्साह से उठकर के खडा हो गया । जैसे कि उसे अदालत में आदत थी । कैमरा मैंने से प्रेम में कैद करने के लिए तुरंत कैमरा एडजस्ट किया । ठीक उसी तरह जिस तरह मेरी पीआईएल है । मैं तो चाहता हूँ जो सरल है । जब कोई हमारी कार को टक्कर मारता है तो हम उसके वाहन को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं । हम बस उन्हें नुकसान की भरपाई करने को कहते हैं । आप के बदले आंख कभी किसी चीज का हाल नहीं होता । आंख के बदले आंख गांधी जी ने कहा था निमिषा ने बाधित क्या हाँ में गांधी का समर्थन करता हूँ लेकिन मैं इसका अर्थ थोडा बदलना चाहता हूँ । गांधी ने कहा कि अगर कोई तो अंधा बना देते तो मुझसे अंधा मत करूँ । मैं कहता हूँ बदला लो मगर उसकी आंखों को फोड कर नहीं बल्कि उसकी आंखों को अपने शरीर में ट्रांसप्लांट करके पुलिस, हत्यारों और आतंकवादियों को पकडती है । कोर्ट ने मृत्युदंड देती है, हमने मारते हैं क्योंकि उन्होंने भी किसी को मारा है । इसमें किसका भला है? क्या भी कहना चाहते हैं कि हमें उन्हें मारना नहीं चाहिए । हमेशा फिर बोली ये दिलचस्प पूरा था । सिद्धार्थ पैसे अपनी सीट पर आ गया । जब हम उन कैदियों को पकडते हैं जिन पर हत्या का आरोप है तो हमें उन्हें उनके लिए नुकसान की गयी भरपाई करने के लिए मजबूर करना चाहिए । सिर्फ उन्हें मृत्युदंड देने से नुकसान की भरपाई नहीं होती । फिर आप के अनुसार क्या करना चाहिए । एक बार विनाश होने के बाद वो कैसे ठीक हो सकते हैं । सिद्धार्थ के दिमाग में सैकडों विचार चल रहे थे । जितना अधिक को सबकुछ खोलने की कोशिश कर रहा था उतना ही उसे उन सभी बुरी घटनाओं को याद करना पड रहा था । उसे अपनी बात साफ कह कर के लोगों तक पहुंचानी थी । चाहिए उसे कितनी बार भी कहना पडे । आखिरकार सत्य और न्याय की लडाई हमेशा झूठी और अन्याय की तुलना में अधिक तकलीफदेह होती है । सिद्धार्थ अपना नजरिया विस्तार से बताने वाला था । जब निमिषा ने उसे टोका, वक्त छोटी से ब्रेक का कहीं मत जाइएगा । हम छोटे से ब्रेक के बाद सिद्धार्थ से हमारे देश में नवीनतम सनसनी के बारे में बातचीत जारी रखेंगे । ये शो लाइट था इसीलिए उन्हें तीन मिनट तक इंतजार करना पडा । जब तक के विज्ञापन का प्रसारण हुआ अब काफी लेंगे । निमिषा ने पूछा स्पॉटबॉय, इन्होंने कॉफी की पेशकश की नहीं शुक्रिया सिद्धार्थ ने कहा वो अपना से नीचे करके बैठ गया । निशानी एक कप कॉफी ली और अपना मेकप ठीक किया । व्यवसायिक विज्ञापन के बाद निमिषा ने कहा, देवियों और सज्जनों स्वागत है आपका । फिर शो में जहाँ आज हमारे विशेष अतिथि के रूप में मौजूद है । सिद्धार्थ रॉय और हम अपने देश के सर्वश्रेष्ठ वकील द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका के बारे में चर्चा कर रहे हैं । निमिषा ने खुद को दोहराया टीवी में वक्त इसी तरह पूरा किया जाता है । जरा देर बाद निमिषा ने सिद्धार्थ से अपने दृष्टिकोण को और स्पष्ट करने का अनुरोध किया । मैं चाहता हूँ कि अगर हमने मारते हैं क्योंकि वे निर्दोष लोग को मारते हैं तो ये उस स्थिति के सामान होगा जहाँ हम शैतान बच्चे के खिलाने को तोडते हैं क्योंकि उससे हमारे खिलौने तोड दिए थे । कैदी किसी के शरीर के अंगों को नष्ट कर देते हैं । हमें उनके कार्यात्मक शरीर के अंगों को लेना चाहिए और उनका उपयोग चिकित्सा उददेश्यों के लिए करना चाहिए । हम वैसे भी अपराधियों को फांसी देकर उन्हें मार ही रहे हैं तो क्या हम उनके अंगों का प्रयोग किसी और को जीवन दान देने के लिए नहीं कर सकते? सिद्धार्थ ने तेज आवाज में कहा, तालियों की गडगडाहट कमरा भर दिया । देशभर के दर्शकों के रोंगटे खडे हो गए । इस बात से निमिषा को भी हिला दिया । जिन लोगों ने अंगों की कमी के कारण अपने प्रियजन को अस्पताल के बिस्तर पर खो दिया उन्होंने इसे एक चमत्कारी विचार करार दिया । ये एक दिलचस् को विचार है । सिद्धार्थ लेकिन मुझे एक बात बताइए निशानी सिद्धार्थ से फिर से सवाल करना शुरू कर दिया । आखिर ये सब उस की नौकरी का एक हिस्सा था । उसे मेहमानों के विचारों से इतनी आसानी से सहमत होने की अनुमति नहीं थी । इस तरह तो शो मात्र दस मिनट में खत्म हो जाएगा । एक घंटे तक इसे खींचना उसकी जिम्मेदारी है । क्या को लगता है कि लोग अपराधियों का अंग लेना चाहेंगे? मेरा मतलब है कि लोग अपराधियों से घृणा करते हैं और वे कभी भी ये कैसे स्वीकार कर सकते हैं कि उनके शरीर का अंग कभी एक अपराधी के शरीर का हिस्सा था । उसे वाकई दिलचस्प सवाल पूछा था । कमरे में एकदम सन्नाटा पसर गया । स्टूडियो के दर्शक सवाल के उचित जवाब के लिए सिद्धार्थ को घूर रहे थे । निमिषा सहित सभी को भरोसा था कि सिद्धार्थ के पास इसका भी जवाब होगा । लेकिन सभी से सिद्धार्थ के दूसरे सुनना चाहते थे । मैं अगर आपको कोई आपत्ति रहा हो तो क्या मैं इसका जवाब दे सकता हूँ । इस से पहले कि सिद्धार्थ जवाब दे पाता, दर्शकों में शामिल बूढे आदमी ने हाथ उठाकर कहा, निदेशालय सिर हिलाया, एक माइक उसकी तरफ बढा दिया । बूढे आदमी ने कहा कि मैं युवा लडकी का पिता हूँ । दो साल पहले कॉलेज से लौटते समय कुछ गुंडों ने मेरी बेटी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया । मेरी मासूम बच्ची का कोई कसूर नहीं था । मैं कभी नहीं समझ सकता कि उन्होंने मेरी बेटी के साथ ऐसा क्यों किया । तेजाब की वजह से वो अंधी हो गई । उस दिन के बाद से दुनिया उसके लिए सिर्फ का नहीं भी जगह है । हमारे देश में पर्याप्त नेत्रदाता नहीं होने के कारण वो ट्रांसप्लांट नहीं करा सके और जिन लोगों ने नेत्रदान दिया है वो मेरी बेटी की आंखों से मेल नहीं खाते । इसीलिए अगर सिद्धार्थ की जनहित याचिका पारित हो जाती है और मुझे अपनी बेटी के लिए नहीं आंखे मिल जाती है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी अगर वो किसी आतंकवादी की है या किसी हत्यारे की । इस समय मैं सिर्फ अपनी बेटी की आंखें वापस लाना चाहता हूँ, उसका उज्जवल भविष्य चाहता हूँ । मैं देश के सभी लोगों से अपील करता हूँ कि हम सभी को इस विचार का समर्थन करना चाहिए । ये कई लोगों के जीवन को बदल देगा । वृद्ध व्यक्ति ने हाथ जोडकर कैमरे की ओर देख कर कहा अपने बयान को पूरा करते ही आदमी की आंखें आंसू से भर गई । कैमरा मैन अपना काम बहुत अच्छी तरह से कर रहा था । उसने वासियों को क्लोज आपने क्या किया और इसे लाइव टेलीकास्ट किया । भारत जैसे भावनात्मक लोगों के देश में ये शो एक सिद्धार्थ के लिए यकीनन चमत्कार साबित होगा । देश के युवा जो असल में राजनीति और कानून में रूचि नहीं रखते थे, उन्होंने भी सिद्धार्थ की जनहित याचिका में रूचि लेनी शुरू कर दी थी । ये भारत करोडों टीवी दर्शकों के लिए उस स्थिति को समझने, बदलाव को स्वीकार करने और बुरे में अच्छे का स्वागत करने का समय था । उस बूढे व्यक्ति के बोलने के बाद स्टूडियो में मौजूद हर किसी ने खडे होकर के ताली बचाई । सबकी आंखें आशाओं से भर गई । जीत की आशा, बदलाव की आशा जिसे दुनिया को अभी देखना बाकी था । निमिषा ने एक और कमर्शल ब्रेक लिया । इस बार छोटा दर्शकों में हर कोई आगे आना चाहता था और सिद्धार्थ से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहता था । उसके साथ हाथ मिलाना चाहते थे और उसके साथ तस्वीर लेना चाहते थे । शो खत्म होने के बाद आप उनसे मिल सकते हैं । वैसे सत्ता ने कहा और भीड को संभाला । शो द्वारा शुरू होने के बाद में से सत्ता ने कहा कि मुझे एक और शक है उन्हें ब्रेक में कैमरे के पीछे बैठे लेख कोनसी स्क्रिप्ट मिले लेकिन उन्हें शो के लिए कंटेंट तैयार करने में मदद करते हैं । अगर हम उनकी मर्जी के बिना उनके अंगों को निकालेंगे तो मानवता और उनके धर्म के बारे में क्या क्या ये हमें भी अपराधी नहीं बना देगा । अगर हम मानवता के बारे में बात करते हैं तो हम अपराधियों के लिए केवल एक एहसान ही कर रहे हैं । सिद्धार्थ ने जवाब दिया, हर धर्म ये कहता है कि मानवता को मारना सबसे बडा पाप है और जीवन को बचाना सबसे बडा फोन किया है । किसी ने किसी को मार कर सबसे बडा पाप किया है और भी मृत्यु के बाद अवश्य ही नरक में जाएंगे । लेकिन उन्हें अपने अंगों का उपयोग करके दूसरों के जीवन को बचाने का मौका देकर हमने मानवता के लिए कुछ अच्छा करने का आखिरी मौका दे रहे हैं । शायद तब ईश्वर उनके बापू के लिए शमा कर देंगे और उनकी मृत्यु के बाद उनकी आत्मा को शांति देंगे । क्या अद्भुत विचार है? सिद्धार्थ मनमोहक उसके बाद निमिषा के दिमाग में कुछ नहीं आया । हमारा देश हमेशा बदलाव का समर्थन करता आया है । कई वर्षों पहले हमने महात्मा गांधी का समर्थन किया । हमने अन्ना हजारे का समर्थन किया और अब हम आपका समर्थन करेंगे । अपने करीबी शॉर्ट में निमिषा ने कहा, अगर आपको भी लगता है कि सिद्धार्थ के द्वारा दायर जनहित याचिका को सरकार के द्वारा पारित किया जाना चाहिए तो हमें अपने वोट भेजेंगे । मोबाइल उपयोगकर्ता इस प्रकार से मैसेज टाइप करें और स्क्रीन पर दिए गए नंबर पर भेजे । पीआईएल फॅस यदि आपको लगता है इसे स्वीकार किया जाना चाहिए या पीआईएल लो, अगर आप को लगता है कि इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए । अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त फिर होगी आपसे मुलाकात आपके पसंदीदा शुरू सीधी बात के साथ तब तक के लिए अलविदा ।

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मिलिए सिद्धार्थ से, एक अच्छा वकील लेकिन एक बुरा इंसान। मिलिए राहुल से, एक अच्छा इंसान लेकिन एक बुरा डॉक्टर। और मिलिए शुचि से, एक अच्छी इंसान और एक बाकमाल डॉक्टर। शुचि सिद्धार्थ को एक अच्छा इंसान और राहुल को एक अच्छा डॉक्टर बनाना चाहती थी लेकिन मुंबई में हुए बम विस्फोट ने उनकी ज़िन्दगियों को उलट दिया। सुनें इस क्रांतिकारी कहानी को यह जानने के लिए कि कैसे सिद्धार्थ अदालत से एक अनोखी जनहित याचिका पारित करवाता है और कैसे राहुल एक बहुत अनोखी सर्जरी करने में कामयाब होता है उस लड़की को बचाने के लिए जिससे वो प्यार करते हैं। Follow Arpit Agrawal to get updates on his next book. • Facebook – arpit194 • Instagram – arpit1904 Voiceover Artist : Ruby Producer : Kuku FM Author : Arpit Agrawal
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