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इतर भाग 07 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

इतर भाग 07 in Hindi

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280 Listens
AuthorSaransh Broadways
Itar an Audio Book based on pull ton between scientific truth and spiritual belief. writer: सुषम बेदी Voiceover Artist : Kaushal Kishore Author : Susham Bedi
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वो भाग साथ रूपा के प्रकोप का पात्र माधव ही नहीं वे सब मेजबान बन जाते हैं जिनके हाँ बाबा जी डेरा डालते हैं । जिस गुजराती परिवार के यहाँ पहले पहले अमेरिका में आके रुके थे, उनके बारे में रूपा ने कहना शुरू कर दिया । इसका आदमी तो बिलकुल काम नहीं करता । एकदम निकम्मा है और इसी की वजह बाद में है । पता लगा कि उस आदमी ने अपने कामों की वजह से रूपा जी को वाशिंगटन घुमाने में कुछ आनाकानी कर दी थी । मुझे उस गुजराती महिला पर बहुत तरह से आ रहा था । मैं हर वक्त नर्वस ही रहती की फल सब्जी बाबा जी को पसंद आएगी या नहीं, चाहे रूपा की पसंद की बनी की नहीं । यहाँ तक कि उसने अपनी बडी बहन को काम में मदद करने के लिए अपने पास बुला लिया । यू पहले से ही साईं बाबा की भक्ति और उसके घर में कीर्तन मगर होता रहता था । शायद उसकी घबराहट की एक वजह यह भी थी । मैं साईं बाबा के प्रति मन से वफादार बने रहना चाहती थी, पर बाबा जी को भी प्रसन्न रखना चाहती थी । बाबा जी नए सिर्फ उसके घर पर ठहरने को राजी हो उसे धन्य कर रहे थे । उनके चमत्कार भी साईं बाबा से कम नहीं थे । लेकिन फिर भी मैं पहले से निश्चित की गई साईं बाबा के कीर्तन की तिथि को किसी भी हालत में बदलना नहीं चाहती थी । जबकि उन्हीं तारीखों पर रूपा कि वाशिंगटन जाने की जिद थी । महिला ने बाबा जी से रोकने की बहुत प्रार्थना की और बाबा जी से ज्यादा रोपा को इसमें बाबा जी का अपमान महसूस हुआ । कीर्तन से ठीक एक दिन पहले वे एक और परिवार के साथ वाशिंगटन चल दिए और लौटकर उसी परिवार के यहाँ कर आसन जमाया । यह दूसरा घर पहले की बजाय कुछ बडा ही था । घर की महिला मेनका बिन देवी की बडी व्यक्ति रूपा को उन के हाथ का खाना भी दूसरे गुजराती खानों से बेहतर लगा था । और जब रूपा का मन होता वह उन्हें बम्बई की चौपाटी वाली पावभाजी बनाने को कहती जो बडे शौक से बनाती और खिलाती । लेकिन पाउ बाजी का मजा आखिर कितने दिन टिक सकता था । रूपा ने फिर अभिषेक से कहा अभिषेक भाई, हमको तो भगवान बच्चों से बचाया इतनी बोर है ये लोग मेरा तो इनसे बात तक करने को मन नहीं करता । हमको कोई घर ढूंढ दीजिए ना घर तो हमने पहले भी ढूंढ लिया था । पर तब आप कुशन भाग गई । उसमें क्या है? कल ही किसी रियल स्टेट एजेंट से वक्त तय कर लेता हूँ । ऐसा घर चाहिए । आपको बडी सी बैठक हो । इसमें कम से कम सौ लोग एक साथ बैठ सकें । इतने लोग जो आते हैं, उनके बैठने की जगह तो चाहिए लेकिन घर को मेन्टेन कौन करेगा? उसकी सफाई वगैरह । उसकी फिक्र मत कीजिए । हमको बस अपना घर चाहिए । अब तंग आ गए हैं । दूसरों के घर में रह रहे हैं । मैं अपने आप अपनी मर्जी का खाना पका आऊंगी जाऊंगी । यूरोपा के अपने घर की जरूरत को तो मैं समझ सकती थी । पर मेनका बहन की खातिर वजों में तनिक भी कमी नहीं थी । यहाँ तक कि बाबा जी और रूपा की सेवा टहल में रहने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी की छुट्टी कर दी थी । वे अपने पति के कपडे साडी की दुकान में मदद किया करती थी । रूपा के मुझसे बात निकलते ही उसे पूरा करने के इंतजाम शुरू हो जाते हैं । इधर रूपा ने कहना शुरू कर दिया था, मुझे क्या पता था कि इतने दिन रहना है । मेरे तो कपडे भी खत्म हो गए । बार बार वही कपडे दो पहनो । मैं तो उनमें से थी जिनको सालों में जाकर सेम साडी की बारी आती है । रूपा की हाय तोबा ज्यादा बढ ने से पहले ही साडी और सूट ओके कपडों के चढावे चडने लग गए थे । मेनका बहन तो उन्हें अपनी दुकान पर ले गई और कहा कि जो पसंद हूँ उठा लेंगे । मैं मेनका बहन के घर पर ही बैठी थी । जब तक पति पत्नी बाबा जी के चरण छूकर नये खडे हो गए और मेनका बहन बोली रूपा बहन ये दोनों खाली वक्त में दर्जी का काम करते हैं । आप जो साडी के साथ ब्लाउज सिलवाना चाहती थी इन्हें ना आप दे दीजिए रूपाणी अजीब हिकारत भरी नजर से दोनों को तरह और बोली कुछ आता हूँ, आता भी है कहीं खराब मत कर देना । इतने महंगे हैं ये पीस दिल्ली में तो सारे ब्लाउज प्रॉमिनेंट से सिलवा आती हूँ ऐसा करती हूँ पहले एक ब्लाउज मेरे ब्लाउज की ही नकल करके बना कर दिखाऊँगा फिर दूंगी । और हाँ साडी के फॉल तो तुम लगा ही सकती हो ना उससे पहले कुछ पेटीकोट सेल्लो महिला हाथ जोडी जोडी रूपा के कपडे ना आपने लगी और मैं अकाउंटेंट कम दर्जी बाबा जी का नाम लेने लगा । उनके लूंगी कुर्ते के लिए अभी ये सब चल ही रहा था की रूपा एकदम से लाये । मेनका वहन कुछ खाने को हैं । बहुत जोर से भूख लगी है । शाम को पांच बजे होंगे । मेनका बहन घबराकर बोली मैंने अभी अभी शाम का खाना बनाना शुरू किया है, उसका इंतजार नहीं कर सकती । हमको तो बस जल्दी से सब्जियां मिलाकर खिचडी बना दीजिए । बहुत दिनों से खिचडी खाई भी नहीं । बस उसमें खूब सारा देसी जी और लाल मिर्च का छोड दे दीजिएगा और रूपा मूड के अंदर जी घुमाती हुई चटकारे से लेने लगे । मैंने सोचा रूपा जो है और जो होना यह दिखाना चाहती है उसमें कितना फर्क है रुपए उस दर्जी नुमा सब महिला या कहूँ सब महिला अनुमान डर जिनको अपना ब्लाउज दिखाते समझाने लगे हमको सिंपल ब्लाउज बिल्कुल पसंद नहीं । गला और चोली कट ब्लाउज जानता होगा, बटन पीछे होंगे और बटनों की जगह तनिया लगेगी जैसे ब्लाउज का डिजाइन रूपा बता रही थी वैसे ब्लाउस या तो मैंने किसी हिंदी फिल्म की हिरोइन को पहले देखे होंगे या देसी कैलेंडरों और पोस्टरों में छपी पौराणिक महिलाओं की तस्वीरों की, जिनके वस्त्राभूषणों की परिकल्पना का मुख्य श्री रवि वर्मा के क्षेत्रों को जाता है । वी शांताराम की फिल्मों में हीरोइनों के वस्त्राभूषणों में पौराणिक रोमांस की बात तो मेरे समझ में आती थी और उन वस्तुओं में कभी सडकों पर घूमती भारतीय महिलाएं । फिलहाल मैंने नहीं देखी तो मेनका बहन ने सच कुछ ऐसी फुर्सत से रूपा के आदेश का पालन किया कि पंद्रह मिनट में लाल लाल ही में तैरती खिचडी की दसवी रूपा के हाथ में रखी थी । मेनका बहन के साथ एक दंपत्ति भी कमरे में आया । मेनका बहन ने बाबा जी के पास जाकर फुसफुसाकर कहा हूँ हमारे एक मित्र मिलना चाहते हैं । आप से भी हीरे के बहुत बडे व्यवसायी है और उन्होंने अभी अभी मैनहटन में एक रस्सा खरीदा बडे मालदार लोग हैं, जरा बात कर लीजिए ना । बाबा जी बोले हम नीचे मंदिर में जाने वाले हैं हमारे जाने के दस मिनट बाद वहीं भेज दीजिएगा उन्हें मैं हीरे का व्यापारी कोई सीटियाँ पहलवान सा लगता था और उसकी बीवी भारी जरी की साडी और गहनों से लदी कठपुतली सीट परिचय पाकर बडी रूचि भरी आंखें रूपा ने उन पर फेरी और आवाज में अतिरिक्त मिठास करके बोली कहाँ से आए हैं आप लोग? यहाँ से कोई बत्तीस मील दूर आपकी धीरे की दुकान है या होलसेल का बिजनस ऍम में शुरू है और ऐसा का है मैनहटन में टाउन में बाबा जी अगली बार जब मैंने टन जाएँ तो हमें इनके रस वाले चलिएगा । हम को मैनहटन जाना पसंद है । बाबा जी ने रूपा की बात की अवहेलना करते हुए मुझसे कहा हम मंदिर में पूजा करने जा रहे हैं । दस मिनट बाद अब नीचे चले आइयेगा बाबा जी चले गए तो रूपा ने उस कठपुतली सी बेजान, सुखी सुकडी महिला के तीरे का हार्पर रखना शुरू कर दिया । ये हार क्या आपकी दुकान में बना है? बडा सुंदर है क्या काम होगा? मैंने अपना ध्यान कमरे में बाकी जिससे कि क्रियाकलाप की ओर घुमाया । कमरा भर चुका था लोग दस्तर दुकानों को बंद करके बाबा जी से मिलने को हाजिर हो रहे थे । पेन का बहन का पति सबको हिदायत दे रहा था । देखिए सब लोग जूते बाहर ही उतारे । अंदर और जगह नहीं है । या तो में चले जाइए या बाहर लॉन में ही लाइन लगा दीजिए । करीब साढे सात के करीब मुझे पुलिस गाडियों के वोटों की आवाज सुनाई दी । गब्बर आकर मैं बाहर आई तो देखा करीब दो ढाई सौ लोग चौधरी पचौरी लाइनें लगाए खडे थे । खूब शोर मचा रहा था और सडक पर लाल बाल धमकाती नीले रंग की पुलिस की गाडियां खडी थी । जो बाहर भरपूर रोशनी थी । जुलाई का अंत था । सूरज नौ से पहले तो कभी डूबता नहीं । इन दिनों वर्दीधारी पुलिस के आदमी गाडी से बाहर निकलकर पूछ ताछ कर रहे थे । इतने में शायद किसी के बुलाने पर । मेनका बहन का पति कैलाश खेर आज की ओर से बाहर लॉन में आया और पुलिस वालों की पूछताछ का जवाब देने लगा । मैंने अंदर आकर रूपा को बतलाया । इतने में कैलाश भी अंदर आ गया । रूपा के पूछने पर बोला लगता है किसी पडोसी ने शिकायत लगाई होगी । मुझसे कह रहे थे कि कितने आदमी क्यों जवान मैंने कह दिया की होली मैन आए है इंडिया से । बस फिर पुलिस वाले वापस चले गए । फॅस घबराया हुआ था फिर भी रूपा को या अपने आपको दिलासा देता बोलता रहा हूँ । कुछ भी हो रिलीजियस फ्रीडम तो है इस कंट्री में पता नहीं क्या समझते हैं लोग अपने आप हो उठाकर पुलिस बुला ली तो सोचा होगा कोई बिजनेस कर रहा होगा । बिना लाइसेंस लिए अपने धर्म के लिए तो चाहे जो भी करें । दुनिया भर को मिशनरी भेजे । यहां चार लोग इकट्ठे हो गए तो जैसे क्राइम हो गया रुपए कम नर्वस नहीं थी तो बिना आगा पीछे देखे चिल्लाने लगे । ऐसा ही होता है हाँ मैं तभी तो कहती हूँ मुझे अपना घर चाहिए । यहाँ किसी दूसरे घर में बैठे नहीं तो हम कुछ बोल सकते हैं । नवास था अपना घर होगा अपना असम बनाएंगे तो देखूंगी कैसे आती है पुलिस बडे बडे पुलिस वाले भी खेले हैं बाबा जी के और कुछ हूँ या न हो बात अभिषेक पर आप पडी घर ढूंढने का काम । अभिषेक के जिम में जो था । एयर अभिषेक ने अपना पूरा काम तैयार कर रखा था । दो तीन शहर में रियल स्टेट एजेंटों से अपार्टमेंट कर रखी थी । अभिषेक ने थोडा बहुत इन्हें समझाया भी कि उनके पास विजिटर बहुत आएंगे । इसलिए कुछ अकेला सा घर हो । घर के आस पास बोली जगह पर मैनहैटन से बहुत दूर भी नहीं । अगले दिन सुबह सुबह शाम हम रूपा बाबा जी और माधव को लगातार गाडी में बैठाकर एक से दूसरी जगह घर दिखाते रहे । रूपा को आखिरकार एक घर पसंद भी आया तो बडा था अगर चार बैडरूम बडी सी बैठक पीछे बडी सी बेसमेंट एजेंट ने कहा कि दो महीने का किराया पेशगी देना होगा । रूपा बोली ये सोच कर फैसला लेंगे । बात यहीं पर रुकी रही । हफ्ते बर्बाद मैंने ही जब घर की बात उठाई तो रूपा बोली एक पंजाबी है । कोई उनकी पांच छह हिंदुस्तानी खाने के राॅक में बडे अमीर लगते हैं । कह रहे हैं कि हमें अपनी पूरी बेसमेंट बाबा जी के लिए तैयार कर देते हैं । कोई चार पांच सौ आदमी उस बेसमेंट में आ सकते हैं, सौ लोगों को बाबा जी से मिलने के लिए बाहर नहीं रुकना पडेगा और मेरे और माधव के लिए भी अलग अलग कमरे । यह तो बडी अच्छी बात है । तब तो आपको वहाँ शिफ्ट कर जाना चाहिए । किराये पर मकान लेने की क्या जरूरत है? किराये भी तो कितना है । ऊपर से घर का काम भी और हमको तो किसी दूसरे के घर में रहना पसंद ही नहीं । हमको तो अपना घर चाहिए । जो भी हो हम तो वहाँ नहीं जाएंगे । आप घर कब शिफ्ट करना चाहेंगी? होटल भर वाले रियल स्टेट एजेंट का फोन आया था कि इस शुक्रवार तक नहीं पहुंचे तो वह घर किसी और को दे रहेगा । अरे नहीं वही रोगों से घर हाथ से नहीं जाने देना और कल तो हम लोगों को यूस्टन जाना है । उस बेचारी की तबीयत बिगड गई लौटकर अपने घर में जाएंगे । शुक्रवार को अभिषेक ने मुझे बताया कि बाबा जी चले गए और लौटकर वे उस पंजाबी परिवार के साथ रहेंगे । उनकी बेसमेंट सुना है, बहुत खूबसूरत है, पूरी तरह फाॅगिंग है, पार्टी वगैरह रहता होगा । वहीं बाबा जी ने उससे कहा अगर मैं बेसमेंट में बने उस बार को हटा दे तो चले आएंगे । वह बार हटाने को ही नहीं माना बल्कि कभी शराब मैच होने का भी प्रण किया है । तो मैं सब किसने बताया खुद बाबा जी ने और रूपा तो कहती थी कि अब किसी दूसरे के घर में रूपा की कौन चलती है तो और इतना पैसा भी तो चाहिए । दो हजार डॉलर तो उस घर का किराया ही है और रूपए कहती थी पैसे उनके पास है, कहाँ से आएगा? चढावा होगा और क्या अपनी बर्बाद माधव का फोन आया है? बाबा जी ने बुलाया है आपको हम लोग शिफ्ट कर गए हैं । नया पता लिख लीजिए । हम वहाँ पहुंचे तो उसने घर के आस पास की हरयाली देखकर मैं हैरान रह गई है । बडी पहुँच लोकेलिटी में घर था घर की बनावट भी बहुत खूबसूरत की बडा सा कॉलोनियल डिजाइन का घर बाहर बडे बडे लॉन जिनकी कहाँ समतल थी, गर्मियां थी इसलिए फूलों की क्यारियों में खेले रहे धूप में दुली उस घर कि सफेद पॉलिस को और भी कुछ नहीं दिखा रहे थे । मैं बोल उठी खासी प्रोग्रेस कर गए बाबा जी इतनी थोडी सी देर में कहाँ? वो पहला वाला घर और कहाँ है? अंदर गए तो बाबा जी और रूपा बेहद खुश देखें । रूपा हमें खुशी से लगभग चूमती हुई अपना माधव और बाबा जी का कमरा दिखाने लगी । रूपा का कमरा सच में बडे ही खूबसूरत ढंग से सजा था । बीचोबीच मखमल का बेडकवर बिछा डबल साइज का पलंग । पलंग के एक तरफ की मेज पर खूबसूरत सब महंगे क्रिस्टल का बना एक सारस था । दूसरी तरफ की मेज पर ऍम कोने में श्रंगार मेज । इस पर कई तरह के परफ्यूम, ओके, दिलचस् आकारों वाली बोतले सब्जी थी । माधव के कमरे में बडा सा टेस्ट था जो मूलतः है । घर के मालिक ऑफिस कमरा रहा होगा । बाबा जी का शहर स्थल बेसमेंट में ही मंदिर के पास था । मंदिर की दीवारों पर लाल चमकीले रंग का वॉलपेपर चिपकाया हुआ था । देवी की तस्वीर के दोनों और गमले लगे हुए थे । कितने में घर की महिला रूपा के पास आकर कहने लगी पौधों की डिलीवरी आ गई है । जरा बता देंगी कहाँ? कहाँ रखवाने हैं । यहीं मंदिर और बेसमेंट में ही लगेंगे । पहुँचे यही नीचे मंगवा दीजिए और सच में बडे खूबसूरत है । रूपा ने बडे शौक से उन्हें लगवाया । मैं बोल पडी बेसमेंट में तो इतनी रोशनी नहीं यहाँ तो मर जाएंगे इन्हें ऊपर क्यों नहीं रखवाती? रुपए एकदम काट दिया मुझे ऊपर तो इनके पास बहुत पौधे हैं । ये तो मेरे कहने से मंगवाए गए मंदिर के लिए बाबा जी को पौधे बहुत पसंद है ना । मैं समझ गई कि घरवाले रूपा को हर तरह से खुश रखना चाहते हैं और रूपा उनके सेवाभाव में किसी तरह की कमी नहीं करना चाहती हूँ । थोडी देर में छह सात बरस का एक लडका रूपा के आसपास मंडराने लगा । रूपा ने उसे चूमकर सिर पर हाथ फेरा और उससे उसी की उम्र की आवाज में बतियाने लगी । लडका बडा खुश हुआ । उसकी हाथ में छोटी सी गाडी थी । उसने उसे रूपा की ओर सरकाया । रूपा ने वापस उसकी ओर भी दोनों खेलने लगे । रूपा ने मुझसे कहा ये बडा इंटेलिजेंट लडका है । नाम भी बढिया है । चुनमुन मैंने गौर से उस लडकी को देखा । लडका मुझे कुछ नॉर्मल सा लगा । ऐसा सारी बात मुझे समझ में आ गई । क्यों इस घर में बाबा जी और रूपा का इतना सम्मान किया जा रहा है । मैंने रूपा से पूछा क्या यहीन पंजाबी दंपत्ति का लडका है? किसी का तो इलाज कर रहे हैं? बाबा जी देखना एकदम ठीक हो जाएगा । ये बडा इंटेलिजेंट है फॅालो रूपा कुश्ती तो वह बच्चा भी खुश था और उसके माँ बाप भी । थोडी देर बाद हम जाने को हुए तो रूपा बोली ऐसे नहीं आज तो खाना खाकर ही जाना होगा । काम नहीं, बहुत अच्छा खाना बनाती है । अब तो मुझे भी बहुत मजा आ रहा है । दिन रात बढिया पंजाबी खाना मिलता है । लेकिन रूपा जी हमें तो जाने दीजिए । इन को तकलीफ होगी । काम नहीं जो पास ही खडी थी रूपा का मेरे प्रति स्नेहभाव देख बोली नहीं नहीं खाना खाए बिना नहीं जाएंगे आप दोनों की तो जो भी बाबाजी इतनी चर्चा करते रहते हैं मैं तो यह भी मिलने के लिए बडी हो सकती । कामिनी और राजेंद्र मुझे ठीक ठाक लोग लगे । चतुर बिजनेस वाले लोग लेकिन बोलने में मीठे मिलन साहब कुछ काम हम खाना खाने के लिए रुक गए । कामिनी ने अपनी मदद के लिए हिंदुस्तानी लडकी भी रखी हुई थी । खाना उसी लडकी ने बनाया था । मैंने रूपा को बधाई दी आखिर आपको मनपसंद रहने की जगह मिल ही गई । इनके तो नौकरानी भी है, काम नहीं पर सारा बोझ भी नहीं पडेगा । रूपा बोली सच में बहुत अच्छे लोग हैं वरना मैं तो गुजरातियों से तंग आ गई थी । ये तो आपने जैसे लोग हैं क्योंकि घर दिलाने का मसला हल हो चुका था । इसलिए लगातार कई दिनों तक अभिषेक और मैं बाबा जी से मिलने ही नहीं गए । दूसरे कामों में डूबी फिलिंग स्टेशन के लिए नहीं जा पाई । फिर एक दिन जब हम गए तो बहुत भीड थी । बाहर कारों का हुजूम देखकर मैंने बेसमेंट में बैठे लोगों की तादाद का अंदाजा लगा लिया था । बहुत से नए चेहरे थे । माधव बारी बारी से लोगों को अंदर बाबा जी के पास मंदिर भेज रहा था । हमारी भी बारी लगा दी गई । जब की पहले हमें खास मेहमान की तरह लगभग अंदर आते ही भेज दिया जाता था । अभिषेक और मैं बेसमेंट की दीवारों के साथ सटे घुंगरू घंटियां वाले हिंदुस्तानी पीढी नुमा सोचने पर बैठ गए । इतने में रूपा भी बाबा जी के मंदिर से बाहर आई और हमें देखकर हमारे पास ही आकर बैठ गई । लोगों से खचाखच भरी उस बेसमेंट में रुपए आपने नाइट गांव में ही घूम रही थी । चेहरा देखकर लगता था जैसे तीन दिन से ना ही नहीं हूँ । गांव भी दूसरे महिला सा दिख रहा था । पालों की जटाए बने झूल रही थी क्या बात है तब तो ठीक है । रुपए जी बस ऐसे ही बहुत दर्द कर रहा है । चार लाख प्रेशर कुछ आई है । आप लोग तो बडे दिन बाद आए । मैंने तो वहाँ से भी कहा था कि आपको फोन करें पर उसे फुर्सत ही नहीं । इतने ज्यादा लोग आने लगे हैं । मैं तो फोन सुन सुन कर पागल हो जाती हूँ । कुछ नॉर्मल दिखने वाले बच्चे आपस में खेल रहे थे । उनके माँ बाप बातों में लगे हुए थे । इतने में घर का मालिक राजेंदर । हाफ पैसा रूपा के पास आया और कहने लगा देखिए रुपए जी पता नहीं कैसे कैसे लोगों को बुला लेते हैं । बाबा जी इन को ऐसी जगहों का कुछ पता ही नहीं । किसी ने अभी मेरे पडोसी के लोन पर कार चढा दी है । मैं चला रहा है उसका लॉन खराब कर दिया है उन्होंने । मेरा तो इस लोकेलिटी में रहना हराम हो जाएगा । आप जरा अनाउंस कर दीजिए । जिसकी भी ॅ आठ सात कार है प्लीज वहाँ से हटाई । रूपा भी एकदम भडक गयी बैठे बैठे चिल्लाना शुरू कर दिया । अरे इन लोगों की यह मत बाबा जी का नाम खराब करते हैं । अरे वही किसका है नंबर चलो निकालो अपनी गाडी जब एक आदमी उठा तो रूपा उस पर बर्फ पडी चरण नहीं आती आपको । आप तो बरसों से इस देश में रहते हैं । तब क्या आपको यहाँ के कानून का नहीं पता? किसी के लॉन पर गाडी चढा दी आपका यहाँ आना जाना एकदम बंद करवा दूंगी और सब सुन लो । अगर किसी ने आइंदा ऐसी हरकत की तो बाबा जी कभी उससे नहीं मिलेंगे । बदनाम करते हैं आप लोग बाबा जी को भी आपका भला करें और आप इस तरह फिर हमारी तरफ मुकाबले होकर बोली मेरा तो दिन रात लोगों से निपटते निपटते सिर्फ पड जाता है तो थोडी देर अपने कमरे में जाकर आराम करती हूँ । ऊपर नीचे जाकर भी थक जाती हूँ । मुझे तो ऐसा घर चाहिए जहाँ सोने का कमरा भी पूजा घर के पास हूँ । पर हाँ उसमें शोर बहुत होता है । सच में कहीं निजात नहीं । अभी रूप जाने को हुई थी एक सरदार और एक मौका आदमी राजेंद्र के साठ रुपए की और बढेगा । सरदार रूपा को देखते ही कहने लगा रूपा बाॅलिंग इस आदमी ने मेरी बेचती है । कहता है मैं घर के अंदर नहीं आ सकता । मैंने कहा कि मैं तेरे नाल मिलने थोडी आया हूँ । मैं तो बाबा जी से मिलने आया हूँ । राजेंदर हादसा हफ्ता कहे जा रहा था । रूपा जी देखिए ये लोग अच्छे नहीं है । इनसे नहीं मिलना चाहिए आपको ये सारे चोर हो चुके हैं । मेरे से दस साल पहले इन दोनों ने पचास हजार रुपए उधार लिया था । आज तक वापस नहीं दिया । मोना आदमी कहने लगा यह बिल्कुल झूठ कहता है । बहन जी इसमें हमारे साथ बिजनेस किया । अब सारा पैसा डूब गया तो किसका उदार यह भी तो पार्टनर था । इसका पैसा गया तो क्या हमारा नहीं गया । तब यह हमसे क्यों मांगता है? मांगना है तो अपनी किस्मत से मांगे । सरदार बोला इसे कौन से पैसे की कमी है । बस का बिजनेस चल रहा है । पर सारी उम्र ये है अपने पचास कोई होता रहेगा । राजेन्द्र और भी बढकर बोला कमीने तेरी रहमत ज्यादा बकवास की तो जोडी से घसीटकर घर से बाहर कर दूंगा । तरफ से जाने को कह रहा हूँ तो भेजे में घुसी नहीं देने बाद अब रूपा का पारा भी एकदम चढा

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