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आख़िरी ख़्वाहिश अध्याय -32 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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बत्ती अस्पताल में पांच लाख रुपये जमा किए गए थे और कुछ और लाख की इमरजेंसी के लिए आरक्षित रखा गया था । इस किसने मुझे अगली भारी राशि की व्यवस्था करने के लिए कुछ दिन दिए । कोई अहंकार नहीं था । कोई हिचकिचाहट नहीं और आश्चर्यजनक रूप से कोई डर नहीं था । मैं किसी से भी विनती करने के लिए तैयार था तो पैसे से मेरी मदद कर सकता था । कॉलेज में मेरी घोषणा के बाद मेरे कई सहयोगियों और रिश्तेदारों को आस्था की बीमारी के बारे में पता चला । हालांकि ये अभी भी एचआईवी की स्थिति से अंजाम थे । आस्था ने किसी से मिलने से इंकार कर दिया था । उसके कारण थे और मैंने उसका सम्मान किया । सरगम ही एकमात्र व्यक्ति थी जिसे उससे मिलने की जा सकती है । सरगम हर दिन शाम को अस्पताल आती थी और राहत होने तक रहती थी । एक साथ में अलग लगती थी । मैं था शायद इसलिए क्योंकि मुझे अपने जीवन में कभी कोई सच्चा दोस्त नहीं मिला । एक दोस्त सब के बीच साथ देने के लिए बहुत अच्छा रहता है । कुछ दिनों के बाद आस्था को सांस लेने में समस्या होने लगी । मैंने डॉक्टरों के साथ चर्चा की और उन्होंने ॅ आधार पर ऑक्सीजन मास्क का उपयोग करने का सुझाव दिया । उनके अनुसार ये बडी चिंता नहीं थी । स्थिति स्थिर थी । न तो वो अच्छी हो रही थी और नहीं और खराब हो रही थी । मेरे पास सोचने के लिए बहुत कुछ था । लेकिन आस्था की अंतिम बीमारी ने हर दूसरी समस्या को तुच्छ बना दिया था । मेरे फोन की जोरदार रिंगटोन मुझे वर्तमान दुनिया में वापस लाये । आय पापा आप कैसे हैं? अच्छा कैसी है? अब मैंने पूछा इन दिनों जो कोई कॉल करता था, ये आम सवाल था और दोहराने के लिए मेरे पास एक ही जवाब था संघर्ष जारी है और स्थिति नियंत्रण में है । विजय स्कोर किया है । स्कूल मैं समझा नहीं, क्या बात है । याद करो उसकी साथ? इच्छाएं हाँ, मुझे उसके साथ संकेत चाय याद हैं । लेकिन आप पूछ रहे हैं उसकी इच्छाओं के बारे में बिल्कुल चिंतित नहीं था । खर्चों का प्रबंधन कैसे करें? ये मेरे लिए सबसे बडी चुनौती थी । क्या तुमने कॉलेज पत्रिका का नवीनतम प्रकाशन पडा? उनकी आवाज में उत्साह था तो दुर्लभ था? नहीं पापा, मैंने नहीं पडा क्योंकि क्या हुआ । सबसे पहले उस पर एक नजर डालो और याद रखूं । अगर हमारा विश्वास है तो सबको संभव है । उन्होंने रहस्यमय तरीके से कॉल काट दी । एक असामान्य कौन थी सर्वप्रथम? उनकी कभी कुछ पढने की आदत नहीं थी । दूसरे उन्होंने कहाँ से पत्रिका की सदस्यता प्रति प्रबंधित की । तीसरा उसकी सनक इच्छाओं का उस से कैसे संबंध हो सकता है? मुझे ये पता लगाना था । मैंने छः दिनों के बाद अपना गंदा बडा घर खोला । मेरे लिए उस स्थिति में मेरे घर को देखना बहुत भयानक था । केवल एक महिला घर को घर में बदल सकती है । व्यवस्था यहाँ थी । ये पूरी तरह से एक अलग जगह थी । मैंने अखबारों और पत्रिकाओं को जमीन पर उपेक्षित पडे पाया । दो पत्रिकाएं कोरियर वाले लडके ने दरवाजे के नीचे से भी डर सरकारी थी । मैंने दोनों को उठाया । एक नियमित स्वास्थ्य पत्रिका थी और दूसरा कॉलेज का वार्षिक प्रकाशन था । नहीं संभव नहीं है मैं भी खाता हूँ । मैंने अपने कॉलेज पत्रिका को देखना शुरू किया तो मैं सुनने रह गया और ये मेरे लिए अविश्वसनीय था । मेरी कॉलेज पत्रिका के मुखपृष्ठ पर मेरी पत्नी की पूरी तस्वीर थी । वो युवाओं सुन्दर लग रही थी एक पल के लिए । उसके वर्तमान रूप पर मुझे सहानुभूति हुई । उसने अपनी सुंदरता खो दी थी । मेरे मस्तिष्क के अंदर सवालों की झडी थी । कॉलेज में क्यों नहीं अपने हालिया कार्यक्रम की तस्वीर प्रदर्शित की । उन्हें उसकी तस्वीर कैसे मिलेगा? उसकी कहानी खुल्लम खुल्ला बताने की अनुमति किसने दी थी? मेरे कॉलेज में मुझे इस बारे में सूचित क्यों नहीं किया? कई प्राचार्य की कोई चाल थी । पापा को पहले इस बारे में कैसे पता चला? उसके पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है? आस्था जब ये जाने की तो कैसे प्रतिक्रिया करेगी? की आस्था पहले ही इस बारे में जानती थी । आस्था की तस्वीर के नीचे बोल्ड फोन्स में बनती थी । इसमें लिखा गया था, एक गर्भवती, एचआईवी पॉजिटिव महिला की सच्ची प्रेरणा दायक और आप खोलने वाली कहानी पेज छह आए नहीं हूँ । मैं एचआईवी रोगी हूँ । मैंने सोचा कि मुझे लोगों को अपनी कहानी बतानी चाहिए । बस कल्पना कीजिए आपके दिमाग में क्या होता है जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पूछते हैं जो एचआईवी से संक्रमित है । मैं हर किसी को सामान्यीकृत नहीं कर रही हूँ । लेकिन लोग सोचते हैं कि एड्स रोगी सेक्सवर्कर या अनैतिक व्यक्ति है । कुछ और कहने से पहले या एक राय बनाने से पहले मैं जानती हूँ की आप इसे पढना है । गोवा के एक स्कूल में तेरह अनाथ एड्स से पीडित है । उन छात्रों को निष्कासित कर दिया गया तो अन्य माता पिता उन्हें स्कूल अधिकारियों से शिकायत की थी । माता पिताओं ने स्कूल से अन्य अनाथों को भी निष्कासित करने के लिए कहा । हालांकि वे एचआईवी पॉजिटिव नहीं थे कि सिर्फ यही स्कूल नहीं था जिसने उन्हें बाहर का दरवाजा दिखाया । उनके निष्कासन के बाद इन छात्रों को जवानों से बारह किलोमीटर दूर फुल करना में सेल्सियन पुजारियों द्वारा संचालित बोर्डिंग स्कूल में ले जाया गया । लेकिन छः दिनों के बाद उस स्कूल ने भी अनाथालय से बच्चों को वापस लेने के लिए ये कहते हुए कहा कि वे कुछ माता पिताओं से समस्याओं का सामना कर रहे थे । अंत में उन तेरह छात्रों को उत्तरी गोवा में एक स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया । विभिन्न संगठनों की तीखी आलोचना का सामना करने के बाद स्कूलें अन्य तेईस अनाथों को अपने स्कूल से निष्कासित नहीं करने का फैसला किया । बच्चे छह से पंद्रह साल के बीच है । आपको लगता है ये सभी बच्चे सेक्सवर्कर हैं? क्या हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहाँ गांधी जी ने हमें आपसे नफरत करने के लिए सिखाया न की पार्टी से? क्या कोई कह सकता है कि ये बच्चे अनैतिक हैं? दुनिया भर में अनुमान तीन करोड चौंतीस लाख लोग एचआईवी के साथ रह रहे थे । पंद्रह वर्ष के लगभग बीस लाख दस हजार बच्चे एचआईवी के साथ रह रहे थे । जिस दिन मुझे एचआईवी पॉजिटिव मैदान किया गया था, मैंने सोचा कि मुझे कैसे बीमारी मिली । मेरे पति पहले व्यक्ति थे जिन्हें मेरे संक्रमण के बारे में पता चला था । मेरा लीवर संक्रमित हो गया और डॉक्टर ने घर पर एक पूर्णकालिक नर्स रखने का सुझाव दिया । मेरे लिए काम करने के लिए कोई नस तैयार नहीं थी । और भी आश्चर्य की बात ये थी कि कई डॉक्टर मेरा इलाज करने के लिए तैयार नहीं थे । अस्पताल में मैंने पाया कि नर्सों ने मुझे छोडने से इंकार कर दिया । उस जब मेरे आस पास होती हर समय चेहरे पर मुखौटे और दस्तानें पहनती थी तो हमेशा अतिरिक्त सुरक्षा से लैस होती थी । खासकर मेरे कमरे में प्रवेश करती थी । कभी कभी मुझे अस्पृश्य की तरह लगा । पिछले छह महीनों से जो कुछ हमने सामना किया है वो संक्रमित होने से भी बत्तर है । एस को अक्सर किसी और की समस्या के रूप में देखा जाता है । यहाँ तक की ये सामान्य आबादी में चलता है । फिर भी एचआईवी महामारी को भारतीयों द्वारा गलत समझा जाता है । एचआईवी से पीडित लोगों को हिंसक हमलों का सामना करना पडा है । परिवारों, जीवन साथी और समुदायों द्वारा खारिज कर दिया गया है । चिकित्सा उपचार से इंकार कर दिया गया है और यहाँ तक कि कुछ मामलों में तो मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार से इंकार कर दिया गया । मैं डॉक्टर नहीं है और मेरे पास किसी को भी कुछ भी सिखाने का कोई अधिकार नहीं है । लेकिन जिस दिन मुझे संक्रमण के बारे में पता चला मैंने अनेक जर्नल्स देखें । आखिरकार मैं एक पीडित हूँ । मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि उन सभी अन्य लोगों को साहस देना बीमारी के खिलाफ अच्छा रहेगा । मानसिक रूप से लड रहे हैं जिसमें उनकी गलती भी नहीं है । ये है एचआईवी के कुछ काम क्या कारण एक संक्रमित माँ से पैदा होना गर्भावस्था, जन्म या स्तनपान के दौरान जाएगी? माँ से बच्चे में जा सकता है एक एचआईवी दूषित सोया धारदार वस्तु का धंसना, फॅमिली से दूसरी तरफ चलाना रक्त उत्पाद या अंग उतर प्रत्यारोपण एचआईवी संक्रमित व्यक्ति द्वारा चलाए गए भोजन को खाना संदूषण तब होता है जब एक मरीज के मुंह से संक्रमित रख जवाने के दौरान भोजन के साथ मिश्रण होता है । एचआईवी वाले व्यक्ति द्वारा काट लिया जाना अगर बच्चा फटी नहीं है तो संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता है । फटी हुई त्वचा खाओ या श्रेष् मछलियों और एचआईवी संक्रमित रख दिया संक्रमित रख हमारे शरीर के बीच संपर्क गहरा खुले में चुम्बन अगर एचआईवी वाले व्यक्ति के मुंह में घाव या मसूडों से खून रिस रहा है और रक्त का आदान प्रदान होता है । एचआईवी इनसे नहीं फैलता है । वायु या पानी पी दे मच्छर या खत्म सहित लार, आंसू या पसीना, अनौपचारिक संपर्क, किससे हाथ मिलाना, आलिंगन, व्यंजन, पेय पदार्थों को साझा करना एक एक रोगी दोहरे आघात से गुजरता है । सबसे पहले उन्हें खुद को निर्दोष साबित करना होता है । ये कुछ ऐसा है जो वो अपने जीवनकाल में करने में असमर्थ होते हैं । दूसरा उन्हें बीमारी से लडना होता है । मैं आपको बताती हूँ कि मेरे पति ने मेरे संक्रमण का स्रोत कभी नहीं पूछा । मुझे बिहार करते हैं तो सबसे बेहतरीन उपचार प्रदान करने में असमर्थ थे । लेकिन उन्होंने कोई कसर नहीं छोडी और इसे संभव बना दिया । मैं आपको अपनी कहानी इसलिए नहीं बता रही हूँ कि मुझे सहानुभूति चाहिए । मुझे अपने पति और परिवार से प्राप्त बिहार की वजह से सचमुच सकते को साझा करने का आत्मविश्वास है । इससे कोई फर्क नहीं पडता कि बीमारी कितनी घातक है । फिर याद के पास ऐसे लोग हैं जो आपको बिहार करते हैं । आप में विश्वास करते हैं कि पूरी तरह से लडाई को बदलता है । एक ऐसे समाज की कल्पना करें जहाँ कार्यालयों से एड्स रोगियों को बर्खास्त नहीं किया जाता है । उन्हें किराये के घर से बहार ठीक नहीं दिया जाता है । उन्हें स्कूल या किसी भी सामाजिक समुदाय से खारिज नहीं किया गया । लोगों को उनके गले लगाने के हाथ मिलाने में कोई समस्या नहीं है । डॉक्टर और नर्स उनके इलाज में मदद करने के लिए उत्सुक है । डॉक्टरों का कहना है कि एक स्थिर एड्सरोगी सामान्य व्यक्ति की तरह दस से पंद्रह वर्ष तक जीवित रह सकता है अगर उस की ठीक से देखभाल होती है । प्यार से भरे दस साल के जीवन की तुलना इस दुनिया में किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है । यहाँ तक की एक सौ साल का जीवन भी नहीं । हम इलाज ढूंढ कर और अतुलनीय बिहार देकर हर बीमारी को पराजित कर सकते हैं । आज मैं गर्भवती हूँ और मुझे नहीं पता की मेरा बच्चा इस वायरस से प्रभावित होगा या नहीं । पिक होने के नाते मेरा एक विनम्र अनुरोध है । अगर वो एचआईवी मरीज बन जाता या जाती है तो क्या उसे अस्पृश्य के रूप में न माने? मेरा बच्चा बीमारी के लिए जिम्मेदार नहीं होगा । मेरा बच्चा आपकी सहानुभूति नहीं चाहता है । वो केवल आपके बिहार के लायक है, कोई बात नहीं है और मैं पार्टी नहीं हूँ । ऍम होगी सिर्फ एक मरीज है । सुषमा शर्मा द्वारा लिखित और संपादित

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Voice Artist

“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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