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आख़िरी ख़्वाहिश अध्याय -31 in Hindi

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430 Listens
AuthorSaransh Broadways
“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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ऍम आस्था की हालत को समझने के लिए माने डॉक्टर राजा के साथ चर्चा की थी । वो उसके बारे में चिंतित थी । उन्होंने सब कुछ पूछा । उसकी बीमारी, उसकी हालत और आगे उसके इलाज की लागत के बारे में मुझे पता था । इस कठिन दौर से पार पाने में मेरे पास एक और था । सरगम वहाँ आस्था की देखभाल के लिए थी । इसलिए मैंने माँ को घर छोडने का फैसला किया । मेरे पास कोई पैसा नहीं बचा था और समस्या पर तुरंत ध्यान देना बेहद जरूरी था । हम घर के लिए चले गए । कार्य के अंदर सन्नाटा था । मैं अपनी माँ को अच्छी तरह से जानता था । उनके दिमाग में कुछ चल रहा था और मैंने चुप रहना ठीक समझा । मैं उनके व्यवहार के कारण का अनुमान लगा सकता था । कतार हम घर पहुंचे । बाहर से ताला लगा था । पिताजी कहा है । मैंने वहाँ से पूछा, मेरे पिता एक सेवानिवृत्त व्यक्ति थे और वे उनमें से नहीं थे तो बिना किसी कारण घर से बाहर निकल जाते हैं । उन्होंने एक शब्द नहीं कहा और आपने पाँच से चाबियां बाहर निकाली तो नहीं जानते हैं यह जी बात है । उन्होंने कहा, मैंने सोचा कि वह केवल मुझसे ही कुछ नहीं बताते । हैं । वैसे भी भी कुछ मिनट पर यहाँ होंगे तो उनसे पूछ सकते हूँ । उनके बारे में कोई चर्चा हमेशा इसी तरह समाप्त होती थी । हम चाय पी रहे थे । मुझे लगा की मुझे इस दिन से पहले कोई जानकारी नहीं थी । ये किस तरी अपने जीवन में कितने बलिदान देना है । मैं किस तरी को देख रहा था जो भावनात्मक रूप से हाल ही होने के बावजूद अपनी नौकरी कर रहे हैं । हर दिन अपनी बर्बाद शादी को संभाला । आपने बेकार बेटे का ख्याल किया और फिर भी चुप रहने का फैसला किया । मैं पति के साथ साथ एक बेटा होने के नाते चीजों को और अधिक स्पष्ट रूप से देख रहा था । जब पिताजी पंद्रह मिनट बाद पहुंचे, मेरे विचार बाधित हुए । उनके पास एक बैग था । मैंने उनसे पूछा कहाँ चले गए थे लेकिन उन्होंने मुझे नजर अंदाज कर दिया । आस्था के साथ कौन है? उन्होंने पूछा सरगम मैंने जवाब दिया । मैंने उनसे माँ के अस्पताल जाने और डॉक्टर राजा के साथ उनकी बातचीत के बारे में बताया । अंत में मैंने उसे पैसे की आवश्यकताओं के बारे में बताऊँ । प्रतिदिन अतिरिक्त दो लाख उन्होंने ऍम उनको कुछ जानते है तो शाम थे लेकिन मैं समझ गया कि कुछ गडबड नहीं । मैंने इस घर की लागत का अनुमान खडक लगाया । ये पच्चीस साल पुरानी संपत्ति है और मुझे बीस लाख रुपए से अधिक देने वाला कोई खरीददार नहीं मिल रहा है । मैं तुम को पहले ही दस लाख दिए हैं और एक और दस हैं । इसे तुम जब चाहो ले सकता हूँ । उन्होंने माँ द्वारा दी गई चाहे की जिसके लिए संजय चिकित्सक की लागत का कुल खर्च लगभग पैंतालीस लाख रुपए होगा । इसमें सब कुछ शामिल है । फॅसा यहाँ एक निजी अस्पताल में उपचार बहुत महंगा है कि हम अपने रिश्तेदारों से बात कर सकते हैं । मुझे ऐसा कोई व्यक्ति नहीं समझा जा रहा है जो हमें इतनी बडी राशि दे सकता हूँ । पापा ने कहा तोहरे आभूषण के बारे में क्या? उन्होंने पूछा था? हाँ सही है वो व्यंग्यात्मक हंसी हंसी । अगर आपको याद है, हमारा प्रेम दे रहा था और मुझे आशा है कि आपको उन परिस्थितियों की याद होगी जिनमें हमने शादी है ना खुद के लिए आभूषण के नाम पर कभी कुछ भी नहीं खरीद सकते हैं । मानी जवाब दिया, ये पहली बार था जब उन्होंने मेरे सामने अपनी शादी के बारे में बात नहीं । आखिरी बार उन्होंने कुछ चर्चा की थी । वो भी तब जब दसवीं लडकी ने मेरे विभाग प्रस्ताव को खारिज कर दिया था । ये देखने के लिए आश्चर्यजनक था की कोई समस्या कैसे एक परिवार को एकजुट कर सकती है । विजय क्या तुम किसी को भी जानते हो जो ऋण पाने में हमारी मदद कर सकता है? बाबा ने पूछा, नास्ता के दोस्तों में से डेनियल को जानता हूँ । यही एकमात्र नाम था जो मेरे दिमाग में आया था । विजय बैंक किसी ऐसे व्यक्ति को ऋण नहीं देता है जिसके पास देने के लिए कोई सुरक्षा नहीं है । विकल्प को खारिज करते हुए मैंने कहा तो तुम्हारे कॉलेज के प्राचार्य के बारे में क्या ऍम मांग सकती हूँ? मेरे पिता ने सुझाव दिया, मुझे ऐसा नहीं लगता । मुझे ये भी है कि नहीं है कि क्या वह मुझे नौकरी जारी रखने देंगे । मैंने कहा अचानक मेरी माउंट गई और कहा माफ कीजिए । मुझे एक लेख जमा कर रहा है । कभी कभी मुझे आश्चर्य होता है कि नहीं । हाँ, हमेशा अपने काम को इतना महत्व क्यों देती है? ऐसा मसला सामने होते हुए कि मेरे लिए अजीब तरह था । क्या ये वही व्यक्ति थी तो कुछ घंटे पहले आस्था के लिए हुई थी?

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“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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