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आख़िरी ख़्वाहिश अध्याय -29 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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Transcript
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उनत्तीस विजय की माँ से मैं विजय की मांग मुझे लगता है की कहानी के मेरे पक्ष कोई बेहतर परिप्रेक्ष्य के लिए साझा करना बेहतर है अन्यथा ये पिता और पुत्र दोनों कुछ भी देखेंगे । मैं विजय के पिता से उनकी सेवा के प्रारंभिक दिनों के दौरान मिली । कोई बहुत सम्मानित पुलिसअधिकारी थे । हम हर पहलू से अलग ग्रुप थे लेकिन उनकी बंगारी ने मुझे आकर्षित किया । कुछ हमेशा पता था कि ये मुश्किल होगा । लेकिन फिर मैंने खुद से पूछा कि कौन सुंदर सही है । हमने अपनी संभावनाएं टटोली और शादी करेंगे । लेकिन जैसे ही समय बीतने लगा विजय एकमात्र संपर्क था जो हमारे रिश्ते को अटूट बनाए हुए था । विजय को प्यार करना और उसकी देखभाल एकमात्र चीज है जो हमारे बीच सामान थी । मैं चाहती थी कि वह इंजीनियर बनेंगे लेकिन उसके पिता चाहते थे कि वो एक आईएएस अधिकारी मुझे अच्छा बच्चा था । उसने कभी भी कोई विरोध नहीं किया । आम तौर पर उसके पिता घर पर नहीं होते थे इसलिए मैं उसके साथ थोडा सख्त रहती थी । विजय मेरी एकमात्र जिम्मेदारी थी तो हमेशा एक माँ का लडका था । उसके पिता कभी कभी घर आते थे लेकिन वो हमेशा उसके लिए उसके लिए करते थे । और कभी भी उन्होंने उसे पढाई करने के लिए मजबूर नहीं किया । मैं धीरे धीरे उसके शब्दकोश में हम ना पड रही है और समय बीतने के साथ विजय अपने पिता के करीब होता चला गया । उन्होंने एक दूसरे के साथ अधिक से अधिक समय बिताना शुरू कर दिया । बहन सबसे कभी भी सहन नहीं थी लेकिन कहीं मुझे ऐसा था की मैं मैं जिम्मेदार थी । मेरी अत्यधिक उम्मीदों ने विजय को खराब कर दिया । कोई आपदा में बदल गया और उसका आत्मविश्वास स्वस्थ हो गया । इससे वो स्वयं को बेकार महसूस करने लगा था । एक दिन मुझे अपने कमरे के अंदर बैठ कर रो रहा था । मुझे रो रहा था क्योंकि वो लगातार पांचवीं बार आई । एस । के लिए लिखित परीक्षा को पास करने में असफल रहा था । मैंने उसकी मदद करने का फैसला लिया । एक पत्रकार होने के नाते कॉलेज के प्राचार्य के साथ मेरे संबंध गई और श्री राम कॉलेज में विजय के लिए एक जगह खोजने का मैंने अनुरोध किया । अंत में विजय को नौकरी मिल गई लेकिन वो उसके लिए नहीं बना था और ये भी आपदा उसके प्राचार्य ने हमेशा शिकायत की की विजय शायद ही कभी कक्षाओं में पढाता है । मैंने पैरवी की और प्रमुख ने उसे कॉलेज में शिक्षणेतर काम दे दिया । हमने उसके लिए पत्नी खोजने का फैसला किया । एक वहाँ के लिए कठिन कार्य इसका बच्चा अपना मूड बन रखता हूँ । वो एक और सबसे ऊपर देखने वाला लडका था । हम एक दर्जन से अधिक लडकियों से मिले लेकिन उनमें से प्रत्येक ने नकार दिया । कोई भी लडकी अपना जीवन एक अंतर्मुखी माँ के लडके के साथ नहीं बताना चाहती थी । मैंने झूठ बोला की विजय चमकता हुआ बुद्धिमान पीसीएस आकांक्षी था । सरकार एक माँ अपने पति या बच्चों के लिए समझौता करने से पहले दो बार कभी नहीं सोचती । अंतर रहा हम आस्था से मिलेंगे । मैं कभी समझ नहीं पाई कि क्यों आस्था जैसी लडकी विजय से शादी करने के लिए सहमत हो गई थी । लेकिन हम पुश्ते, आस्था विजय के लिए एकदम सही मैच नहीं थी । स्पष्ट हूँ तो वो किसी भी तरह से मैच नहीं थी । वो एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत थे । विजय अंतर्मुखी था और आस्था बहिर्मुखी थी । उसके पसंदीदा व्यंजन मांसाहारी थे और वो कभी कभी शराब भी पीछे नहीं । आपको लगता है कि मैं यह सब सहन करूंगी । मैं कर सकती थी लेकिन बाद में ये खुलासा हुआ की आस्था एक अवैध संतान थी । एक सडक का कचरा, जिससे मेरे एकमात्र बेटे का विवाह हुआ नहीं, उस से ही नहीं हो रहा था । मैंने उसे बाहर फेंकने का फैसला कर लिया । एक खूबसूरत दिन घर में फैली ऑमलेट की गंध निर्णय को अमल में लाने के लिए अवसर के रूप में काम कर गई । चालाक किस तरी थी । उसने विजय के दिमाग को खेला । उसने जादुई रूप से रातोरात विजय को सम्मोहित कर लिया । कोई जोरू का गुलाम पति ने बदल गया । विजय ने कभी भी आस्था के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला । उसने अपने कार्यालय के पास किराए के एक अपार्टमेंट में जाने का फैसला किया । अंत में आस्था और विजय हमारे घर से बाहर चले गए । मेरा खुशहाल परिवार टूट गया । मेरे पास घर पर रहने का कोई कारण नहीं बचा और मैंने आउट डोर कार्यक्रमों के लिए असाइनमेंट लेना शुरू कर दिया । मेरा बच्चा मेरा एकमात्र प्यार मालवीय नगर में स्थानांतरित हो गया था । मैंने अपनी आत्मा की गहराई से आस्था से घृणा की, लेकिन जब मैं दक्षिण अफ्रीका से लौटी तो सब कुछ बदल गया था । आस्था अगर पति थी ना उत्साह में थी । लेकिन विडंबना ये थी की आस्था के लिए मिल एशिया ने मुझे बधाई देने की इजाजत नहीं नहीं मैंने विजय के जन्मदिन पर उस से मुलाकात की । विजय वो व्यक्ति नहीं था, वो अलग था । स्पष्ट बोली तो मुझे उसमें इस बदलाव से नफरत हुई । लेकिन शायद इस बात से इनकार नहीं करूंगी कि ये परिवर्तन वृहद खुबसूरत था । मुझे पता हमारा फ्लैट बंधक रखने के लिए कागजात के साथ मेरे पास आए । मैंने पाया की आस्था एचआईवी से पीडित थी । मैंने पता लगता है कि उसे संक्रमण कैसे हुआ लेकिन तकनीकी और चिकित्सा की है । कोई भी कारण का निदान नहीं कर सकता था । मेरा दिल बैठ गया । अपने साथ विजय को भी ले डूबेंगे । विश्वास करना मुश्किल है । लेकिन जब मैंने पाया कि विजय सुरक्षित था तो मुझे राहत मिली । उसके पिता ने मुझे बताया कि कैसे विजय उसकी मूढतापूर्ण इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश कर रहा था । मुझे उस किशन की इच्छा से नफरत थी, लेकिन मुझे खुशी है कि विजय ने स्टैंड लिया और किसी चीज के लिए लडने का फैसला लिया था । विजय के प्राचार्य ने कॉलेज समारोह उसकी घोषणा के बारे में जब मुझे बताया उन्होंने कभी विजय के बारे में कुछ भी सकारात्मक नहीं कहा था । उन्होंने उसकी सराहना की । मेरा दिल मेरे बेटे के लिए आतुर हो गया । मेरी आंखों में आंसू थे । एक व्यक्ति जो किसी लडकी के सामने अपना मूवी नहीं खोल सका, लाइव कैमरे के सामने पांच हजार लोगों के सामने बोलने में कामयाब रहा हूँ । मैंने अवस्था को माफ कर दिया । कृष्णा मुझे कुछ दिया था क्योंकि वो एक माँ कर सकती थी । लडकी ने मेरे बेटे को बदल दिया था । मैंने उसकी सभी गुप्ता इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करने का फैसला किया । मैंने अपनी बहुत से मिलने का फैसला लिया । आकर काम उसने मुझे आत्मविश्वासी पीता दिया था ।

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Sound Engineer

Voice Artist

“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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