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आख़िरी ख़्वाहिश अध्याय -24 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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चौबीस मैं बडा तूफान सफलता देख सकता था । वो एक मुश्किलों के समंदर की तरह महसूस हुआ और मैं उसमें डूब नहीं जा रहा था । मैं निराश था । मैं जल्दी पिता बनने वाला था लेकिन खुश होने के बजाय में उदास था । मैं अपने बच्चे के भविष्य के बारे में चिंतित था । इस स्थिति में केवल एक व्यक्ति था जो मेरी मदद कर सकता था । मेरे पिताजी सौभाग्य से आस्था की हालत अब स्थिर थी । हमने एक साथ लंच किया और जब दोपहर के नींद के लिए लेती तो मैंने जाने और अपने पिताजी से मिलने का फैसला किया । मैं गाडी चला रहा था । मुझे हर बात याद आई । मेरे साथ क्या क्या हुआ था? मुझे एक समस्याग्रस्त बच्चे से ज्यादा कुछ नहीं लगा । मेरी उम्र में हर कोई अपने माता पिता को गर्व करने के लिए कुछ कर रहा था । पर मैं मैं यहाँ एक था । एक बोझ मैंने स्वयं को बेकार महसूस किया । जब मैं उनके पास पहुंचा तो पहले मैंने उनसे डॉक्टर के साथ हुई चर्चा के बारे में बताया । मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की कोशिश करते वक्त बहुत करने में सक्षम नहीं था । लेकिन मेरे पता है चप्पल व्यक्ति थे । मुझे किताब की तरह पढ सकते हैं । मुझे नकारात्मक चीजों के बारे में मत सोचो और उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करो जो तुम कर सकते हैं । उन्होंने कहा, राशि क्या होगी मेरे पता चलता है तो मुझे लगा तो उसके लिए शायद पर्याप्त लगभग तीस लाख वो चौंकते हुए नहीं लग रहे थे । चिंता मत करो । बता हम उस पैसे की व्यवस्था करेंगे । प्याज विश्वास से भरपूर देखें । उनका आत्मविश्वास मुझे आशा के किरण जगाने के लिए पर्याप्त था । हमें कैसे करने जा रहे हैं? पापा एक समस्या नहीं होगी । हमारे पास से भर है । विशाल बीस साल पुराना होगा लेकिन ये बीस लाख से अधिक मूल्य का है । बातचीत के दौरान वो बहुत शाम तक रहे थे तो मैं देख सकता था । उनकी आंखों में प्यार था और रत्तीभर भी अफसोस नहीं था । उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, घर को भेजने के बाद हमें छोटे से अपार्टमेंट में जा सकते हैं । पर तो पापा ये घर आप दोनों का है । मेरे विचार से से बेचने से पहले आपको माँ से पूछना चाहिए । मुझे नहीं लगता कि वह सहमत होंगी, सबसे कम आस्था के लिए नहीं । क्या तुम को लगता है कि ये केवल तुम्हारी पत्नी के बारे में है? उसी के लिए नहीं तुम्हारे लिए भी है और वो तुमसे ज्यादा किसी से भी प्यार नहीं करती है तो सहमत होगी । असहायता और अपराधबोध मुझ पर फिर से हारी होने लगे । मुझे खेद मत । जवाब मुझे पता है कि तुम मेरे स्थान पर होते तो हम ने भी वही क्या होता है । उस पर मुझे एहसास हुआ कि मैं उन्हें पाकर कितना भाग्यशाली था । मेरे हर अच्छे बुरे में मेरे साथ खडे थे । कितना नालायक हो, क्या आप मुझे निराश नहीं हुए? मैं निराश होंगा । विजय इसके विपरीत तुम्हारे जैसा बेटा पर मुझे गर्व से भर देता है । बनावटी मुस्कुराहट के साथ उन्होंने कहा, अब मैं आपकी जैसे पिता के लायक नहीं है । मैंने रुंधे गले से कहा, हम जानते हो हमारी मात्र समस्या स्वयं को कम करके आंकना है तो मैं कर्तव्यनिष्ठ बेटे हो । पिता जी मुझे सच पता है । मैंने कहा जब उन्होंने मुझे चुप चाप देखा । मैं सौभाग्यशाली था कि मुझे उनके जैसा साथ देने वाला और समझदार पिता मिला । मेरे पिता है, बहुत बुद्धिमान व्यक्ति थे । उनकी चुप्पी का मतलब था उनके अगले शब्द मेरी निराशा को हाल करेंगे । वजह से तुम्हारे जन्म से पहले लगभग हर दिन तुम्हारी माँ से मेरी लडाई होती थी । हमने अलग रहने का फैसला कर लिया था और फिर एक दिन तुम्हारी माँ ने मुझे अपने जीवन क्या सबसे अच्छा उपहार दिया । उन्होंने मुझे बच्चा देकर धन्य कर दिया था । मैं कभी भी खुश व्यक्ति नहीं था । मैं तो नौकरी के साथ नहीं अपनी पत्नी के साथ । मेरे पूरे जीवन में अगर मुझे सुखद पल याद है तो ये हमेशा उन से संबंधित है । इसलिए गलत कारणों से दुःख या अवसाद महसूस मत करो । उन्होंने मुझे सब कुछ दिया है मेरे बेटे मैंने कोई जवाब नहीं दिया । सिर्फ मुस्कराकर रह गया । आंसुओं के बीच संघर्ष करती है न कि उस पर । मुझे नहीं पता था की मैं अच्छा बेटा था या नहीं । लेकिन मेरे पास निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ किताब है भूल जाओ । उन्होंने विषय बदलते हुए कहा, सात अच्छा को पूरा करने के बारे में क्या कोशिश कर रहे हैं । वर्तमान में मैं उसके इलाज पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ । मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी सडक इच्छाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त साहस बटोर सकता हूँ लेकिन तुमको से आजमाना चाहिए । मैंने से मिला मैं जाने के लिए तैयार था क्योंकि आस्था के ली थी । पापा मुझे छोडने के लिए बाहर आए । मैंने अपनी कार स्टार्ट करने से पहले अपना आखिरी सवाल छोडा, अपन आप खर्चों का प्रबंधन कैसे करेंगे? आप किसी किराये के फ्लैट में स्थानांतरित हो सकते हैं लेकिन तब आपकी खर्चे बढ जाएंगे । मुझे किसी भी समय कॉलेज की नौकरी से निकाला जा सकता है । मुझे क्या तुम सेवानिवृत्ति का सबसे अच्छा हिस्सा जानते हो? क्या उन्होंने एक अजीब सी मुस्कान दी पेंशन?

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“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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