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चौदह है । आस्था की साथ इच्छाओं ने मुझे रोज याद दिलाना शुरू कर दिया था । छह महीने हुए थे, जब से मैं उसे जानता था । लेकिन अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उसे बिल्कुल नहीं जानता था । उसके जैसी आधुनिक और महत्वाकांक्षी लडकी कैसे माँ बनना चाहती है, कोई कारण होना चाहिए । एक भव्य रात्रिभोज के बाद हम टेलीविजन के सामने आराम कर रहे थे । एक समाचार चैनल पर खबर आई । सुष्मिता सेन एक प्रसिद्ध अभिनेत्री एक और कन्या संतान को अपनाने की योजना बना रही थी । उस की शादी भी नहीं हुई थी । एक अकेली मां होने के नाते कितना मुश्किल होता होगा? मैंने सोचा । उसकी हिम्मत ने मुझे खतरनाक सवाल पूछने के लिए उकसाया । इसके बारे में सोचने तक से अधिकतर पुरुष भयभीत होते हैं । आज था । मैंने इसके चाहते हुए कहा, मुझे लगता है कि ये हमारे लिए समय है । अपने परिवार के विस्तार का ऍन विजय, तमिल, बढिया मिस्टर विजय अंततः पिता बनने के लिए तैयार हैं । उसकी आवाज में उत्साह उसके आंखों की चमक के साथ मिल गया था । मैं बच्चा अपनाने की सोच रहा हूँ, खोद लेना । उसने कहा, जब हम जान दे सकते हैं तो खुद के लेना था । हमारे देश में कई अनाथ हैं तो पहले से बढती आबादी को और बढाने की बजाय हम एक बच्चे को अपनाना चाहिए । मैं कोई संत नहीं हूँ लेकिन मैंने बच्चा गोद लेने के लिए जो कारण दिया । उम्मीद पत्नी के लिए कम से कम निश्चय ही मुझे वोट व्यक्ति के रूप में वर्गीकृत कर रहा था । मेरे शब्दों की प्रतिवर्ती क्रिया के रूप में उपग्रह हुई । कुछ बडबडाई और अंतिम किसने कहा नहीं, मैं बच्चा गोद नहीं होंगे जो मैंने प्रतिवाद किया । एक बच्चा गोद लेने में क्या सौदेबाजी? कुछ नहीं । मैं बस ये सब नहीं चाहती क्या तो मुझे कुछ छुपा रही हो । मुझे अच्छी तरह से मालूम था की आस्था बात होनी थी । वो निश्चित रूप से बताएगी कि उसके दिमाग में आखिर किया था । मैं अपने पिता की दूसरी पत्नी के लिए एक सौतेली पुत्री थी और जब उन्हें बच्चे हो गए तो हर किसी का ध्यान मुझ से हटकर उस पर हो गया । जब भी मेरी माँ कुछ खरीदने के लिए बाहर गई तो केवल देरी सौतेली बहन के लिए सामान खरीद थी । हर साल उसका जन्मदिन उत्सव की तरह मनाया जाता था । यहाँ तक कि मेरी जन्मदिन पर कोई मुझे बधाई तक नहीं देता था । केवल मेरे पिता कभी कबार उपहार में कुछ कपडे देते मैंने विरोध किया केवल बाद में महसूस करने के लिए कि मैं हमेशा एक आवांछित बच्ची थी । एक अवांछित अवैध बच्ची । आस्था ने आंखों में आंसू के साथ कहा, मैंने उसे कसकर अपने आलिंगन में लिया । कहा जैसा कि मैंने तुमको बताया था, जब हम पहली बार मिले थे, वो बच्चा नहीं होता जो नाजायज होता है बल्कि माता पिता नाजायज होते हैं । उसे मुस्कुराता हुआ चेहरा रखने में कितनी मुश्किल आती होगी । उसके खुशमिजाज भाग्यशाली स्वभाव से कौन अनुमान लगा सकता था कि वह किस मनस्थिति से गुजरी थी और गुजर रही थी । मुझे पता है उसने स्वयं को शांत करते हुए कहा, बिल्कुल, मेरे माता पिता ने जो किया उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं होगा । लेकिन मुझे अपने पूरे जीवन में मैं अपने आप तक ही सीमित नहीं हूँ । मेरे पास कोई नहीं था जो मुझे गले लगातार तो कभी भी माँ, बहिन बच्चे की दुर्दशा की कल्पना नहीं कर सकते हैं । मैं हमेशा अपने मूर्खों जैसी माँ को दिखाना चाहती थी । वो चुप हो गई । क्या था मैंने उसकी छुट्टी पकडकर कहा, एक दिन मैं दुनिया की सबसे अच्छी मामलों में उसके बाद से मुझे छोटा दिल का दौरा पडा और पहली बार मैंने उसके सामने झूठ बोलने का फैसला किया तो ठीक होगी । क्या होगा अगर हम एक बच्चे को गोद लेने के बाद एक को जन्म देते हैं । हो सकता है कि हम दोनों के बीच भेदभाव न करेंगे । उसका डर अब बाहर आ रहा था । मुझे यकीन है कि हम दोनों को समान रूप से प्यार करेंगे । मान लो हमारे पास अपना बच्चा नहीं है तो गोद लेना सबसे व्यावहारिक विकल्प है । मुझे खुद से घटना हुई जब मेरे भूसे फिसल गए । नहीं सही है । अभी तो हर बार इस कम्बख्त कंडोम का इस्तेमाल करते रहो गई तो अंत में हम केवल को भी ले सकेंगे । उस निराशा में कहा मैं मुस्कराया तो उनके मुस्कुरा रहे हो और फिर उसने विचार किया कि मेरी मुस्कान एक हसी थी, कुछ भी नहीं । मैं एक बात को लेकर निश्चित हूँ । झूठ बोलकर किसी को खुश करना सबसे किसी को चोट पहुंचाने से हमेशा बेहतर होता है तो सबसे अच्छी माँ होगी ।
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