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आख़िरी ख़्वाहिश अध्याय -12 in Hindi

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706 Listens
AuthorSaransh Broadways
“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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बारह विजय के पिता द्वारा मैं संजय विजय का पता और मैं अपने बेटे के लिए लिख रहा हूँ । मैं टुकडों और हिस्सों में कहानी का अपना पाठ भरूंगा और मुझे स्पष्ट करने नहीं की । मैं पिता के रूप में लिख रहा हूँ । मैं मानता हूँ मैं पिता हूँ जिसने अपने बेटे के आत्मविश्वास की हत्या की । ये प्रकृति का नियम है कि निर्माता ही विध्वंसक भी है । मैंने अपने बेटे का जीवन बनाया और नष्ट किया । जैसे कितना पर्याप्त नहीं था । भाग्य ने उसे और भी नष्ट करने की कोशिश की है । मेरा जीवन विजय का जीवन शुरू होने के साथ समाप्त हुआ । मैंने लव मैरिज की थी । तभी शादी के बाद मेरा प्यार मर गया । उत्तर प्रदेश में एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मेरी मुलाकात एक उत्साही और बहुत कैरियर उन्मुख पत्रकार से हुई और मेरे जीवन में प्यार का पहला आवे पल्लवित हुआ विजय की माँ की मुझे उसका आत्मविश्वास और जुनून पसंद आया । कहने की जरूरत नहीं । एक ईमानदार पुलिस अधिकारी एक पत्रकार पर मर मिटा था । खुशी और शादी पूरी तरह से दो अलग बात थी । वो सुंदरता और दिमाग का एक जटिल मिश्रण थी । मेरी ईमानदारी को उसने सौदेबाजी के लिए ब्रेक मिल करने और कुछ पैसे कमाने के अवसर के रूप में माना था । ईमानदारी उसके लिए सिर्फ एक सिद्धांत था । इसके वास्तव में कोई प्रासंगिकता नहीं थी । जब भी मैं किसी को गिरफ्तार करता तो वो मुझे अपना आत्मसम्मान, किराने और अपनी अंतरात्मा बेचने के लिए मजबूर कर देती है और उसके स्टार पर मैंने ऐसा कई बार क्या मैं ईमानदार पुलिस अधिकारी नहीं रह गया था जिस व्यक्ति को मैं दर्पण में देखता हूँ । दो बार मर चुका था रिश्वत लेने के लिए मुझे उकसाने की उसके तीसरे प्रयास के दौरान मैं रंगेहाथ पकडा गया था और चार महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था । मेरे अस्थायी रूप से निलंबन ने हमारे जीवन की खुशी स्थायी रूप से खत्म कर दी थी । मैंने काम फिर से शुरू किया लेकिन हमारा संबंध फिर से शुरू नहीं हो सका । अब हम हर छोटी चीज के लिए लडते हैं, चाहे वो मेरा वेतन हूँ या तैनाती का मसला । मुझे याद नहीं कि हमारे बीच में गर्म बहस के बिना कोई हफ्ता गुजरा हूँ । हमारी शादी के पहले कुछ महीनों के बाद मैं सत्य को मान चुका था की हम दो बहुत अलग अलग प्राणी थे । हम निश्चिंत हो चुका था की हम एक दूसरे के लिए नहीं बने थे । मेरा मानना है किसी के साथ रहकर दुखी रहने की तुलना में अकेले और खुश रहना हमेशा बेहतर होता है । मैंने विवाह के बंधन से बाहर निकलने का अपना मन लगभग बना लिया था और अपने जीवन की भारत फिर से लिखने की कगार पर था । जब हमारे जीवन के उद्धारकर्ता का आगमन हुआ, मेरी पत्नी गर्भवती हो गई । विजय का अर्थ मेरे लिए दुनिया थी और हम दोनों से बहुत प्यार करते थे । हमारे पास अभी भी लडने के लिए कारण थे लेकिन ये भी कारण था उन झगडों से बचने का । अपनी नौकरी की प्रकृति के चलते मुझे अलग अलग शहरों की यात्रा करना अपेक्षित था । विजय की माँ ने एक खेल पत्रिका के संपादक के रूप में ज्वाइन किया और खिलाडियों के सक्षात्कार के लिए विभिन्न स्थानों की यात्रा करना उस की आवश्यकता थी । इसमें विजय के अध्ययन में बाधा डाली । अपनी प्रासंगिक वर्षों के दौरान दोनों अभिभावकों की अनुपस्थिति के परिणाम शुरू । उसका अकादमिक आधार कमजोर पडने लगा । उसने ग्रेड होने शुरू किए और कुछ साल बाद दिन में ग्रेड ही आदर्श बन गया । वो उतने ही नंबर लाता जो अगली कक्षा में प्रोन्नत होने के लिए पर्याप्त हो । मेरा जीवन अब पूरी तरह बिखर चुका था । मेरी नौकरी में कोई प्रोन्नति और उत्साह नहीं बचा था तो क्योंकि अब मेरा नाम भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों की सूची में पंजीकृत हो चुका था । आगे बढने में असमर्थ होने की भेजी निराशा का असर विजय पडा । मैंने अपने सपने उस पर थोप दिए । विजय की माँ मेरे बीच विजय के करियर को लेकर गरमा गरम बहस हो जाती थी । वो चाहती थी कि वह इंजीनियरिंग का चुनाव करें लेकिन मेरी निराशा नहीं । मुझ पर जीत हासिल की । मैंने दोनों से घोषित किया की विजय केवल एक आईएएस अधिकारी बनेगा और कुछ नहीं रहनी की बात है । विजय ने कभी कुछ और बनने की इच्छा व्यक्त नहीं की । शुरू में मुझे लगा कि वह एक अत्यंत आज्ञाकारी बेटा था । बाद में मुझे एहसास हुआ कि उसकी किसी भी विषय में कोई दिलचस्पी नहीं थी । वह अंतर्मुखी और बहुत शर्मिला निकला । वो शायद ही कभी बोलता होगा । उसका कोई दोस्त नहीं था । प्रेमिका होने का तो कोई प्रश्न ही नहीं था । तो शायद ही किसी चीज के लिए लडता होगा । संघर्ष, प्रेरणा, कुछ हासिल करने के लिए जुनून सब उसके लिए शत्रु थे । तो अपने सभी प्रयासों में आईएएस परीक्षा को तीन करने में असफल रहा । सिर्फ एक बार उसने यूपी पीसीएस की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उपरी की । मुझे अभी भी वो दिन याद है जब विजय ने घोषणा की । उसने यूपी पीसीएस का दूसरा पेपर उत्तरी कर लिया और साक्षात्कार के दौर में शामिल होने के लिए तैयारी कर रहा था । रोमांचित था क्योंकि पहली बार मुझे उम्मीद की किरण देखी थी । मैं तब मेरठ में तैनात था । मैंने अपने बेटे के पास जाने के लिए छुट्टी विजय मेरे बेटे तो अपने पिता का सपना पूरा करने के बहुत करीब हो । मुझे वास्तव में तुम्हारे ऊपर बहुत गर्व है । मैंने कहा जब से गले लगा रहा था, धन्यवाद बाबा । लेकिन इससे पहले कि वो कुछ और कह सके मैंने उसके बाद कार्ड नहीं । क्या तुम्हें याद है कि तुम ने क्या कहा था जब तुम आई । एस के तीसरे प्रयास में विफल रही थी । उन्होंने कहा था कि तुम अब और प्रयास नहीं कर सकते हैं और देखो हमारी कडी मेहनत नहीं, आज मूल्य चुकाया है । बाबा आप मुझे आईपीएस अधिकारी के रूप में देखना चाहते थे । नहीं मैं तो मैं पीसीएस अधिकारी के रूप में देखना चाहता था । पीसीएस अधिकारी पुलिस बल में शामिल होते हैं । मैंने से झूठ बोला था कि उसका आदमी वास कमजोर ना पडेंगे । आपने मुझे आईएएस परीक्षा तीन करने के लिए क्यों मजबूर किया? उसने पूछा क्योंकि आईएएस की तैयारी यूपीसीए से ज्यादा मुश्किल है । तुम्हारी पीसीएस तीन करने की राह आसान बनाई । मैं अपने स्पष्टीकरण से आश्चर्यचकित था । मुझे नहीं पता कि मैंने अपने बच्चे के साथ क्या किया क्योंकि उसने वही वाक्य रहा था जिसमें मुझे सबसे ज्यादा ट्रस्ट किया था । आप साक्षत्कार अभी होना है मैं नहीं जानता हूँ । मुझे विश्वास है कि मेरा बेटा ऐसे शानदार ढंग से तीन करेगा । फिर मैंने उसे आश्वासन दिया लेकिन मैं वास्तव में डर रहा हूँ । अब आप इस बात का डर सुरक्षा कॅश नहीं । बाबा बाबा, बिल्कुल विश्वास इसकी मुझे कमी है । बजाये हमारे पडोसी के बेटे मोहन को देंगे । अपनी दसवीं की परीक्षा में दो बार असफल रहा था लेकिन फिर भी पीसीएस तीन करने में कामयाब रहा । वो ऐसी श्रेणी से संबंधित है । कुछ आरक्षण का फायदा मिला । यादव चाचा के बेटे को देखो वो एक ओबीसी है । उसके उत्तरों ने मुझे हताश कर दिया । दूसरों के साथ खुद की तुलना मत करो । बस स्वयं को देखो । मैं एक सामान्य श्रेणी का उम्मीदवार लेकिन तुम बहुत खास हो किसी भी मोहन या सोहन के साथ मेरे बेटे की तुलना करना बंद करो । मुझे की माँ लाइट और हमारी वार्तालाप में बाधा डाली तो हमेशा ऐसा करेगी । पांच डालेगी जब मैं अपने बेटे से बात करूंगा । मैं किसी के साथ उसकी तुलना नहीं कर रहा हूँ और मेरा भी बेटा है । मैंने प्रत्युत्तर दिया । विजय उन की बात मत सुनना । उसकी माँ ने कहा क्या मैं शांति से अपने बेटे से बात कर सकता हूँ? मैंने तिलमिलाकर उससे कहा संजय याद रखो ये हमारा एकलौता बेटा है । कमरा छोडने से पहले उसने कहा मैंने सोचा कि मेरे जीवन में वह कैसे आ गई थी । उसकी उपस्थिति ने माहौल पूरी तरह बदल दिया था । कुछ मिनट पहले हम कृष्ण और अर्जुन की तरह व्यवहार कर रहे थे । ऍम महसूस हुआ जैसे हम किसी मुर्दाघर में बैठे थे । हमारे घर में ये बहुत ही आंध्र वजह अपनी माँ की बात मत चलो । मैंने गुस्से में कहा माँ कहती है कि मैं आपकी बात नहीं शुरू और आप उनके बारे में यही कहते हैं । मैं उसके शब्दों से आश्चर्यचकित नहीं था क्योंकि ये पहली बार नहीं था की विजय स्थिति का सामना कर रहा था तो हम दो विजय मैं किसी से तुम्हारी तुलना नहीं कर रहा हूँ । मुझे शत प्रतिशत यकीन है कि तुम ही कर सकते हो तो वहाँ तक शक्कर कब सुनिश्चित है । अब ध्यान से सुनो साक्षात्कार की तैयारी करने में मदद के लिए सबसे अच्छे कोचिंग संस्थान में प्रवेश हो । मैं व्यक्तिगत रूप से लूंगा तो भारत पत्र सक्षम का ठीक है । सामान जैसा आप कहें की मेरे बेटे के साथ समस्या तो हमेशा दूसरों की इच्छाओं का ख्याल रखता था । उस की सबसे बडी समस्या ये थी कि वह एक समय में दो से अधिक लोगों का सामना नहीं कर पाता था । मैं स्वयं इस बारे में चिंता था की कैसे मेरा बेटा सिविल सेवा सक्षात्कार का सामना करेगा । तब एक दर्जन आखें उसे एक साथ खुल रही होंगी तो कह नहीं सकता कि मेरा बेटा धारा हुआ है क्योंकि आखिरकार मेरा बेटा है और प्रत्येक पिता की तरह मुझे अपने बेटे के लिए आशा करने का अधिकार था । उसका अंतिम सक्षम का इलाहाबाद में था । इलाहाबाद जाने के एक दिन पहले मैं नोएडा पहुंच गया । मैंने वहाँ जाने से पहले ठहरे से अपनी पत्नी के वो जगह छोडने का इंतजार किया । विजय चलो ऍम सक्षात्कार के साथ अभ्यास करते हैं । मैं उसकी तैयारी को मापने की इच्छा रखते हुए कहा, मैं एक पंक्ति में पांच कुर्सियां लगा दी । एक कुर्सी उसके सामने थी । वो काॅस्ट की कुर्सियां थी और उसके सामने वाली उम्मीदवार की कुर्सी थी । मुझे सिर्फ इतना सोचो कि तुम पूरा रूम में वास्तविक सक्षम हो और पांच पैनलिस्ट तुम्हारा सक्षम तार कर रहे हैं । वो पांच लूँ । विजय ने आश्चर्य मैं कहा ध्यान दो विजय मेरी आंखों में देखो, वहाँ पांच पैनल से अधिक हो सकते हैं । उससे क्या फर्क पडता है? ऍम कोई बात नहीं, हम कर सकते हो । आराम से रहो सहज रहा हूँ । अब तुम्हारा साक्षरता शुरू करें । तुम कमरे के बाहर इंतजार करूँ तब प्रवेश होना । जब मैं तुमसे कहूं ठीक ऍम । दरवाजा खोलते समय उसने पूछा सर मैं कर सकता हूँ । विजय भी जाइए और बैठ जायेंगे । मैंने टेलीफोन निर्देशिका के पृष्ठों को पढते हुए कहा तो मैं समझ जाए आप कहाँ से हैं? मैं भारत से हूं । वर्तमान में नोएडा में रह रहा है । उसने तेज और छठी तक उत्तर दिया अच्छा मैं प्रभावित हूँ । मुझे अपने बारे में कुछ बताएं । मुझे जवाब पता है । तब आप कोचिंग संस्थान में पहले से ही मुझे खुद के बारे में पूछने पर सबसे अच्छी पंक्तियां बता दी गई हैं मुझे मैंने पूछा मुझे जवाब दो । बोर्ड रूम में हो । मैं विजय हूँ । मैंने गवर्नमेंट स्कूल में पूरी पढाई की । मैं बहुत सम्मानजनक परिवार से हूँ । मेरे पिता उत्तर प्रदेश पुलिस के एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं । मेरी माँ एक प्रमुख पत्रकार है । अपने देश के लिए प्रेम और लोग मेरी नसों में रहते हैं । मैं जीवन भर एक सफल व्यक्ति रहा हूँ । मैंने जो भी सपना देखा उसे हमेशा हासिल किया है । अपने कॉलेज क्रिकेट टूर्नामेंट में मुझे हमेशा एम्पायर के रूप में नियुक्त किया गया क्योंकि शिक्षक मेरी ईमानदारी और निर्णय लेने के कौशल से प्रभावित थे । मैं सोशल का उपयोग करूंगा और अपने देश की सेवा करने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा । ऍम था और सोच रहा था कि क्या ये पंक्तियां वास्तव में मेरे बेटे के लिए थी या किसी और के लिए शानदार? जवाब मेरे बेटे हमारे हम बोल रूम में है । मुझे बहुत खेद है । हमें समझे आप पुलिस बल में शामिल होना चाहते हैं । जब भी मैं यूपी पुलिस के बारे में सभी गलत कारणों से कोई खबर देखता हूँ, सुनता हूँ । पटना करता हूँ कि लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं । मुझे दुख होता है । आखिरकार मैंने अपने पिताजी को एक जगह से दूसरी जगह बस रांची की सेवा करने के लिए दौडते हुए देखा है और उसके बाद भी स्थिति अभी भी जस की तस है । मुझे हमेशा इसमें होता है कि कभी प्रणाली बदलेगी । उसके बाद मुझे एहसास हुआ । सपने देखने से कुछ भी नहीं बदलेगा । लेकिन व्यवस्था का एक हिस्सा बनने से निश्चित रूप से किसान के रूप में अपराधियों को दंडित और लोगों को सुरक्षित महसूस करने में मदद करना सबसे अच्छी भावना होगी । मैंने ताली बजाना शुरू कर दिया क्योंकि मेरे लिए ये विश्वास करना था कि वही विजय था । मेरा बेटा वो जो अन्य लोगों के सामने अपना भी खोलने से डरता था । हमने वास्तव में सबसे अच्छी कोचिंग ऍम की । मैंने उसे बुला रहा हमने वार्ता इस भी मानक प्रश्न है जिसके लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूँ । परन्तु इसके बाद कोई किन्तु परन्तु नहीं विजय अब मैं आश्वस्त हूं कि तुम अपने पिता के सपने को जरूर पूरा करोगे । साक्षात्कार के दिन में उनसे ज्यादा परेशान था तो वो मेरे मूढतापूर्ण सपने का पीछा कर रहे थे । ये विचार की वो अज्ञात लोगों के सामने चढ हो जाएगा । कुछ चिंतित कर रहा था । मैं सुबह से प्रार्थना कर रहा था और जैसे ही विजय ने मुझे सब सरकार के बाद पुकारा, मैं अपने जीवन की सबसे खुशी वाली खबर सुनने की आशा में अपनी कुर्सी से उछल गया । शक्कर कैसा रहा? मैं सीधे मुद्दे पर आ गया । अच्छा वस्तुओं में कितनी देर तक चला? लगभग पांच मिनट । क्या अब वहाँ कितने पैनलिस्ट थे? दस मैं कुछ सेकंड के लिए चुप था क्योंकि मुझे नकारात्मक अनुभूति हो रही थी । उन्होंने तुमसे क्या पूछा? उन्होंने केवल तीन प्रश्न पूछे । तीन मुझे लेकिन है कि तुम मैं आप विश्वास से उन्हें जवाब दिया होगा । ऍफ प्रयास किया । पहला सवाल किया था, मुझे अपने बारे में कुछ बताइए गए । हमने कल की तरह ही कहा होगा है ना । मैंने कोशिश की दूसरे सवाल के बारे में क्या मुझे अपने बारे में कुछ और बताऊँ? क्या मैं चौंक गया था और तीसरा कुछ और जो आप हमें और अपने बारे में बताना चाहते हैं? मुझे स्पष्ट याद है जिस दिन विजय मेरे पास आया था, अपने बेटे द्वारा आपको गले लगाया जाना सर्वोत्तम कैसा है? लेकिन सबसे खराब एहसास में बदल जाता है तो उसकी आंखों में आंसू होते हैं । वो निराश निरूत्साहित और था ताकि वो स्वयं को दोष दे सकता था । हाँ, जिस स्थिति में विजय था मैं उसके लिए जिम्मेदार था । अगर किसी बच्चे का आत्मसम्मान गिरा हुआ है । ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें प्रोत्साहित करने से अधिक आप सलाह देते हैं । अगर किसी बच्चे में आत्मविश्वास की कमी है, इसका मतलब है कि आपने उसे कोई भी निर्णय लेने की कभी अनुमति नहीं दी है । विजय स्थिति में खराब अभिभावक ता के कारण था । जब आईएएस और पीसीएस क्लीन करने के अपने सभी प्रयासों में विफल रहा तो मेरे पास आया और फूट फूटकर रोया था तो भगवान से अभिशप्त था । लेकिन एक दिल के भीतर से पूरी तरह जानता था की मुझे अपशब्द होना था । मैं वो एक था जिसमें उस से अप्रत्याशित की प्रत्याशा की थी । उसकी माँ ने सहायक प्रोफेसर के पद पर सिफारिश करके बाधाओं को मानते और विजय को नौकरी दिलाई । फिर हमने उसकी शादी का फैसला किया । यहाँ तक कि डेढ साल के अंधाधुंध खोज के बाद भी हम अपने सभी प्रयासों में विफल रहे । लेकिन हर बादल के साथ एक उम्मीद की किरण होती है । मुझे अक्सर आश्चर्य होता है की आस्था जैसी लडकी ने कैसे विजय जैसे लडके के साथ हम भी भर दी । वो एक अपून मैच तब थे जब वो एक अपूर्ण मैच अब हैं, भाजपा बोर्ड है और विजय शर्मीला है । आस्था आत्मविश्वासी हसमुख महत्वाकांक्षी और आधुनिक है लेकिन वो उसे ईमानदारी से प्यार करती है । माता पिता के लिए देखना हमेशा एक आशीर्वाद की तरह होता है कि उनके बच्चे को अपने जीवन साथी कब प्यार दुलार और देखभाल मिल रहे हैं । विजय के जीवन में खुशी लंबे समय तक नहीं करती है और उस नहीं एक और विजय को जन्म दिया तो अपनी पकती के लिए लडा और अब जब कि वो एचआईवी पीडित मैदान की गई है उसने किसी तरह उसकी अजीब लगभग असंभव इच्छाओं का पीछा करने का साहस जुटाया है । केवल बिहार करने वाला एक व्यक्ति इतना मूढतापूर्ण प्रयास कैसे कर सकता है लेकिन एक पिता के लिए की शायद ही मायने रखता है कि उसका बेटा जीतता है या हारता है । मैं सत्य से संतुष्ट था कि वो किसी चीज के लिए हम तो पहन लड रहा था मैंने स्वयं से फायदा क्या की हर कदम उसके साथ चल रहा हूँ । मैं बैडरूम में अलमारी वाले हिस्से में गया जहां पर मूर्तियों में देख पांच राजमा थे जिनका स्थित मेरे लिए अभी भी संदिग्ध था और मैंने कहा तो मैं उसे उसकी सभी चाय पूरा करने में मदद करें । मेरे बेटे के व्यवहार को पागलपन के रूप में माना जा सकता है, लेकिन कम से कम से साहस और आत्मविश्वास प्रदान कीजिए । फॅमिली बेटे की मदद कीजिए, मेरी मदद कीजिए ।

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Sound Engineer

Voice Artist

“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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