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आख़िरी ख़्वाहिश अध्याय -01 in Hindi

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8 K Listens
AuthorSaransh Broadways
“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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आप सुन रहे हैं तो वो एफ एम किताब का नाम है । आखिरी फाइल जिसे लिखा है अजय कुमार पांडेय ने आरजे आशीष चैन की आवाज में कुकू ऍम सोने जो मन चाहे इस दुनिया में तीन प्रकार के शिक्षक है, वे जो वहीं पढाते हैं । जो भी शिक्षक की तरह महसूस करते हैं वे जो वहीं बढाते हैं जो विद्यार्थी पढना चाहते हैं और वे जो पढाना तो चाहते हैं लेकिन वास्तव में कभी नहीं पडा । मैं तीसरी श्रेणी में आता हूँ । मेरी सैलरी स्लिप ने मेरा पद सहायक प्रोफेसर के रूप में बताया लेकिन पूरे साल में परीक्षाओं के निरीक्षण, नियुक्तियों, सांस्कृतिक और तकनीकी त्यौहारों में हाथ बटाने छात्रों को परामर्श देने, सूचना के अधिकार के नोटिसों का उत्तर देने, कॉलेज की वार्षिक पत्रिका में प्रकाशित होने के लिए फर्जी कहानियाँ देखने और छात्रों के लिए एक पेशेवर दौरे की व्यवस्था करने में व्यस्त रहा । अगर मेरे पास कुछ समय बच्चे तो में पढाओ मैं वास्तव में तदर्थ संकाय हूँ । मेरी आवश्यकता केवल छुट्टी पर गए संकायों का स्थान भरने के लिए पडती है । मेरे ज्यादातर छात्र मुझसे तो हत्यार करते हैं शायद क्योंकि मैं हरफनमौला हूँ लेकिन अनिवार्य रूप से हरफन अधूरा मंगलवार जून दो हजार दस मैं दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर गोवा एक्सप्रेस से बत्तीस घंटे की लंबी यात्रा के बाद उतरा । यद्यपि मैं आधा भी धक्का नहीं लग रहा था । साल के इस वक्त दिल्ली उबल रही थी जैसे कि सूरज दिल्ली वालों से बदला ले रहा था । हवा में आद्रता पैदा कर बादल बारिश होने की झूठी तसल्ली दे रहे थे । सडके आने जाने वालों से कम थी । मैंने मालवीय नगर के लिए ऑटो किराये पर लिया और अगले तीस मिनट के बाद जब मैं ब्लॉक के फ्लैट नंबर की घंटी बजाने वाला ही था, मेरे जीवन की सबसे अद्भुत महिला ने दरवाजा खोल दिया । गुड मॉर्निंग । इससे पहले की मैं अभिवादन पूरा कर पाता हूँ । वो आगे बडी और मुझे चूम लिया । मैं आश्चर्यचकित नहीं था क्योंकि मुझे पता है वो अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक कुतुब मीनार तक पर चढ सकती है । मैं प्रत्युत्तर नहीं दे सका । सोसाइटी के बगीचे में योग कर रहे बुजुर्गों के लिए ये एक मुफ्त सोना बन जाए । इस पर अधिक ध्यान था तो मैं घर के अंदर प्रवेश हुआ । उसे आलिंगन में लेकर और बताने की जरूरत नहीं कि हमने चुम्बन लिया । इस बार मैंने गहराई से और जुनूनी होकर प्रत्युत्तर दिया था । मैंने ये खोज की थी कि दो चुम्बनों में एक लंबा अंतराल इसके महत्व को कई गुना बढा देता है । मैंने तो नोटिस किया डालेंगे । वो नाक से फुसफुसाई । छह से ठंड लग रही थी । मैं उसकी और देखकर मुस्कराया और कुछ मिनट के खामोश आलिंगन और तुम मान के बाद धीरे से कुछ कुछ आया तो नहीं । रिमिक्स किया बहुत तेज थी क्योंकि अन्यथा मैं भावनात्मक रूप से बहुत वाचाल नहीं । हम थोडी देर के लिए खामोशी से चिपके रहे । कभी कभी खामोशी बहुत कुछ कह देती है और ये मुझे क्या आप सबसे अच्छी भाषा थी । मैं शादी के बाद पहली बार बीस से अधिक दिनों के लिए घर से दूर रहा था । यात्रा किसी थी । उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा, मैं ड्यूटी पर था, ठीक है? मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है । ये विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं । मेरे कहने का मतलब वो हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का अद्भुत साहस था । मैं मुस्कराया लेकिन कुछ नहीं बोला । वो चक्कर खडी हुई और बोली चुनाव फ्रिज में सॉसपैन में पोहा और जूस रखा है तो रहकर अपना नाश्ता कर लूँ । तुम कहाँ जा रही हो । मैंने संस्था से पूछा यही तो भूल गए हो तो मैं एक्सिस बैंक में काम करती हूँ । क्यों नहीं छोटी लेती हूँ? चाहे मन तो अभी तक ठंड से बुरी तरह पीडित हो । अगर मैं अपने दिल की बात बोलने में कामयाब रहा हूँ उसे घर पर ही रुकने के लिए कहने के पीछे सच ये था कि पिछले बीस दिनों में मैंने उसे शिद्दत से याद किया था । उसके साथ ही ये प्रज्ञा भी था कि जब मैंने दिल्ली छोडा था तब भी उसे इसी तरह के लक्षण थे और अभी तक ठीक नहीं हुई थी । लेकिन आस्था ने मेरे अनुरोध को ठुकरा दिया । नहीं । उसने अपने वालों को कंघी करते हुए उत्तर दिया, मेरी परिविक्षा अगले सप्ताह होने वाली है और मैं प्रबंधक को मुझे नकारने का कोई मौका नहीं देना चाहते । चिंता मत करो इस सिर्फ एक कॉमन कोर्ट है । आस्था एक करियर उन्मुख महिला थी और नौकरी में बढा बनना चाहती थी । उसका बॉस एक कठोर व्यक्ति था लेकिन हमारी वित्तीय हालत के चलते हैं । नौकरी बने रहना उस की मजबूरी थी । मैं श्री राम कॉलेज ऑफ ऍम कॉमर्स में मात्र एक तदर्थ संकाय हूँ । मैं उसे छोडने पार्किंग का गया और एक्टिवा निकालने में उसकी मदद की । वो जब निकलने को थी तब मैंने कहा, कार्यालय छोडने से पहले मुझे कॉल करना । शायद मैं पापा को देखना । चाहूँ आप आम तौर पर शनिवार को वापस से मिलते हैं, लेकिन आज मंगलवार है । मैं लगभग एक महीने के लिए बाहर था । जानती हूँ मैं जानती हूँ आप एक बेटे भी हैं । उसने ताना मारा और मैं उस करा दिया । मैं घर पहुंचकर आनंद था । ये मायने नहीं रखता कि हम पांच सितारा होटल में रुके हैं या फिर अवकाश यात्रा पर हैं । घर के आराम से किसी चीज की तुलना नहीं कर सकते । मैंने अपना सुबह का काम निपटाया । ऑफ थोडी सी झपकी लेने की योजना बना रहा था । इस बात से अंजान कि अगला ही पल मेरी जिंदगी का रास्ता बदल देगा । मेरे लिए सच्चाई का अच्छा था । काश मैं समय रहते लौट गया होता और वो कॉल कभी नहीं मिलती । वो एक अज्ञात लैंडलाइन नंबर था । वो मैंने कहा चलो हम राॅड बैंक से फोन कर रहे हैं । मैं श्रीमती आस्था से बात कर सकती हूँ । जी आस्था तो कम पड गई है । मैं उनका पति हूँ । आप अपना संदेश मेरे पास छोड सकती हैं । क्या मैं आप का नाम जान सकती हूँ सर । दूसरी तरफ मौजूद महिला ने गंभीर स्वर में पूछा, विजय शर्मा क्या मामला है? जबकि तोहरा एक अजीब से पीछा गई । मुझे कुछ बुरी खबर का आभास देते हुए कॉल पर मौजूद महिला ने वहाँ भरे सब जाएगा । अंततः उसने कहा, क्योंकि आप उनके पति हैं और हमारे रिकॉर्ड उनके परिवार के सदस्य के रूप में आपके नाम की पुष्टि कर रहा है । क्या समझे याद? कोई सूचित करना हमारा कर्तव्य नहीं है और हो सकता है कि हमारे समझने में गलती हुई हो । फिर एक लंबी खामोशी । आखिर मामला क्या है? प्लीज बात तो बताइए । मैं बेचैन हो रहा था । आपकी पत्नी ने अपने कार्यालय में रक्तदान शिविर के दौरान प्रदान किया था और अपनी मानक प्रक्रिया के अनुसार हमने एच । आई । वी । पी, ट्वेंटी फोर एंटीजन तथा त्वरित परीक्षण जैसे कुछ बुनियादी परीक्षण किए थे । मुझे आपको बताते हुए बहुत खेद है । पिछले हफ्ते आस्था शर्मा का रद्द एचआईवी पॉजिटिव है क्या? क्या उसने वस्तुओं में अच्छाई भी कहा था? मैंने कुछ सुना था । उसे समझने में मुझे कुछ समय लगा । मैंने अपने मेरे को संभाला और कहा, यदि ये किसी प्रकार की शरारती कॉल है तो प्लीज इसे अभी बंद कर दीजिए । जब मैं कॉल काटने ही वाला था । तब तक वो बोली ये एक शरारती कॉल नहीं ऍम सर, आपने निदान के प्रति हम शत प्रतिशत निश्चिंत नहीं है और ये सुझाव देंगे कि आपकी पत्नी वेस्टर्न ब्लॉक टेस्ट कराए पसंद रह गया । मेरी डिग्री बन गई । जल्दी मुझे एहसास हुआ । ये वास्तविकता थी मेरे मस्तिष्क में एचआईवी शाम बार बार प्रतिध्वनित हो रहा था । विश्वविजय की आप सुन रहे हैं । उसकी आवाज चल रही थी जब मैं अपनी जनता ना मेसन में था और एक्शन भी नहीं बोल पाया था । सच्चाई भी फॅस । मैं बहुत मुश्किल से बोला था ।

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“यात्रा कैसी थी?” उसने मेरे चेहरे को दुलारते हुए पूछा। “मैं ड्‍यूटी पर था।” “ठीक है! मुझे पता है कि इसका मतलब क्या है। यह विद्यार्थियों के लिए एक यात्रा थी और मेरे लिए नहीं।” मेरे कहने का मतलब वह हमेशा समझ लेती थी और उसमें मेरे लिए बोलने का साहस था। मैं मुसकराया, लेकिन कुछ बोला नहीं।, सुनिए प्यार भरी कहानी| writer: अजय के. पांडेय Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ajay K Pandey
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