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अम्मा: जयललिता - 7 (सज़ा) in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
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सजा जयललिता की आशंका के विपरीत एमजीआर मानसिक और शारीरिक रूप से अच्छे स्वास्थ्य के साथ वापस लौट सिर्फ बोलने में दिक्कत थी । जयललिता ने उनसे मिलने के हर संभव कोशिश की लेकिन उन्होंने मिलने की इच्छा का कोई संकेत नहीं दिया । जो अंतरंगता दोनों के बीच रही होगी । बहुत सपनों की बात थी । ये तो था कॅरियर उन पर गुस्सा इंतजार कराना । अपनी अनुपस् थिति में हाँ नेपाल करने के लिए जयललिता को सजा देने का उनका अपना तरीका था । एमजीआर हमेशा ही पैसे एक दूरी रखने के हामिद है । कभी नहीं चाहते थे कि कोई पार्टी पदाधिकारी मीडिया को इंटरव्यू जयललिता ने इस नियम का उल्लंघन किया था । मैं भी उनके बीमार होकर हजारों किलोमीटर दूर एक अस्पताल में भर्ती होने के दौरान भले ही जयललिता को बात है किया गया था लेकिन उन्होंने अन्नाद्रमुक के आंतरिक खींचतान को सार्वजनिक बहस पर व्यंग का विषय बनाकर गलती की थी, जिसका डीएमके ने जमकर फायदा उठाया । एमजीआर का क्रोध उनकी पत्नी जानकी की वैवाहिक स्थिति को लेकर जयललिता की टिप्पणी को लेकर भी था जो शालीनता की सारी सीमाएं लांघ देंगे । सामान था जयललिता जानती थी की साडी उन्हें एमजीआर से मिलने का मौका मिला तो वह नरम पड जाएंगे । हुआ भी ऐसा ही है जब वह जापान में स्पीच थैरेपी के कोर्स को पूरा कर दिल्ली होते हुए वापस लौट रहे थे । जयललिता उनसे मिलने में सफल रहे थे । यह बडा ही भावपूर्ण पुनर्मिलन रहा होगा जैसा कि चेन्नई पहुंचने के बाद एमजीआर के उठाए गए परित कदमों से लगता है । पांच सितंबर को पचास सचिव के पद से हटाए जाने के ठीक एक साल बाद जयललिता को दोबारा यह पद दे दिया गया । लेकिन उन्हें स्थानीय निकाय चुनावों में प्रचार नहीं करने दिया गया । ऍम भी प्रचार नहीं किया था और पार्टी को डीएमके के हाथों की खानी पडी । एक तरह से इससे साबित हो गया कि किसी चुनावी जीत में जयललिता की उपस्तिथि अहम भूमिका निभाती है । इस हादसे एमजीआर को चिंता हुई और उन्होंने अपनी लोकप्रियता बढाने के लिए अपने प्रशंसकों के क्लबों को सक्रिय करने का फैसला किया । उन्होंने मदुरई में इन लोगों का एक बडा सम्मेलन आयोजित किया । ऍफआईआर की पत्नी जाहिर तौर पर जयललिता को ना पसंद करती थी और उन्होंने उनकी पार्टी में दोबारा वापसी का सोर सोर से विरोध किया । लेकिन यह दिखाने के लिए के निचले स्तर पर सब कुछ सही चल रहा है । एमजीआर विमान में दोनों के साथ मदुरई पहुंचे जयललिता अब उत्साह से भरी हुई थी । प्रशंसकों के पडे चलो उसको उन्होंने ही झंडा दिखाया । सम्मेलन के अंतिम दिन प्रशंसकों को संबोधन का उनका क्रम एमजीआर के ठीक पहले था । उन्होंने एमजीआर को चांदी का छह फुट लंबा राजतंत्र सौंपा जिसपर सोने की कलई चली थी । उन्होंने एमजीआर के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया । प्रशंसकों ने जयललिता के इस पर बाहर का दिल खोलकर स्वागत किया । वहाँ उपस्थित प्रशंसकों को उम्मीद थी कि एमजीआर एक महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे जयललिता को एॅफ की बागडौर सौंपने की । लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा । आयोजन के बाद एमजीआर चानकी के साथ रवाना हो गए । उन्होंने जयललिता की तरफ देखा तक नहीं । इस घटनाक्रम के साक्षी रहे लोगों के अनुसार बहस तब खडी थी यकीन नहीं कर पा रही थी कि उन्हें इस तरह अपमानित किया गया । वो भी बडी संख्या में । वहाँ मौजूद उन पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने जो उन्हें एमजीआर का करीबी मानते थे और इसीलिए उन्हें अन्य यानी भी जाकर बुलाते थे । मदुरई से लौटने के सप्ताह भर बाद अपने गुस्से और अपमान को फूलते हुए हैं । जयललिता ने एमजीआर कोई बेहद भावपूर्ण पत्र लिखा । तमिल में लिखा पत्र छह पुलिस के पेज का था उन्होंने फिर की । यदि मैंने अब की भावनाओं को ठेस पहुंचाई, कृपया मुझे माफ करते हैं । मैं किसी से जानकी के बारे में बात नहीं करेंगे । मैं आहत थी इसलिए मैंने कुछ कह दिया होगा । मदुरई में जो हुआ उससे मैं इतना परेशान थी कि अपने मित्र शशि से बात की और उसे अपनी भावनाएं खुलकर बताती हैं । अब आगे मैं अपना नहीं खोलेंगे । मेरे व्यवहार के लिए मुझे माफ करें और कृपाकर मुझे क्रोध नहीं करें । आपके समय मेरा है कौन? आप को छोडकर मैं कहाँ जाओगे? क्या मैं आपकी अब नहीं हूँ? मैं यह पत्र अनंत चुंबनों के साथ दिख रही है । हमें मिले एक सप्ताह से ऊपर हो चुका है । मुझे अपने आप से कम से कम कल मिलने कृता कर मुझे आठ हजार नहीं । क्या आप अब भी महसूस नहीं कर रहे हैं कि आपके मेरा प्यार लगत है । इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । मेरे मरने तक इसमें कोई बदलाव नहीं आएगा । मैं भी चाहती हूँ मुझे आपकी चाहते हैं । जयललिता जिस मित्र की बात कर रही थी तो शशिकला थे । अमरीका में एमजीआर के अस्पताल में होने के दौरान मतलब थोडी की रहने वाली शशिकला में पुलिस कार्डन के कोठी के साथ संभाल का काम अपने हाथों में ले लिया और बहुत भावनात्मक रूप से कमजोर हो चुकी जयललिता का विश्वासपात्र बन गई । पुनर्निर्वाचन नामक एक सरकारी सेवक की पत्नी थी जिसमें शायद जयललिता के सक्रिय राजनीति में आने से पहले अपनी पत्नी की उनसे मित्रता के फायदों को आप लिया होगा । शशिकला आयोजनों की वीडियो रिकॉर्डिंग क्या करती थी और वो इस घाटन के पास उनकी वीडियो की दुकान थी जहाँ से जयललिता देखने के लिए फिल्मों के कैसे मंगाया करती थी, वो आपको इस गार्डन में प्रवेश पाने में सफल रही । सम्भवता जयललिता को यह भरोसा दिलाने के पास जो उन्हें अपनी देखभाल के लिए किसी को रखने की जरूरत है और वह हाउसकीपर और किरण लेकर की जिम्मेदारी नहीं आ सकती है । मदुरई से लौटने के बाद चैत्र लेता है अपना गुस्सा और अपनी पीडा अपनी नई मित्र से साझा किया । साहिर है ठीक रही उनके शब्द अन्नाद्रमुक सुप्रीमो तक पहुंचा दिए गए थे । सहज विश्वास नहीं होता । एक अभिमानी महिला के रूप में जाने जाने वाली जयललिता किसी के सामने झुकेंगे गिराएंगे भले ही वो एमजीआर ही चुना, लेकिन पत्र से जो रहस्यमय रूप से एमजीआर के आस पास रहने वाले हर व्यक्ति के पास पहुंच चुका था । एकता बनाई हुई और हताश महिला की छवि स्पष्ट हो जाती है । सहायता पर चला लेता भविष्य को लेकर आशंकित थी । उन्हें पता था कि यार अपने अंत की ओर पढ रहे हैं लेकिन उन्होंने अब तक उन्हें अधिकार वाला ऐसा कोई पद नहीं दिया है जो विरोधियों को चुप करा सकते हैं । उन्होंने अनुमान लगा लिया था की पार्टी में किसी प्रभावी पद के बिना एमजीआर की पत्नी जानकी खुलकर उनका मजाक उडा सकती थी । ऐसा अपमान असहनीय होता है । उस भावपूर्ण पत्र के सर ये निसंदेह उन्होंने बुजुर्ग नेता के दिल में ऐसा भाव चलाने की उम्मीद की थी कि पहले उन्हें राजनीतिक अधिकार देते थे जिनके सहारे उनके निधन के बाद के अनिश्चित तौर का सामना किया जा सकता है । एमजीआर नाम में चाहता था उन्हें लोगों के दिलों में जगह बनाने के लिए इतना की जरूरत थी । यह देर हो जाने से पहले अपने चारों और जमा बछडियों से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महिला की उत्तरजीविता से जुडा एक कदम था । उसका उद्देश्य एमजीआर के राजनीतिक उत्तराधिकारी के अपने दावे को ब्लॅक पिता चौबीस दिसंबर उन्नीस सौ सत्तासी क्या सुबह एमजीआर का हो गया? फॅमिली में इस दुनिया को छोडना चाहते थे, वैसा ही हुआ मैं अंतिम समय तक मुख्यमंत्री पद पर कायम थे । अभी अपने लोगों के नेता थे और उनकी मानसिक स्थिति थी । ठीक थी । उन्होंने कभी भी अपना उत्तराधिकारी घोषित करने का इरादा नहीं किया था । नहीं होने अपने जाने के बाद के हंगामे की चिंता थी ।

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तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
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