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अम्मा: जयललिता - 26 (क्या सितारे उनकी रक्षा करेंगे) in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
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के सितारे उनकी रक्षा करेंगे । सोलह मई दो हजार सोलह को जयललिता अपने निकट सहयोगी शशिकला के साथ स्टेला मैरिस कॉलेज स्थित मतदान केंद्र पर वोट डालने आई । चुनावपूर्व की रायशुमारियों में एक मत से डीएमके कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणियां की जा रही थी । एक रिपोर्टर भाग कर उनसे पूछने आया कि अपनी जीत की संभावनाओं के बारे में वो क्या सोचती हैं? जयललिता कुछ दिन के लिए शांत और भावशून्य देखिए उसके बाद वो मुस्कुराई और कहा तीन दिन रुकिए, आप जान जाएंगे क्या एक अर्थपूर्ण मुस्कान थी? गोपालपुरम में डीएमके नेता तिरानबे वर्षीय करुणानिधि से वोट डालने के बाद पैसा ही सवाल किया गया तो उनका जवाब था, डीएमके पर्याप्त सीटें जीतेगी । यदि विश्लेषकों कि डीएमके की भारी जीत के भविष्य पानियों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह एक महत्वकांक्षा रहित बयान था । उन्नीस मई की सुबह तमिलनाडु की जनता अपने टीवी सेट से जब की हुई थी, टीएमके एवं अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ता अपने अपने पार्टी कार्यालयों के समक्ष जा चुके थे । परिणाम आने शुरू होने के बाद जयललिता के आवास पोइस गार्डन को जाने वाली सडक पर भीड लगातार पडती जा रही थी । कभी डीएमके आगे दिखता तो अगले ही क्षण अन्नाद्रमुक को बढत मिल जाती है । दोनों पार्टियों की स्थिति में हो रहे इस उतार चढाव ने उनके कार्यकर्ताओं को भारी असमंजस में डाल रखा था । सुबह के दस बजते बजते अन्ना अरिवालयम स्थित डीएमके मुख्यालय में बेचैनी के संकेत दिखने लगे थे । दूर दूर से महिलाएं और पुरुष खुशियाँ मनाने के इरादे से वहाँ जमा हुए गए । जब अन्नाद्रमुक के एक सौ चौबीस सीटों पर आगे चलने की खबर आई । कई रोने लगे तो कई अविश्वास में अपना सर हिला रहे थे । उन्हें पता था कि दलपति यानिक करुणानिधि के पुत्र स्टालिन चुनाव अभियान में किस कदर जी जान लगा दिया था । अब उन्हें डीएमके की जीत का पूरा भरोसा बिता पार्टी मुख्यालय के भीतर मूर्त इलेरी वाला था । एक कमरे में कार्यकर्ता पार्टी नेताओं के स्वामित्व वाला चैनल कलैगनर टीवी देख रहे थे । चैनल की रिपोर्टिंग में अन्नाद्रमुक को मात्र एक सौ चौदह सीटों पर और डीएमके को सीटों पर आगे बताया जा रहा था । वे स्पष्ट हो चुकी हकीकत को नजर अंदाज करते हुए पूरी सुबह अपनी उम्मीदों पर कायम रहे थे । दोपहर तक स्थिति साफ हो चुकी थी कि दो सौ चौंतीस दो सीटों तुलजापुर और अरवाकुरिची में अन्नाद्रमुक द्वारा मतदाताओं में पैसे बांटे जाने के आरोप के कारण चुनाव रद्द कर दिए गए थे । में से सीटों पर जीतकर जयललिता एक बार फिर सत्ता में लौट रही हैं । लेकिन आरके नगर सीट पर जयललिता की जीत का अंतर पहले की तुलना में बहुत कम था । बिजाई उम्मीदवारों में सर्वाधिक मत तिरु प्यार से चुनाव लडे करुणानिधि को मिले थे । टीएमके को नवासी सीटों पर जीत मिली लेकिन अपने सहयोगी कांग्रेस की सीटों के साथ भी उनके पास बहुमत से बहुत कम मात्र सत्य सीटें थी । डीएमके गठबंधन तमिलनाडु विधानसभा में अब तक का सबसे बडा विपक्ष पर बन कर रह गया जैसा कि करुणानिधि ने उल्लेख किया की दोनों पक्षों के बीच मत प्रतिशत का अंतर पहुंच छोटा था । अन्नाद्रमुक ने चालीस दशमलव आठ प्रतिशत वोट हासिल किए जबकि टीएमके कांग्रेस को अडतीस प्रतिशत मत मिले थे । पूर्व संचार मंत्री और करुणानिधि के भांजे मुरासोली मारन के पुत्र दयानिधि मारन ने कहा, तमिलनाडु की जनता का जनादेश पीएमके के लिए था लेकिन दुर्भाग्य से जयललिता ने करोडों रुपए खर्च किए । आलोचना और आरोप जो भी रहे हों, सफलता का कोई विकल्प नहीं होता है । जनता ने निर्णायक मत देते हुए जयललिता को बहुमत दिया था । डीएमके को एक मजबूत विपक्ष के रूप में चुना तथा नए खिलाडियों विजयकांत के मोर्चे और पीएमके को बुरी तरह नकार दिया तो इस गार्डन के बाहर इंतजार ढोल और पटाखे की आवाज से भरी थी । महिलाएं खुशी में नाच रही थी । प्रसन्नचित्त जयललिता अपनी जानी पहचानी पोषा हरी साडी में अपने घर के सामने विजय भाषण देने के लिए उपस् थित हुई । वरिष्ठ अधिकारियों समेत बडी संख्या में मुलाकाती उनके पैरों पर कर रहे थे । उन्होंने कहा, तमिलनाडु की जनता ने जो शानदार जीत हमें दी है उससे मैं अभिभूत हूं । इस ऐतिहासिक जीत के लिए मेरी पार्टी और मैं तमिलनाडु की जनता के लिए नहीं है । जीत सचमुच में ऐतिहासिक थी क्योंकि उन्नीस सौ चौरासी में उपचार के लिए अमेरिका में रहते हुए एमजीआर के चुनाव जीतने के बाद ही पहला मौका था जब एक सत्तारूढ पार्टी चुनाव जीतकर लगातार दूसरी बार सरकार गठित कर रही थी । चुनाव अभियान के दौरान जयललिता ने ऐलान किया था जन सेवा के अलावा उनकी और कोई इच्छा नहीं है और उनका जीवन जनता को समर्पित है । उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था की उन्होंने किसी अन्य दल के साथ कोई बडा गठबंधन नहीं किया है जबकि दस पार्टियाँ उनके विरोध में खडी हैं जब उन्होंने अकेले दम पर चुनाव लडने की घोषणा की थी । तो उनकी पार्टी के लोग हमेशा की तरह खामोश रहे लेकिन उन्हें चिंता भी देखो कि उनकी नेता का अति आत्मविश्वास कहीं एक खोलना साबित हो । लेकिन साहब तौर पर जयललिता ने हिसाब लगा रखा था कि वह क्या कर रही हैं । उनके इस कदम ने उन्हें सहयोगियों की मांगों के आगे समझौते की जगह अपनी पसंद के अमित बार उतारने की आजादी नहीं । उन्होंने कई नए चेहरों को टिकट देने का साहसिक फैसला किया । पैसे भी ये उनका चेहरा उनका करिश्मा था जिसने उन्हें वोट दिलाया था । जरूरत पडने पर उन्होंने घोषित उम्मीदवारों को बदलने में भी कोताही रहेगी । लेकिन किसी भी कोने से विरोध का कोई स्वर्ग सुनाई नहीं पडा । बिना किसी सहयोगी दल के समर्थन के बहुमत लाने से जयललिता को जो ताकत मिली बहुत अच्छी थी । एक राजनीतिक विश्लेष ने किया । हमेशा दंडवत की मुद्रा में रहे पार्टी नेताओं को अपनी पीठ सीधी करने का मौका कभी नहीं मिलने वाला है । वो निरंकुश है, इसमें कोई संदेह नहीं । लेकिन उनके अनुयायी यह भी जोडेंगे की उनकी नेता कृपाल हुआ है जो जितना और शक्ति धारण करना जानती है । जो विशेष योजनाओं के जरिए व्यवसायी समुदाय किसानों और गरीबों से जुडी रहती है, उन्हें अम्मा ब्रांड के तहत कार्यान्वित अपनी सामाजिक कल्याण योजनाओं के असर का पूरा अहसास है । उन्हें पूरा विश्वास था कि जब वोट डालने का वक्त आएगा लोग अम्मा कैंटीन, अम्मा चल, अम्मा भी विकेट, अम्मा सीमेंट, अम्मा दवाखाना, अम्मा पीठ आदि को नहीं खुलेंगे । ग्रामीण जनता फला अपनी जिंदगी को आसान बनाने वाले पंखे फॅार को कैसे भूल सकती है । उनके चेहरे पर किसी देवी जैसे मुस्कान होती थी । जब वह कहती मक्का लोग गाना मक्का लोग का बेवान मैं जनता के लिए हूँ । सिर्फ जनता के लिए आशीर्वाद पाने के लिए आपको प्रार्थना तक करने की जरूरत नहीं है । भले ही विपक्ष ने जयललिता द्वारा सितंबर दो हजार पंद्रह में आयोजित तमिलनाडु ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट संबंधी दावों का मजाक उडाया हो । यह सम्मेलन कर राहत और रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध कराते हुए हैं । राज्य में निवेशकों को लाने में सफल रहा था और वहाँ छोटे जब अति लघु किसानों को शत प्रतिशत सब्सिडी देकर काफी हद तक किसान वर्ग का समर्थन हासिल करने में भी सफल रही थी । मुफ्त बकरियों और गायों के वितरण ने ग्रामीण मतदाताओं को भी उनकी तरफ खींचा । अब उन्होंने छोटे और अति लघु किसानों के सारे कर्ज माफ करने की घोषणा की है । यह उनका सौभाग्य था कि विपक्ष बुरी तरह बढा हुआ था और हास्यास्पद रूप से हर गुट मुख्यमंत्री का पद चाहता था । यह भी उनका भाग्य ही था कि डीएमके टू जी घोटाले में शामिल होने के आरोपों के बाद पिछले चुनावों के दौरान कवाई अपनी लोकप्रियता को अभी तक हासिल नहीं कर सकी थी । जयललिता ने भी डीएमके के परिवारवाद की ज्यादतियों का ढिंढोरा पीटने में अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं रखी थी । लेकिन इन सबके बावजूद पार्टी को पुनर्स्थापित करने के साल इनके अथक प्रयासों के चलते डीएमके अपना वोट शेयर दस प्रतिशत से अधिक बढाने में कामयाब रही है । इसलिए जयललिता को पता है कि बहुत आराम से नहीं बैठ सकती । करुणानिधि का नाम लेते ही आग उगलना शुरू कर देने वाली चला लेता । जब स्थान से जुडा कोई मामला हो तो बहुत नरम नजर आती हैं । उनके शपथ ग्रहण के दौरान जब नेता प्रतिपक्ष स्टालिन की उपेक्षा हुई और उन्हें चौथी पंक्ति में जगह दी गई तो उन्होंने इस स्कूल पर खेद व्यक्त किया । उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें स्टालिन के आयोजन में आने की जानकारी नहीं थी और उन्होंने शपथ ग्रहण के दौरान मौजूद रहने के लिए उनका तहेदिल से आभार व्यक्त किया । मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद उनकी पहली कार्यवाही उन पांच सौ सरकार संचालित शराब की दुकानों टेस्ट मैच को बंद करने की थी जो स्कूलों या धार्मिक स्थलों के निकट अवस् सकते । वह जानते थे कि खासकर महिला मतदाताओं के लिए क्या एक भावना पर मामला है और उन्होंने अपने घोषणापत्र में किए गए वायदों को पूरा किया, यह सुनिश्चित करते हुए की अल्कोहल की बिक्री पर रोक विभिन्न चरणों में कार्यान्वित की जाएगी । तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में अपना चौथा कार्यकाल शुरू करने के बावजूद निकट भविष्य में उनके राजनीति भविष्य को लेकर अनिश्चितता कायम है । आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होगा जिसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय उन्हें बरी कर चुका है । अब वर्ष के उम्र में वो ऐसी अवस्था में आ चुके हैं और ऐसी चिंताएं अब उन्हें नहीं करती हैं है जैसा की उन्होंने एक बार कहा था कि आज जहां वहां तक पहुंचने में आपका दरिया पार कर चुके हैं लेकिन पार्टी को अपने कंधे पर होने की जिम्मेदारी थकाऊ और कभी कबार निराश करने वाली होती है । वो जानती हैं कि अगली पीढी के नेतृत्व को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में बढावा देना उनके लिए आत्मघाती होगा । पैसे जिम्मेदारी के लिए कोई सामने है भी नहीं । उन्हें नहीं पता कि उनके बाद पार्टी का क्या होगा । मैं मागम द क्षेत्र में पैदा हुई थी । तमिल में छोटी सी की भाषा में एक कहावत है लगता तो ओपन जगत टाॅल । मखाना क्षेत्र में पैदा हुई महिला दुनिया में किसी से भी अतुलनीय होती है । क्या उन का नक्शा तो उनकी रक्षा करता रहेगा?

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