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अम्मा: जयललिता - 21 (वापसी) in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
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तो वापसी इक्कीस सितंबर दो हजार एक को सुप्रीम कोर्ट ने पहले फैसला सुनाया जिसका उन्हें डर था । चौदह मई को जयललिता के तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति असंवैधानिक थी जो मानी जाती है । उत्तेजक देख रही जयललिता ने पुलिस गार्डन में मंत्रियों और चला सचिवों की बैठक बुलाई । उसके तुरंत बाद तो राजभवन के लिए रवाना हो गई । उनकी कार्यपत्र राष्ट्रीय ध्वज नहीं बल्कि सिर्फ अन्नाद्रमुक का झंडा था । राज्यपाल सी के रंगराजन को उन्होंने सूचित किया कि वह पद छोड रही है और उसी दिन शाम तक उनके उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी जाएगी । जयललिता ने पहली बार विधायक पडे पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री नियुक्त किया तेवर समुदाय के करीब किसान के स्नातक बेटे पनीरसेल्वम एक विनम्र व्यक्ति थे जो अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे । वे और शपथ लेने वाले सभी मंत्री जयललिता के पैरों में गिर गए और उनका आशीर्वाद लिया । उनकी श्रद्धा को स्वीकारते हुए अम्मा असाधारण रूप से शांत दिख रही थी । व्यवहारिक रूप में मुख्यमंत्री अब भी वही थी । ऐसा कहा गया है कि पनीरसेल्वम पोइस गार्डन परिसर में रहने आ गए थे और हर फाइल दस्तखत होने से पहले जयललिता के पास निरीक्षण के लिए जाती थी । सरकारी दफ्तरों के गलियारों में अम्मा की वापसी का इंतजार किया जा रहा था और ऐसा अपेक्षा से कहीं जल्दी हुआ । दिसंबर दो हजार एक में मद्रास हाईकोर्ट में तांसी मामले में उन्हें और उनके साथ तीन वर्ष की सजा पाए अन्य लोगों को बरी कर दिया । अब चुनाव लडने के लिए स्वतंत्र थी । सबसे ज्यादा राहत जैसे मिली वो थे पनीरसेल्वम जो रामायण में जंगल से राम की वापसी का इंतजार कर रहे हैं । भारत के समान है । अम्मा की वापसी का इंतजार कर रहे थे । जयललिता चुनाव में खडी हुई और भारी बहुमत से पिटाई हुई । मुख्यमंत्री की कुर्सी से उनकी संक्षिप्त अनुपस्तिथि का किसी को एहसास तक नहीं हुआ था । पीछे मुडकर देखने पर किसी के मन में यह संभाला सकता था की क्या वो आपकी स्मृति से अपने पांच वर्षों के उस तानाशाह शासन को मिटाना चाहेंगे जो दो हजार छह में एक बार फिर उनके पतन का कारण बना । उन्होंने समाज के सभी तबकों को पहली बना दिया था । छात्र उनसे विधानसभा में स्वतः लिए गए उस फैसले से नाराज थे जिसके तहत नए सचिवालय भवन के निर्माण के लिए सौ वर्ष पुराने तीन मैरी कॉलेज को ध्वस्त किया जाना था । छात्रों और शिक्षाविदों के भारी विरोध के बाद अंततः इस योजना को रद्द किया गया । दो दिनों की हडताल करने वालों को बर्खास्त कर उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को नाराज क्या मंदिर में पूजा के दौरान पशु बलि पर रोक लगाकर ग्रामीण जनता को दुखी किया? सांसद और एनडीए के सहयोगी भी गोपाल स्वामी को गिरफ्तार करके केंद्र को चढाया और सोनिया गांधी पर तीखे हमले करके कांग्रेस की दुश्मनी मूल्य लेकिन सबसे ज्यादा पीडित मीडिया था । हर एक अखबार को मानहानि के आरोप में अदालत के कटघरे तक पहुंचा दिया गया था । ऊपर से उनके समर्थक नियमित रूप से मीडिया के स्तरों में तोड फोड मचाते थे । उन्होंने तक हिंदू के संपादक को गिरफ्तार करने की कोशिश तक की । मंत्रियों और अधिकारियों को सब पानी निर्देश दिए गए कि वे मीडिया से बात ना करें । उन्होंने अपने मंत्रियों की सांस को अटकाये रखा था । मंत्रिमंडल से अचानक किसी को हटा दिया जाता था या फिर मनमाने तरीके से उनके विभाग बदल दिए जाते थे । वो पहले ही एक बडा झटका झेल चुकी थी जब सुप्रीम कोर्ट ने उनके और चार अन्य के खिलाफ चेन्नई की विशेष अदालत में चल रहे आय से अधिक संपत्ति के एक मामले को बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया यह आदेश डीएमके महासचिव के अंबाझगन की याचिका पर दिया गया था जिसमें उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के लिए मामले को राज्य से बाहर भेजने की मांग करते हुए आरोप लगाया था की सुनवाई की निष्पक्षता पर जनता का भरोसा बहुत कम रह गया है । दो हजार चार आते आते जब संसदीय चुनाव की तैयारियाँ चल रही थी, जयललिता अलग थलग और वास्तविक दुनिया से दूर हो चुकी थी । मीडिया उनके अच्छे कार्यों के लिए भी उनकी तारीफ नहीं कर रहा था । विधानसभा में अपने बहुमत के मत में जोर जयललिता को आसन में तूफान का एहसास तक नहीं हुआ तो पान प्रस्तार पकडता जा रहा था । करुणानिधि भाग गए थे कि भाजपा धीरे धीरे जयललिता की तरफ पड रही है इसलिए उन्होंने उसके साथ गठबंधन को तोडकर धर्मनिरपेक्ष दलों का एक महागठबंधन बना लिया । कांग्रेस पार्टी ने तमिलनाडु की जनता का मूड देखते हुए जैन आयोग की रिपोर्ट से जुडी अपनी भावनाओं को दरकिनार कर करुणानिधि की तरफ सहयोग का खास बढा दिया । करुणानिधि के लिए ये मात्र संसदीय चुनाव नहीं था । यह दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का पूर्व परीक्षण था ।

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तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
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