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प्रतिशोध प्रतिशोध की अब मेरी बारी है । यह जयललिता का मुख्य एजेंडा है । यह चलती ही स्पष्ट हो गया हूँ । अन्नाद्रमुक की चुनावी जीत के कुछ सप्ताह बाद तीस जून दो हजार एक को रात के दो बजे करुणानिधि को चेन्नई के ओलिवर रोड स्थित उनके आवास पर सोते से जगा कर बिस्तर से एक तरह से उठा लिया गया । रिपोर्टों के अनुसार पर्शिया डीएमके नेता को कपडे बदलने तक का मौका नहीं दिया गया । टेलीफोन लाइनें काट दी गई थी और करुणानिधि का आवास निर्दलीय दिख रहे पुलिस कर्मियों से भरा हुआ था जो अम्मा के आदेशों का पालन करने के लिए वहाँ आए थे । वहीं पुलिस कर्मी जो करुणानिधि के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हमेशा उनके सामने सावधान की मुद्रा में खडे रहते थे । अपने मोबाइल फोन से मैं अपने भरोसे के व्यक्ति और ढांचे पूरा सो निवारन को घटनाक्रम की जानकारी देने में सफल रहे । केंद्रीय मंत्री मारन उस समय चेन्नई में थे । कुछ भी मिंटो में वो करुणानिधि के आवास पर मौजूद थे । सेंट टीवी की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी और शायद भर्ती के रूप में पुलिस वालों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया । क्या नजर अंदाज किया कि उनकी गतिविधियां कैमरों में रिकॉर्ड हो रही हैं । जब दस पुलिस कर्मी करुणानिधि को सीढियों से घसीटते हुए नीचे ला रहे थे तो कमजोर डरे हुए करुणानिधि दर्द के मारे अयो बोलते हुए करहा रहे थे । नीचे लाने पर उन्हें वहाँ खडी पुलिस की गाडी में धकेलकर डाल दिया गया । गिरफ्तारी का वारंट दिखाने की मांग करने पर मारन को भी क्या दिया गया? बाद में पुलिस ने मारन और तब तक वहाँ पहुंच चुके एक अन्य केंद्रीय मंत्री टीआर बालू के साथ हाथापाई भी की । सनटीवी दृश्यम के महत्व को समझता था इसलिए इन्हें तीस जून की सुबह से लगातार दिखाया गया । यहाँ तक कि करुणानिधि के आलोचकों को भी इन्हें देखकर पुलिस की बर्बरता पर चिंता हुई होगी । मुरासोली मारन को पुलिसिया कार्रवाई का अंदेशा रहा होगा और उन्होंने सनटीवी की टीम को हर समय तैयार रहने को कह रखा होगा । दूसरी तरफ जयललिता को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि टीवी के लोग पुलिस कार्रवाई के दौरान मौजूद रह सकते हैं । उन्होंने जो गहरी रात में करुणानिधि की गिरफ्तारी का आदेश दिया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि मीडिया में इसका तमाशा बने । जयललिता को आम जनों और मीडिया में गिरफ्तारी के दृश्यों के असर का भी अंदाजा नहीं रहा होगा । मीडिया तो हमेशा ही करुणानिधि के शासनकाल में जयललिता के शासन के मुकाबले सादा स्वतंत्र महसूस करता था । इस घटना ने न सिर्फ तमिलनाडु में बल्कि पूरे देश में रोष पैदा कर दिया । केंद्र में सत्तारूढ एनडीए का एक दल रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के नेतृत्व में चेन्नई आकर सेंट्रल जेल में करुणानिधि से मिला । इस दल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अनुशंसा की लेकिन प्रधानमंत्री वाजपेयी जनसमर्थन से बने किसी सरकार के खिलाफ जल्दबाजी में कोई कदम उठाने के पक्ष में नहीं है । केंद्र की काज राज्यपाल फातिमा पीवी पर गिरी । उन्हें तमिलनाडु की स्थिति पत निष्पक्ष राय नहीं देने के कारण वापस बुला लिया गया पाते । माँ बीवी की वैसे ही आलोचना हो रही थी की उन्होंने उस जयललिता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी जिन्हें चुनाव लडने तक की अनुमति नहीं थे । राज्यपाल को वापस बुलाने के केंद्र के फैसले ने जयललिता को एक गंभीर चेतावनी दी जिन्होंने दो केंद्रीय मंत्रियों और तुरंत बाद डीएमके प्रमुख को रिहा करने का आदेश दिया । करुणानिधि, स्टालिन और बारह अन्य के खिलाफ मामला फ्लाईओवरों के निर्माण में कथित वित्तीय अनियमितता का था । गिरफ्तारी एक एफआईआर के आधार पर की गई थी जैसे खुद धागे रहे एक नगर निगम आयुक्त ने दायर किया था । जयललिता ने अपने विरोधियों को जिनके लिए उनके मन में सिर्फ और सिर्फ घृणा थी, काम करके आता था लेकिन वे जयललिता से कहीं होशियार निकले । उन्होंने किसी एकजुट टीम की तरह काम किया और करुणानिधि को अपने विशाल परिवार का भी समर्थन था जो संकट के समय हमेशा उनके साथ खडा होता था । जयललिता के साथ अच्छे सलाहकार नहीं थे इसलिए वहाँ एक के बाद एक कल दिया कर दी गई क्योंकि उन्ही लोगों की सुन रही थी उनके मन लायक बातें ही करते थे ।
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