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देवताओं की पूजा उधर करुणानिधि के परिवार में बडे बेटे अलागिरी और उसे छोटे स्टालिन के बीच जिसे करुणानिधि के उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया जा रहा था, भाई भाई की प्रतिद्वंदिता के कारण मतभेद पैदा हो रहे थे । अलागिरी मदुरई में रहता था जहाँ उसने किसी दादा की तरह अपना साम्राज्य बना रखा था । बहस थाणे पुलिस प्रशासन और यहाँ तक कि मंत्रियों तक को हडकाता था । जयललिता इस उम्मीद के साथ बडे कौन से इस पर नजर रख रही थी कि इससे डीएमके की छवि खराब होगी । लेकिन उन्हें एक और धक्का लगा । तांसी भ्रष्टाचार का मामला जिसमें देश की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था । सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही नहीं सिरे से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में आ गया । इस बार उन्हें अन्य सह आरोपियों के साथ तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई । जयललिता को पक्का विश्वास था कि अभियोजन पक्ष ने बचाव पक्ष को रिश्वत खिलाकर केस को खराब करा दिया है । अब सवाल कहता कि क्या उन्हें चुनाव लडने दिया जाएगा? निसंदेह तो सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती थी लेकिन किसे पता था कि अंतिम फैसला कितने समय बाद आता और ये कौन जानता था कि सुप्रीम कोर्ट में आने वाला फैसला उनके खिलाफ नहीं होता । फैसले के खिलाफ जब उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में अपील दायर की तो अदालत ने सजा पर रोक तो लगा दी लेकिन सजा के फैसले को बदलने की जरूरत नहीं समझे । उन्हें आश्चर्य हो रहा होगा कि कोई अनिष्टकर बुरी ताकत उनके खिलाफ काम तो नहीं कर रही है जो उनके नियंत्रण से परे हैं । देवताओं को पसंद करने कुंभकोणम के कुम्भेश्वर मंदिर गयी जनता के सामने बहुत बिना अगर बनाई गई अन्नाद्रमुक की उनके इसमें वर्षगांठ के अवसर पर वो जयजयकार करती भीड के सामने गरजी । किसी से डरने की जरूरत नहीं है । करुणानिधि के पास मुझे जनता की अदालत में पराजित करने की कूवत नहीं है । तभी तो वहाँ मुझे पराजित करने के लिए विशेष अदालतों में जा रहे हैं । चाहे जितनी करुणानिधि मेरे खिलाफ चालीस चले, वे आने वाले दिनों में हमसे हमारी जीत नहीं खेल सकते हैं । इस निराशाजनक कढी में उनके साहस और नेतृत्व नहीं । अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं के मन में एक नया जोश खूब दिया । उन्होंने कार्यकर्ताओं में यह विश्वास भर दिया कि भविष्य सुरक्षित है और उन्हें निजी तौर पर लगे अदालत ही झटके अस्थायी है । इसके बाद भावनाओं में बहते हुए उन्होंने कहा, यदि करुणानिधि जिंदा रहे तो दो हजार एक में सत्ता में वापस लौटने बाद मैं उन्हें जिंदगी भर के लिए जेल में डाल देंगे । तमिलनाडु में चुनाव के लिए मई दो हजार एक की तारीखें तय की गई थी । जयललिता चुनाव लड सकेंगे या नहीं इसपर अस्पष्टता ने करुणानिधि का आत्मविश्वास बढा दिया था । जयललिता ने चार सीटों पर नामांकन के पर्चे दाखिल किए लेकिन चुनाव अधिकारियों ने एक एक करके उनके सारे पर्चे रद्द करती है । उन्होंने इसके पीछे जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा आठ भाग तीन के प्रावधानों का उल्लेख किया जिसमें ऐसे किसी व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया गया है जिसे सुनवाई अदालत ने किसी भी मामले में दोषी ठहराते हुए दो वर्ष से ज्यादा कैद की सजा सुनाई हो । जयललिता को अंदाजा रहा होगा कि इस तरह की व्यवस्था दी जा सकती है लेकिन उन्हें ये भी पता होगा कि आगे क्या करना है तो राज्य के कोने कोने में जाकर जनता से अपील करेंगे । उन्होंने जनता के समक्ष मुद्दों, सिद्धांतों या अपनी भावी योजनाओं की चर्चा कर समय बर्बाद नहीं किया । उन्होंने मतदाताओं से कहा कि उन्हें गलत फसाया जा रहा है । वो न्याय के लिए लड रही हैं, अपने अस्तित्व की लडाई लड रही हैं । उन्होंने कहा, करुणानिधि ने सोच समझकर मुझे खत्म करने की साजिश रची है । मैं उसका मुखौटा नोचकर उसका असली चेहरा सामने लाऊंगी । उन्होंने एक एक कर गिनाया की कैसे डीएमके नेता ने उनके खिलाफ झूठे मामले शुरू करवाएं, झूठे सबूत बनाए और उनके चारों नामांकन पत्रों को खारिज करने के लिए चुनाव अधिकारियों पर दबाव डाला । मेरे लिए हर फैसले से ज्यादा महत्वपूर्ण जनता का फैसला है । इसके बाद अपना आंचल फैलाते हुए उन्होंने विनती की मैं आपके सामने भीक मांगने के लिए खडी हूँ । वहाँ मौजूद अनेक लोग रो पडे थे । जयललिता के खुद के चुनाव लडने पर रोक लगनी होने के बावजूद उनकी पार्टी भारी बहुमत से पिटाई हुई । उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्नाद्रमुक को मिला जनादेश दरअसल होने राज्य का शासन चलाने के लिए मिला आदेश है उन्हें विधायक दल का नेता चल दिया गया और तमिलनाडु के राज्यपाल फातिमा बीवी ने उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया । भारतीय संविधान का अनुच्छेद एक सौ चौंसठ राज्यपाल को किसी को भी मुख्यमंत्री बनने के लिए बुलाने का अधिकार देता है हूँ ।
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