Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
अम्मा: जयललिता - 5 (राजनीतिक शुरुआत) in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

अम्मा: जयललिता - 5 (राजनीतिक शुरुआत) in Hindi

Share Kukufm
3 K Listens
AuthorSaransh Broadways
तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
Read More
Transcript
View transcript

राजनीतिक शुरुआत ऑल इंडिया द्रविड मुनेत्र कषगम यानी अन्नाद्रमुक पार्टी का सम्मेलन पांडीचेरी के पास कठोर में बडे स्तर पर आयोजित किया गया था । पप्पू रखा है, स्टार स्पीकर को सुनने के लिए जमा था जो पहला राजनीतिक भाषण देने वाली थी जिसे उसने खुद ही तैयार किया था । हालांकि ज्यादातर लोग खास तौर पर एक खूबसूरत चेहरे का दीदार करने आए थे लेकिन उन्हें एक प्रभावशाली और जोशीला भाषण सुनने को मिला हूँ । तमिलनाडु की सितारों भरी राजनीति में एक फॅसे कईयों की प्रक्रिया तो नहीं चार जून उन्नीस सौ बयासी को जयललिता सत्तारूढ अन्नाद्रमुक पार्टी में शामिल हो गई और एक रूपया देकर पार्टी कार्ड होल्डर बन गई । कड्डलोर में उन्हें कार्यबल जैसे जुलूस पर घुमाया गया जैसे कि हम के ने अपने मुखपत्र में छपी रिपोर्ट में काॅप ने बताया, आखिर क्या कारण था जो राजनीतिक दुनिया में कदम रखना पडता है उन्हें जानने वाले बता दें कि मैं आपको आर्थिक रूप से परिपूर्ण थी और अपनी प्रतिभा का सही उपयोग करना चाहती थी । जब की तरफ जगत के लोग उनकी बराबरी के नहीं थे उन्होंने खुद कहा था कि वे जनता की सेवा करना चाहती है । लेकिन जो कहा था वह यह है कि कम प्रेम प्रसंग फिल्मी दुनिया में अपनी हैसियत घटने जाने के बाद उनके पास कोई विकल्प नहीं रह गया था । उन्होंने अब ॅ सुधारने की कोशिश शुरू की जो दूसरी वास तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन चुके थे । दोनों के बीच पिछले दस वर्षों से संपर्क टूटा हुआ था । उन्हें लगा क्या आ रही उन्हें एक नई शुरुआत के लिए आधार दे सकते हैं । राजनीति में जयललिता को आकर्षित किया लेकिन वो नहीं है । अच्छी तरह पता था कि इसमें कितनी चुनौतियां होती है । डीएमके ने उनके इस जुमले को पकड लिया कि वह जनता की सेवा के लिए राजनीति में नहीं है और अंतर भद्दी टिप्पणियों की बौछार करते हैं । यहाँ तक कहा गया कि जयललिता नहीं जनता की सेवा के लिए अपना तब तक समर्पित कर देने का प्रस्ताव किया है । इसलिए तमिलनाडु की जनता को उनकी इस पेशकश का फायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए । पार्टी में बहुत से लोगों का मानना था की वह उन्नीस सौ में अलगाव के समय एमजीआर की जिंदगी से बाहर हो चुकी थी । तो कर करीब एक दशक बाद दोनों दोबारा किस तरह साथ है । सबसे ज्यादा जिस व्यक्ति को झटका लगा, मैं निसंदेह आॅफ सरकार में कैबिनेट मंत्री है । फिर अपन को बाद में जानकारी मिली कि जब एक बार ऍफआईआर अमेरिका की सरकारी यात्रा पर थे, जयललिता भी नहीं, नहीं तो मोटापे का इलाज करने के लिए अमेरिका गई थी । एक साझा मित्र ने दोनों के बीच मुलाकात की व्यवस्था की । मुक्तसर से मुलाकात ही जयललिता के लिए एमजीआर का हृदय परिवर्तन करने के वास्ते पर्याप्त थी । आर । एम । भी जानते थे कि पार्टी के सदस्य के रूप में मात्र सजावटी वस्तु बनकर नहीं रहेंगे तो महत्वाकांक्षी थी अन्नाद्रमुक के ग्लैमरस चेहरे के रूप में या फिर मतदाताओं को आकर्षित करने वाले गुड की डली की तरह इस्तेमाल होकर संतुष्ट नहीं रह सकती थी । मैं खुद के बारे में और अपनी क्षमताओं को लेकर आत्मविश्वास से भरी थी । उन्होंने एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक को साक्षात्कार में कहा, मैं हल्के मिली जाने वाले व्यक्ति नहीं हूँ और उन्होंने जनता को यही यकीन दिलाने के लिए ऍफआईआर की चुनी हुई उत्तराधिकारी है । उन से अपनी निकटता का खुलकर प्रदर्शन किया । उसके बाद से आरोपी के लिए जयललिता की पडती प्रतिष्ठा में पटना लगाना एक मिशन बन गया ताकि उनके नेता को उसको उसका का शिकार बनने से बचाया जा सके । वरिष्ठ पत्रकार और कुछ दिनों तक जयललिता के भाषण लिखने का काम करने वाले सुनाई के अनुसार जयललिता को राजनीति में लाने का फैसला खुद ऍफआईआर का था । याद करते हैं मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के चलते ॅ पहले की तरह सार्वजनिक सभाओं में शामिल नहीं हो सकते थे । जब जयललिता ने उनसे दोबारा रिश्ते कायम करने की पहल की तो देखिए क्या पडेगा? क्योंकि बात लगी एमजीआर कोई ऐसी शख्सियत की जरूरत थी जो फिर आकर्षित करें । आप करुणानिधि का मुकाबला करें । करुणानिधि अपनी सभाओं में एमजीआर पर अत्यंत तीखे हमले कर रहे थे । एमजीआर ने जनसभाओं में जयललिता के उपयोग का फैसला किया । उन्होंने मुझे जयललिता को भाषण देना सिखाने के लिए कहा । जयललिता तत्काल लोकप्रिय हो गए । उनकी सभाओं में जुटने वाली भीड को देखकर डीएमके में चिंता की लहर आप थी । जयललिता डीएमके नेता करुणानिधि की कर विवादों का उन्हीं के स्तर पर जाकर जवाब दे सकती थी । अन्नाद्रमुक के सभी चला सचिव जयललिता का समर्थन कपिल तैयार थे । पूरी पार्टी उनके पीछे खरीदी है । उनको पक्का यकीन था कि तलाइवा के बाद अम्मा उन का स्थान लेंगे । जल्दी ही उन्हें पार्टी का प्रचार सचिव बना दिया गया । आर । एम । बी एस डी सोमसुंदरम और कुछ अन्य पार्टी नेता जयललिता के खिलाफ सक्रिय हो चुके थे । लेकिन सबकी चला । सचिव पार्टी के आम कार्यकर्ता जयललिता के साथ थे इसलिए विरोधी नेताओं की साजिश है । अंततः उनका कोई नुकसान नहीं कर सके । सुनाई कहते हैं, एमजीआर उन्हें चाहते थे । यह चक्सा चलता है और सत्ता मानती थी कि दोनों में शारीरिक अंतरंगता स्वाभाविक है । लेकिन दोनों ने इस अंतरंगता का कभी भी सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किया । इस बारे में दोनों गरिमापूर्ण बने रहे । जयललिता को पूरा विश्वास था के अन्नाद्रमुक में अपने विरोधियों से उन्हें तब तक कोई खतरा नहीं है जब तक उनके प्रतिपालक एमजीआर का उन पर भरोसा है । एक पत्रिका को इंटरव्यू में जयललिता ने कहा, एमजीआर से उनके रिश्ते बडे स्पेशल थे । हमारे रिश्ते बिल्कुल अलग तरह है, भले ही बहुत उम्र में मुझे बहुत पडे हैं । सच पर खाली समय का हर एक पल हम परस्पर बातें करते बताते हैं । हम दुनिया के हर विषय पर चर्चा करते हैं । हम विज्ञान, दर्शन, साहित्य आदि परवाह नहीं करते हैं । हम दोनों की ही शास्त्रीय संगीत ज्योतिषशास् पर खगोलशास्त्र में गहरी रुचि है । हमारे बीच समानताएं बहुत अधिक । उन्होंने इस विषय पर आगे कहा, मैं हमारे लिए सब कुछ है । फॅमिली तथा माता, संरक्षक, मित्र, दार्शनिक और मार्ग दर्शक है । बहन मेरा सहारा है । पैसे किसी भी व्यक्ति का साथ नहीं जोडते हैं जिनका उन पर भरोसा हूँ । साहिर है जयललिता नहीं यह नहीं कहा की बहन मेरे प्रेमी भी है लेकिन पार्टी कार्यकर्ता है सही मानते थे और इसका पाँच जयललिता उनके लिए और विशेष प्रयाति ऍम को अन्ना या बडा भाई कहते थे और इसलिए जयललिता को अन्य यदि भाभी कहने लगे हैं । जब एमजीआर ने जयललिता को पार्टी का प्रचार सचिव बनाया तो उनका कद और महत्व कई गुना पड गया । उन्होंने जानबूझकर आपने रामधन को महीन करना शुरू कर दिया । शायद खुद पर लगे फिल्म अभिनेत्री होने से जुडे धब्बे को हटाने के उद्देश्य से इस बात का संकेत था कि अपनी राजनीतिक भूमिका को लेकर तब गंभीर है । सुलाई कहते हैं कि उन्होंने कभी भी जयललिता को भडके लिए निवास भी नहीं देखा । वह शायद ही कोई आभूषण पहनती थी । हमेशा अन्नाद्रमुक पार्टी के रंगों के किनारे वाले साधारण सफेद साडी पहनती थी । इसके बावजूद पहले बेहद सुंदर दिखती थी और आम जनता उन्हें ज्यादा से ज्यादा निहारना चाहती थी । सभाओं में उनकी उपस्थिति चुकी होती थी और जब मैं अपने जोरदार भाषणों में करुणानिधि पर हमला करते तो फिर काला भार आभास में अपनी सहमती जगह जनसभाओं के लिए उनका एक जांचा परखा तरीका और वह सीधे भीड में संभाल चलती है । क्या आप करुणानिधि के पेश पूर्ण बयानों से सहमत हैं? क्या आप की उन से सहमती है? फिर इसका उत्तर कानफाडू नहीं मैं दे दी है । एमजीआर के मध्याहन भोजन योजना और विकास की अन्य योजना हूँ तथा उनकी अच्छाई हूँ और उदारता की प्रशंसा करते हुए वहाँ उपस्थित लोगों से अपील करती है मैं आप से पूछती हूँ आप मुझे बताइए क्या आप सुरक्षित लगवा के साथ नहीं भीड उन कार भरते हैं? हाँ, पूरे तमिलनाडु के उनके तूफानी दौरे बेहद सफल साबित हुए हैं । पर स्कोर पार्टी के शकुनी क्यों की भी नजर थे जिन्होंने कौर क्या के चला । नेता के दौरे का प्रबंध उस वक्त था और धूमधाम के साथ किया जा रहा था । जैसा सिर्फ ऍफआईआर के लिए हुआ करता था तो भाषण पर ही रुकने वाली नहीं थी । उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की एमजीआर ने उन्हें पूर्ण अधिकार दे रखा है । अन्नाद्रमुक पार्टी मुख्यालय में काफी सक्रियता देखी जाने लगे और कार्यालय में जयललिता के कार्यक्रम बारीकी से तैयार किए जा रहे थे ताकि बडी संख्या में कार्यकर्ता उन्हें सुनने पहुंचे और उनसे अपनी बातें बता सके । अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उनसे दिशा निर्देश दे सके । कार्यकर्ताओं से प्राप्त आप इतना हूँ और प्रार्थनापत्रों को अपनी अनुशंसाओं के साथ ऍर को भेज देते हैं । उन्होंने खुद पार्टी प्रशासन में खामियों को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी लेनी मध्यान भोजन केंद्रों का औचक निरीक्षण किया और ठीक से काम नहीं कर रहे कर्मचारियों की खिंचाई की । अपने चुनाव क्षेत्र कि सुबह नहीं लेकर एमजीआर के सांबर अम् गार्डंस निवास के चक्कर लगाने वाले विधायकों की पार्टी पदों से छुट्टी कर दी गई । पार्टी की बैठकों में अनुपस्थित रहने वाले वरिष्ठ पार्टी सदस्यों को कारण बताओ नोटिस थमाए गए । लोग यही मान रहे थे कि भाई जो भी कदम उठाती है उसमें एमजीआर की सहमती होती हैं । शीघ्र ही उनके खिलाफ फेकना था अभियान शुरू हो गया । पार्टी के वरिष्ठ सदस्य जयललिता के अधिकारों के बढने की गति को देख कर चिंतित थे और उन्हें इस बात की फिक्र भी थी की चलती ही पार्टी के इस नौसीखिया सदस्य को मंत्री पद दिया जाएगा । लेकिन एमजीआर गुजरा और सोच रहे थे । उन्हें दिल्ली में एक स्मार्ट व्यक्ति की जरूरत थी जो उन क्या केन्द्र के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकें । जयललिता बेहतरीन अंग्रेजी बोलती थी । उनकी हिंदी भी धाराप्रवाह एमजीआर चौबीस मार्च उन्नीस सौ चौरासी को जयललिता को राज्यसभा के लिए नामित करने की घोषणा करते हैं । उन्हें राज्यसभा में जो सीट दी गई उसका नंबर एक सौ पचास था । यानी वही जीटॅाक में सांसद रहते हुए सीएन अन्नादुराई के पास जयललिता जहाँ भी जाती थी, वहीं आकर्षण का केंद्र हो जाती हैं । राज्यसभा में उन के पहले भाषण को स्पष्ट उच्चारण और प्रभावोत्पादक शब्दों के लिए खूब वाहवाही मिली है । उस दौरान राज्यसभा के सदस्य रहे खुशवंत सिंह ने । उसने मतलब सुंदरता के संगम के रूप में, उनकी तारीख के, यहाँ तक कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रही । एमजीआर अब चाहते थे कि चला लेता इंदिरा गांधी से मुलाकात करें । सोलह । जिन्हें ऍफआईआर नहीं जयललिता की मदद के लिए दिल्ली भेजा था उस मुलाकात के बारे में बताते हैं, कांग्रेस का टीएमके के साथ गठजोड था । हमारा प्रस्ताव किया था कि कांग्रेस अन्नाद्रमुक के साथ जयललिता को जिम्मेदारी दी गई थी कि वे इस बात पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजी करने का प्रयास करें । जयललिता को इस बैठक के लिए दस मिनट ही दिए गए थे, लेकिन मुलाकात तीस मिनट तक चली है । इंदिरा गांधी इस कदर प्रभावित हुई कि जब हम वापस लौट रहे थे तो उन्होंने तमिलनाडु कांग्रेस के नेता मूपनार को उसी फाइट से गठबंधन पर बातचीत करने के लिए भेज दिया था । लेकिन इंदिरा गांधी से मुलाकात के बाद जयललिता ने इस बारे में तत्काल एमजीआर को रिपोर्ट नहीं किया जैसा कि उनके द्वारा ये जिम्मेदारी सौंपे जाने के कारण अपेक्षा की जा रही थी । जाहिर है ऍर मुलाकात का परिणाम जानने को लेकर बेचैन थे । जब हम इंदिरा गांधी के आवाज से लौट रहे थे । मैंने चैनल नेता को कहा हूँ ऍफआईआर को सारी जानकारी दे । उन्होंने थोडी लापरवाही से कहा ऐसा किया जाएगा लेकिन उन्होंने यह काम किया नहीं । एमजीआर ने मुझे फोन कर पूछने के लिए कहा कि आखिर मुलाकात में क्या निकला हूँ । हम उसे दिन चेन्नई के लिए रवाना हो गए और फ्लाइट में मैंने उनसे पूछा हूँ कि आपने था भाई को बैठक की जानकारी नहीं दी । उन्होंने कहा हम पैसे भी उनसे व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं । मैंने सोचा उस दौरान हमने सब कुछ बता देंगे । उनके अपने नेता को पूरी गंभीरता से नहीं लेने के इस व्यवहार से एमजीआर तक गलत संगत पहुंचा हूँ । ऐसा लग रहा था कि वे अपनी हैसियत से कहीं बडी होती जा रही नहीं । एमजीआर के अंतर्गत मौजूद वरिष्ठ पार्टी नेता चिंगारी को खबर देने का काम जारी रखे हुए थे, जिसने अंततः आप करूँ ले लिया । अब ये जयललिता के विरोधियों का संतुष्ट करने के लिए उठाया गया कदम को या फिर उन पर लगाम लगाने के लिए पार्टी के महाधिवेशन में एमजीआर जयललिता को प्रचार सचिव के पद से मुक्त करने की घोषणा कर दी ऍम इस बात का एहसास हो चुका था कि जयललिता को प्रमुखता देने के उनके कदम ने पार्टी को एक तरह से तो दोनों में बांट दिया है । जयललिता में उनका भरोसा धीरे धीरे कम होता जा रहा था । क्या कम से कम सडक नेता लगा ही था?

Details

Sound Engineer

Producer

तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
share-icon

00:00
00:00