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अम्मा: जयललिता - 3 (एक सितारे का जन्म) in Hindi

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5 K Listens
AuthorSaransh Broadways
तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
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एक सितारे का जन्म तो खर्चे चला लेता । चोपन जगह से दूर रहने के लिए दृढप्रतिज्ञ थी । पूरी तरह फिल्मों में कैसे आ गई है वो भी अपनी किशोरावस्था में ही जब उसने फिल्मों की दुनिया में अपना पहला कदम डाला । से मालूम नहीं था कि बॅाबी को पार कर चुकी है जिसके परस्पर कोटेदारों से निकलने का कोई रास्ता नहीं है । फिल्म कर्णन के सौवें दिन का समारोह मनाया जा रहा था जिसमें समझाने अभिनय किया था । जयललिता की मैट्रिकुलेशन की परीक्षा संपन्न हो चुकी थी और कॉलेज शुरू होने में अभी दो महीने की देरी थी । संध्या ने जयललिता को भी अपने साथ ले लिया जिसने पहली बार साडी पहनी थी कॅश जमा मेहमान यह देखकर हैरान थे की संध्या की बेटी एक सब बहुत सुंदर बन चुकी है जब समारोह में आये लोग रवाना हो रहे थे मेजबान और काॅलोनी उनसे थोडी देर रुकने को कहा जब तक ये संध्या से थोडी बात कर लें । उन्होंने संध्या को बताया कि अगले ही आते हैं बहुत नहीं आई । कन्नड फिल्म की शूटिंग शुरू कर रहे हैं और पहले उसकी बेटी को नायिका के रूप में पेश करना चाहते हैं । माँ और बेटी दोनों पहुंचक की रह गई संध्या ने जो उस समय तक अपनी बेटी के दिल में नहीं करने को लेकर दृढप्रतिज्ञ थी, टीम इस पर में कहा कि जयललिता को दो महीने में कॉलेज ज्वाइन करना है । पत्थरों ने उसे भरोसा दिलाया कि तब तक शूटिंग पूरी हो जाएगी । अपनी बेटी के प्रतिरोध की आशंका के साथ संध्या जयललिता की तरफ बडी और पूछता हूँ कि इस बारे में उस की क्या राय हैं । जयललिता ने हाँ कहकर अपनी माँ को चकित कर दिया । शायद उसने यही सोचता हूँ कि स्कूल कॉलेज के बीच की दो महीने की अवधि को बताने का यह एक मजेदार तरीका होगा । लेकिन पंथल उसे हुई उस पर भाग्य पूर्ण भेड के बाद जयललिता को अपने आप एक में लिए गए फैसले के बारे में सोचने का शायद कोई मौका मिला हूँ । उसे तुरंत मैसूर के लिए रवाना होना पडा जहाँ वृंदावन गार्डन में शूटिंग शुरु होनी थी । फिल्मी उसके लिए लिखने वाले पत्रकार फिल्म न्यूज आनंदन जिन्होंने बाद में जयललिता के सेन संपर्क अधिकारी की भूमिका निभाई । मैसूर की एक घटना की चल जा सकते हैं जिसमें जयललिता इतनी डर व्यक्ति के रूप में सामने आई । हालांकि उस वक्त उनकी उम्र मात्र सोलह साल की थी । मंडम अयंगर समुदाय से थी जो कर्नाटक से आते हैं । लेकिन एक पत्रिका में छपे लेख में उन्हें यह कहते बताया गया मैं तमिल हूँ मेरी माँ श्रीरंगम से । इससे कर्नाटक का कन्नडिगा समुदाय क्रोधित हो गया जो उन्हें अपना मानता था । धमकियां मिलने के बाद उन्हें मैसूर के दशहरा कला महोत्सव पे दस्ते का आपका निर्धारित कार्यक्रम करना पडा । दो महीने बाद मैसूर के चामुंडी स्टूडियो में निर्देशक पंथल ऊ की फिल्म की शूटिंग के दौरान दशहरा कला महोत्सव के आयोजकों को भनक लग गई की चला देता रहा है और उन्होंने उनका विरोध करने का फैसला किया । स्टूडियो मैंने चार हो जब खबर मिली की करीब सौ लोग जयललिता की पढाई करने के लिए स्टूडियो की ओर आ रहे हैं तो उसने स्टूडियो के सभी द्वारों को बंद करवा दिया । लेकिन कुछ शरारती तत्व गेट के ऊपर से कूद कर स्टूडियो परिसर में दाखिल हो गए । उनके हाथ में ठंडे थे और कन्नड में चला रहे थे । हाय को दिया दरवाजे पर खडे सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों से धक्का मुक्की करते हुए अंदर गए पत्तलों ने उनसे कल्याण में बात की और चले जाने की गिनती की लेकिन मांग करते रहेंगे खुद को कन्नडी का नहीं बताने के लिए जयललिता माफी मांगे । फॅमिली हुई पढना ही देंगे । उन्होंने विरोध करने वालों से आंखें मिलाते हुए शुद्ध कन्नड में कहा मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है ना भारत के इस बात की माफी मांग मैं तमिल हूँ । लाके ॅ इतने में वहां पुलिसकर्मी जिसमें प्रदर्शनकारियों को समझा पर जाकर वहाँ से निकाला । अगले दिन तमाम तमिल अखबारों की हेडलाइन्स एक जैसी थी कि कन्नाडिगा प्रदर्शनकारियों ने जयललिता को जान से मारने की कोशिश की । मैसूर में अपनी पहली फिल्म की शूटिंग जयललिता के लिए मौज मस्ती वाला अनुभव रहा है लेकिन चेन्नई लौटने के बाद उन्होंने स्कोर ज्यादा ध्यान नहीं दिया । दरअसल उनके पास शिक्षा मंत्रालय का एक पत्र हैं जिसमें मैट्रिकुलेशन की परीक्षा में उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए आगे की पढाई के लिए छात्रवृत्ति की पेशकश की गई थी । इस पत्र को पाकर बेहद रोमांचित थी और उच्च शिक्षा की अपनी योजना पर आगे पडने को बिलकुल तैयार भी है । लेकिन तभी उसके पास प्रतिष्ठित निर्देशक श्रीधर की एक फिल्म में नायिका की भूमिका का प्रस्ताव आया । जब समझा ने कहा कि श्रीधर के ऑफर कट कराना उनकी मूर्खता होगी तो जयललिता को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने विरोध के स्वर उठाए । कई वर्ष पांच जयललिता ने एक इंटरव्यू में बताया, मैंने घर पर तूफान खडा कर दिया । मैंने झगडा किया, रोहित और गुस्सा दिखाया । ऍम फिल्मों में तय हो चुका था । उन्हें अपनी जिद छोडनी पडेगी क्योंकि संध्या ने बताया था उनके आर्थिक स्थिति वास्तव में उतनी अच्छी नहीं है जितना मैं सोचती थी या जैसा उन्होंने विलासतापूर्ण जीवन शैली में ढल कर बच्चों को यकीन दिला रखा था । संध्या के पास अपना सादा काम नहीं लगता हूँ और उस की बचत खत्म होने पर आंखों में कटी उस राहत के बाद जयललिता ने महसूस किया कि वह अपनी माँ की अनसुनी नहीं कर सकती हैं जिन्होंने परिवार की जिंदगी आरामदेह बनाने के लिए इतना परिश्रम किया था और एक बार जब उन्होंने तय कर लिया कि उनका भविष्य फिल्मों में है और उन्हें अपनी शिक्षा संबंधी सपने छोड देने चाहिए । जयललिता ने खुद पर थोपे गए करियर में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने की ठान ली । एक इंटरव्यू में उन्होंने इस पर कुछ नहीं है, खबर नहीं दिखा सकते हैं क्योंकि मेरे अंदर एक बात तो है । जब मैं कोई काम करती हूँ तो अधूरे मन से या उदासीनता के साथ नहीं, भले ही कुत्ते को नहलाने जैसा कोई काम क्यों ना हो । फिल्मों में काम करने के बारे में भी मेरी यही सोचती हूँ । मेरी भी कोई ऍम घर का काल नहीं था । दो भाषाओं तमिल तेलगु ओके फिल्मों में मुख्य नायिका की भूमिका के जरिए रातो रात में प्रसिद्धि और शानदार सफलता पहुंच चुकी थी । इंटरव्यू की समाप्ति उन्होंने क्या कहते हुई थी । मैं इस दुनिया में कुछ भी कर सकने के लिए खुद को तैयार कर सकती हूँ । तभी जिंदगी के उतार चढाव के दौरान इस मंत्र पर कायम रहेगा । जब वह श्रीधर की फिल्में काम कर ही रही थी कि निर्देशक पंथल उन्हें उन्हें आॅइल और वन के लिए साइन कर लिया जिसमें वह अपने से पैंतीस साल पडे । लोकप्रियता एमजीआर की नायिका थी तब मात्र सोलह साल के लिए शूटिंग के दौरान ऍम जो दूसरे सेट पर शूटिंग कर रहे थे अपने प्रशंसकों की फिर के साथ जयललिता के सेट बनाएगा । श्रीधर ने उसे आगे बढकर ऍम करने को कहा जब ऍफआईआर के सामने आज छोडकर खडी थी एमजीआर यह देखकर किस्मत हो रहे होंगे कि है स्कूल कल उनकी सहायता की भूमिका में नहीं ऍफआईआर के साथ जो पहला दृश्यों ने करना था बहस वहाॅ शर्मा रहे थे बहुत घबरा रही थी जबकि क्या तुम शर्मिली होकर शाम तक चला तो पास ऍम काम रही थी उसे सहज करने के लिए एमजीआर को अपने सारे मनोहरी तरीके इस्तेमाल करने पडेंगे । लेकिन लेकिन ऍम देखकर चकित थी कि वही लडकी कुर्सी पर बैठे कुछ किताब पढने में तल्लीन थी । सेट पर आ रहे सीनियर कर्मकारों को अभिवादन तक नहीं कर पा रहे थे । पंथल फिल्म उद्योग में पालन किए जाने वाले शिष्टाचार पर जोर देते थे इसलिए उन्होंने संध्या से कहा कि मैं अपनी बेटी को व्यवहारकुशलता सिखाए । जयललिता अपनी माँ पर गुस्सा थी और उन्होंने कह दिया कि यदि उन्हें इन नियम परंपराओं का पालन करना पडेगा तो वह फिल्म की शूटिंग जारी नहीं रख सकती हूँ । लेकिन क्या निश्चित था कि उन्हें अपने इस प्रचार को बदलना होगा । जयललिता ने बात में लिखा है कि उनकी अपनी माँ के साथ नियमित रूप से झडपें होती थी लेकिन हर बार अंत में संध्या की ही बात रहती थी । जयललिता को अहसास था की अब संध्या के साथ एकमात्र शख्स वही रह गई हैं । उन का भाई पप्पू जानी चाहिए । कुमार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिरा हुआ था और नियमित रूप से स्कूल भी नहीं जा पा रहा था । आगे चलकर परसों बाद जयललिता ने अचानक पत्तों से संबंध तोड है और मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दूसरे मकान हो गया । जयललिता के मित्रों या उसके जनसंपर्क अधिकारियों में से किसी को भी उनके अपने भाई से, जिसका निधन हो चुका है, संबंधों के बारे में कोई जानकारी नहीं । श्रीमती कहती है, उसने हम से अपने परिवार की कभी चर्चा नहीं । उसके जन्मदिन की पार्टियों में भी उसका भाई कभी नहीं देखा । अच्छी बात है क्योंकि आपने पूर्ण संस्मरणों में जब कुम्मनम पत्रिका में सिलसिलेवार रूप से छपे, उन्होंने बहुत प्यार से बेंगलुरु में आपात में चेन्नई में अपने भाई के साथ बचपन के मजाकों का जिक्र किया है । धीरे धीरे चला लेता फिल्म जगत में पालन किया जाने वाला प्रोटोकॉल सीखें पैसारे सीनियर कलाकारों का उत्पादन करती है । अब कभी कब किये रहती है और अगले शॉट के लिए बुलाए जाने तक एक पुस्तक लिए किसी कोने में कुर्सी पर बैठी रहती जब आए थे और उनकी शूटिंग चल रही थी । तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन उबाल परख कबड मुनेत्र कडगम, एआईएडीएमके के सभी कैडर और सदस्यों से, जिनमें एमजीआर और अन्य अभिनेता शामिल थे । आंदोलन में भागीदारी की अपेक्षा की जाती थी । लेकिन यह सोच कर के सेट से कलाकारों की अनुपस्तिथि, तमिल फिल्म उद्योग पदरपुरा सब डालेगी । पार्टी प्रमुख सी एन अन्नादुरई ने उन्हें शूटिंग शेड्यूल का पालन करने की छूट दे दी आए थे और ओवन के कुछ कृषक कर्नाटक में कार्यवाही के पास एक छोटे से टापू पर फिल्माए गए थे । एक दिन जब खुल वर्ष गोवा में छूट गई जहाँ फिल्म यूनिट रुकी हुई थी बमुश्किल सत्रह कि जयललिता ने सबको भौंचक्का कर दिया । जब है एक मछुआरे की नौका पर सवार होकर उस तापू तक पहुंच गयी आॅन अत्यंत सफल फिल्म साबित होगी । इसमें पक्का कर दिया कि एमजीआर और जयललिता की जोडी उस दौर में सर्वाधिक लोकप्रिय साबित होगी । हालांकि एमसीआई रखने उम्र के पांचवें दशक में थे और जयललिता अपने किशोर मई में । फिल्म जगत के कई लोगों ने जिस एक और बात पर गौर किया कुछ नहीं भाई के साथ तो कुछ लोगों ने अस्वीकृति के भाव के साथ रहता हूँ । जयललिता से एमजीआर का भर्ता लगा जहाँ अधिकतर लोग इस पर टिप्पणी करने से बचते रहें क्योंकि मुझे अत्यंत ताकतवर शख्सियत है । लेकिन उन्हीं के बीच एक पास तीन का साथ था आरॅन यानी आरएमबी ऍफआईआर करने का सहयोगी और फिल्म प्रड्यूसर जो ये कहते हुए किसी भी कीमत पर इस रिश्ते को तोडने के लिए कटिबद्ध था की पहचान ललिता नामक दुष्टात्मा से एमजीआर की रक्षा करना चाहता है । उसकी नजरों में जयललिता एक बहकाने वाली रूप से थे । आर । एम । बी । को इस बात का भाग नहीं था कि जयललिता को लेकर खुद एमजीआर की भावनाएँ बहुत गहरी हो चुकी थी । खाना कि राजनीतिक कारणों से बहस सार्वजनिक नहीं कर सकते थे । यदि ऍफ में बडी एक लडकी पर जो उम्र के लिहाज से उनकी बेटी हो सकती थी आ सकते थे तो वहीं आर । एम । बी । पर इस रिश्ते को खत्म करने की सनक सवार थी । आरएमपी की दुश्मनी के मद्देनजर जयललिता अकेली और कमजोर देखा ही नहीं है ।

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Sound Engineer

Producer

तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है| writer: वासंती Voiceover Artist : RJ Manish Script Writer : Vaasanti
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