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अनजानी मौत  का रहस्य -01 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

अनजानी मौत का रहस्य -01 in Hindi

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AuthorDevendra Prasad
Publisher:- FlyDreams Publications ... Buy Now:- https://www.amazon.in/dp/B086RR291Q/ ..... खौफ...कदमों की आहट कहानी संग्रह में खौफनाक डर शुरू से अंत तक बना रहता है। इसकी प्रत्‍येक कहानियां खौफ पैदा करती हैं। हॉरर कहानियों का खौफ क्‍या होता है, इस कहानी संग्रह को सुनकर आप समझ जाएंगे! कहानियों की घटनाएं आस-पास होते हुए प्रतीत होती हैं। आप भी सुनें बिना नहीं रह पाएंगे, तो अभी सुनें खौफ...कदमों की आहट …!
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अंजानी मौत का राॅबर्ट एक उनकी घंटे बचते हैं । मेरे ड्रीम को ले खुलते ही सबसे पहले घडी पर नजर पडी तो देखा सुबह के पांच बज रहे थे । मैंने सोचा इतनी सुबह सुबह किसने फोन किया । उनकी स्क्रीन देखे बिना ही मैंने हरा बटन दबा दिया हो । उधर से आवाजाही सीमान । आवास जानी पहचानी लगी । दूसरी तरफ चर्चा जीत है । मैंने कहा हाँ चाचाजी प्रणाम खुश रहो । दिल्ली आ सकते हो गया । उनका प् इतना कहना था कि मेरी पूरी नींद कहाँ छूमंतर हो गई । पता ही नहीं चला की सारी इंद्रियां का एक ये संकेत देने लगी कि कुछ ना कुछ तो गडबड है । वहाँ ऍम चलने लगी कि क्या हुआ? हो सकता है होती है क्या करता था तो यहाँ से दिल की बढती धडकनों को काबू करने की नाकामयाब कोशिश करते हुए मैंने पूछा जी सब ठीक तो है ना । सीमान अगर दिल्ली आ सकते हो तो फौरन आ जाऊँ । बहुत जरूरी है बेटा । इतना कहकर चाचा जी ने फोन काट दिया । चक्कर की नहीं की तरह घूम रहा था । मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि हुआ क्या? फौरन पिताजी को फोन लगाया । काफी देर तक मोबाइल में ट्रेन की घंटे सुनाई देती रही । लेकिन पिताजी ने फोन नहीं उठाया । मम्मी को फोन किया, लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया तो महात्मा नचाने कैसे कैसे खयाल रहे थे । मैंने अपनी बडी बुआ के बेटे को फोन किया था । क्यों से आवाजाही हलो? सीमांत प्रणाम? सोनू घर में सब ठीक है ना? हाँ, वैसे तो सब ठीक है । शालिनी दीदी की तबियत थोडी से खराब है । उन्हें लेकर दिल्ली गए । दिल्ली गई ऍम नहीं नहीं उनको दौरे पढ रहे हैं । शायद दिमाग में कुछ हो गया लेने की तबियत खराब है । पहले तो कभी इस तरह उसकी तबियत खराब नहीं है । किसी तरह बहुत को फोन करके हालत समझाए और दिल्ली जाने वाली अगली ट्रेन पर चढ गया । टीटीई को कुछ पैसे देकर एक बात पर आसरा मिल गया । आगे प्रयागराज चतले की इतनी लंबी दूरी तय जो करनी चाहिए । अगले दिन सुबह करीब नौ बजे नई दिल्ली स्टेशन पर उतरा । और तो क्या और सीधे रास्ते घर पहुंचा । रास्ते भरते बहुत पहले जाने कैसे कैसे खयाल आते रहे । घर पहुंचा तो देखा शादी में अगले कमरे में ही बैठे हैं । फौरन बोले प्रिया इन तो बिल्कुल ठीक ठाक लेकिन घर में एक अजीब सा माहौल जरूर होगा । हफ्ते के बाद चाचा जी इस बात की तो सुनकर पैरों तले जमीन ही खिसक गई । आप कैसे बात कर रहे हो जाता हूँ लेने पर किसी भूत प्रेत का साया है । आपका जवाब तो ठीक है । भूत वगैरह कुछ नहीं होता हूँ । ये सब बस बहन से ज्यादा और कुछ नहीं । मुझे तो आश्चर्य होता है । क्या आप खुद एक डॉक्टर है? फिर एक ऐसी बहकी बहकी और अंधविश्वास की बातें कर रहे हैं । कहीं सीमांत जब कक्षा लेने को देखा लगा तब तक मेरे शब्द भी हूँ या या भाभी तो सारी कहानी बता देंगे क्या महान पिताजी भी यहीं पर है । आप कोई भी कल ही आएगा । शालिनी के हाथ से क्लाउन लेकर पास में ही एक फकीर के भाग गए । बस आते ही होंगे । तुम्हारी चाची भी उन्हीं के साथ गई है । चाचा जी ये मत बोलो कि ये किस भेज दिया आपको इस तरह की बातें करना सारा सभी शोभा नहीं देना । बाहर वाले कमरे में शालीनी बैठे है और वो भी एकदम । फिर मुझे वो किसी एंगल से बिल्कुल भी बीमार नजर नहीं आ रही हूँ । थोडी ऍम जब तक होंगे तब सब आईने की तरह साफ हो जाएगा और समझ जाओगे चाचा जी के मुझे ऐसी बातें सुनकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था । मैंने कभी इन सब बातों पर यकीन नहीं किया । गोरी बकवास के समय और कुछ भी नहीं लगता था । लेकिन शायद गलत साबित होने वाला हूँ ऐसे पता था । कुछ दिन बाद मेरे जैसा विज्ञान में विश्वास करने वाला आदमी भी कुछ घंटों बाद ही यकीन करने वाला था की हाँ कोई दूसरी ऐसी भी शक्ति होती है जिसका आज भी मजबूत है । घंटे बाजी दरवाजा खोला तो देखा पिताजी के साथ माँ और चाची थी । सबके चेहरों पर एक अजीब तरह कट्टर साफ साफ नजर आ रहा हूँ । आपको प्रणाम किया । आशीर्वाद में पुरानी वाली बात नहीं लगी । उन सभी के चेहरे के हाथों देखकर ऐसा लग रहा था । अनंत सुखों का बहुत बडा पहाड टूट पडा था । चाची के हाथों में खेलती थी और उसमें पानी जैसा कुछ नजर आ रहा था । थोडी देर में ही चाची ने चाचा और पिताजी को फिर मुझे बुलाया । शालिनी तो सभी कमरे में आती थी । जैसे ही कमरे में घुसा शालिनी के हाउस हम देखकर मुझे कुछ अजीब सा लगता है । मैंने कहा शालिनी क्या हुआ? चली नहीं चुपचाप बैठे रहेंगे । थोडी देर तक पहुंचा चीफ नजरों से खुलती है । चाचा की तरफ देखा था । खडी हो गई और बोली ददास ऍम ना हमें बॅाय हमें खाने चाहो ना तो हमारे पास ऍम तो बंगला में अजीब सी बातें कर रही थी जिसका हिंदी में मतलब ये था तथा कि तुम ने ठीक नहीं किया । मैंने मना किया था ना मुझे वहाँ पर नहीं जाना है । मुझे जाने से क्यों नहीं रोका मुझे लेने को अपनी ऍसे सुनकर भी खुद पर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वो तुम्हारा प्रभाग बंगला बोल रहे थे । जबकि उसका परिवार था शालिनी । क्या आवाज किसी मारते जैसी लग रही थी । एक घंटे पहले तो उसकी आवाज बिलकुल थी है कहीं किसी क्या हुआ भी? चर्चा ने कहा सीमांत ॅ के हाथों को पकडना ॅ क्या हर एक मैंने पकडा तो आप रहने दीजिए मुझे अपने पास पर यकीन था तो खाली नहीं जैसी दुबली पतली लडकी को आसानी संभाल लूंगा । लेकिन कुछ पलों बात कुछ अपनी ताकत पर शक होने लगा है । शालिनी के शरीर में पता नहीं एकाएक इतनी दिक्कत आ गई की फॅमिली नियंत्रण से बाहर होने लगे हूँ । तभी पापा ने विशाल लेने को पकड लिया । लेकिन हम दोनों की महसूस कर सकते थे कि इस वक्त अच्छा लेने की ताकत हमसे कहीं ज्यादा है । यहाँ एक बार फिर घूम रहा था कि जिन बातों पर बच्चे कभी यकीन नहीं था उस पर यकीन करना पड रहा था । लेकिन दिमाग के किसी कोने में अभी भी यही था की ये कुछ माँ की बीमारी है ना कि भूत प्रेत का साया । उस फकीर के यहाँ से लाये पानी कोछड करने के बाद शादी नहीं एकदम से शांत हो गए लेकिन चेहरे पर अभी भी वही भागते हैं । चाचा कमरे में उसके पास रह गए और हम बाहर निकल कर तो आपने बताया कि एम्स में टाइम मिल गया है, डॉक्टर को दिखा रहा है । अगले तीन दिनों तक यही होता रहा । ऍम हुई लेकिन सब की रिपोर्ट ऍम भी दिखाया गया लेकिन वहाँ भी रिपोर्ट में कुछ नहीं । ये तय हुआ कि अब वापस काम चला जाएगा । वहीं कुछ हो सकता है । अगले दिन हमने घर जाने वाली ट्रेन और सब कुछ ठीक था । कुछ भी गडबड नहीं । लेकिन जैसे ही हम घर पहुंचे शालिनी का एक बेकाबू हो गए । मैंने उसे संभालने की कोशिश की लेकिन उसके एक सौ चार थप्पड ने कुछ दिन बिताने दिखा रही है । किसी तरह चाचा ने फिर से पानी छिडका तब जाकर वो शांत हूँ । किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें, क्या हुआ है? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा हूँ । मुझे तो लगता शालिनी को कोई जबरदस्त मानसिक बीमारी हो गई है । नहीं अगर ऐसा होता तो हो चुका है । पानी छिडकते ही सुशांत की हो जाती है । अपने अपने आँखों से देखा वो कैसे बेकाबू हो करेंगे और उसकी आवाज भी बदल गई थी । आप ये तो है लेकिन हम क्या करेंगे ऍम उनको बनवाया है । देखो क्या होता है । आप सच में यकीन कर रहे हैं कि शालिनी पर किसी भूत प्रेत का साया है । फिलहाल तो यकीन करना पड रहा है । पापा ने कहा शाम के करीब पांच बजे वो तांत्रिक आ रहा हूँ । लेकिन जैसे ही उसने सीढियों पर पहला कदम रखा पैसे वो चौक का पीछा किया । तिवारी जी आज रहने दीजिए मैं कल फिर हूँ । इतना कहते हो तेज कदमों से चलते हुए चला गया । किसी को भी समझ नहीं आया कि आखिर तांत्रिक ने ऐसा क्यों किया । ऍसे सबको परेशान कर रखा था । किसी तरह रात काटी । सुबह कभी छह भी नहीं बचा है कि बाहर से तांत्रिक की आवाजाही तिवारी जी फौरन बाहर नहीं आई है । मीडिया ने बहुत परेशान किया । ना रातभर फिक्र मत कीजिए । आप सब ठीक हो जाएगा । लेकिन आपको कैसे पता कि उसने पहले के मुकाबले कल ज्यादा परेशान किया । बस थोडा धैर्य रखी । आपको सब धीरे धीरे हो जाएगा । ये कहते ही तांत्रिक के चेहरे पर ऍम आप तांत्रिक के साथ घर के अंदर दाखिल हुए । मैं बाहर के कमरे में ही सोफे पर बैठा था । कितना असर तांत्रिक पर पडी तो मैं सहन गया । तांत्रिक ने काले रंग का वस्त्र धारण किया हुआ था । फॅार को किसी हरे रंग के कपडे से कसकर बांध रखा था । चेहरे पर उसके लम्बी लम्बी दाढी चुका, हिं से सफेद नहीं से खाली में शिक्षित होकर उसके व्यक्तित्व को और ऍम कर रही थी । गांधी पर हरे रंग के पहले थे जिसे देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता था की अपनी पूरी तैयारी के साथ ही यहाँ पर रहता था । अंदर पहुंचने ये सबसे पहले उन्होंने मुझे लेने के बारे में पूछा । उन्होंने बताया कि वो अंदर के कमरे में तांत्रिक ने मुझे उस कमरे में जाने को कह दिया और साथ ही की अभी हिदायती की जब तक कहना चाहेंगे मैं तब तक अंदर ही रहा हो लेने का भी ध्यान भटकाए रखूँ और किसी भी कीमत पर इधर ना हो, निसंकोच वाली मथुरा में उठा और अपना रुपए लेने के कमरे की तरफ कर दिया । मैं जैसे ही खा लेने के कमरे में प्रवेश किया यदि करता हूँ क्या? शादी नहीं । उस कमरे में कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं । कमरे में चारों तरफ अंधेरा हो ऍम करके नजरें दौडाई तो मेरी आंख खुली की खुली रह गए । शालिनी उसी कमरे में खोने में होकर के बैठी हुई है । फॅालो से अपने चेहरे को ढका हुआ है । उसका इस तरह से पाँच पर कोने में बैठे रहना अच्छा लगता है । मैं उसको उस तरह से उठाने के लिए उसकी तरफ पडता हूँ । उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे वहाँ से उठाने की कोशिश करता हूँ । मैं ऐसा बार बार करने पर भी तो कोई प्रतिक्रिया नहीं देती है । इस बार जोर से उसका नाम लेकर उसके बाजू को पकडकर उठाने की जैसे ही कोशिश करता हूँ, अचानक वो एक झटके से मुझे धकेल देती है । मैं तीन फुट दूर जाकर करता हूँ । जब हुआ कि उसने मुझे बैठे बैठे ही काफी दूर तक खेल दिया था । मैं करने के बावजूद भी उसी की तरफ दिखाए बैठा था । वो अचानक आपने पालों को चेहरे से पीछे करते हुए झटकी से उठ खडी होती है । फॅमिली मेरे सामने पलक झपकते ही खडी हो जाती है । मुझे एक सौ सत्तर समाचार रसीद करते हुए कहती है मुझे मेरा पसंद है समझे उसके ऐसा बोलते ही उस कमरे की ट्यूबलाइट हो जाती है । मैं अपने ऊपर से आपको बैठता हूँ । सिर पर काम करना होता है । मैं भागता भागता उस कमरे में आ जाता हूँ । वहाँ से कुछ देर पहले तांत्रिक ने मुझे दायक देकर भेजा था । इस कमरे में पहुंचने ही देखा कि कमरे की स्थिति पहले से काफी अलग है । कमरे के बीचोंबीच एक लाल रंग की लकीर खींची हुई थी । सिंदूर क्या गुलाल का प्रयोग हूँ । मेरे चाचा चाची तांत्रिक के साथ लकीर की दूसरी तरफ थे । तांत्रिक आपने छोले को बाजु में रख कर बैठा हुआ था जिसके सामने साथ नहीं होते हैं । प्रत्येक नियमों में दो दो लोग है कि से ही हुई थी । किसके साथ वहाँ भी हिंदू के अन्दर डाली हुई थी । वकील के साथ त्रिभुजाकार संस्कृति बना रहे थे । नींबू के नीचे कुछ रंग बिरंगे चावल के तरह थे । एक बडा सा नारियल को लेकर चर्चा उस तांत्रिक के बगल में बैठे हुए थे । उनके चेहरे के हाव भाव को देखकर यह साफ का जा सकता था कि इस प्रावधान के बीच में ये अचानक से आने का उनको सराफ भी अनुमान नहीं था । सभी चौंक तो इतने सारे से मुझे बुलाया और अपने बगल में बैठने को कहा । उसने अपने सामने से एक नई बुक उठाकर मेरे हाथ में देते हुए चुप रहने का इशारा किया । ॅ लेबल का दृश्य तो बडा ही दल का इलाज देने वाला था ।

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